Sunday, April 29, 2012

इंटरनेट से बढ़ रहे साइबर अपराध भी//तबस्सुम खान

सावधान: खेल खेल में लिया गया पंगा भी दिला सकता है सज़ा
वास्तव में आज इंटरनेट के तमाम पहलू हैं। जीवन की हर आवश्यकता और कामकाज में इसका पर्याप्त दखल हो चुका है। इसके जरिए मानव जीवन में काफी फुर्ती नज़र आने लगी है। जो काम महीनों की मेहनत और लाखों परेशानियों के बावजूद असंभव लगते थे, अब पलक झपकते ही होने लगे हैं।मर्स इंटरनेट के जरिए अपने ग्राहकों की सही पहचान, उत्पादों का पूर्ण विवरण, दामों की समुचित जानकारी तथा उत्पादों की डिजाइन तथा सेवाएं बड़ी आसानी से हासिल करा रहा है। अपने देश में पिछले पांच-छ: सालों के दौरान ही इंटरनेट जैसी तकनीकी का इस्तेमाल सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र का विस्तार कर रही है। आज देश में इंटरनेट का दायरा बड़े महानगरों तक ही सिमटा नहीं रहा है बल्कि आज छोटे शहरों और कस्बों में भी साइबर कैफे की मौजूदगी है। भारत में बढ़ते कम्प्यूटर की तकनीकी के विस्तार की ओर इशारा कर रही है।
सूचना क्रांति के इस नायाब तोहफे को युवाओं ने अपने जीवन में कितना सही रूप में उतारा है, ये कह पाना संभव नहीं लगता।
मनोरंजन के तमाम अन्य साधनों से ऊब रहा युवा वर्ग  घंटों इंटरनेट के जरिए अपना समय व्यतीत करने में व्यस्त है आमतौर पर युवाओं में नेट सर्फिंग का नशा सा छा रहा है। जहां ये युवा नेट सर्फिंग के दौरान नेट फ्रेंड्स में मशगूल रहते हैं। मात्र शब्दों की बुनियाद पर रिश्तों की इमारत खड़ी करने के प्रयास में युवा अकसर धोखा ही खाते हैं। इन युवाओं को मीडिया को माध्यम बनाकर खेल खेलना बेहद आसान तरीका लगता है, जो इंटरनेट के घातक परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं। यह तो सच है इंटरनेट ने युवाओं में काफी गहरी पैठ बना ली है। स्वस्थ मनोरंजन का ज्ञान का सागर का साधन आज साइबर क्राइम का जरिया भी बन रहा है।
साइबर क्राइम के बढ़ते चलन पर रोक लगाने के लिए सन् 2000 में इंफारमेशन टेक्रालॉजी एक्ट बनाया गया, जिसके तहत इंटरनेट पर अवैध वस्तुओं का क्रय-विक्रय, ई-बैंकिंग से जालसाजी, अश्लील मैसेज भेजना, हैकिंग, पासवर्ड की चोरी, ई-मेल बाम्बिंग जैसे मामलों की सजा भी नियुक्त की गई।
कम्प्यूटर कोड में छेड़छाड़-सजा तीन वर्ष।
हैकिंग-सजा कैद या फिर दो लाख का जुर्माना या फिर दोनों संभव हैं। पोर्नोग्राफी (ऐसी कोई भी फोटो या लेख जिसे सामाजिक मानकों के लिहाज से अश्लील करार दिया जाए)-सजा पांच वर्ष (एक लाख जुर्माना)। सरकारी कम्प्यूटर से छेड़छाड-सजा दस वर्ष।
किसी का डिजिटल हस्ताक्षकर बनाना-सजा दो वर्ष।
गलत सूचना देना जिससे कम्प्यूटर को नुकसान हो-सजा दो वर्ष।
अधिकृत रूप में साइट में प्रवेश— सजा दो वर्ष।
किसी भी किस्म के जाली दस्तावेजों का इंटरनेट पर आदान-प्रदान-सजा  दो वर्ष।

इस सबके बावजूद आज साइबर क्राइम पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है जबकि इंटरनेट के जरिए इस तरह के क्राइम बदस्तूर जारी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष साइबर अपराध से जुड़ी शिकायतों की संख्या में 45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी उसमें दुनिया भर के कम्प्यूटरों से जुड़े लोगों की केन्द्रीय भूमिका है। आई.टी. जहां रोजगार, विकास एवं जीवन के तमाम समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया है वहीं अपनी विश्वस्तरीय शृंखलाबद्धता के कारण कई बुराइयां की जड़ बन गया है। बढ़ता साइबर अपराध, कम्प्यूटर वायरसों से होने वाले हमले इसका प्रमाण हैं।(दैनिक ट्रिब्यून से साभार)

पंजाब पर कसता मानव तस्करी का शिकंजा

अवैध रूप से विदेश जाने वाले अक्सर जेल में पहुँचते  हैं
समुद्र पार सुनहरा भविष्य बनाने की चाहत में जितने लोग पंजाब से विदेश जाते हैं, शायद ही किसी दूसरे प्रदेश से जाते हों। इनमें से कुछ तो वैध रूप से विदेश जाते हैं, लेकिन अधिकतर विदेश जाने का अवैध रास्ता अपनाते हैं। विदेश मंत्रालय का मानना है कि पंजाब से प्रतिवर्ष 20000 से अधिक युवक अवैध रूप से विदेशों में बसने का प्रयास करते हैं। इस कोशिश में वह अकसर पकड़े जाते हैं और उन्हें वापस भेज दिया जाता है या बिना किसी मदद के वह विदेशी जेलों में बंद रहते हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार पिछले 5 वर्षों में पंजाब के केवल 6 जिलों-जालंधर, नवांशहर, गुरुदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर और कपूरथला- के एक लाख से अधिक नागरिकों को वापस भारत भेजा गया। जबकि संयुक्त राष्ट्र की 2009 की एक रिपोर्ट के अनुसार एक लाख से भी अधिक भारतीय विदेशी जेलों में बंद हैं क्योंकि उन्होंने अवैध रूप से विदेशों में बसने का प्रयास किया था।

मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है। इसे रोकने के लिए पंजाब विधानसभा ने 1 अक्तूबर 2010 को पंजाब मानव तस्करी रोकथाम विधेयक  पारित किया था  लेकिन बाद में रोक दिया गया। इस विधेयक को अभी तक न तो पंजाब के राज्यपाल द्वारा स्वीकृति मिली है और  न ही  इसे संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत भारत के राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। गौरतलब है कि अगर संसद द्वारा बनाए गए कानून और राज्य विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून के बीच तालमेल का अभाव होता है तो ऐसी स्थिति में राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को कानून बनाने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक होती है।
पंजाब मानव तस्करी रोकथाम विधेयक का जल्द कानून बनाया जाना बहुत आवश्यक है क्योंकि पंजाब में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है। इस विधेयक में जो प्रस्ताव हैं उनसे मानव तस्करी पर काफी हद तक अंकुश लगना संभव है। इसलिए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की सरकार को चाहिए कि इस विधेयक के कानून बनने में जो अवरोध हैं उन्हें जल्द दूर करे। बहरहाल, आगे बढऩे से पहले यह आवयश्क है कि प्रस्तावित विधेयक के मुख्य बिंदुओं को उजागर कर दिया जाये। चूंकि मानव तस्करी धोखेबाज टे्रवल एजेंटों के कारण बड़ी समस्या बनी हुई है, इसलिए इस विधेयक को इस तरह परिभाषित किया गया है कि इससे टे्रवल एजेंटों के प्रोपेेशन को इस दृष्टि से नियमित किया जायेगा ताकि अवैध, धोखाधड़ी की गतिविधियंा और संगठित मानव तस्करी में लिप्त व्यक्तियों व उनकी गैरकानूनी गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके। इस विधेयक के प्रमुख बिंदु इस प्रकार से हैं:
०पहली बार यह परिभाषित किया गया है कि ‘मानव तस्करी’  और ‘टे्रवल एजेंट’ क्या हैं?
०टे्रवल एजेंटों को अपना काम करने के लिए संबंधित विभाग से लाइसेंस लेना होगा और आवश्यक रूप से बैंक गारंटी देनी होगी।
०यह विधेयक प्रशासनिक कर्मचारियों को टे्रवल एजेंटों की जांच, उनके कागजात को जब्त करने और उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।
०मुकदमा इस संबंध में बनाए जाने वाली विशेष अदालतों में चलेगा।
०कानून बनने पर इस विधेयक के तहत निर्धारित सजा व जुर्माना का प्रावधान है।
०पीडि़त व्यक्ति या उसका परिवार न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत करेगा ताकि विशेष अदालतों में मुकदमा चलाया जा सके।
०विशेष अदालतों को टे्रवल एजेंटों द्वारा हासिल की गई अवैध प्रॉपर्टी को जब्त करने का अधिकार होगा।
विधेयक के इन प्रावधानों से स्पष्ट हो जाता है कि कानून बनने पर इसमें इतनी क्षमता होगी कि धोखेबाज टे्रवल एजेंटों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सके। सबसे पहली बात तो यह है कि टे्रवेल एजेंटों को अपना प्रोपेेशन आरंभ करने के लिए लाइसेंस लेना होगा यानी हर कोई टे्रवल एजेंट का बोर्ड लगाकर काम शुरू नहीं कर सकता। दूसरा यह कि टे्रवल एजेंटों को बैंक गारंटी देनी होगी यानी अगर वह पैसा ऐंठकर धोखे से किसी व्यक्ति को विदेश भेज देते हैं तो उस पैसे को उनकी गारंटी से वापस लिया जा सकेगा। साथ ही टे्रवल एजेंटों की ‘अवैध संपत्तिÓ को भी जब्त करके पीडि़तों के नुकसान की भरपाई की जा सकेगी। चूंकि टे्रवल एजेंटों को गिरफ्तार करने का भी प्रावधान है तो उन पर कानून की तलवार हमेशा लटकी रहेगी नतीजतन वह धोखेबाजी करने से पहले कई बार सोचेंगे।कानून की दृष्टि से तो यह विधेयक ठीकठाक लगता है, लेकिन सवाल यह है कि इसे अभी तक कानून क्यों नहीं बनाया जा सका है? यह प्रश्न इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि इस विधेयक को विभिन्न केंद्रीय मंत्रालय देख चुके हैं और विदेश मंत्रालय ने तो कुछ संशोधनों का भी सुझाव दिया था जिन्हें विधेयक में शामिल कर लिया गया था।
दरअसल, यह विधेयक अब तक कानून इसलिए नहीं बन सका है क्योंकि मानव तस्करी पंजाब में अवैध पैसा कमाने का बहुत बड़ा धंधा है। इस धंधे से जो लॉबी लाभान्वित होती है वह प्रस्तावित विधेयक को हर कीमत पर पटरी से उतारना चाहती है। गौरतलब है कि मानव तस्करी से इन ‘मौत के सौदागरोंÓ को जबरदस्त अवैध दौलत हासिल होती है बावजूद इसके फिलहाल कोई कानून मानव तस्करी को परिभाषित नहीं करता और कोई कानून सजा नहीं देता। विधेयक के कानून बनने में जो देरी हो रही है उसके कारण धोखेबाज टे्रवल एजेंटों के षड्यंत्र के शिकार युवाओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। ध्यान रहे कि जिन युवाओं की तस्करी की जाती है वह अकसर अपनी जिंदगी को खतरे में पाते हैं, कभी कंटेनरों में उनका दम घुट जाता है, कभी रेगिस्तान की तपती धूप उनकी जान ले लेती है, कभी वह समुद्र्र में डूब जाते हैं और कभी उन्हें गुलामों की तरह काम करना पड़ता है। मानव तस्करी निश्चित रूप से घातक धंधा है।
वास्तव में मानव तस्करी एक ऐसी समस्या है जिस पर पंजाब की बजाय केंद्र्र सरकार को कानून बनाना चाहिए। पंजाब या कोई अन्य राज्य इस संदर्भ में अगर कानून बना भी लेगा तो उसका लाभ केवल उसकी सीमाओं तक सीमित रहेगा। अगर केंद्र्र सरकार फिलहाल इस संदर्भ में नया कनून नहीं बनाना चाहती है तो वह कम से कम इस समस्या के समाधान के लिए इमीगे्रशन एक्ट-1983 में ही संशोधन कर सकती है। ध्यान रहे कि इमीगे्रशन एक्ट-1983 में न तो मानव तस्करी को परिभाषित किया गया है और न ही इस धंधे से संबंधित समस्या के समाधान का कोई प्रावधान है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मानव तस्करी पर केंद्रीय कानून हो क्योंकि वही समस्या का संपूर्ण हल प्रदान कर सकता है। चूंकि केंद्रीय कानून बनने में समय लगेगा इसलिए बेहतर है कि पंजाब इस संदर्भ में पहल करे।
ऊपर बताया गया था कि पंजाब ने मानव तस्करी से संबंधित विधेयक को कानून बनाने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी चाही थी। लेकिन उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसने जो विधेयक पारित किया है वह किसी भी केंद्रीय कानून से टकराव में नहीं है और न ही इमिग्रेशन एक्ट- 1983 का उल्लंघन करता है। इसलिए पंजाब विधानसभा को एक बार फिर इस विधेयक को पारित करके राज्यपाल से मंजूरी लेकर कानून बना देना चाहिए। वैसे बेहतर तो यही होगा कि केंद्र सरकार इस सिलसिले में कानून बनाए।
मीरा राय

Thursday, April 26, 2012

महिला कर्मियों के संबंध में दिशा-निर्देश

कॉरपोरेट मामलों के राज्‍य मंत्री श्री आर.पी.एन. सिंह ने आज लोक सभा में बताया कि राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र, विशेष तौर से नोएडा, गाजियबाद और गुड़गाव में स्थित कंपनियों में महिला कर्मियों को निर्धारित कार्य समय के बाद रोके जाने संबंधी दिशा-निर्देश के उल्‍लंघन की कोई सूचना नहीं है। इस संदर्भ में संबंधित कंपनी पंजीयक / क्षेत्रीय निदेशक को कोई शिकायत भी प्राप्‍त नहीं हुई है। 

एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में मंत्री महोदय ने कहा कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करने वाली कंपनियों को कंपनी पंजीयक / क्षेत्रीय निदेशक को सूचना देने की आवश्‍यकता नहीं है। (पीआईबी) 26-अप्रैल-2012 19:43 IST
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रेलवे स्‍टेशनों पर बहु-कार्यात्‍मक परिसर

रेल राज्य मंत्री श्री के. एच. मुनियप्पा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि 198 रेलवे स्‍टेशनों पर बहु-कार्यात्‍मक परिसरों (एमएफसी) के निर्माण की योजना बनाई गई है। एमएफसी का उद्देश्‍य रेल यात्रा करने वालों के लिए खरीदारी, खाने के स्‍टॉल/रेस्‍तरां, ‍किताबों के स्‍टॉल, पीसीओ बूथ, एटीएम दवाई तथा विभिन्‍न स्‍टोर, बजट होटल पार्किंग आदि जैसी सुविधाओं को उपलब्‍ध कराना है।

24 स्‍टेशनों पर बजट होटल बनाने की योजना है जो कि इस प्रकार हैं: 1. अलीपुरद्वार जंक्‍शन 2. इलाहाबाद, 3. दार्जिलिंग 4. दीघा, 5. गुंटूर, 6. ग्‍वालियर, 7 हल्दिया. 8.हुबली 10. इंदौर, 11. जबलपुर 12. जम्‍मू तवी 13. जोधपुर, 14. कन्‍नूर, 15. कोजिकोड 16. कुरुक्षेत्र, 17. मदुरै जंक्‍शन, 18. नयू अलीपोर, 19. रायपुर 20. रामेश्‍वरम, 21. सिलिुकुडी, 22. तिरूचचिरापली 23. उदयपुर तथा 24. विशाखापट्टनम 

इस उद्देश्य के लिए आवश्यक भूमि आम तौर पर उपलब्ध है।
(पीआईबी) 26-अप्रैल-2012 16:00 IST

रडार इमेजिंग सैटेलाइट-1 का सफल प्रक्षेपण

प्रधानमंत्री ने दी ‘इसरो’ के वैज्ञानिकों को बधाई
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने रडार इमेजिंग सैटेलाइट-1 (आरआईएसएटी-1) से युक्‍त पीएसएलवी-सी19 के सफल प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। 
अपने संदेश में उन्‍होंने कहा- ‘’मैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) के सभी वैज्ञानिकों को रडार इमेजिंग सैटेलाइट-1 (आरआईएसएटी-1) से युक्‍त पोलर सैटेलाइट लांच व्‍हीकल (पीएसएलवी)-सी19 के आज सफल प्रक्षेपण पर बधाई देता हूं। पीएसएलवी का प्रयोग करने वाला यह अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट है। पीएसएलवी का लगातार 20वां सफल प्रक्षेपण हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक महत्‍वपूर्ण मील का पत्‍थर है और यह जटिल प्रक्षेपण व्‍हीकल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसरो (आईएसआरओ) की दक्षता का प्रमाण है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि आरआईएसएटी-1 में सभी मौसम, दिन-रात चित्र लेने की क्षमता है और यह राष्‍ट्र की रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को और भी बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण योगदान करेगा। सारा देश इसरो की उपलब्धि पर गर्व करता है और उसके भविष्‍य के उद्यमों की सफलता की कामना करता है।‘’  (पीआईबी) 26-अप्रैल-2012 12:23 IST

Sunday, April 22, 2012

कामरेड अनिल रजिमवाले ने कहीं लुधियाना में खरी खरी बातें

इन्कलाब न बटन दबाने से आयेगा और न ही थाने पर हमला करने से
लुधियाना में भी बहुत उत्साह से मनाया गया लेनिन का जन्म दिन
मानव समाज को दरपेश समस्याएं किसी दैवी शकित की तरफ से नहीं बल्कि मानव के हाथों मानव की लूट खसूट के कारन ही पैदा हो रही हैं. यह विचार आज लुधियाना में आयोजित एक विचार गोष्ठी में मुक्य वक्ता व  मार्क्सवादी दार्शनिक कामरेड अनिल र्जिम्वाले ने रखा.  इस गोष्ठी का आयोजन भारतीय कमियूनिस्ट  पार्टी की लुधियाना इकाई ने सोवियत संघ के संस्थापक व्लादिमीर लेनिन के जन्म दिवस के अवसर पर किया गया था. इसके साथ ही पार्टी विश्व भूमि दिवस को मनाना भी नहीं भूली.न्याय व  बराबरी पर आधारित भारत के विकास मार्ग की चर्चा करते हुए विचार गोष्ठी में इस बात पर चिंता  व्यक्त की गयी न-न्राब्री और बेरोज़गारी जैसी समस्याएं बहुत ही तेज़ी से लगता विकराल हो रही है. इस हकीकत को स्वीकार करने के साथ ही मार्क्सवादी दार्शनिक कमरे अनिल र्जिम्वाले ने चेताया कि न तो कोई बटन द्बनेसे इन्कलाब आयेगा और न ही कीई थाने टी. पर हमला करने से. इन्कलाब अगर आयेगा तो उए आप और हम जैसे आम आदमी ही लायेंगे. उन्होंने इसके लिए बार बार कार्ल मार्क्स के हवाले दिए और यद् कराया कि ,आर्क्स के रस्ते पर चल कर ही इन्कलाब आएगा.
इस बेहद गंभीर मुद्दे पर बहुत ही सहजता से लगातार बोलते हुए कामरेड अनिल ने बीच बीच में शायरी का पुट देते हुए समझाया कि सुबह होती है शाम होती है तो यह किसी दैवी शक्ति के कारन नहीं बल्कि प्रकृति और  विज्ञानं के कारण. साम्यवाद के सिद्धांतों कि विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा हर विज्ञानं ने मार्क्सवाद को और मजबूत किया, बार बार सही साबित किया. इन्कलाब में हो रही देरी की तरफ संकेत करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया की न तो बटन दबाने से इन्कलाब आने वाला है और न ही थाने पर हमला करने इन्कलाब आएगा. ढांडस बंधाते हुए उन्होंने कहा की सरमायेदारी से समाजवाद की तरफ जाता रास्ता लम्बा भी है और कठिन भी. उन्होंने स्पष्ट किया की हमारे लड़ने के कई तरीके हैं और जन संघर्षों का तरीका भी हमारा है. उन्होंने कहा की इन्कलाब आयेगा और इस के लिए इन्कलाब के मार्क्सवादी सिद्धांत जन जन तक पहुँचाने होंगें.  उन्होंने अपने लम्बे भाषण के बावजूद श्रोतायों को बांधे रखा. इक्क्लाबी सिद्धांतों के साथ साथ उन्होंने इतिहास की चर्चा भी की.  उन्होंने अख़बार निकलने के काम को भी इकलाब के लिए सहायक बताया और तकनीकी विकास के सदुपयोग की तरफ इशारा करते हुए कहा की मोबाईल और इंटरनेट का उपयोग भी इस कार्य के लिएये किया जाना चाहिए. इस सेमिनार में डाक्टर अरुण मित्र भी थे, डी पी मौड़ भी और कामरेड विजय कुमार भी और कई अन्य कामरेड भी. संगोष्ठी में महिलाएं भी बढ़ चढ़ कर शामिल थीं. -रेक्टर कथूरिया   

हस्‍तशिल्‍प निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा एक यादगारी आयोजन

होम एक्‍सपो में हु 476 करोड़ का कारोबार 
विशेष लेख-                                                                             राकेश कुमार    ग्रेटर नोएडा एक्‍सप्रेस-वे में पिछले दिनोंविश्‍वस्तरीय इंडिया एक्‍सपो सेंटर एंड मॉर्ट आयोजन किया गया। देश के पहले ‘’होम एक्‍सपो इंडिया’’ में हस्‍तशिल्‍प के तीन मुख्‍य उत्‍पाद खंडो- भारतीय घरेलू सामान और सजावटी सामान, भारतीय फ्लोरिंग फर्नीशिंग और टेक्‍सटाइल तथा भारतीय फर्नीचर और अन्‍य सामान की एक साथ प्रदर्शनी लगाई गई। इसका उद्देश्‍य विशेष जरूरतों  वाले विभिन्‍न उत्‍पादों की तलाश में समय, ऊर्जा और संसाधनों की बरबादी किए बिना खरीदारों का ध्‍यान विशेष वस्‍तुओं की तरफ खींचना था। बुधवार को समाप्‍त चार दिवसीय इस मेले में 476 करोड़ रूपये का कारोबार किया गया। 
    होम एक्‍सपो इंडिया-2012 का उद्घाटन वस्‍त्र राज्‍य मंत्री श्रीमती पानाबाका लक्ष्‍मी ने किया। चार दिन तक चले इस एक्‍सपो में 1019 से अधिक विदेशी खरीदारों, ख्‍रीदारी करने वाले एजेंटों और खुदरा खरीदारों ने अपना पंजीकरण कराया। इनमें अमरीका के 161, यूरोप के 367, ऑस्‍ट्रेलिया के 74, न्‍यूजीलैंड के 7, अफ्रीका के 46, लेटिन अमरीका के 72, पश्चिम एशिया के 98, सीआईएस के 33 और एशिया के 133 खुदरा खरीदारों ने एक ही जगह पर अपनी जरूरत के मुताबिक ऑर्डर दिए या मौके पर खरीदारी की। इस प्रदर्शनी में भारत के कोने-कोने से आये करीब 600 निर्यातकों और उत्‍पादकों ने अपने उत्कृष्ट उत्‍पाद प्रदर्शित किए। 
    प्रदर्शनी का उद्घाटन  करते हुए श्रीमती पानाबाका लक्ष्‍मी ने कहा कि हस्‍तशिल्‍प एक उत्‍साहजनक क्षेत्र है जिसका न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए बल्कि रोजगार सृजन में भी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण योगदान है। उन्‍होंने कहा कि वस्‍त्र मंत्रालय देश में उत्‍पादन क्‍लस्‍टरों को बढ़ावा देने और उनके विकास पर जोर दे रहा है जिसमें विकास और निर्यात की संभावना है और जहां बहुत से शिल्‍पकार मौजूद हैं। अनेक उत्‍पादन क्‍लस्‍टरों को मंत्रालय अधिसूचित कर चुका है और इनके विकास के लिए उचित सहायता तय की जा चुकी है। 
    इस मेले की एक महत्‍वपूर्ण विशेषता यह रही कि इसमें उन कंपनियों ने अपने नये उत्‍पाद प्रदर्शित किए जिन्‍होंने हाल के वर्षों में उपभोक्‍ताओं की बदलती जरूरतों खासकर फर्नीचर और घरेलू सामानों को ध्‍यान में रखते हुए व्‍यापक बाजार सर्वेक्षण कराया था। 
    होम एक्‍सपो इंडिया में अमरीका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्‍ट्रलिया, स्‍पेन, ग्रीस, इटली, हांगकांग, चीन, तुर्की, हंगरी, ओमान, बुल्‍गारिया, थाईलैंड, सिंगापुर, लेबनान, इस्राइल, पुर्तगाल, स्‍वीडन, मोक्सिको, डेनमार्क, बेलजियम, कनाडा, स्विटजरलैंड, ताईवान, संयुक्‍त अरब अमीरात, बंगलादेश, नेपाल, नीदरलैंड, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, लातिन अमरीकी देश और अन्‍य देशों के खरीदारों ने बड़ी संख्‍या में भाग लिया। 
    मेले के समापन के अवसर पर कपड़ा सचिव किरण ढींगरा ने कहा कि यह मेला अपेक्षा के अनुरूप सफल रहा और इसमें शिरकत करने वाले निर्यातक काफी संतुष्‍ट दिखाई दिये। उन्‍होंने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि ईपीसीएच ने देशभर के निर्यातकों को इस मेले के माध्‍यम से अप्रत्‍याशित व्‍यापार करने का अवसर प्रदान किया। उन्‍होंने कहा कि हस्‍तशिल्‍प से देश के लगभग 68 लाख लोग जुड़े हैं और वस्‍त्र मंत्रालय और ईपीसीएच इन लोगों को हर संभव लाभ पहुंचाने के काम में लगा हुआ है। 
    होम एक्‍सपो इंडिया के अध्‍यक्ष श्री आर के मल्‍होत्रा ने बताया कि वर्ष 2010-11 के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में फर्नीचर और अन्‍य सामान के निर्यात में 44.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फर्नीचर और अन्‍य सहायक सामग्री के लिए बड़े बाजार अमरीका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, नीदरलैंड, कनाडा, संयुक्‍त अरब अमीरात, जापान और स्विटजरलैंड रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि घरेलू और सजावटी सामान के निर्यात में इस दौरान 14.42 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि होम फर्नीशिंग, फ्लोरिंग और होम टेक्‍सटाइल का निर्यात 20.64 प्रतिशत बढ़ गया।  
इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार 30 देशों के वैश्विक खुदरा विकास सूचकांक में भारत चौथे स्‍थान पर है। वर्ष 2015 तक भारतीय बाजार के 637 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। 
वित्‍त वर्ष 2010-11 के दौरान 10,335,96 करोड़ रूपये का हस्‍तशिल्‍प निर्यात किया गया। वित्‍त वर्ष 2011-12 के लिए 12,428 करोड़ रूपये का निर्यात लक्ष्‍य रखा गया। 
    ईपीसीएच भारत से हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों के निर्यात को बढ़ावा देने वाली नोडल एजेंसी है और यह निर्यातकों, खरीदारों और सरकार के बीच उत्‍प्रेरक की भूमिका निभाती है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य हस्‍तशिल्‍प व्‍यापार को मजबूती प्रदान करना है। यह भारत की छवि विश्‍व बाजार में विश्‍वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में पेश करती है। 
भारत से दुनिया के विभिन्‍न देशों में हस्‍तशिल्‍प निर्यात को बढावा देती आ रही ईपीसीएच पिछले डेढ़ दशक से एशिया के सबसे बड़े भारतीय हस्‍तशिल्‍प और उपहार मेला का साल में दो बार आयोजन करती रही है। पिछले वर्षों में इस मेले में विदेशी खरीदारों तथा भारतीय निर्यातकों के बीच सर्वाधिक प्रभावकारी मार्केटिंग माध्‍यम के रूप में अपनी पहचान बनाई है1 (पीआईबी)  19-अप्रैल-2012 15:26 IST  
  (लेखक हस्‍तशिल्‍प निर्यात संवर्धन परिषद के कार्यकारी निदेशक हैं।)
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Saturday, April 21, 2012

असम विधान सभा के प्‍लेटिनम जुबली समारोह में प्रधानमंत्री का संबोधन

शांति, प्रगति और समृद्धि की कामना 
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh addressing at the Platinum Jubilee Celebrations of Assam Legislative Assembly, in Guwahati, Assam on April 20, 2012.प्रधानमंत्री डॉ- मनमोहन सिंह ने आज गुवाहाटी में असम विधान सभा के प्‍लेटिनम जुबली समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का अनुदित पाठ इस प्रकार है-

नोमस्‍कार, मैं एक बार फिर उस असम में आकर सचमुच बहुत खुशी महसूस कर रहा हूं जिसने मुझे अपनाया है। मैं विशेषरूप से बीहू के बाद वाले सप्‍ताह में यहां उपस्थित होकर प्रसन्‍नता अनुभव कर रहा हूं। मैं असम के लोगों के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि की कामना करता हूं।

मैं दो सप्‍ताह पहले यहां आया था लेकिन पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति  जरदारी की दिल्‍ली यात्रा के कारण मुझे अपनी यात्रा का कार्यक्रम बदलना पड़ा । मुझे खेद है कि मैं 7 अप्रैल को आपके साथ नहीं रह सका जो असम विधान सभा वर्षगांठ की तिथि थी।

हम यहां राज्‍य विधान सभा के शानदार 75 वर्ष पूरे होने के अवसर एकत्र हुए हैं। मुझे इस अवसर पर यहां आकर सचमुच बहुत गर्व है क्‍योंकि इसका ऐतिहासिक महत्‍व है। 75 वर्ष पहले जब पहली बार चुनी गई असम विधान सभा का शुभारंभ किया गया तो यह संस्‍थान दुनिया के इस भाग में लोकतंत्र का सबसे प्रमुख स्‍तंभ में से एक थी।

मैं आज यहां उपस्थित होकर गौरवान्वित  महसूस कर रहा हूं तथा भारत रत्‍न लोकप्रिय श्री गोपीनाथ बोरदोलोई, डॉक्‍टर फखरुद्दीन अली अहमद और उनके साथ रहने वालों की याद को सलाम करता हूं जो असम के लोगों और भारत की मातृभूमि के सपूतों के प्रेरणा स्रोत थे। मैं असम के महान सपूतों और पुत्रियों की स्‍मृति को सलाम करता हूं जिन्‍होंने यह पवित्र पोर्टल्‍स स्‍थापित किए और असम की जनता की स्‍वतंत्र आवाज और भावना को अभिव्‍यक्ति दी। मैं असम की प्रगति में अपने मित्र और दो बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री रहे श्री हितेश्‍वर सैकिया के योगदान को बहुत अनुराग और सम्‍मान करता हूं।

विधान सभा हमारे  लोकतंत्र का मंदिर है। यह हमारे लिए बहुलवाद, मानवाधिकारों, धर्मनिरपेक्षता और हर नागरिक की गरिमा के लिए अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता को दुहराने के लिए पवित्र स्‍थल है।

हमारी आजादी और हमारा लोकतंत्र हमारे राष्‍ट्रीय आंदोलन की गौरवशाली धरोहर हैं। इस धरोहर के प्रति न्‍याय करने के लिए हम अपने जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि ईमानदार, प्रभावशाली और सक्षम नेतृत्‍व और सरकार उपलब्‍ध कराने के लिए बाध्‍य  हैं।

मुझे खुशी है कि हम आज एक बार फिर असम सरकार के मुखिया के रूप में अपने दोस्‍त मुख्‍यमंत्री श्री तरुन गोगोई के साथ यह वर्षगांठ मना रहे हैं। उन्‍होंने अपने मानवीय और प्रभावशाली नेतृत्‍व के साथ रिकार्ड स्‍थापित किया है।

असम अब एक दशक से अधिक समय से टिकाऊ प्रगति, आर्थिक एवं सामाजिक विकास का लाभ उठा रहा है। इस महान राज्‍य के गोद लिए गए सपूत के रूप में मुझे खुशी महसूस हो रही है कि असम अब हमारे अग्रणी राज्‍यों में से एक के रूप में उभर रहा है। इस महान विधान सभा को अपने पिछले दशक पर गौरव है । यह अनेक जन कानूनों और विकास केंद्रित प्रयासों की गवाह रही है ।

मैं असम को विकास की नई बुलंदी पर ले जाने के लिए राज्‍य सरकार की सराहना करता हूं। 9वीं पंच वर्षीय योजना अवधि में असम की अर्थव्‍यवस्‍था सिर्फ 1.51 प्रतशित की दर से बढ़ी। 10वीं योजना अवधि के दौरान यह दर बढ़कर करीब 5.7 प्रतशित हो गई। राज्‍य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा विकास पर दिए गए विशेष बल के कारण असम ने 11वीं योजना अवधि के पहले चार वर्षों के दौरान 6.8 प्रतशित की औसत वार्षिक वृद्धि हासिल की। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि 11वीं योजना के अंतिम वर्ष  में असम में रिकार्ड 7.18 प्रतशित वृद्धि दर हासिल होने की संभावना है। असम राष्‍ट्रीय औसत को छूने जा रहा है। यह अच्‍छी खबर है लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

मैं पूरी 12वीं योजना के दौरान असम को पूर्वोत्‍तर क्षेत्र और देश के लिए वृद्धि के नए इंजन के रूप में उभरते हुए देखना चाहता हूं। मुझे विश्‍वास है कि 12वीं योजना में असम 9.0 प्रतशित से अधिक की रिकार्ड वृद्धि दर हासिल कर लेगा। मैं असम के लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि केंद्र सरकार यह लक्ष्‍य हासिल करने में असम की हर संभव मदद करेगी।

हमारी सरकार करीब 8 वर्ष से शासन कर रही है, हमने सरकार और असम की जनता की मदद के लिए अपने पूरे प्रयास किए हैं। राज्‍य के लिए वार्षिक योजना  व्‍यय 2005-06 में 3,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2011-12 में 9,000 करोड़ रुपये हो गया है। 13वें वित्‍त आयोग की सिफारिशों के अनुसार 2010-15 की अवधि के लिए असम को कुल अंतरण करीब 58,000 करोड़ रुपये का होगा जो 2005-2010 की अवधि के लिए अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये से बहुत अधिक है।

अप्रैल 2006 में असम गैस क्रैकर परियोजना का अनुमोदन किया गया। करीब 8,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की यह परियोजना अच्‍छी प्रगति कर रही है तथा दिसंबर 2013 में पूरी हो जाने की संभावना है।

नई 750 मेगावाट की बोंगईगांव पनबिजली परियोजना करीब 4,400 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से जनवरी 2008 में मंजूर की गई। यह परियोजना अक्‍तूबर 2013 में पूरी हो जाने की संभावना है।

11वीं योजना अवधि के दौरान प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 8,000 किलोमीटर से अधिक लंबी पक्‍की सड़कें बनवाई गई हैं। इंदिरा आवास योजना के तहत 6 लाख से अधिक ग्रामीण मकानों का निर्माण किया गया है।

सड़क, बाढ़ प्रबंधन, बिजली और शहरी विकास से संबंधित अनेक परियोजनाएं बाहरी सहायता से चलाई जा रही हैं।

राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्‍थान का एक केंद्र सिबसागर में खोला गया है तथा राष्‍ट्रीय डिजाइन संस्‍थान जारहाट में स्‍थापित किया गया है।

असम में विकास की नई लहर सामाजिक शांति एवं राजनीतिक स्थिरता की अवधि से संभव हुई है। आज यह आम धारणा है कि हिंसा कोइ्र जवाब उपलब्‍ध नहीं कराती है तथा विवधि समूह अपनी  महत्‍वाकांक्षा सिर्फ लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेकर ही पूरी कर सकते हैं। असम सरकार जनता और उसके चहुंमुखी विकास के लिए जो कर रही है उस तथ्‍य से इस अहसास को बहुत बल मिला है। मुझे यकीन है कि कुछ विद्रोही समूह जो निरंतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर बने हुए हैं वे भी असम के लोगों की भावनाएं समझेंगे तथा ऐसा माहौल बनाने के लिए आगे आएंगे जो हमारे गणतंत्र के इस महान खूबसूरत राज्‍य में सामाजिक एवं आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए अनुकूल है। असम का विकास समूचे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लिए समग्र रूप से विकास का इंजन बन सकता है।

हाल के वर्षों में हमने बांग्‍लादेश और म्‍यामांर के साथ अपने संबंध मजबूत करने की नई पहल की है। पिछले वर्ष मैंने बांग्‍लादेश का दौरा किया। मुख्‍यमंत्री श्री तरूण गोगोई मेरे साथ गए थे और हम अनेक कदम उठाने पर सहमत हुए जो हमारे दोनों देशों के हित में होंगे।

अगले महीने मैं म्‍यांमार जा रहा हूं। मैं म्‍यांमार के नेतृत्‍व के साथ यह चर्चा करूंगा कि हम आसियान क्षेत्र में व्‍यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्कता कैसे बढ़ा सकते हैं। असम और पूर्वोत्‍तर के अन्‍य राज्‍य हमारी पूर्व की ओर देखो नीति को साकार करने के हमारे प्रयासों  में महत्‍वूपर्ण भूमिका निभा सकते हैं तथा निभानी चाहिए।

बुनियादी ढांचा पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में विकास की कुंजी है। हमें बेहतर शैक्षिक एवं सेवा संबंधी बुनियादी ढांचे की आवश्‍यकता है। हमें बेहतर परिवहन संपर्कता की जरूरत है। जितना संपर्कता में सुधार होगा और क्षमताओं का विस्‍तार होगा वाणिज्‍य एवं रोजगार के अवसर उतने ही बढेंगे। असम के मानव विकास सूचकों में तेजी से सुधार हमारी आस बंधाता है तथा यह विश्‍वास करने का कारण देता है कि हाल ही में हासिल की गई असम की प्रगति लंबे समय तक टिकाऊ बनी रह सकती है। नए उद्योगों की वृद्धि के लिए मुझे इस खूबसूरत राज्‍य में शानदार क्षमताएं नजर आती हैं जिससे यहां के युवकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे तथा स्‍थानीय उद्यमियों और पेशेवर लोगों को आगे बढ़ने के नए रास्‍ते उपलब्‍ध होंगे।

हालांकि हम असम विधान सभा की प्‍लेटिनम जुबली मना रहे हैं लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया में ऐसे बहुत से राष्‍ट्र हैं जहां लोकतंत्र का सवेरा अभी-अभी हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नाते हम भारत में उन सबका हार्दिक स्‍वागत करते हैं जो आजादी एवं संवैधानिक सरकार चाहते हैं।

असम विधान सभा की पहली बैठक 7 अप्रैल, 1937 को शिलांग में हुई थी। शिलांग 1972 तक असम की राजधानी बना रहा, फिर राज्‍य सरकार ने दिसपुर, गुवाहाटी को नई राजधानी बनाने का फैसला किया। तब से असम ने लंबा सफर तय किया है। असम के भविष्‍य के लिए असीम संभावनाएं विद्यमान हैं। मुझे खुशी है कि राज्‍य सरकार ने असम विधान सभा और प्रस्‍तावित विधान परिषद के दोनों सदनों के लिए दिसपुर में नया परिसर बनाने का फैसला किया है। मुझे बताया गया है कि नया परिसर 2014 तक पूरा हो जाएगा। मुझे पूरी उम्‍मीद तथा कामना है कि नया परिसर  असम की जनता और उनके हित के लिए पहले से कहीं बेहतर कार्य करने के लिए राज्‍य के जनप्रतिनिधियों को समर्थ बनाएगा।

आप जानते हैं कि जनता ने मुझे संसद में चुनकर और मेरे परिवार को जो प्‍यार एवं अनुकंपा दी है उसके प्रति  अपना आभार एवं प्‍यार प्रकट करने के लिए तथा असम का आशीर्वाद लेने मैं यहां बार-बार आता रहा हूं।

मैं हमेशा असम की जनता का आभारी रहूंगा।  मैं इस महाद्वीप के सुदूर गांव में जन्‍मा हूं जो अब भारत में नहीं है। बाल अवस्‍था में, मैं बेघर तथा विस्‍थापित हो गया था। यह असम ही है जहां आखिरकार मुझे घर मिला और जिससे  मेरे अंदर लगाव की भावना पनपी। जो दोस्‍ती, प्‍यार एवं गर्मजोशी आप सबने मुझे दी है मैं उसे कभी नहीं भुला सकूंगा।

इसलिए मेरे दोस्‍तों मैं आपके सामने आपमें से ही एक बनकर खड़ा हूं, और इस ऐतिहासिक अवसर पर आपके गौरव एवं उपलब्धि और खुशी के पलों में आपके साथ हूं।

मैं निष्‍ठापूर्वक प्रार्थना करता हूं कि आने वाले समय में असम विधान सभा में असम के लोगों के हितों को पूरा ध्‍यान रखा जाएगा।

आपका मार्ग प्रशस्‍त हो। जय हिंद, जय हिंद । (पीआईबी) 20-अप्रैल-2012 20:14 IST

शारीरि‍क रूप से अक्षम व्‍यक्‍ति‍यों के लि‍ए नई राहत की खुशखबरी

अपने परि‍सरों में सुवि‍धा उपलब्‍ध कराने हेतू 
दि‍ल्‍ली और जवाहरलाल नेहरू वि‍श्‍ववि‍द्यालयों को 11 करोड़ रूपए
शारीरि‍क रूप से अक्षम व्‍यक्‍ति‍अधि‍नि‍यम, 1995 सरकारों और स्‍थानीय अधि‍कारि‍यों को सार्वजनि‍क भवनों और उनके परि‍सरों, में शारीरि‍क रूप से अक्षम व्‍यक्‍ति‍यों के लि‍ए रैम्‍प, व्‍हील चेयर का उपयोग करने वालों के लि‍ए शौचालय, ब्रेल सुवि‍धा, नये एलीवेटर और मौजूदा लि‍फ्टों में श्रवण संकेतों के साथ-साथ स्‍पर्श टाइल आदि‍उपलब्‍ध कराने का दायि‍त्‍व सौंपता है।

शारीरि‍क रूप से अक्षम व्‍यक्‍ति‍यों को उपयुक्‍त पहुँच उपलब्‍ध कराना संयुक्‍त राष्‍ट्र के आचार संहि‍ता में मुख्‍य प्रावधानों में से एक है जो मई, 2008 में प्रभाव में आया था। समाजि‍क न्‍याय और अधि‍कारि‍ता मंत्रालय इस अधिनि‍यम के अनुसार प्रावधानों को कार्यान्‍वि‍त करने के लि‍ए राज्‍य सरकारों और वि‍श्‍ववि‍द्यालयों को वि‍त्‍तीय सहायता प्रदान कर रहा है।

मार्च 2012 में, शारीरि‍क रूप से अक्षम व्‍यक्‍ति‍यों को सुवि‍धा प्रदान कराने के लि‍ए दि‍ल्‍ली और जवाहरलाल नेहरू वि‍श्‍ववि‍द्यालयों के भवनों के लि‍ए मंत्रालय द्वारा 11.6 करोड़ रूपए का अनुदान जारी कि‍या गया है। इनमें से 8.51 करोड़ रूपए जवाहरलाल नेहरू के 62 भवनों में प्रशासनि‍क और अकादमि‍क ब्‍लाक, केन्‍द्रीय पुस्‍तकालय, 18 छात्रावास और 3 अति‍थि‍गृह में शारीरि‍क रूप से अक्षम व्‍यक्‍ति‍यों के लि‍ए सुवि‍धा प्रदान करने हेतु जारी कि‍ए गये हैं। इसी प्रकार दि‍ल्‍ली वि‍श्‍ववि‍द्यालय के 80 भवनों में शारीरि‍क रूप से अक्षम व्‍यक्‍ति‍यों के लि‍ए प्रशासनि‍क और अकादमि‍क ब्‍लाक, सम्‍मेलन केन्‍द्र, पुस्‍तकालय, छात्रावास और 2 अति‍थि गृह के लि‍ए 3.11 करोड़ रूपए का अनुदान जारी कि‍या गया है‍ (पीआईबी)
 20-अप्रैल-2012 20:40 IST 
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Friday, April 20, 2012

कल होगा शानदार कार्यक्रम

प्रधानमंत्री कल करेंगे प्रशासनि‍क सेवा दि‍वस का उद्घाटन 
उत्‍कृष्‍ट सेवाओं के लि‍ए देंगे प्रधानमंत्री पुरस्‍कार
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कल नई दि‍ल्‍ली में 7वें प्रशासनि‍क सेवा दि‍वस का उद्घाटन करेंगे। वे इस समारोह में वर्ष 2010-11 के लि‍ए लोक प्रशासन में उत्‍कृष्‍टता के लि‍ए प्रधानमंत्री पुरस्‍कार भी प्रदान करेंगे।
इन पुरस्‍कारों के लि‍ए तीन श्रेणि‍यों - व्‍यक्‍ति‍, समूह और संगठन में चार उत्‍कृष्‍ट प्रयासों को चुना गया है। व्‍यक्‍ति‍गत श्रेणी के लि‍ए जि‍स प्रयास को मान्‍यता दी गई है, वह है- लीबि‍या में गृह युद्ध के दौरान भारतीय नागरि‍कों को वहां से नि‍कालने के लि‍ए की गई नि‍:स्‍वार्थ सेवा। 

समूह श्रेणी में पुरस्‍कार (1) त्रि‍पुरा में ग्राम स्‍वास्‍थ्‍य और पौष्‍टि‍कता दि‍वस के बीच सम्‍पूर्ण सामंजस्‍य के लि‍ए और (2) जम्‍मू-कश्‍मीर में पंचायत चुनावों के संचालन के लि‍ए दि‍या जाएगा। 

संगठन श्रेणी में गुजरात में वैज्ञानि‍क जलाशय प्रबंधन में भागीदारी को पुरस्‍कार प्रदान कि‍या जाएगा। 

पुरस्‍कारों की इस योजना के अंतर्गत केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के सभी अधि‍कारी व्‍यक्‍ति‍गत रूप से, सामूहि‍क रूप से या संगठन के रूप में भाग ले सकते हैं। पुरस्‍कार में पदक, प्रशस्‍ति‍पत्र और एक लाख रुपए की नकद राशि‍दी जाती है। समूह के पुरस्‍कार में अधि‍कतम पुरस्‍कार राशि‍पांच लाख रुपए है और प्रति‍व्‍यक्‍ति‍पुरस्‍कार की राशि‍अधि‍कतम एक लाख रुपए होगी। संगठन के लि‍‍ए पुरस्‍कार की राशि‍अधि‍कतम पांच लाख रुपए है।

पि‍छले पांच वर्षों के दौरान सरकारी अधि‍कारि‍यों द्वारा लि‍खी गई पुस्‍तकों को भी इस अवसर पर प्रदर्शि‍त कि‍या जाएगा। 

प्रशासनि‍क सेवा दि‍वस इसलि‍ए मनाया जाता है ताकि‍सभी प्रशासनि‍क सेवाएं जन कल्‍याण के लि‍ए फि‍र से अपनी नि‍ष्‍ठा और समर्पण भाव को व्‍यक्‍त कर सकें। यह दि‍वस आत्‍ममंथन और भवि‍ष्‍य की चुनौति‍यों से नि‍पटने के लि‍ए नई नीति‍यां बनाने का भी अवसर प्रदान करता है। यह दि‍वस वर्ष 2006 से मनाया जा रहा है। (पीआईबी)  20-अप्रैल-2012 14:38 IST

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Thursday, April 19, 2012

विकास कार्यक्रम में भारत ने रचा नया इतिहास

नई पीढ़ी की मिसाइल अग्नि-5 का किया सफल परीक्षण
India successfully flight-tested the Long Range Ballistic Missile (LRBM) Agni-V (A-5) from wheeler’s island, in Odisha on April 19, 2012.
देश के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम में इतिहास रचते हुए भारत ने लंबी दूरी की बलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का आज सफल परीक्षण किया। 

अग्नि-5 मिसाइल का स्‍वत: परीक्षण आठ बजकर चार मिनट पर शुरू हुआ। बादलों की पतली परत को बेधते हुए यह मिसाइल आठ बजकर सात मिनट पर परीक्षण स्‍थल से उड़ा और ठीक उसी दिशा में ऊपर उठने लगा जो वैज्ञानिकों द्वारा निर्धारित किया गया था। पांच हजार किलोमीटर के दायरे तक मार करने वाला यह मिसाइल तीन चरणों में आगे बढ़ा और अंत में सही समयावधि में बंगाल की खाड़ी में गिर गया। डीआरडीओ द्वारा विकसित तीनों चरणों में मिसाइल ने वैसा ही प्रदर्शन किया जैसा अनुमानित था। पूरी तरह देश में विकसित रॉकेट मोटरों ने बेहतर प्रदर्शन किया जिससे यह जाहिर होता है कि भारत कॉम्‍प्‍लेक्‍स प्रोपल्‍सन टेक्‍नोलॉजी में आत्‍मनिर्भर हो गया है। 

अग्नि-5 के परीक्षण में पूरी तरह से देश में विकसित कई नई तकनीकों की भी जांच हुई। 

उपराष्‍ट्रपति मोहम्‍मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री एके एंटनी और राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री शिव शंकर मेनन ने अग्नि-5 के सफल परीक्षण पर बधाई दी है। प्रधानमंत्री डॉ. सिंह और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने डीआरडीओ प्रमुख डॉ. वीके सारस्‍वत और कार्यक्रम निर्देशक श्री अविनाश चंदर से बातचीत की और अग्नि-5 के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी। परीक्षण के मौके पर मौजूद कमांडर इन चीफ एयर मार्शल केजे मैथ्‍यूज ने अग्नि-5 के सफल परीक्षण को भारत के लिए एक एतिहासिक घटना करार दिया। अग्नि-5 के सफल परीक्षण के मौके पर कई अन्‍य अधिकारी भी मौजूद थे। परियोजना निदेशक श्री आरके गुप्‍ता ने परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के दल और कर्मचारियों का नेतृत्‍व किया। (पीआईबी) 19-अप्रैल-2012 17:42 IST
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Wednesday, April 18, 2012

विभिन्‍न दूरसंचार लाइसेंसों की एग्जिट पोलिसी

ट्राई ने जारी की सिफारिशें
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने विभिन्न ''दूरसंचार लाइसेंसों की एग्जिट पोलिसी' पर आज अपनी सिफारिशें जारी की। 
दूरसंचार विभाग ने पिछले वर्ष अक्‍तूबर और दिसंबर में सभी प्रकार के दूरसंचार लाइसेंसों से हटने की नीति पर सिफारिश के लिए ट्राई से अपील की थी, इसके जवाब में ट्राई ने 06 जनवरी, 2012 को विभिन्‍न दूरसंचार लाइसेंसों से बाहर आने नीति पर एक विचार-विमर्श पूर्व दस्‍तावेज जारी किया था। 
उच्‍च्‍तम न्‍यायालय ने 02 फरवरी, 2012 को एक महत्‍वपूर्ण निर्णय में 10 जनवरी 2008 को अथवा इसके बाद दिए गए यूएएस लाइसेंसों को रद्द करने का आदेश दिया था। उच्‍च्‍तम न्‍यायालय के आदेश, विचार-विमर्श पूर्व दस्‍तावेजों पर हितधारकों की टिप्‍पणियों और प्राधिकरण ने अपने विशलेषण को ध्‍यान में रखते हुए, 26 मार्च, 2012 को विभिन्‍न दूरसंचार लाइसेंसों से बाहर आने की नीति पर एक मसौदा प्रतिक्रिया दस्‍तावेज जारी किया था। 
इस मसौदे दस्‍तावेज और प्राधिकरण के विश्‍लेषण पर विभिन्‍न हितधारकों से प्राप्‍त टिप्‍पणियों के आधार पर ट्राई ने निम्‍नलिखित सिफारिशों को अं‍तिम रूप दिया है : 

1. वर्तमान में सभी प्रकार के लाइसेंसों से बाहर आने के लिए किसी प्रकार की पृथक नीति की जरूरत नहीं है और लाइसेंसधारी द्वारा अदा किया गया प्रवेश शुल्‍क उनके लाइसेंस के नियम और शर्तों के अनुसार बिना भुगतान के जारी रहेगा। 

2. लाइसेंस सौंपने के संबंध में (विभिन्‍न लाइसेंसधारी अपने लाइसेंस को कम से कम 60 दिन, आईएसपी लाइसेंस के मामले में 30 दिन का नोटिस देकर लौटा सकते हैं) लाइसेंसों के लिए वर्तमान शर्तें ही लागू होगी। 

सिफारिशों का विस्‍तृत विवरण ट्राई की वेबसाइट www.trai.gov.in पर उपलब्‍ध है। (पीआईबी)
 18-अप्रैल-2012 19:35 IST

समालखा कैंप में हुआ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का कार्यक्रम

पी.चिदंबरम ने रखी एनएसजी के हाईजैक विरोधी ईकाई की आधारशिला 
केंद्रीय गृह मंत्री श्री पी. चिदंबरम ने आज नई दिल्ली के समालखा कैंप में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के हाईजैकिंग इकाई की आधारशिला रखी। 
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के आधुनिकीकरण एवं विकास परियोजना के हिस्सा के तौर पर एक संयुक्त निर्माण की खातिर 47.42 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। यह निर्माण 15502 एसक्यूएम (एसक्वायर मीटर) के क्षेत्रफल में किया जाएगा और इसके तहत चार तल के इमारत तैयार किए जाएंगे। इस इमारत में 540 कमांडो के रहने की सुविधा के होगी। इसके अलावा प्रशासनिक खंड, प्रशिक्षण कक्ष, कक्षा और अन्य संचालन एवं प्रशिक्षण से जु़ड़े आधारभूत सुविधा उपलब्ध होगी। इस भवन के निर्माण का काम शुरू होने की तिथि के 18 महीनों के भीतर ही निर्माण काम को पूरा कर लेने का समय निर्धारित किया गया है। 

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रुप में दिल्ली की मुख्य मंत्री श्रीमति शीला दीक्षित के साथ ही केंद्रीय गृह सचिव, सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, सीएपीएफ के प्रमुख और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी भी मौजूद थे।  (पीआईबी)
 18-अप्रैल-2012 17:21 IST 
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Wednesday, April 11, 2012

202 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव

भारतीय रेल की एकीकृत सुरक्षा प्रणाली का क्रियान्वयन
फीचर:रेलवे                                                                     -एच. सी. कुंवर*
भारतीय रेल के उन्नयन और मज़बूतीकरण के लिए सुरक्षा की पहचान हमेशा प्रमुख क्षेत्र के रुप में की गई है। रेल मंत्रालय के तहत कार्यरत रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को यात्रियों, यात्री क्षेत्र और इससे संबंधित मामलों की रक्षा और सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है।
     रेलवे सुरक्षा की समस्याओं का अध्ययन करने के बाद समूचे रेलवे नेटवर्क के 202 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया। एक जन यातायात प्रणाली के रुप में भारतीय रेलवे की अपनी कुछ विशिष्टताएं हैं। भारतीय रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 8,000 मिलियन लोग यात्रा करते हैं और दिल्ली तथा मुंबई जैसे महत्वपूर्ण स्टेशनों पर दैनिक आधार पर लाखों लोग पहुंचते हैं। महत्वपूर्ण घंटों के दौरान स्थिति विशिष्ट और नियंत्रण से परे हो जाती है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया जिसमें यात्रियों और उनके सामानों की बहुस्तरीय जांच में सहायक और साथ ही यात्रियों की निगरानी जैसी विविध विशिष्टताओं से परिपूर्ण सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया। इसके पीछे जांच/निगरानी के विभिन्न स्तरों को लागू करने का उद्देश्य है ताकि किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि की पहचान तत्काल की जा सके और ‘स्वर्णिम घंटे’ के भीतर कार्यवाई की जा सके।


इसके अनुसार रेल मंत्रालय ने व्यापक चर्चाओं के बाद महत्वपूर्ण स्टेशनों पर ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ की स्थापना की मंजूरी दी है। इस प्रणाली में निम्नलिखित घटक होंगे-


इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित सीसीटीवी प्रणाली


     स्टेशन क्षेत्र में क्लोज सर्किट टीवी प्रणाली इस प्रकार स्थापित की जाएगी जिसमें स्टेशन की भीड़, प्रतीक्षा हॉल, प्लेटफॉर्म, पुल आदि सहित समूचा स्टेशन परिसर समाविष्ट हो जाए। सीसीटीवी प्रणाली इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित होगी और इसमें महत्वपूर्ण वीडियो विश्लेषण होगा जो स्वतः ही संदेहास्पद सामान, अत्याधिक भीड़, अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा अनुचित प्रवेश आदि के संकेत प्रदान करेगा। 


 पहुंच नियंत्रित करना


चारदीवारी की इस प्रकार कंटीली घेराबंदी जिससे स्टेशन क्षेत्र में अनाधिकृत प्रवेश/निकास संभव न हो। जहां से वाहन स्टेशन परिसर में प्रवेश करते हैं वहां प्रवेश द्वारों पर स्वचालित वाहन स्कैनर लगाए जाएंगे। निगरानी के लिए बनाए गए नियंत्रण कक्ष में एक स्कैनर लगाया जाएगा।


व्यक्तियों और सामानों की जांच प्रणाली


     व्यक्तियों के जांच के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले मेटल डिटेक्टर, डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर और संदेहास्पद मामलों में तलाशी का प्रयोग किया जाएगा। बड़े आकार की एक्स-रे मशीनों के द्वारा सामानों की जांच की जाएगी।


बम खोज तथा निराकरण प्रणाली (बीडीडीएस)


बीडीडीएस महत्‍वपूर्ण स्‍टेशनों पर आधुनिक उपकरणों के साथ उपलब्‍ध रहेगी। यह प्रणाली प्रथम चरण में देश के 202 महत्‍वपूर्ण और संवेदनशील स्‍टेशनों पर कार्यान्वित की जा रही है। सीसीटीवी आधारित निरीक्षण प्रणाली के जरिए रात-दिन निगरानी के लिए महत्‍वपूर्ण स्‍थानों पर समर्पित नियंत्रण कक्ष होंगे। ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ को महत्‍वपूर्ण तरीके से संचालित करने के लिए प्रशिक्षित आरपीएफ कर्मी तैनात होंगे। मशीन तथा साफ्टवेयर को सही तरीके से संचालित करना इस अनुबंध का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा होगा।


ऊपर उल्‍लेखित 202 स्‍टेशनों को मौजूदा वित्‍तीय वर्ष के दौरान संचालित करने की योजना है।


अत: इस प्रणाली के तहत प्रवेश के साथ ही यात्रियों की विभिन्‍न तरीकों से जांच की जाएगी। आधुनिक मशीनों तथा सॉफ्टवेयर से लैस ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ में सुरक्षा के पारंपरिक उपायों का भी इस्‍तेमाल होगा, जिसे और मजबूत किया जा रहा है। पारंपरिक तरीकों तथा आधुनिक तकनीकों के संयुक्‍त प्रयास से भारतीय रेलवे के सुरक्षा परिदृश्‍य में महत्‍वपूर्ण सुधार होगा।


इसके अलावा वर्तमान में 1275 महत्‍वपूर्ण मेल तथा एक्‍सप्रेस ट्रेनों की सुरक्षा, महत्‍वपूर्ण रेलवे स्‍टेशनों तक पहुंच नियंत्रण , दोषियों पर मुकदमा (रेलवे अधिनियम के 29 धाराओं के अंतर्गत) जिसमें ट्रेन, स्‍टेशन परिसर में अनाधिकृत गतिविधियां यानी अलार्म चेन खींचना, अनाधिकृत रूप से समान बेचना, अनाधिकृत रूप से महिलाओं तथा आरक्षित कोच आदि में प्रवेश करना सम्मिलित है, के लिए आरपीएफ तैनात है तथा रेलवे संपत्ति अधिनियम (अनलॉफुल पसेशन) 1966 के अंतर्गत रेलवे की सं‍पत्ति चोरी करने पर पकड़े गए अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाना भी शामिल है।


यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी जोनल रेलवे में आरपीएफ की 22 कमांडों टुकडियों को तैनात किया जा रहा है। यह 12 आरपीएफ कमांडों की टुकडि़यों के अतिरिक्‍त होगी। एक महिला बटालियन सहित देश के विभिन्‍न भागों में स्‍थापित आरपीएफ के अंतर्गत रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएफ) की 12 बटालियन तथा तीन अतिरिक्त बटालियनों को आरपीएफ के विशेष बल को मजबूत करने के लिए स्‍वीकृत किया गया है। यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आरपीएफ को एके 47 राइफल्‍स, इनसांस, नौ मिलिमीटर पिस्तौल जैसे आधुनिक हथियारों से लैस किया गया है।


आरपीएफ में मौजूदा रिक्तियों तथा नए पदों को भरने के लिए हवलदार के 11952 पदों तथा सबइंस्‍पेक्‍टर के 511 पदों को अधिसूचित करके एक विशेष भर्ती अभियान चलाया गया है। इन रिक्तियों में से दस प्रतिशत रिक्तियां योग्य महिला उम्‍मीदवारों के लिए आरक्षित की गई हैं।


आरपीएफ के अतिरिक्‍त जिला पुलिस, ट्रैक तथा पुल की सुरक्षा के लिए जिम्‍मेदार है। राज्‍य पुलिस की इकाई सरकारी रेलवे पुलिस, स्‍टेशन परिसर तथा ट्रेन में अपराधों को रोकने तथा उसकी जांच एवं कानून और व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए जिम्‍मेदार है। सरकारी रेलवे पुलिस के 50 प्रतिशत व्यय का वहन रेलवे करती है तथा शेष का भुगतान संबंधित राज्‍य सरकार द्वारा किया जाता है। (पीआईबी)  10-अप्रैल-2012 19:45 IST


*उपनिदेशक (‍मीडिया तथा संचार), रेल मंत्रालय


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Tuesday, April 10, 2012

जीवन को दो महत्‍वपूर्ण घटक प्रभावित करते हैं.....!

बढ़ती आयु एवं स्‍वास्‍थ्‍य वि‍शेष लेख                           ए.एन. खान *
मानवीय विकास एवं ह्रास के कुछ प्राकृतिक बदलावों को व्‍यक्‍त करने के लिए शरीर विज्ञानी ''आयु'' शब्‍द का इस्‍तेमाल करते हैं। मानवीय विकास और ह्रास को हम शैशवकाल, बाल्‍यकाल, युवावस्‍था, प्रौढ़ावस्‍था और वृद्धावस्‍था के रूप में जानते हैं। शैशवकाल सात वर्षों का, बाल्‍यकाल 14 वर्षों का, युवावस्‍था 21, प्रौढ़ावस्‍था 50 वर्ष तक होती है। इसके बाद वृद्धावस्‍था का आगमन होता है। जीवन को दो महत्‍वपूर्ण घटक प्रभावित करते हैं, जिनमें आनुवांशिकता और पर्यावरण शामिल हैं। पर्यावरण की परिस्थितियां जीवन को रोगों आदि के रूप में प्रभावित करती हैं। 

इस वर्ष 7 अप्रैल को विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस मनाया गया, जो बढ़़ती आयु एवं स्‍वास्‍थ्‍य पर आधारित था। इसकी विषयवस्‍तु गुड हैल्‍थ ऐड्स लाइफ टू इयर्स थी। अधिकतर देशों में जीवन बढ़ रहा है। इसका मतलब यह है कि वहां लोग अब ज्‍यादा दिनों तक जिंदा रहते हैं और वह एक ऐसी उम्र में पहुंच रहे हैं, जहां उन्‍हें स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं की सर्वाधिक आवश्‍यकता होती है। 

स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में रोगों, बीमारी, चोटों और अन्‍य शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी संबंधित बीमारियों का निदान, उपचार एवं रोकथाम शामिल है। स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं, दवाइयों, परिचर्या, फार्मेसी, संबंधित स्‍वास्‍थ्‍य सेवा, दांतों का उपचार एवं अन्‍य तरह की सेवाओं द्वारा प्रदान की जाती हैं। विभिन्‍न देशों, समूहों और समाजों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की सुविधाएं भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार की हैं, जो संबंधित देश की सामाजिक, आर्थिक एवं नीतिगत परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार एक बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली के लिए यह आवश्‍यक है कि वह ठोस निर्णयों एवं नीतियों पर आधारित हो, उसकी वित्‍तीय व्‍यवस्‍था मजबूत हो और बेहतरीन चिकित्‍सकीय व्‍यवस्‍था बनाई गई हो। 

देश की अर्थव्‍यवस्‍था में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। 2008 में तमाम विकसित देशों में सकल घरेलू उत्‍पाद का औसतन नौ प्रतिशत स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा उद्योग पर खर्च किया गया था। अमरीका में इस मद में सकल घरेलू उत्‍पाद का 16 प्रतिशत, फ्रांस में 11.2 प्रतिशत और स्विट्जरलैंड में 10.7 प्रतिशत खर्च किए जाते हैं। 

एक स्‍वस्‍थ और सामान्‍य वृद्धावस्‍था प्राकृतिक रूप से अंगों के ह्रास के द्वारा आती है। थकान बहुत जल्‍दी होती है, स्‍मृति कमजोर होती जाती है और आत्‍मशक्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है। वृद्धावस्‍था में मानसिक स्थिति इस बात पर निर्भर होती है कि व्‍यक्ति विशेष अतीत में कितना प्रसन्‍न, कितना दयालु रहा। 

सामान्‍य वृद्धावस्‍था को तय करना बहुत कठिन काम है, क्‍योंकि एक तरफ जहां शारीरिक बदलाव होते रहते हैं, तो दूसरी तरफ बुढ़ापे की वजह से पुराने रोग सिर उठाने लगते हैं। रोगों से मुक्‍त वृद्धावस्‍था की कल्‍पना करना बहुत कठिन है और इसीलिए यह कहा जाता है कि ''वृद्धावस्‍था स्‍वयं एक रोग है''। 

कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो वृद्धावस्‍था में ज्‍यादा पैदा होती हैं, जैसे मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग और किडनी संबंधी रोग। यह बीमारियां शरीर के विभिन्‍न भागों जैसे किडनी, मस्तिष्‍क और हृदय को प्रभावित करती हैं। 

विकासशील देशों में वृद्धों की संख्‍या तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। वर्ष 1990 में विकासशील देशों में 60 वर्ष के आयु वाले लोगों की संख्‍या विकसित देशों की तुलना में बहुत बढ़ गई थी। वर्तमान संकेतकों के अनुसार एशिया में वृद्धों की संख्‍या विश्‍व की आधी से अधिक हो जाएगी और इसमें भारत और चीन का बड़ा हिस्‍सा होगा। 

2001 की जनगणना के अनुसार भारत में वृद्धों की संख्या सात करोड़ सत्तर लाख है जबकि 1961 में उनकी संख्या केवल दो करोड़ चालीस लाख थी। 1981 में यह बढ़कर चार करोड़ तीस लाख हो गई और सन् 91 में ये पाँच करोड़ सत्तर लाख तक पहुंच गई। भारत की आबादी में वृद्ध लोगों का अनुपात 1961 में 5.63 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2001 तक 7.5 प्रतिशत हो गया और 2025 तक यह 12 प्रतिशत तक हो जाने की संभावना है। सत्तर साल से अधिक आयु के वृद्ध जनों की संख्या जहां 1961 में अस्सी लाख थी वहीं वर्ष 2001 में यह बढ़कर दो करोड़ नब्बे लाख हो गई। भारतीय जनसंख्या के आंकड़े के अनुसार 1961 में शताब्दी पूरा करने वालों की संख्या 99 हज़ार दर्ज की गई, वहां 1991 में ये बढ़कर एक लाख अड़तीस हज़ार हो गई। 

भारत में 21 शताब्दी के पहले मध्य में आयु संबंधी परिदृश्य के आकलन के लिए अगले पचास वर्षों में वृद्धों की संख्या अनुमानित की गयी है। भारत के साठ और उससे अधिक आयु के वृद्धों की संख्या 2001 में 7 करोड़ 70 लाख से बढ़कर वर्ष 2031 में एक अरब 7 करोड़ 90 लाख पहुंच जाने की संभावना है और वर्ष 2051 तक 3 अरब 10 लाख तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। 70 साल से अधिक आयु के लोगों की संख्या में वर्ष 2001 से 2051 के बीच पाँच गुणा वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। 

समाज में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं चिंता की वजह है क्योंकि वृद्ध लोगों को युवाओं की अपेक्षा खराब स्वास्थ्य का सामना करना पड़ता है। शारीरिक बीमारी के अलावा अधिक आयु के लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने की भी संभावना रहती है। अध्ययन से पता चला है कि अधिक आयु के लोग ज्यादातर खांसी से पीड़ित रहते हैं। (बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के अनुसार ये टीबी, फेफड़े की सूजन, दमा, काली खांसी इत्यादि से जुड़ी खांसी होती है)। कमजोर दृष्टि, शरीर में रक्त की अल्पता और दाँत संबंधी समस्याओं से भी वे जूझते हैं। अधिक आयु होने से वृद्ध लोगों में बीमारी बढ़़ने और बिस्तर पकड़ लेने का अनुपात बढ़ता पाया गया है। शारीरिक अक्षमताओं में दृष्टि दोष और श्रवण शक्ति खत्म होना प्रमुख है। 

पहले राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण में 45 प्रतिशत वृद्ध किसी पुरानी बीमारी जैसे जोड़ों का दर्द और खांसी से पीड़ित पाये गये हैं। अन्य बीमारियों में रक्तचाप बढ़ना, हृद्य संबंधी बीमारी , मूत्र संबंधी रोग और मधुमेह है। वृद्धजनों की मृत्यु का ग्रामीण क्षेत्रों में एक प्रमुख कारण श्वास संबंधी गड़बड़ियां हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में परिसंचार संबंधी गड़बड़ी का होना है। ग्रामीण सर्वेक्षण में बताया गया है कि लगभग पाँच प्रतिशत वृद्ध लोग बिस्तर से बिल्कुल हिल नहीं सकते जबकि अन्य 18.5 प्रतिशत लोग की सीमित गतिशीलता है। खराब स्वास्थ्य और अक्षमता की व्यापकता को देखते हुए वृद्ध लोगों में चिकित्सा सहायता संबंधी प्रावधानों के प्रति असंतोष पाया गया है। बीमार वृद्धजन पारिवारिक देखभाल से वंचित रहते हैं जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा भी उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है। 

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा प्रचारित आठ दीर्धकालीन बीमारियों में एक तिहाई वृद्ध जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं जबकि 20 प्रतिशत लोग खांसी और दस प्रतिशत लोग रक्तचाप से परेशान हैं। पाँच प्रतिशत से कम वृद्ध बवासीर, मधुमेह और कैंसर से पीड़ित बताये गये हैं। 

भारत में दो में से एक वृद्ध किसी न किसी एक पुरानी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसके लिए दीर्धकालीन चिकित्सा की आवश्यकता है। 

(इस फीचर में व्यक्त उपरोक्त विचार लेखक के अपने हैं और आवश्यक नहीं किया है पत्र सूचना कार्यालय के विचार को परिलक्षित करे।) 

लेखक- नागपुर के एनईईआरआई संस्थान के वैज्ञानिक और पूर्व सहायक निदेशक हैं। (पीआईबी) 
09-अप्रैल-2012 18:57 IST

Monday, April 09, 2012

मांगन गया सो मर गया....!

पर मिलिए श्री जगदीश बजाब से जिन्होंने दूसरों के लिए यह मौत भी स्वीकारी 
माननीय श्री विजय चोपड़ा जी के साथ एक कार्यक्रम में जनाब जगदीश बजाज व अन्य 
रेल गाडी तेज़ी से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही थी. रात गहराने लगी तो थके टूटे मुसाफिर भी सोने की तैयारी करने लगे.  उस डिब्बे में एक जोड़ी भी थी जिसमें पुरुष को बहुत ही जल्द गहरी नींद आ गयी थी. उसके साथ सफ़र कर रही महिला यात्री की आँखों में भी नींद अपना रंग दिखाने लगी. इतने में ही एक टिकट चैकर आया और उसने उस महिला से टिकट माँगा. महिला यात्री पुरुष के कंधे को झंक्झौरते हुए जोर से बोली जीजा जी जीजा जी. पुरुष हडबडा कर उठा और बोला क्या बात है. महिला ने चैकर की तरफ इशारा किया और कहा टिकट..! पुरुष कोई रेलवे मुलाजिम था, उसने झट से अपनी जेब में से एक पास निकाला और चैकर के हवाले कर दिया. पास देख कर चैकर बोला श्रीमान इस पास पर आप अपनी पत्नी के साथ तो सफ़र कर सकते हैं लेकिन साली के साथ नहीं. पुरुष यात्री ने टिकट चैकर की ने सारी बात समझ कर उसे पूरे विस्तार से समझाया कि जब उसकी पहली पत्नी का देहांत हुआ तो परिवार वालों ने मेरी दूसरी  शादी  उसीकी बहन के साथ कर साथ कर दी जो रिश्ते में मेरी साली ही लगती थी. इस तरह मेरी यह प्यारी सी साली मेरी पत्नी बन गयी पर मुझे जीजा जी कहने की आदत इसे अब तक पड़ी हुयी है सो यह अब भी मुझे जीजा जी ही कहती है. यह कहानी सुनाते हुए उस बुज़ुर्ग के चेहरे पर एक नयी चमक, होठों पर कुछ  रूमानी सी मुस्कान और आँखों में हल्की सी शरारत आ गयी. कहने लगे मुझे भी बस आदत सी पड़ी हुयी है....छूटती ही नहीं...मैंने पूछा कैसी आदत...तो कहने लगे...यही...मांगने की आदत....बस मुझे पता चल जाये कि इसकी जेब में पैसे हैं...फिर मैं उन्हें निकलवा ही लेता हूँ.... कई बार इस आदत को छोड़ना चाहा छोड़ना चाहा पर यह आदत जाती ही नहीं. साथ ही वह ये भी बताते हैं कि मांगना आसान नहीं होता. सब कि औरत बन के रहना पड़ता है. हजारों झमेले सामने आते हैं. कई बार ऐसा होता है कि लोग सब के सामने रसीद बुक से पर्ची तो कटवा लेते हैं पर पैसे दिए बिना चले जाते हैं. उस हिसाब को सम्भालना, फिर उनके चक्कर लगाना और उनसे पैसे निकलवाना...सब बहुत मुश्किल है पर मैं करता हूँ.गौर तलब है कि अब तो इस आदत के कारण ही उनके बहुत से किस्से कहानियां भी अख़बारों में भी छप चुके. टीवी चैनलों पर उनके प्रोग्राम भी दिखाए जा चुके लेकिन यह आदत कभी कम नहीं हुयी. वह इस वृद्ध अवस्था में भी सक्रिय हैं.
एक बार यह बुज़ुर्ग एक विशेष आग्रह पर महाराष्ट्र में रोटरी क्लब के एक कार्यक्रम में गए. बहुत जोर देने पर जब बोलने लगे तो वहां भी कहने लगे देखिये मुझे सब अनपढ़ समझते हैं लेकिन मैंने पीएचडी की हुयी है. वास्तव में यह एक ऐसा कार्यक्रम थ जिसमें सवाल जवाब भी साथ साथ हो रहे थे. सो इस वृद्ध व्यक्ति से भी सम्मान सहित सवाल किया गया कि आपने किस विषय में पीएचडी की है. वहां भी जनाब बिना किसी झिझक के जवाब देते हुए बोले जी मांगने में. मैं मांगने में एक्सपर्ट हूँ.  इसके बाद जैसे ही उन्होंने मांगने का कारण और लम्बे समय से चल रहा अपना  मिशन बताया तो वहां नोटों की बरसात होने लागिओ और देखते ही देखते  इस वृद्ध की झोली भर गयी. 
मेरी मुराद है लुधियाना के जानेमाने धार्मिक व्यक्ति जनाब जगदीश बजाज से जो गरीब बच्चों को पढाने के साथ साथ गरीब विधवा महिलायों को हर महीने राशन भी वितरित करते हैं.  गरीब लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कम्प्यूटर, सिलाई, कढाई और ब्यूटी पार्लर चलाने जैसे कई और प्रोजेक्ट भी चलाते हैं. यह सब होता है लुधियाना के सुभानी बिल्डिंग चोंक में स्थित ज्ञान स्थल मन्दिर में. इस चौंक  की कई इमारतों में फैले इस मन्दिर को इस तरह की मजबूती देने में जगदीश बजाज ने अपनी उम्र का एक बहुत सा हिस्सा इस तरफ लगा दिया.
मैंने एक बार पूछा बजाज साहिब लोग इस उम्र में आराम करते हैं और आप सारा सारा दिन काम. सुबह 9 नजे से लेकर मन्दिर के कार्यालय में बैठना दुखी लोगों के दुःख सुननाऔर फिर उनके कष्ट हरने के लिए मांगने के लिए निकल पड़ना. इस मिशन को लेकर फेसबुक जैसे मंच का इस्तेमाल भी बाखूबी करना...आखिर यह लगन आपको कहाँ से लगी. बजाज साहिब का चेहरा कुछ गंम्भीर हो गया.उनकी आँखें कहीं दूर अतीत में झाँकने लगीं. बस कुछ ही पलों का अंतराल और फिर बोले बात बहुत पुरानी है. हमने एक जागरण रखा था. मैं पंजाब केसरी पत्र समूह के मुख्य सम्पादक विजय चोपड़ा जी के पास गया और उन्हें निवेदन किया कि आप इस जागरण में मुख्य मेहमान बन कर आने की कृपा करें. उनके पास वक्त नहीं था और मैं उन्हें बार बार वक्त निकलने  के लिए विनती कर रहा था. इतने में ही दो महिलाएं वहां आयीं और विजय जी ने अपने किसी कर्मचारी को इशारा किया की इन्हें आटे की दो थैलियाँ  दे दो. इसके साथ ही विजय जी मुझे मुखातिब हो कर बोले अगर आप इस तरह का कोई काम करें तो मैं सुरक्षा का खतरा उठा कर भी वक्त ज़रूर निकालूँगा. मैंने उन औरतों का दर्द सुना तो मुझे अहसास हुआ कि यह काम कितना आवश्यक है.  मैंने तुरंत हाँ कर दी. इस तरह सितम्बर 1991 से केवल 51  विधवा महिलायों को राशन की राहत देने से शुरू हुआ यह सिलसिला आज भी जारी है. आज  यहाँ से राहत पाने वाली महिलायों की संख्या 51 से बढ़ कर 900 के आंकड़े को भी पार कर चुकी है.बहुत से नाम अभी प्रतीक्षा सूची में हैं.सन 2000 में यहाँ लडकियों को कम्प्यूटर सिखाने, सिलाई-कढाई सिखाने और ब्यूटी पार्लर चलाने जैसे काम भी सिखाये जा रहे हैं तांकि वे आत्म निर्भर हो सकें. 
अपने इस मिशन के लिए कई बार उन्हें इम्तिहान की घड़ियाँ  भी देखनी पड़ी. सन 2006 की 26  अप्रैल को उनकी धर्म पत्नी शांति देवी का हार्ट अटैक के कारण देहांत हो गया. रस्म क्रिया की तारीख भी आठ मई की निकली और विधवा महिलायों को राशन वितरित करने की तारीख भी पहले से ही आठ मई घोषित थी.दुःख और संकट की इस घड़ी में भी जगदीश बजाज ने कर्तव्य को नहीं भुलाया. क्रिया आठ की जगह छह मई को ही करली गई पर राहत के इस कार्यक्रम में कोई तबदीली नहीं की गयी. फिर सन 2010 में३० दिसम्बर के दिन उनकी एक बहू का देहांत हो गया. उस समय भी रस्म क्रिया  ८ जनवरी को आती थी लेकिन इस रस्म को भी दो दिन पूर्व अर्थात ६ जनवरी को ही पोर कर लिया गया ता कि आठ जनवरी को होने वाले र्स्शन वितरण कार्यक्रम में कोई भी तबदीली न हो.  मैंने कहा आप कैसे इंसान हैं...अपने परिवारिक सदस्य को अंतिम विदा कहने के लिए एक आध कार्यक्रम भी इध उधर नहीं कर सकते....मेरी बात सुन कर उन्होंने एक लम्बा सांस लिया और बोले मैं नहीं चाहता था कि जो इंसान इस दुनिय से चला गया उसका दिन मनाते समय कोई बद दुया दे या फिर यह कहे कि इस मौत ने तो हमारा काम चौपट कर दिया.
दुनियादारी  का इतना लिहाज़  और दुखी लोगों से इतनी गहरी सम्वेदना रखने वाले जगदीश बजाज का जन्म हुआ था १० अक्टूबर १९३५ को कामरेड राम किशन के पडोस में पड़ते एक मकान में. यह मकान कोट ईसे शाह में था. झंग का यह इलाका अब पाकिस्तान में है. सं 1947 में जब हालात बिगड़े तो इस परिवार को भी पाकिस्तान छोड़ना पड़ा. कभी अमृतसर, कभी जालंधर और कभी कहीं. गर्दिश के दिन थे. आखिर 1950 में लुधियाना में आ गये. तब से लेकर यहीं पर कर्म योग की साधना  में लगे हुए हैं. सरकारी नौकरी से अपना काम और फिर अपने काम से जन सेवा का यज्ञ. आज इस यज्ञ में योगदान देने वालों की संख्या भी बहुत बड़ी है और इससे राहत लेने वालों की संख्या भी. ज्ञान स्थल मन्दिर अब मानव सेवा संस्थान के तौर पर स्थापित हो चूका है. यहाँ सभी धर्मों के लोग बिना किसी भेद भाव के आते हैं.  अगर आप भी यहाँ आना चाहें तो आपका स्वागत है. आप कभी यहाँ आ सकते हैं.  --रेक्टर कथूरिया

