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Monday, July 02, 2018

सीटी यूनिवर्सिटी में पानी पर अंतर्राष्ट्रीय वर्कशाप आयोजित

सदियों से पानी की समस्या बनी रही हैं-मैकगिल यूनिवर्सिटी के माहिर
इस सेमिनार में मैकगिल यूनिवर्सिटी से डा. शिव ओ. प्राशर एवं जसकरण धिमान, यूनिवर्सिटी ऑफ गुल्$फ कैनेडा से डा. रामेश पी रुद्रा, कान्सास स्टेट यूनिवर्सिटी के सहायक अध्यापक डा. मनजीत सिंह कंग मुख्य मेहमान के रुप में उपस्थित थे
लुधियाना: 2 जुलाई 2018: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
सीटी यूनिवर्सिटी के लुधियाना परिसर में इनोवेशन्स इन सस्टेनेबल वॉटर रिर्सोस मैनेजमैंट (आइ.एस.डब्लयू.आर.एम-2018) विषय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वर्कसाप आयोजित करवाई गई। इस वर्कशाप में कैनेडा, यू.एस.ए एवं भारत के विशेषज्ञों ने पानी की बचत पर विचार विमर्श किया।
यह वर्कशाप आइसी-इंपैक्टस, आइसी इंपैक्टस एच.क्यू.पी नेटवर्क एवं मैकगिल यूनिवर्सिटी, मॉटरीयल की सयाहता से करवाइ गई। इस वर्कशाप में वर्तमान विश्व की पानी की समस्या पर चर्चा की गई।
इस समारोह में जैव संसाधन एवं जैव प्रणालियों के मशहूर वैज्ञानिकों की टीम मैकगिल यूनिवर्सिटी मोंटरियल, कैनेडा से डा. शिव ओ. प्राशर एवं डॉ. जसकरण धिमान, यूनिवर्सिटी ऑफ गल्$फ कैनेडा से डा. रमेश पी रुद्रा, कान्सास स्टेट यूनिवर्सिटी से सयाहक प्रोफेसर डा. मनजीत सिंह कंग, लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी यू.एस.ए से डा. रामेश्वर कंवर एवं खेती विभाग पंजाब से डा. बलदेव सिंह नोर्थ मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित थे।
सीटी यूनिवर्सिटी के चांसलर स. चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि विश्व में लोगों की संख्या बढ़ती जा रही हैं और लोगों की ज़रुरते भी उसी मुताबिक बढ़ती जा रही हैं। इसी के साथ शहरों, उद्योगिक संस्थाओं एवं कृषि में पानी की कमी उबर रही हैं। उन्होंने कहा कि नई नीति नियोजन, तकनीकों, प्रबंध एवं पानी के नियत्रंन इस्तेमाल से पानी को बचाया जा सकता हैं। पंजाब का नाम भी पांच नदियों से बना है, जो पंजाब की सभयता एवं सभयताओं के निर्माण में सहायता करती आई हैं।
सीटी यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर डॉ. हर्ष ने आए मेहमानों एवं माहिरों का स्वागत किया एवं कहा कि हमें पानी की बचत करनी चाहिए। जिससे आने वाला भविष्य सुरक्षित रह सकें।
सीटी यूनिवर्सिटी के रजिस्टरार डा. जगतार धिमान ने कहा कि पंजाब के दक्षिणी श्रेत्र में कृषि खेती में पानी की किल्लत बहुत बढ़ चुकी हैं। हमें मिलकर पानी की संरक्षणा के लिए नइ तकनीकों को इज्जाद करना होगा।
मैकगिल यूनिवर्सिटी से डा. शिव ओ. प्राशर ने बताया की बाओ-चार एवं हाइड्रोजल से आइसी-इंपैक्टस पानी की संरक्षणा एवं प्रबंध कर रहा हैं। इसी के साथ डा. जसकरण धिमान ने कहा कि सदियों से पानी की किल्लत चलती आ रही हैं। पानी में प्रदूषण एवं फैक्टरी के गंदे पानी से साफ पानी भी गंदा हो रहा है। इसी के चलते आइसी-इंपैक्टस अपशिष्ट जल को सिंचाई के इस्तेमाल के लिए नई तकनीकों का अविष्कार कर रही हैं।
डा. रामेश रुद्रा ने कहा कि पानी की समस्या के हल करने के लिए लोगों की भागीदारी बहुत कारुरी हैं।
इस वर्कशाप में डा. नीता राज शर्मा ने बायोचार प्रोडक्शन एवं जल उपचार पर विचार सांझे किए। इसी वर्कशाप में (लेट अस सेव वॉटर, एवरी ड्राप मेटर्स) हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसमें लोगों ने पानी को बचाने की प्रतिज्ञा ली। इस में गवाटेमाला, लीबिया, चाइना, तुर्कि, कैनेडा, यू.एस.ए एवं भारत से पानी की सुरक्षा पर कई वीजियों चलाई गई।
डा. रामेश्वर कंवर ने पंजाब में पानी समस्याओं पर चर्चा की एवं कई हल भी सांझे किए। कृषि विभाग पंजाब के सदस्य डा. बलदेव सिंह नार्थ ने पंजाब में पानी की संरक्षणा की पालिसीयों एवं द इंपैक्ट ऑफ प्रकार्वेशन ऑफ सबसोयल वॉटर एक्ट (2009) बिल के प्रति जानकारी दी।