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Friday, February 09, 2024

सिखों व मुसलामों की इतिहासिक सांझ एक अनमोल दस्तावेज

 Friday 9th February 2024 at 17:34 PM

डा. डीएन कोटनीस एक्यूपंचर अस्पताल में हुआ विमोचन 


लुधियाना: 9 फरवरी 2024: (शीबा सिंह//पंजाब स्क्रीन)::

आज डा. डीएन कोटनीस एक्यूपंचर अस्पताल सलेम टाबरी लुधियाना में प्रसिद्ध लेखक एवं सिखों व मुसलामों की इतिहासिक सांझ एक अनमोल दस्तावेज किया गया। जिसे तखत श्री पटना साहब से जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह, शाही इमाम पंजाब जनाब मुहम्मद उस्मान, गुरूद्वाना श्री दुख निवारण साहिब से मुखय सेवादार सरदार प्रितपाल सिंह पाली, एमएलए मदन लाल बगगा, एमएलए श्रीमति राजिंदर पाल कौर छिन्ना, पूर्व आईजी स. इकबाल सिंह गिल आईपीएस,, सरबत दा भल्ला से जसवंत सिंह छापा, डा. कोटनीस अस्पताल के डायरेक्टर डा. इंद्रजीत सिंह द्वारा अपने कर कमलों से किया गया। इस अवसर पर डा. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इस पुस्तक के साथ इंटरनेशल खयाति हासिल लेखक अली राजपुरा स्टेट अवार्डी ने पंजाबी साहित की अमीर विरासत में और वृद्दि की है। इससे पहले भी अली राजुपरा द्वारा लोक कथाओं का बादशाह कुलदीप माणक, कविशर जोगा सिंह जोगी, पंजाबी गायकी के सात समुंद्र, गदर इतिहास, कलप दीआं रूहां, मेर अंग संग, वड्‌डा घल्लुघारा, शहीदी साका आदि लिखी है जिन्हें पाठक वर्ग की ओर से भारी समर्थन मिल चुका है। मालूम रहे कि वड्‌डा घल्लुघारा शहीदी साका किताब शिरामणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी एसजीपीसी द्वारा प्रमाणित है। इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने कहा क अली राजपुरा की किताबों को शोधकर्ता स्टूडेंट अपने शोध स्टडी कामों के लिए इस्तेमाल करते है।

वक्ताओं ने कहा कि आज रिलीज की गई किताब सिखों व मुसलामों की इतिहासिक सांझ एक अनमोल दस्तावेज है। जिसकों लिखने के लए अली राजपुरा ने करीब चार साल शोध किया।

इस अवसर पर सरदार इकबाल सिंह गिल आईपीएस द्वारा दिए गए योगदान का विशेष उल्लेख किया गया।

इस अवसर पर शाही इमाम पंजाब मुहम्मद उस्मान ने कहा कि इस किताब में अली जी ने बेहद सुंदर शब्दों में सिख इतिहास में भाईचारिक सांझ को पाठकों व समूह संगत के सामने लाया गया है। इस किताब में श्री गुरू नासनक देव जी के जीवन काल से लेकर दशम पिता श्री गुरू गोबिंद सिंह जी तक का जिक्र किया गया। अली राजपुरा ने कहा कि मुझे सिखों व मुसलमानों किे आपी सांझ प्रेम के जो प्रमाण मिले उसे तथ्यों के आधार पर पेश करने की कोशिश की गई है। एमएलएज चौधरी मदन लाल बग्गा व राजिंदर पाल कौर छिन्ना ने कहा कि वह इस किताब के लिए युवा लेखक अली राजपुरा को अपनी शुभकामनाएं व बधाई देते है। 

गुरूद्वारा श्री दुख निवारण साहब के मुख्य सेवादार प्रितपाल सिंह पाली ने कहा कि अली राजुपरा सिख इतिहास के उन पक्षों को उजागर कर रहा है, जिनके बारे में वर्तमान समय में लिखा जाना जरूरी है। इस किताब में सिखों व मुसलमानों की आपसी सांझ का बहुत सुंदर ढंग से जिक्र किया गया है। 

सरबत दा भला के जसवंत सिंह छापा ने कहा कि वह अली राजपुरा को मुबारकबाद देते है तथा अरदास करते है कि वह यूं ही सिख कौम की सेवा करते रहे। 

समाजिक सुधार प्रमुख सरदार वरिंदर टिवाणा, केके बावा व कर्नल एचएस काहलों ने कहा कि यह किताब आपसी भाईचारे व समाजिक सद्भाव का संदेश देती है। इस अवसर पर फिल्म अदाकारा सरबजीत कौर मांगट, गगनदीप सिंह, गुरू साहब खालसा एड लुधियाना, लेखिका इंद्रजीत कौर, कवंल वालिया, अनत गिल, जगदीश सिडाना, डा. रघवीर सिंह, अश्वनी वर्मा, मनीष, गगन भाटिया, रेशम नत्त आदि उपस्थित रहे। 

इससे पहले अस्पताल की प्रबंधक कमेटी के जगदीश सिडाना, अश्वनी वर्मा, आनंद तायल ने मुख्य मेहमानों को फुलों के बुके देकर स्वागत किया गया।

Wednesday, January 31, 2024

अमृतपाल का नाम भंगड़े में गिन्नीज बुक आफॅ वर्ल्ड रिकार्ड में

Tuesday: 30th January 2024 at 2047  

लुधियाना के नौजवान ने दिखाया भंगड़ा में गज़ब का कमाल 

एलपीयू के डीन व भंगड़ा कोच ने गिन्नीज टीम से प्राप्त हुआ सर्टीफिकेट भी सौंपा


लुधियाना
: 30 जनवरी 2024: (मीडिया लिंक//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

पंजाब की संस्कृति को दर्शाता लोक नाच भंगड़ा आज भी विश्व भर में अपनी पहचान बनाए हुए है। भले ही युवा पश्चिमी कल्चर को अपना रहा हो लेकिन आज भी पंजाबी नौजवान भंगड़े को अपना कर न केवल ताल ठोक रहे है, बल्कि दुनिया में भी अपनी पंजाबी संस्कृति का लोहा मनवा रहे है। ऐसे ही लुधियाना के नौजवान आजाद नगर, दाना मंडी निवासी अमृतपाल सिंह (23) ने राज्य व लुधियाना का नाम पूरी दुनिया में रौशन किया है। 

अमृतपाल सिंह जो कि पंजाब की नामी युनिर्वसिटी लवली प्रोफेशनल युनिर्विसिटी फगवाड़ा का स्टूडेंट है और वहां की भंगड़ा टीम का भी सदस्य है  का नाम गिन्नीज बुक आफॅ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होने का गौरव हासिल हुआ है। अमृतपाल सिंह ने भंगडे की कोचिंग युनविर्सिटी में ही भंगडा कोच कमलप्रीत सिंह कलसी से हासिल की है। 

अमृतपाल सिंह के साथ भंगड़ा टीम के सात सदस्य है जो कि सभी लवली यूनिर्वसिटी के ही स्टूडेंट है । असल में गिन्नीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड द्वारा भंगडे़ पर एक इंवेट करवाया गया था जिसमें 4411 प्रतिभागियों ने इस भंगड़ा इवेंट में भाग लिया जोकि सबसे बड़ा भंगड़ा डांस इवेंट के रूप में चयनित किया गया। 

इस गौरव के लिए अमृतपाल सिंह व उसकी टीम के हर सदस्य का खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। आज यूनिवर्सिटी के डीन बलप्रीत सिंह व उनके कोच कमलप्रीत सिंह कलसी द्वारा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से भेजा गया सर्टीफिकेट अमृतपाल सिंह व उनके टीम के अन्य सदस्यों को सौंपा गया; जिसे पाकर अमृतपाल सिंह व टीम के सदस्यों का खुशी का ठिकाना नहीं है। अमृतपाल सिंह ने सर्टिफिकेट पाने पर यूनिवर्सिटी के चांसलर, डीन बलप्रीत सिंह व अपने कोच कमलप्रीत सिंह कलसी का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

मालूम हो कि अमृतपाल सिंह लगातार दो बार 26 जनवरी को राष्टीय गणतंत्र दिवस पर कर्त्वय पथ नई दिल्ली में भंगडे पर ताल ठोक चुका है तथा लगातार लुधियाना व देश का नाम ऊंचा करता आ रहा है। अब गिन्नीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी नाम दर्ज करवाकर उसने देश, पंजाब व लुधियाना के अलावा अपनी यूनिर्विसटी व माता पिता का नाम भी वर्ल्ड लेवल पर रौशन किया है। 

अमृतपाल सिंह के पिता रघबीर सिंह पेशे से एक्यूपंचर डाक्टर है व माता निर्मल कौर हाउस वाईफ के अलावा बड़ा भाई तजिंदर पाल सिंह कैनेडा में सैटल है तथा परिवार के सदस्य अमृतपाल सिंह की प्राप्ति पर बेहद खुश है।

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Thursday, April 13, 2023

श्री गुरु हरिकृष्ण साहिब चैरिटेबल हॉस्पिटल ट्रस्ट की एक और उपलब्धि

13th April 2023 at 6:30 PM 

खास लोगों की मौजूदगी में नए ऑपरेशन थिएटर का उद्घाटन 


लुधियाना:13 अप्रैल 2023: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

अंतरराष्ट्रीय सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस पी सिंह ओबेरॉय ने आज गुरु हरिकृष्ण साहिब चैरिटेबल हॉस्पिटल ट्रस्ट, अर्बन स्टेट, फोकल प्वाइंट, लुधियाना में भाई नरेंद्र सिंह ऑपरेशन थियेटर का उद्घाटन किया। इस मौके पर लुधियाना के पुलिस कमिश्नर डाॅ. मनदीप सिंह सिद्धू, पंजाबी लेखक सुरजीत पातर, स. जसवंत सिंह छापा, तथा स. इकबाल सिंह गिल की उपस्थिति में अस्पताल को एक अल्ट्रासाउंड मशीन दान की गई। इस मौके पर पुलिस कमिश्नर ने जहां ओबेरॉय साहब को जन्मदिन की बधाई दी वहीं उन्होंने केक भी काटा और उनका मुंह मीठा किया। उनके सम्मुख सम्बोधित करते हुए कहा एक कवि ने बहुत अच्छा लिखा है कि विश्व में कुछ ऐसे ऐतिहासिक क्षण आते हैं जिनमें मनुष्य के गर्भ से जन्म लेकर एक नया इतिहास रचा जाता है। आज न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मानवता की सेवा के लिए एस पी सिंह ओबेरॉय के प्रयासों के उदाहरण दिए गए हैं।आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि कोविड के समय में भी उन्होंने लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराया और विदेशों में फंसे पंजाब के लोगों को घर वापस लाया. उन्होंने समय-समय पर धर्मार्थ अस्पतालों को महंगी मशीनें देकर मानवता की सेवा में एक नई मिसाल पेश की है, जो आज कहीं देखने को नहीं मिलती। इस मौके पर एसपी सिंह ओबेरॉय ने सामाजिक संस्थाओं और प्रशासन को भरोसा दिलाया कि वे भी पंजाब को नशे के चंगुल से छुड़ाने में अपना पूरा सहयोग देंगे।इस मौके पर पद्मश्री सुरजीत पातर जी ने ओबेरॉय साहब को उनके जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा, ईश्वर आपको लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन प्रदान करें ताकि आपके सहयोग से हम पंजाब को महाराजा रणजीत सिंह के समय की ऊंचाइयों पर वापस ला सकें।इस मौके पर अस्पताल के चेयरमैन किरपाल सिंह, इकबाल सिंह गिल, अध्यक्ष गुरदेव सिंह, परमजीत सिंह महराज, जसवंत सिंह चप्पा, जसबीर सिंह (एसीपी) अमनदीप सिंह बराड़, अश्विनी छाबड़ा (एसएचओ), गुरप्रीत कौर (समन्वयक), सुखविंदर कौर, मनजीत कौर, दर्शन सिंह, वीरेंद्र सिंह, डॉ. इंद्रजीत सिंह (कोटनीस एक्यूपंक्चर अस्पताल), शरणपाल मक्कड़ (अध्यक्ष जिला योजना बोर्ड) विशेष रूप से उपस्थित थे। 

Tuesday, February 14, 2023

ना दवा-ना इंजेक्शन-ना सर्जिकल्स//केवल सुई द्वारा इलाज

Tuesday 14th February 2023 at 06:38 PM WhatsApp Dr. ISD

एक्युपंकचर की जादुई खूबियों के बारे में बताया डा. इंद्रजीत ढींगरा ने 

लुधियाना:14 फरवरी 2023:(डा. इंद्रजीत सिंह ढींगरा से हुई बातों पर आधारित//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::


मानव शरीर पर सुई लगाने की चीनी पद्धति को एक्यूपंचर कहा जाता है।
सन 1949 में  आज़ादी लेने के बाद एक्यूपंचर विधि पर चीनी डाक्टरों ने खोज करनी शुरू कर दी। आज ना सिर्फ़ चीन में बल्कि दुनिया का हर विकसित देश इस चिकित्सा को अपनाकर  पूर्ण रूप से मान्यता दे चुका है। 

भारत में एक्यूपंचर की शुरुआत सन 1958 में भारतीय मेडिकल मिशन, चाइना 1938 के एक सदस्य  डॉ विजय कुमार बासु ने कोलकाता से की थी। उन्होंने सन 1972 में डा. कोटनीस यादगारी कमेटी की स्थापना कर के इस इलाज को भारत में प्रचलित  करने के लिए कुछ नौजवान डॉक्टरों को भी सिखाना शुरू कर दिया जिस के सुखद परिणाम भी निकले। इस नेक उपलक्ष के चलते ही आज हमारे देश में लगभग हर राज्य में एक्यूपंचर केंद्र चल रहे हैं। 

उत्तरी भारत में एक्यूपंचर इलाज 1975 से पहला इंडोर हॉस्पिटल लुधियाने सलीम टाबरी में डॉक्टर इंद्र जीत सिंह ढींगरा चला रहे हैं। इस अस्पताल मे ना केवल पंजाब से बल्कि दूसरे प्रांतों से भी लोग आकर  अपना इलाज करवाते हैं ।

एक्यूपंचर इलाज वास्तव में मानव शरीर में जीवन शक्ति फोर्स के सिद्धांत पर आधारित है। यह जीवन शक्ति शरीर में 24 घंटे में एक किनारे से दूसरे किनारे तक  प्रवाहित रहती है। जब तक इस शक्ति का प्रभाव शरीर में संतुलित रहता है, तब तक शरीर रोग  मुक्त रहता है परंतु जब किसी बाहरी या आंतरिक परिवर्तन के कारण  जीवन शक्ति के बहाव का संतुलन बिगड़ जाता है तब शरीर में बीमारियों  पैदा होनी शुरू हो जाती हैं और दुष्परिणाम यह कि  मानव शरीर किसी न किसी रोग से ग्रस्त हो जाता है।

एक्यूपंचर डॉक्टरों की उच्च कोटि की सबसे बड़ी खासियत और उपलब्धि यह है कि शरीर में इस ट्रेप के ज़रिए इस असंतुलन अवस्था को पहली स्थिति में ही सफलता से काबू कर लिया जाता है ताकि बीमारी को आगे बढ़ने ही ना दिया जाए।