ਬੇਬਸ ਜਿੰਦਗੀਆਂ ਨੂੰ ਨਵੀਂ ਸ਼ਕਤੀ ਦੇਣ ਵਿੱਚ ਸਰਗਰਮ ਜਗਦੀਸ਼ ਬਜਾਜ



दूसरों के लिए बार बार मरने वाला महान इन्सान: जगदीश बजाज


मांगना और दुःख के मारे ज़रूरतमंद लोगों में बाँट देना


Sunday, April 08, 2012

कचरा से बिजली बनाने के ज़हरीले कारखाने को हिमायत

भाजपा और कांग्रेस का समर्थ पूरी तरह जन विरोधी 
स्वास्थय, मजदूर और पर्यावरण विरोधी कदम के खिलाफ लोगों में रोष 
नई दिल्ली//गोपाल कृष्ण//Fri, Apr 6, 2012 at 8:04 PM
कचरा से बिजली बनाने वाली जानलेवा व प्रदूषणकारी कारखाने से ऐसे रसायन का उत्पादन होता है जिसे अमेरिका ने विअतनाम के खिलाफ इस्तेमाल रासायनिक हथियार के रूप में किया था. दिल्ली नगर निगम के चुनाव के दौरान जारी घोषणा पत्र में भारतीय जनता पार्टी ने कचरा से बिजली बनाने का वायदा किया है जो स्वास्थय, मजदूर और पर्यावरण विरोधी है जिसे भारतीय कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त है. कचरा जलाने की तकनीकि की बदौलत यह बिजली का कूड़ा घर डाईआक्सीन का उत्सर्जन करेगी. डाईआक्सीन कैंसर के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक घोषित गंधक है. खतरनाक रसायनों को यह तकनीकि ने ठोस रूप प्रदान कर कई-कई रूपों में वायु प्रदुषण का हिस्सा बन जाता है. अब यह जहर केवल धरती या पानी में ही नहीं बल्कि हवा में भी तैरने लगता है. शहर के कूड़े में प्लास्टिक के अलावा पारा जैसे गंधक भी बहुतायत में निकलते हैं. वैज्ञानिक और व्यावसायिक बुद्धि को किनारे रख दें तो भी क्या हमें यह समझने में दिक्कत है कि प्लास्टिक और पारा के जलने से जो धुंआ निकलता है वह हमारे लिए लाभदायक है या हानिकारक?1997 में पर्यावरण मंत्रालय के अपने श्वेत पत्र में यह बात स्वीकार की गयी थी कि जिस तरीके से शहरी कूड़े को ट्रीट किया जा रहा था वह तकनीकि सही नहीं थी. अब वह सही कैसे हो गया.
भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली विधान सभा के विपक्ष के नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने लेफ्टिनेंट गवर्नर को एक पत्र में इस कारखाने को प्रदूषणकारी बताया था अब उन्ही की पार्टी इसी कारखाने को लाने का वायदा कर रही है.
दिल्ली के ओखला में २०५० मेट्रिक टन कूड़े से बिजली का कारखाना के अलावा नरेला-बवाना में ४००० मेट्रिक टन का और गाजीपुर में १३०० मेट्रिक टन के कारखाने का निर्माण जारी है. सरकार दिल्ली में ३ कचरा से बिजली बनाने के परियोजना को लागु कर रही है जिससे पर्यावरण को भारी मात्रा में नुकसान होता है.

ऐसे बिजलीघर न तो कूड़ा निपटाने के लिए बनते हैं और न ही बिजली पैदा करने के लिए. कारण कुछ और हैं. इन कारणों में एक कारण यह भी है कि प्रति मेगावाट की दर से सरकार दो स्तरों पर अनुदान देती है. यह एक करोड़ से डेढ़ करोड़ तक होता है. जिस काम को सरकार के अधिकारी ज्यादा रूचि लेकर प्रमोट करते हैं उसके कारण सबको समझ में आ जाते हैं. इस तकनीकि के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. लेकिन जनता को इससे क्या मिलेगा? लोगों को बिजली तो मिलने से रही लेकिन जहां भी ऐसे प्लांट लगेंगे उनके आस पास के लोगों को कैंसर सौगात में मिलेगा.
आज दिली के लगभग 80% एरिया के काम को प्राइवेट कम्पनी के हाथों बेच दिया गया है लेकिन उसके बावजूद भी समस्या का हल नहीं हो पा रहा है दिल्ली में कचरे क़ि छंटाई के काम में असंगठित क्षेत्र के लगभग 3.5 लाख मजदूर शामिल है. कचरे का लगभग 20 से 25 प्रतिशत क़ि छंटाई हो जाती है. इनके द्वारा 30% कचरे क़ि छंटाई हो जाएगी जो कच्चे माल के रूप में दुबारा इस्तेमाल होगा और साथ ही 50% वैसा कचरा है जिसको जैविक कूड़ा कहते है उससे खाद बनाया जा सकता है. 80% भाग को समुदाय स्तर पर ही निपटारा हो सकता है.
सभी विकसित देशों ने ऐसी परियोजना को बंद कर चुकि है इसके मूल कारण रहे है क़ि इससे जहरीली गैस निकलती है जो जीवन व पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है और कचरे में वैसी जलने क़ि क्षमता नहीं है जिससे बिजली का उत्पादन किया जा सकता है भारत में पहली बार दिल्ली के तिमारपुर में कचरा से बिजली बनाने क़ि परियोजना 1990 में लगाया गया जो असफल रहा. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों को बहिष्कार करना ही एक मात्र रास्ता दिख रहा है.

Thursday, April 05, 2012

मामला मुस्लिम समुदाय के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास का

