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Wednesday, February 05, 2020

परम निमाणा जगा रहे हैं पुस्तक संस्कृति का जादु

खालसा कॉलेज फॉर वीमेन ने शुरू किया पुस्तक सांस्कृति अभियान 
लुधियाना: 5 फरवरी 2020: (कार्तिका सिंह की कवरेज पंजाब स्क्रीन टीम के साथ)::
पंजाब में जगह जगह नज़र आते हैं शराब के ठेके। बड़े बड़े सजावटी शोरूमों जैसे। बहुत ही सजावटी अंदाज़ में खुले हुए यह ठेके जैसे दूर से ही मदिरापान का निमंत्रण दे रहे हों। सरकारों की आमदनी बढ़ती है और कारोबारियों का कारोबार। अगर इस माहौल में कोई डूब रहा है तो वह है पंजाब। पंजाब के लोग। नशे के दरिया में डूबता हुआ पंजाब। कहीं शराब में। कहीं चिट्टे में। फिर भी मन नहीं भरता तो मौत को गले लगा कर खुदकुशियाँ करता पंजाब। अब लोग डॉक्टर या इंजीनियर बनने की बात भूल चुके। अब तो बस उनका निशाना है IELTS करके विदेश पहुंचना। पंजाब युवाओं से खाली हो रहा है। दुकानों पे कर्ज़, मकानों पे कर्ज़। बस कर्ज़ ही कर्ज़। पंजाब की मौजूदा तस्वीर बहुत ही भयानक है। इस भयावह स्थिति को महसूस किया है सिविल लाईनज़ लुधियाना में स्थित खालसा कालेज फार विमेन ने। 
इस के बावजूद कालेज ने न तो किसी सरकार की आलोचना की और न ही किसी और को गालियां निकालीं। बस बहुत ही खामोशी से पुस्तक संस्कृति का एक मूक अभियान शुरू कर दिया। अब उम्मीद भी तो केवल पुस्तकों से ही बची है। इस कालेज की पंजाबी साहित्य सभा ने प्रस्ताव रखा और प्रिंसिपल डा. मुक्ति गिल ने स्वीकृति भी दे दी। साथ ही सहयोग का वायदा भी किया। पंजाबी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर परमजीत कौर पासी ने भी नाम सुझाया और प्रोफेसर रुपिंदरजीत कौर ने भी सक्रिय हो कर इस सारे अभियान समर्थन किया। परिणाम यादगारी एवं सुखद रहा। युवा पंजाबी शायर परम निमाणा पांच फरवरी 2020 को कालेज में थे। मकसद था पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देना। शायद पुस्तकों के शब्द दिल और दिमाग को सही रास्ते पर ला सकें।  
कुछ मिनटों के लिए परम् निमाणा ने मीडिया से भेंट की। पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया और फिर सीधा मंच पर आ गए जहां उनके साथ रूबरू का कार्यक्रम रखा गया था। हाल में थीं प्रिंसीपल मैम डा. मुक्ति गिल और उनका स्टाफ जिन्होंने औपचारिक जान पहचान करवाई। इसके तुरंत कार्यक्रम का बाकायदा शुभारम्भ हुआ।
युवा गीतकार परम निमाणा कभी अपनी ज़िंदगी की बातें कहानी की तरह बताते हैं और कभी गीत की तरह। कभी तरन्नुम में तो कभी यूं ही सादा किस्म की बातों के अंदाज़ में। वह बताते हैं स्ट्रगल के दौरान बहुत से अपमान भी झेले। एक बार कुछ आयोजकों ने पूरा दिन मंच के पीछे खड़ा करवाए रखा इस वायदे से कि अभी बुलवाते हैं आपको लेकिन कार्यक्रम समाप्त हो गया और उनकी बारी नहीं आई। निराशा शिखर पर थी। लेकिन  परम निमाणा ने सब्र का घूँट भर लिया। इसके कुछ ही दिनों बाद आया सुनहरी अवसर जब उन्हें बहुत बड़ा सम्मान मिला। तब उन्हें समझ आया कि प्रकृति ने उन्हें छोटे कार्यक्रम में अपमानित कराया और वहां उनकी बारी नहीं आई क्यूंकि  यहाँ मेरा नाम किसी बड़े आयोजन के लिए आरक्षित सा था। प्रकृति ने मेरे लिए कुछ बेहतर ही सोच। वह बताते हैं जिसको चाहा वह नहीं मिला तो अनुमान लगाओ मन कितने कठिन दौर से गुज़र रहा होगा। इस दौर को याद करते हुए उन्होंने सतिंदर सरताज साहिब की लोकप्रिय रचना इबादत को बार बार गुनगुनाया:
इबादत कर, इबादत करन ते ही गल्ल बणदी ए!
किसे दी अज्ज  बणदी ए किसे दी कल  बणदी ए!
अब इसे अंक ज्योतिष का कोई हिस्सा समझो या कुछ और लेकिन परम निमाणा की ज़िंदगी में अंक पांच का बहुत दखल है। ज़िंदगी की बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं किसी न किसी पांच तारीख को ही घटित हुईं। इस लिए अब वह हर महीने कम से कम पांच गीत अवश्य तैयार करते हैं। 
परम कहीं से भी बात शुरू करें और कहीं पर भी समाप्त करें लेकिन हर बात में वह पुस्तकों की बात अवश्य  करते हैं। वह बार बार ज़ोर देते हैं-पुस्तकों से प्रेम करो। पुस्तकें ज़रूर पढ़ो। कालेज की छात्राओं को भी उन्होंने बार बार सलाह दी कि शादी पर दहेज को इन्कार न करना बस इतनी सी शर्त रखना हमें पुस्तकों से भरी अलमारियां साथ दे दो। इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं घरों में पुस्तकों की अलमारियां ही अच्छी लगती हैं न की शराब की बोतलों से भरी अलमारियां। 
आज के गायकों और गीतकारों की बात करने पर वह कहते हैं मुझे किसी को कुछ नहीं कहना। सभी मुझसे बड़े हैं।  बहुत ज़ोर देने पर वह नए गायकों और गीतकारों को इतना ही कहते हैं यार मत करो नशे की बातें, मत करो हथियारों की बातें। पंजाब को बचा लो हम सभी का है यह पंजाब। गीत के मैयार पर चर्चा करते हुए परम निमाणा कहते हैं बस अपने लिखे या गाये गीत को सबसे पहले अपने परिवार में सभी के सामने गा के देख लो। सबने पसंद कर लिया तो बाकी समाज भी आपकी दाद देगा। बार बार उनका संदेश यही रहा-चढ़दी कला में रहो। सकारमात्मक सोचो। ऐसा  ही होगा।  कोई दुःख, कोई संकट आए तो समझो भगवान बहुत जल्द कुछ अच्छा देने वाले हैं। ज़िंदगी में कभी घबराना मत।  होता महसूस होता है तो उस समय प्रकृति ने कुछ और ही सोच रखा होता है कुछ बहुत अच्छा जो हमें तुरंत समझ नहीं आ पता। बस समय का कुछ अंतराल दे दो। अच्छे परिणाम बहुत जल्द सामने आएंगे। 
इस कार्यक्रम में छात्राओं ने सांस रोक कर परम निमाणा को सुना। बिलकुल आमने सामने।  बहुत से सवाल भी किये। कुल मिला कर यह एक यादगारी आयोजन रहा। जल्द मिलेंगे किसी ऐसी ही नई रिपोर्ट के साथ। इस आयोजन की तस्वीरें आप यहाँ क्लिक करके भी देख सकते हैं