उनके अनुसार पहली हालत में बीमारी शरीर की अपनी जीवन शक्ति के साथ कई बार स्वतः ही ठीक हो जाती है क्योंकि हमारी जीवन शक्ति यांग  एंड यिन  मेरिडियन शक्ति के दो रास्तों द्वारा शरीर में चलती रहती है जहां पर यह जीवन शक्ति शरीर को स्वस्थ रखती है। साथ ही बहुत बड़ी बात यह भी की यांग  एंड यिन शरीर को बीमारियो  से बचाने के लिए भी सहायक सिद्ध होती है।

यह दोनों जीवन शक्तियां शरीर के हर् सैल और टीशु   में से लहरों के रूप में कुछ खास रास्तों से गुज़रती है जिनके चिन्ह शरीर  कें ऊपरी हिस्सों में पाए जाते हैं यह लहरें शरीर में 12 जोड़ी होती है जो शरीर के कोमल अंगों और उनके हिस्सों से संबंधित रहती है।

यह लहरें कुछ खास रास्तों से भी गुज़रती हैं जिसे मेरिडियंस के रूप में जानते हैं। इन मेरिडियन के ऊपर कुछ खास बिंदु होते हैं जिन्हें  एक्यूपंचर बिन्दु कहते हैं  ये जीवन शक्ति और हमारे शरीर के अंगों की क्रियाओं पर विशेष असर रखते हैं।

इस पद्धति की सफलता और खूबियों को देखते हुए इस चिकित्सा पद्धति को 1996 में पश्चिम बंगाल सरकार और  2017 में महाराष्ट्र सरकार ने पूर्ण मानता दी थी। 

भारत सरकार द्वारा भी फरवरी 2019 में इस चिकित्सा पद्धति को एक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता मिल चुकी है। 

जल्दी ही भारत में इसके विकास के लिए भारत सरकार द्वारा एक्यूपंक्चर मेडिकल कॉलेज स्थापित कर के डिग्री व डिप्लोमा भी  शुरू किए जाएंगे ताकि लोगों को अच्छी सेहत और पूर्ण तंदरुस्ती दी जा सके।

यह एक बहुत ही सुखद संयोग है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति को 1979 में मान्यता दी थी अब विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा 2025 तक पूरे विश्व में लोगों को अच्छी सेहत देने के लिए एक्यूपंचर का विकास करने का लक्ष्य रखा है।

गौरतलब है कि एक्यूपंक्चर अस्थमा, जोड़ों के दर्द, सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, चिंता, फ्रोजन शोल्डर, गठिया, फेफड़ों में संक्रमण, अनिद्रा, चेहरे का पक्षाघात, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया और कई गंभीर बीमारियों के इलाज में बहुत सफल साबित हुआ है, जिनका आधुनिक चिकित्सा में कोई स्थायी इलाज नहीं है।

एक्यूपंक्चर रोगग्रस्त व्यक्तियों के लिए सुरक्षित, किफायती, सफल और एक स्थायी चिकित्सा साबित हुआ है।

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Wednesday, December 28, 2022

डा. इंद्रजीत वर्ल्ड फैडरेशन ऑफ़ एक्यूपंचर के कार्यकारी सदस्य

बुधवार: 28 दिसंबर 2022 बाद दोपहर 01:55 बजे//Wednesday 28th December 2022 at 1:55 PM

इस चयन पर देश और दुनिया में ख़ुशी की लहर 


लुधियाना:28 दिसंबर 2022: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन):: 

साधना केवल जंगल में जा कर या ऊंचे पर्वतों की गुफाओं में बैठ कर ही तो नहीं होती। कर्मयोगी बन कर भी साधना की जाती है। संसार का त्याग  करने वाले लोग कहते हैं कि संसार तो एक सपना है इसके पीछे क्या भागना! लेकिन कर्मयोग की साधना करने वाले कहते हैं कि संसार सपना नहीं संसार तो अपना है इसे हमने ही संवारना है। कर्मयोग की साधना वाले हर कदम पर इस मकसद के लिए नई जंग लड़ने को भी तैयार रहते हैं। कई दशकों से इसी साधना में रत्त डाक्टर इंद्र जीत सिंह ढींगड़ा लगातार मेडिकल के क्षेत्र  में इस विद्या के नए नए करिश्मे दिखते आ रहे हैं। इनका फ़ायद बहुत से लोगों को हुआ है। 

आधुनिकता की आंधी में चीन की इस प्राचीन विद्या को जन जन तक पहुँचाना कोई आसान काम नहीं था लेकिन डाक्टर ढींगरा ने कई बार इस विद्या की सफलता को साबित किया। गंभीर गंभीर से बिमारियों का इलाज भी किया। असाध्य रोगों को ठीक कर के भी दिखाया। आज इसी वजह से दुनिया भर में डाक्टर ढींगरा का नाम बहुत ही गर्व और सम्मान से लिया जाता है। 

डॉ. द्वारका नाथ कोटनिस एक्यूपंक्चर हॉस्पिटल एंड एजुकेशन सेंटर के निदेशक डॉ. इंद्रजीत सिंह को 10वीं महासभा में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्यूपंक्चर_मोक्सीबस्टन सोसाइटीज की 10वीं कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में चुना गया है। यह चयन हम सभी के लिए गौरव की बात है। देश और दुनिया में इस चयन को लेकर ख़ुशी की लहर दौड़ रही है। 

इस चयन की जानकारी देते हुए डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से भारत में एक्यूपंक्चर अनुसंधान इकाई स्थापित करेंगे ताकि हम पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली एक्यूपंक्चर के माध्यम से 2023-2024 तक सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य के डब्ल्यूएचओ के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। 

अब देखना है स्थानीय समाजिक संगठन और अन्य लोग इस नेक काम में डाक्टर ढींगड़ा के साथ कितना सहयोग करने में सफल रहते हैं। 

Friday, November 25, 2022

डा. द्वारकानाथ कोटनिस की स्मृति में विशेष आयोजन 9 को

25th November 2022 at 04:42 PM

डॉ. कोटनीस एक्यूपंक्चर अस्पताल की तरफ से विशेष मैडिकल कैंप  

महान स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस को नमन करने आएंगे बहुत से लोग 


लुधियाना
: 25 नवंबर 2022: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन):: 

विदेशों में जा कर भी मानवता का धर्म निभाने वाले डा. द्वारकानाथ कोटनिस को नमन करने के लिए इस बार भी डॉ. कोटनीस एक्यूपंक्चर अस्पताल  सलेम टाबरी में विशेष आयोजन होगा। इस मकसद के लिए अस्पताल के डायरेक्टर डॉ इंद्रजीत सिंह और आई पी एस सरदार इकबाल सिंह गिल की अध्यक्षता में मीटिंग का आयोजन भी किया गया। डा. कोटनिस की 80वीं बरसी पर आयोजित हो रहे इस मैडिकल कैंप में बहुत सी गंभीर बिमारियों की जांच और इलाज की सुविधा सभी आने वालों को मिलेगी।  

पिछले महीने जन्मदिन के अवसर पर लगे कैंप की खबर आप यहां क्लिक कर के पढ़ सकते हैं  

अगले महीने दिसंबर महीने में  कैंप की घोषणा के अवसर पर डॉक्टर इंद्रजीत सिंह और सरदार इकबाल सिंह गिल ने जानकारी देते हुए बताया कि 9 दिसंबर को महान स्वतंत्रता सेनानी तथा मानवता की सेवा अतः हिंद चीन दोस्ती के प्रतीक डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनीस की 80 वी बरसी के उपलक्ष में दो दिन के  कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसी के उपलक्ष्य में समारोह के पहले दिन यानि 9 दिसंबर को संस्था के प्रधान डॉक्टर जी. एस. मक्कड़ की अध्यक्षता में मुफ्त एक्यूपंक्चर चिकित्सा कैंप लगाया जा रहा है। 

इस कैंप में हर तरह की बीमारियों के अलावा मुख्य रूप से कोविड-1 बीमारी के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए नई एक्यूपंक्चर तारीको से  जैसे, शरीर में दर्द होना, शरीर में कमजोरी महसूस करना, नींद ना आना, दमा,  फेफड़ों की सभी समस्याओं, जोड़ों का दर्द, पुरानी, पेचीदा बीमारियों का इलाज जैसे कमर में दर्द, साइटिका, स्पोंडिलाइटिस, अधरंग/लकवा, पुराना नजला, मिर्गी दिमागी कमजोरी, माइग्रेन, सिर दर्द, मुंह का लकवा, नाक, कान, गला, लीवर संबंधी समस्याओं का इलाज भारत की प्रसिद्ध एक्यूपंचर माहिर डॉक्टरों द्वारा पूरी जांच के बाद किया जाएगा।  

डॉक्टर इंद्रजीत सिंह ने कहा कि एक्यूपंचर एक रिवायती प्रसिद्ध कुदरती इलाज है। जिसमें रोगी को किसी तरह की दवाई इंजेक्शन नहीं लेना पड़ता बल्कि हर प्रकार के रोगों के लिए बिना दवाई से, बिना सर्जरी, बिना दर्द राहत इलाज एक्यूपंचर से संभव है। 

आज पंजाब में नौजवान पीढ़ी नशों से ग्रस्त हो चुकी है। उसको नशों से बाहर निकालने के लिए एक्यूपंचर चिकित्सा काफी लाभदायक सिद्ध हो रही है। यह कैंप सुबह 10:00 बजे से शुरू होकर शाम 3:00 बजे तक सलेम टाबरी स्थित डॉक्टर कोटनीस मेमोरियल एक्युपंचर हॉस्पिटल में लगाया जायेगा। जिसमें हर प्रकार के व्यक्ति का उपचार एक्यूपंचर विधि द्वारा किया जाएगा। डॉ धींगरा ने बताया कि आज एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में बहुत विस्तार हुआ है। परंतु लोगों को अच्छी सेहत मुहैया करवाने में भी पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली। 

आज ना सिर्फ भारत सरकार बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी रिवायती चिकित्सा पद्धतियों जैसे कि आयुर्वेदिक एक्यूपंचर  होम्योपैथिक योगा द्वारा लोगों को अच्छी सेहत मुहैया कराई जा सकती है। जिसके लिए सरकार के प्रति विश्व स्वास्थ संगठन ने एक काफी समय के बाद प्रोग्राम रखा है जिसमें 2023 से 2024 तक सबको अच्छी सेहत मुहैया  करवाने के लिए हम सभी भी वचनबद्ध है। 

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Sunday, October 09, 2022

डॉ. कोटनिस एक्यूपंक्चर अस्पताल द्वारा चिकित्सा शिविर

 9 अक्टूबर 2022 अपराह्न 04:15 बजे

महान अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी द्वारकानाथ कोटनिस की स्मृति में आयोजित शिविर

लुधियाना: 9 अक्टूबर 2022: (संजय//पंजाब स्क्रीन)::

भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट का फोटो

महान अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी द्वारकानाथ कोटनिस की स्मृति में डॉ. कोटनिस अस्पताल के प्रबंधन द्वारा एक विशेष चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया, जिसका लाभ लेने के लिए जरूरतमंद लोग इस शिविर में पहुंचे। उन सभी की गहनता से जांच की गई। 
गौरतलब है कि 10 अक्टूबर को पूरी दुनिया में डॉ. कोटनिस का जन्मदिन मनाया जाता है। डॉ. कोटनिस का जन्म 10 अक्टूबर 2022 को मुंबई के पास स्थित शोलापुर में एक मराठी परिवार में हुआ था। डॉ. कोटनिस की मानवीय भावना और समर्पण ने एक नया इतिहास रचा जो न केवल चीन और भारत के संबंधों को मजबूत करता है बल्कि पूरी दुनिया को एक शक्तिशाली संदेश भी भेजता है। उस महान चिकित्सक को आज भी लोग याद करते हैं। जब 9 दिसंबर, 1942 को डॉ. कोटनिस की मृत्यु हुई, तो इस चिकित्सा कर्तव्य पथ पर चलते हुए मौत को गले लगाने वाले डाक्टर कोटनिस के देहांत पर शोक व्यक्त करने वालों में पीपुल्स चाइना के संस्थापक माओ त्से-तुंग भी शामिल थे। इस मौत के दुखद अवसर पर चीनी जनता और चीनी सेना ने गहरा दुख जताया था। इस महान चिकित्सक का एक महान इतिहास रहा है। इस मेडिकल शिविर के माध्यम से उस महान चिकित्सक को श्रद्धांजलि दी गई है। यह कैंप उस महान शख्सियत को याद करने का एक बहुत अच्छा तरीका है। आज के लोगों को उस महान डाक्टर की याद दिलाना ज़रूरी भी है। सालेम तबरी के इलाके पीरू बंदा में श्री गुरु रविदास धर्मशाला में इस नि:शुल्क चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा जांच शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने भाग लिया और लोगों के स्वास्थ्य की जांच की। इस शिविर में 135 मरीजों की जांच की गई और जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क दवाएं भी वितरित की गईं।

शिविर का उद्घाटन श्री राम किशन अध्यक्ष धर्मशाला और बलबीर चंद अध्यक्ष अशोक मादी, सुरिंदर हीरो, सतपाल महमी ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री राम कृष्णजी ने कहा कि डॉ. कोटनिस ने 1942 में मानवता की सेवा की थी। मैंने दिन-रात उन लोगों की सेवा की जो हमारे पड़ोसी मित्र चीन में स्वतंत्रता संग्राम में भाग ले रहे थे। इसलिए उसकी वहीं मौत हो गई।

आज 80 साल बाद भी चीनी सरकार, चीन के लोग इस महान भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ की याद में चीन में हमारे भारतीय डॉक्टरों की याद में सिर झुकाते हैं। भारतीय डॉक्टर की याद में न केवल अस्पताल चलाया जा रहा है, बल्कि चीन युद्ध स्मारक पर उनकी याद में एक ठुमका भी लगाया गया है। आज पूरी दुनिया के लोगों को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए दुनिया भर के डॉक्टरों को डॉ. कोटिन्स के बताए रास्ते पर चलना चाहिए। हर गली में इस तरह के कैंप लगाने की जरूरत है।

इस कैंप में डॉ. नेहा ढींगरा, डॉ. रघुवीर सिंह, डॉ. डेंटल डॉ. ऋतिक चावला ने चेकअप कर मरीजों का इलाज किया। उन्होंने रोगों से बचने के विभिन्न उपायों की जानकारी देते हुए कहा कि दंत रोग के कारण विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं, जिनमें पेट के रोग और मसूढ़ों के रोग प्रसिद्ध हैं।

डॉ. नेहा पहले भी कोविड जैसी महामारी से लड़ते हुए अपना बचाव करने में सफलता से निकल चुकी हैं, लेकिन फिर भी ऐसे कई लक्षण थे जो कोविड के पाए गए, जिनमें कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, जोड़ों में दर्द, नींद न आना शामिल हैं, जिससे कमजोरी जैसे लक्षण सामने आने लगे। .

इलाज के दौरान पाया गया कि ऐसे मरीजों को अभी भी इलाज की जरूरत है, जिसके लिए हम आगे भी ऐसे कैंप लगाते रहेंगे, इस कैंप में मनीषा ने लोगों को नशा और नशा करने वालों जैसी बीमारियों से दूर रहने की सीख दी. पंजाब के लोगों को नशा मुक्त बनाने के लिए कोटनिस अस्पताल में नि:शुल्क इलाज किया जाता है। इस शिविर में मुख्य रूप से ODIC प्रभारी मनीषा, गगनदीप कुमार, रितु, अमन, मीनू शर्मा आदि ने अपना विशेष योगदान दिया। 

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