सच्‍चर समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन की स्थिति 
पृष्‍ठभूमि                 
     केन्‍द्र सरकार ने विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों से संबंधित सच्‍चर समिति (मुस्लिम समुदाय के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास पर प्रधानमंत्री की उच्‍च स्‍तरीय समिति) की सिफारिशों पर निर्णय लिए है। सच्‍चर समिति के सिफारिशों के आलोक में केन्‍द्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के कार्यान्‍वयन की स्थिति इस प्रकार है।
1. वित्‍तीय सेवाएं विभाग
क.     सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अल्‍पसंख्‍यक बहुल जि़लों में अधिक से अधिक शाखाएं खोलने के निर्देश दिये गए हैं। वर्ष 2007-08 में ऐसे जि़लों में 523 शाखाएं खोली गईं, जबकि 2008-09 में 537 नई शाखाएं खोली गईं । वर्ष 2009-10 में 743 नई शाखाएं एवं 2010-11 में 814 नई शाखाएं खोली गईं। 2011-12 की अवधि में 31 दिसम्‍बर, 2011 तक 619 बैंक शाखाएं खोली गई हैं। इस प्रकार वर्ष 2007-08 से कुल 3,236 शाखाएं खोली गईं।
ख.     भारतीय रिजर्व बैंक -आरबीआई ने अल्‍पसंख्‍यक समुदायों को ऋण उपलब्‍धता में और सुधार के लिए प्राथमिक क्षेत्र उधार (पीएसएल) पर 1 जुलाई, 2011 को अपने मुख्‍य परिपत्र को संशोधित किया । 31 दिसम्‍बर, 2011 तक अल्‍पसंख्‍यक समुदायों को 1,54,789.90 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है, जो कुल पीएसएल का 14.83 प्रतिशत है।  
ग.      महिलाओं में सूक्ष्‍म वित्‍तीयन को बढ़ावा देने के लिए अल्‍पसंख्‍यक महिलाओं के 6,03,087 खाते खोले गए हैं तथा वर्ष 2011-12 के सितम्‍बर, 2011 तक 6611.87 करोड़ रुपये का सूक्ष्‍म ऋण दिया गया है।
घ.      सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों द्वारा अल्‍पसंख्‍यक बहुल प्रखंडों/जि़लों/शहरों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। वर्ष 2011-12 में सितम्‍बर, 2011 तक 1658 जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
ङ.      सितम्‍बर 2011 तक प्रमुख बैंकों द्वारा अल्‍पसंख्‍यक बहुल प्रखंडों/जि़लों/शहरों में प्रमुख बैंकों द्वारा 618 उद्यमिता  विकास कार्यक्रम आयोजित किये गए।
2. मानव संसाधन विकास मंत्रालय
     सच्‍चर समिति द्वारा ध्‍यान में लाए गए मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए एक बहुस्‍तरीय रणनीति तैयार की गई है, जो निम्‍नलिखित है: -
क.     कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) योजना के तहत शैक्षिक रूप से पिछड़े प्रखंडों के मानदंड में 1 अप्रैल, 2008 से बदलाव किया गया है, जिसके तहत 30 प्रतिशत से कम ग्रामीण महिला साक्षरता वाले प्रखंडों एवं राष्‍ट्रीय औसत महिला साक्षरता से कम साक्षरता वाले शहरी क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत अब तक अल्‍पसंख्‍यक बहुल जि़लों में 450 केजीबीवी चलाए जा रहे हैं। 2011-12 में लक्षित 107 केजीबीवी की तुलना में दिसम्‍बर, 2011 तक अल्‍पसंख्‍यक बहुल जि़लों में 70 केजीबीवी चलाए गए हैं।
ख.     माध्‍यमिक स्‍तर पर गुणात्‍मक शिक्षा सभी के लिए उपलब्‍ध कराने हेतु राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान की स्‍वीकृति दी गई है। इस योजना के तहत अल्‍पसंख्‍यक बहुल क्षेत्रों में सरकारी स्‍कूलों के खोले जाने की प्राथमिकता है। राज्‍य सरकारों को यह सलाह दी गई है कि वे इस योजना के तहत प्राप्‍त स्‍वीकृतियों को मंजूरी देने के दौरान अल्‍पसंख्‍यक बहुल क्षेत्रों में नये उन्‍नयन स्‍कूलों की स्‍थापना को प्राथमिकता दें। वर्ष 2011-12 के अक्‍तूबर, 2011 तक 158 नये माध्‍यमिक स्‍कूलों की स्‍वीकृति दी गई है।
ग.      देश के 374 शैक्षिक पिछड़ेपन वाले जि़लों (ईबीडी) में एक मॉडल महाविद्यालय स्‍थापित किया जाएगा। कुल 374 ईबीडी में 67 चिन्हित अल्‍पसंख्‍यक बहुल जि़ले हैं। 2011-12 के दौरान अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों में 5 मॉडल महाविद्यालय स्वीकृत किए गए हैं। जिसके लिए 30 सितम्‍बर, 2011 तक 2.67 करोड़ रुपये की राशि निर्गत की गई है।
घ.      पॉलिटेक्निक के उप-मिशन के तहत पॉलिटेक्निक रहित तथा न्‍यून पॉलि‍टेक्निक वाले जिलों में पॉलिटेक्निकों की स्‍थापना के लिए राज्‍यों /संघ शासित प्रदेशों को वित्‍तीय सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत 90 अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों में से 57 जिले विचार के लिए पात्र पाये गए हैं। अब तक 46 अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों का चयन पॉलिटेक्निकों की स्‍थापना के लिए किया गया है तथा 30 सितम्‍बर, 2011 तक 222.66 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
ङ.      विशेषकर मुस्लिम बहुल अल्‍पसंख्‍यक क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में महिला छात्रावास के प्रावधान पर विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा प्राथमिकता दी जाती है। यूजीसी ने 284 महिला छात्रावासों की स्‍वीकृति दी है और अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों /क्षेत्रों के 11वीं योजना के तहत 30 सितम्‍बर, 2011 तक 201.55 करोड़ रुपये की राशि निर्गत की गई है।
च.      सघन क्षेत्र एवं मदरसा आधुनिकीकरण योजना को संशोधित कर दो योजनाओं में विभाजित किया गया है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में 325 करोड़ रुपये की लागत से मदरसों में गुणात्‍मक शिक्षा उपलब्‍ध कराए जाने संबंधी योजना (एसपीक्‍यूईएम) की शुरूआत की गई है। इसके तहत शिक्षकों के बेहतर वेतन, किताबों, शैक्षणिक सहायता एवं कम्‍प्‍यूटर के लिए सहायता राशि में वृद्धि के साथ-साथ व्‍यावसायिक विषयों को लागू करने का भी प्रावधान है।
छ.     बजट प्रावधानों के 150 करोड़ रुपये की तुलना में 31 दिसम्‍बर, 2011 तक 92.77 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं। गैर सहायता प्राप्‍त तथा निजी क्षेत्रों द्वारा सहायता प्राप्‍त अल्‍पसंख्‍यक संस्‍थानों के संरचनात्‍मक विकास के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 125 करोड़ रुपये की लागत वाली एक अन्‍य योजना की शुरूआत की गयी। इसके अंतर्गत 2011-12 में 50 करोड़ रुपये की बजटीय आवंटन तुलना में 31 दिसम्‍बर, 2011 तक 21.88 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं।
ज.     उच्‍चस्‍तरीय शिक्षा तक पहुंच के लिए राज्‍य मदरसा बोर्डों द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्रों और योग्‍यताओं को संबंधित राज्‍य शिक्षा बोर्डों, केन्द्रीय माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड़ सीबीएसई तथा भारतीय स्‍कूल शिक्षा बोर्ड परिषद सीओबीएसई द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्रों के समकक्ष मान्‍यता की स्‍वी‍‍कृति दी गई।
झ.     उर्दू माध्‍यम के शिक्षकों में व्‍यवसायिक विकास के लिए तीन के‍न्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों, अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय, दिल्‍ली के जामिया मिलिया इस्‍लामिया विश्‍वविद्यालय और हैदराबाद के मौलाना आज़ाद राष्‍ट्रीय उर्दू विश्‍वविद्यालय में अकादमी की स्‍थापना की गई है। वर्ष 2011-12 के दौरान 4718 उर्दू शिक्षकों को अंशकालिक पाठ़यक्रमों और कार्यशालाओं के तहत प्रशिक्षित किया गया।
ञ.      संशोधित योजना के अंतर्गत जिन क्षेत्रों में 25 प्रतिशत से अधिक की आबादी उर्दू बोलने वाले समुदाय भी है। वहां के सरकारी स्‍कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। आर्थिक सहायता राज्‍य सरकारों द्वारा स्‍कूलों में नियुक्‍त किये जाने वाले उर्दू शिक्षकों के वर्तमान वेतन ढांचे पर आधारित होगी। अंशकालिक उर्दू शिक्षकों के लिए भी मानदेय का प्रावधान है।  
ट.      राज्‍यों एवं संघशासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि जहां व्‍यापक मुसलिम आबादी है वहां समुदाय आधारित अभियान चलाए जाएं। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार जहां वयस्‍क महिला साक्षरता 50 प्रतिशत से कम है, ऐसे 410 जि़लों में से 372 जिलों में साक्षर भारत योजना क्रियान्वित की जा चुकी है। 88 मुस्लिम बहुल जि़लों में से 61 जि़लों में साक्षर भारत योजना लागू की गई है।
ठ.      संशोधित योजनाओं में जन शिक्षण संस्‍थानों, जेएसएस को शामिल किया गया है। वर्तमान में देश के 88 मुस्लिम बहुल जिलों में से 33 जिलों में जेएसएस व्‍यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
ड.       2008-09 से मध्‍यान्‍ह भोजन योजना को देश के सभी भागों में लागू कर दिया गया है। इसके अन्‍तर्गत उच्‍च प्राथमिक विद्यालयों को भी लाया गया है। मुस्लिम बहुल प्रखंडों को भी इस योजना का लाभ मिल रहा है।
ढ.      सभी राज्‍य सरकारों और संघशासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे मौजूदा स्‍‍कूल भवनों और सामुदायिक भवनों का इस्‍तेमाल स्‍कूली बच्‍चों के शिक्षा केन्‍द्रों के तौर पर करें।
ण.     राष्‍ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, एनसीईआरटी ने सभी कक्षाओं के लिए राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 (एनसीएफ) के आलोक में पाठ्यपुस्तकें तैयार की हैं। एनसीएफ 2005 के अनुसार 14 राज्‍यों ने अपने पाठ़यक्रम को संशोधित कर लिया है जबकि 9 राज्‍य इसे अपनाने की प्रक्रिया में हैं। 10 राज्‍य/केन्‍द्रशासित प्रदेश या तो पड़ोसी राज्‍यों की पाठ्यपुस्तकों का इस्‍तेमाल कर रहे अथवा एनसीईआरटी  पाठ्यपुस्‍तकों का ।
त.     अल्‍पसंख्‍यक, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 35 विश्वविद्यालयों द्वारा सामाजिक परित्यक्तता तथा सम्मिलित नीति से संबंधित केन्‍द्र चलाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्‍त वर्ष 2009-10 में 51 विश्वविद्यालयों में समान अवसर आयोग ईओसी के 1280 केन्‍द्र स्‍थापित किये गए तथा 1345 और 1367 ऐसे केन्‍द्रों की स्‍थापना का प्रस्‍ताव क्रमश: 2010-11 और 2011-12 में रखा गया।  
3.   अल्‍पसंख्‍यक मामले मंत्रालय
क.     समान अवसर आयोग (ईओसी) की संरचना और उसकी कार्य प्रणाली के अध्‍ययन और सिफारिशों के लिए गठित विशेषज्ञ समूह ने अपना प्रतिवेदन 13 मार्च, 2008 को सौंप‍दिया। विविधता सूची की परिकल्‍पना को ईओसी में शामिल कर‍लिया गया है। ईओसी का प्रारूप विधेयक संबंधित विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों से बातचीत की प्रक्रिया में है।
ख.     संशोधित वक्‍फ विधेयक लोकसभा द्वारा पास कर दिया गया है और विचार के लिए राज्‍यसभा की चयन समिति को 31 अगस्‍त, 2010 में भेज दिया गया। चयन समिति ने 12 दिसम्‍बर, 2011 को अपनी 22वीं बैठक आयोजित की। राज्‍यसभा की चयन समिति की रिपोर्ट और उसके सामने प्रस्‍तुत किये गए साक्ष्यों को राज्‍यसभा में 16 दिसम्‍बर, 2011 को पटल पर रखा गया।
ग.      सरकार ने राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक विकास एवं वित्‍त निगम एनएमडीएफसी में पुनर्गठन को सैद्धांतिक  तौर पर स्‍वीकृति दे दी है। एनएमडीएफसी में इस पुनर्गठन के तौर तरीकों के लिए एक परामर्श संस्‍था नियुक्‍त की गई है। संस्‍था ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी है, जिसकी जांच मंत्रालय द्वारा की गई है। परामर्श निगरानी समिति की रिपोर्ट और उसके सुझाव विचाराधीन है।
घ.           घनी अल्‍पसंख्‍यक आबादी वाले चिह्नित 338 कस्‍बों के विकास के लिए कार्य योजना और उपयुक्‍त कार्यनीति तैयार करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी कार्यबल का गठन किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट 8 नवम्‍बर, 2007 को सौंप दी। संबद्ध मंत्रालयों/ विभागों से आग्रह किया गया है कि वे इन 338 शहरों मे्ं इन योजनाओं को कार्यान्वित करने में प्राथमिकता दें।
ङ.      अल्पसंख्यक समुदायों के लिए तीन छात्रवृत्ति योजनाओं यथा कक्षा प्रथम से दसवीं तक के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति, कक्षा 11 से पीएचडी स्तर तक के छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति और स्नातक पूर्व तथा स्नातकोत्तर स्तर के तकनीकी और व्यावसायिक स्तर के छात्रों के लिए योग्यता एवं साधन छात्रवृत्ति शुरू की गई हैं। इन योजनाओं के अधीन वर्ष 2011-12 में 31 दिसंबर, 2011 तक अल्पसंख्यक समुदायों के 33.90 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए 649.21 करोड़ रूपये मंजूर किए गए हैं। इसके अलावा एम-फिल और पीएचडी विद्वानों के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप योजना नामक एक फैलोशिप योजना पर भी अमल किया जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा 756 फैलोशिप और 3778 नवीनीकरण स्वीकृत किए गए हैं और उनके लिए 31 दिसंबर, 2011 तक के लिए 51.98 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता जारी की गई है।
च.      मौलाना आजाद शिक्षा फाउंडेशन (एमएईएफ) की राशि, जो 100 करोड़ रूपये थी, उसे दिसंबर, 2006 में दोगुना करके 200 करोड़ रूपये कर दिया गया था। इस राशि को 11वीं योजना अवधि के दौरान बढ़ाकर 700 करोड़ रूपये कर दिया गया। एमएईएफ की इस योजना के अधीन 2007-08 से 419 गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को शिक्षा संस्थानों के संरचना विकास के लिए सहायता अनुदान और 11वीं तथा 12वीं कक्षाओं की योग्य छात्राओं को 48471 छात्रवृत्तियां दी गईं।
छ.     वर्ष 2006-07 में एक संशोधित कोचिंग एवं संबद्ध योजना शुरू की गई। वर्ष 2011-12 में 6000 छात्रों का लक्ष्य रखा गया था जबकि अल्पसंख्यक समुदायों के 90 छात्रों को वित्तीय सहायता दी गई है। 16 करोड़ रूपये के बजट प्रावधान में से 4 करोड़ रूपये 31 दिसंबर, 2011 तक जारी किये गए।
ज.     वर्ष 2008-09 में अल्पसंख्यक समुदायों की बहुलता वाले चिन्हित 90 जिलों में एक बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) शुरू किया गया। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, बिहार, मेघालय, झारखंड, अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह, ओडीशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, उत्तराखंड, मिजोरम, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, मध्य प्रदेश, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय की बहुलता वाले 90 जिलों की योजनाओं को मंजूरी दी गई है और कार्यक्रम शुरू किए जाने के समय से 31 दिसंबर, 2011 तक राज्य सरकारों और संघ शासित प्रशासनों को 2588.34 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं।
4.    सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
     सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में सामाजिक-धार्मिक समुदायों के लिए विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी सुविधा मानदंडों के आंकड़े संकलित करने के लिए एक राष्ट्रीय आंकड़ा (डेटा) बैंक बनाया गया है।
5.    योजना आयोग
क.     योजना आयोग में एक स्वायतशासी आकलन एवं अनुश्रवण प्राधिकरण (एएमए) गठित किया गया है जो उचित और सुधारक नीतिपरक निर्णय लेने के लिए संग्रहित आंकड़ों का विश्लेषण करेगा। एएमए की अवधि 15 जनवरी, 2011 को समाप्त हो गई। इसके बाद योजना आयोग ने एएमए का पुनर्गठन किया है और नवगठित एएमए ने अपनी कुछ बैठकें आयोजित की हैं।
ख.     अल्पसंख्यक समुदायों सहित देश की कौशल विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए योजना आयोग में एक व्यापक संस्थागत ढांचा तैयार किया गया है जो कौशल विकास को बढ़ावा देगा। इसमें कौशल विकास संबंधी राष्ट्रीय परिषद, राष्ट्रीय कौशल विकास समन्वय बोर्ड और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम शामिल हैं।
6.    कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
क.     कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सरकारी अधिकारियों को सुग्राही बनाने के लिए प्रशिक्षण माड्यूल तैयार किए हैं। ये माड्यूल केन्द्रीय/ राज्य प्रशिक्षण संस्थाओं को प्रशिक्षण के लिए भेज दिए गए हैं।
ख.     कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने राज्य सरकारों और संघ शासित प्रशासनों को कहा है कि मुसलमानों की अधिक संख्या वाले क्षेत्रों में पुलिस स्टेशनों पर मुस्लिम पुलिसकर्मियों को और मुस्लिम स्वास्थ्य कर्मियों तथा अध्यापकों को तैनात किया जाए। गृह मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस प्रकार के कार्यों के लिए दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
7.    गृह मंत्रालय
क.     परिसीमन अधिनियम की समीक्षा के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने परिसीमन योजनाओं के अधीन आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में असंगतियों के बारे में सच्चर समिति की रिपोर्ट में व्यक्त चिंताओं पर विचार किया है और अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है।
ख.     राष्ट्रीय परामर्शदात्री परिषद (एनएसी) के एक कार्यकारी दल ने एक विधेयक का प्रारूप तैयार किया जिसका शीर्ष है- साम्प्रदायिक और लक्षित हिंसा की रोकथाम (न्याय और मुआवजे तक पहुंच) विधेयक-2011 । एऩएसी ने यह विधेयक गृह मंत्रालय को 25 जुलाई, 2011 को भेजा। गृह मंत्रालय इस प्रारूप विधेयक पर विचार कर रहा है।
8.    शहरी विकास मंत्रालय और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय
     अल्पसंख्यक समुदायों की अधिक संख्या वाले शहरों और कस्बों में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएऩएनयूआरएम), लघु और मझौले शहरों के लिए शहरी संरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी), समन्वित आवास एवं मलिन बस्ती विकास कार्यक्रम (आईएचएसडीपी) और शहरी गरीबों के लिए बुनियादी सेवाएं (बीएसयूपी) के अधीन अल्पसंख्यक समुदायों के लिए पर्याप्त धन सुनिश्चित करने के लिए विस्‍तृत रिपोर्ट बनाने हेतु आवश्‍यक कदम उठाए गए हैं।
क.     यूआईडीएसएसएमटी के अधीन अल्पसंख्यक समुदायों की अधिक आबादी वाले 88 कस्बों के लिए 2672.34 करोड़ रूपये मंजूर किए गए हैं।
ख.     आईएचएसडीपी के अधीन अल्पसंख्यक समुदायों की अधिक आबादी वाले 101 कस्बों के लिए 1897.69 करोड़ रूपये वाली परियोजनाएं स्वीकार की गई हैं।
ग.      बीएसयूपी के अधीन 17 कस्बों के लिए 7086.47 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं।
घ.      उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, लक्षद्वीप, पांडिचेरी और केरल की सरकारों ने वक्फ बोर्ड की परिसंपत्तियों को किराया नियंत्रण अधिनियम से छूट दे दी है जबकि अरूणाचल प्रदेश और नगालैंड ने सूचित किया है कि उनके राज्यों में कोई वक्फ परिसंपत्ति नहीं है।
9.    श्रम और रोजगार मंत्रालय
     असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए संसद ने एक अधिनियम पारित किया है। इन श्रमिकों में घरों में काम करने वाले नौकर भी शामिल हैं।
10.   संस्कृति मंत्रालय
     भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन वक्फ परिसंपत्तियों की सूची की समीक्षा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सर्कलों ने राज्य वक्फ बोर्डों के साथ बैठकें की हैं।
11.    स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
     अल्पसंख्यक समुदायों की बहुतायत वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण योजनाओं के बारे में सूचनाओं के प्रसार का काम क्षेत्रीय भाषाओं में अपनाया जा रहा है।
12.   पंचायती राज मंत्रालय
     पंचायती राज मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे स्थानीय निकायों में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाएं।
     पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत सूचना के अनुसार उत्तराखंड़, केरल, पश्चिम बंगाल और लक्षद्वीप राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों ने सूचना दी है कि जिला और पंचायती राज स्तर पर अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं।
     शहरी विकास मंत्रालय ने सूचित किया है कि केरल, पश्चिम बंगाल और हरियाणा की राज्य सरकारें इन दिशा निर्देशों को कार्यान्वित कर रही हैं।
13.   सूचना और प्रसारण मंत्रालय
क.     सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने बताया है कि उनका मंत्रालय अल्पसंख्यकों के कल्याण से संबंधित विभिन्न विषयों पर विशेष लेख नियमित रूप से जारी किए जा रहे हैं जिनमें सच्चर समिति की रिपोर्ट में उल्लेखित विषय और छात्रवृत्ति की योजनाएं शामिल हैं। (पीआईबी)  04-अप्रैल-2012 15:49 IST