Tuesday, February 14, 2023

ना दवा-ना इंजेक्शन-ना सर्जिकल्स//केवल सुई द्वारा इलाज

Tuesday 14th February 2023 at 06:38 PM WhatsApp Dr. ISD

एक्युपंकचर की जादुई खूबियों के बारे में बताया डा. इंद्रजीत ढींगरा ने 

लुधियाना:14 फरवरी 2023:(डा. इंद्रजीत सिंह ढींगरा से हुई बातों पर आधारित//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::


मानव शरीर पर सुई लगाने की चीनी पद्धति को एक्यूपंचर कहा जाता है।
सन 1949 में  आज़ादी लेने के बाद एक्यूपंचर विधि पर चीनी डाक्टरों ने खोज करनी शुरू कर दी। आज ना सिर्फ़ चीन में बल्कि दुनिया का हर विकसित देश इस चिकित्सा को अपनाकर  पूर्ण रूप से मान्यता दे चुका है। 

भारत में एक्यूपंचर की शुरुआत सन 1958 में भारतीय मेडिकल मिशन, चाइना 1938 के एक सदस्य  डॉ विजय कुमार बासु ने कोलकाता से की थी। उन्होंने सन 1972 में डा. कोटनीस यादगारी कमेटी की स्थापना कर के इस इलाज को भारत में प्रचलित  करने के लिए कुछ नौजवान डॉक्टरों को भी सिखाना शुरू कर दिया जिस के सुखद परिणाम भी निकले। इस नेक उपलक्ष के चलते ही आज हमारे देश में लगभग हर राज्य में एक्यूपंचर केंद्र चल रहे हैं। 

उत्तरी भारत में एक्यूपंचर इलाज 1975 से पहला इंडोर हॉस्पिटल लुधियाने सलीम टाबरी में डॉक्टर इंद्र जीत सिंह ढींगरा चला रहे हैं। इस अस्पताल मे ना केवल पंजाब से बल्कि दूसरे प्रांतों से भी लोग आकर  अपना इलाज करवाते हैं ।

एक्यूपंचर इलाज वास्तव में मानव शरीर में जीवन शक्ति फोर्स के सिद्धांत पर आधारित है। यह जीवन शक्ति शरीर में 24 घंटे में एक किनारे से दूसरे किनारे तक  प्रवाहित रहती है। जब तक इस शक्ति का प्रभाव शरीर में संतुलित रहता है, तब तक शरीर रोग  मुक्त रहता है परंतु जब किसी बाहरी या आंतरिक परिवर्तन के कारण  जीवन शक्ति के बहाव का संतुलन बिगड़ जाता है तब शरीर में बीमारियों  पैदा होनी शुरू हो जाती हैं और दुष्परिणाम यह कि  मानव शरीर किसी न किसी रोग से ग्रस्त हो जाता है।

एक्यूपंचर डॉक्टरों की उच्च कोटि की सबसे बड़ी खासियत और उपलब्धि यह है कि शरीर में इस ट्रेप के ज़रिए इस असंतुलन अवस्था को पहली स्थिति में ही सफलता से काबू कर लिया जाता है ताकि बीमारी को आगे बढ़ने ही ना दिया जाए।

उनके अनुसार पहली हालत में बीमारी शरीर की अपनी जीवन शक्ति के साथ कई बार स्वतः ही ठीक हो जाती है क्योंकि हमारी जीवन शक्ति यांग  एंड यिन  मेरिडियन शक्ति के दो रास्तों द्वारा शरीर में चलती रहती है जहां पर यह जीवन शक्ति शरीर को स्वस्थ रखती है। साथ ही बहुत बड़ी बात यह भी की यांग  एंड यिन शरीर को बीमारियो  से बचाने के लिए भी सहायक सिद्ध होती है।

यह दोनों जीवन शक्तियां शरीर के हर् सैल और टीशु   में से लहरों के रूप में कुछ खास रास्तों से गुज़रती है जिनके चिन्ह शरीर  कें ऊपरी हिस्सों में पाए जाते हैं यह लहरें शरीर में 12 जोड़ी होती है जो शरीर के कोमल अंगों और उनके हिस्सों से संबंधित रहती है।

यह लहरें कुछ खास रास्तों से भी गुज़रती हैं जिसे मेरिडियंस के रूप में जानते हैं। इन मेरिडियन के ऊपर कुछ खास बिंदु होते हैं जिन्हें  एक्यूपंचर बिन्दु कहते हैं  ये जीवन शक्ति और हमारे शरीर के अंगों की क्रियाओं पर विशेष असर रखते हैं।

इस पद्धति की सफलता और खूबियों को देखते हुए इस चिकित्सा पद्धति को 1996 में पश्चिम बंगाल सरकार और  2017 में महाराष्ट्र सरकार ने पूर्ण मानता दी थी। 

भारत सरकार द्वारा भी फरवरी 2019 में इस चिकित्सा पद्धति को एक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता मिल चुकी है। 

जल्दी ही भारत में इसके विकास के लिए भारत सरकार द्वारा एक्यूपंक्चर मेडिकल कॉलेज स्थापित कर के डिग्री व डिप्लोमा भी  शुरू किए जाएंगे ताकि लोगों को अच्छी सेहत और पूर्ण तंदरुस्ती दी जा सके।

यह एक बहुत ही सुखद संयोग है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति को 1979 में मान्यता दी थी अब विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा 2025 तक पूरे विश्व में लोगों को अच्छी सेहत देने के लिए एक्यूपंचर का विकास करने का लक्ष्य रखा है।

गौरतलब है कि एक्यूपंक्चर अस्थमा, जोड़ों के दर्द, सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, चिंता, फ्रोजन शोल्डर, गठिया, फेफड़ों में संक्रमण, अनिद्रा, चेहरे का पक्षाघात, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया और कई गंभीर बीमारियों के इलाज में बहुत सफल साबित हुआ है, जिनका आधुनिक चिकित्सा में कोई स्थायी इलाज नहीं है।

एक्यूपंक्चर रोगग्रस्त व्यक्तियों के लिए सुरक्षित, किफायती, सफल और एक स्थायी चिकित्सा साबित हुआ है।

निरंतर सामाजिक चेतना और जनहित ब्लॉग मीडिया में योगदान दें। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने या कभी-कभी इस शुभ कार्य के लिए आप जो भी राशि खर्च कर सकते हैं, उसे अवश्य ही खर्च करना चाहिए। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आसानी से कर सकते हैं।

No comments: