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Saturday, September 05, 2015

गुरु बिना ज्ञान न होत है//जसप्रीत कौर " फ़लक "

 हमारे आचार्य, गुरु, अध्यापक दीपक की तरह जल कर हमारा जीवन रौशन और उज्ज्वल कर देते हैं।
जसप्रीत कौर फलक बहुत ही अच्छी शायरा हैं। उर्दू, हिंदी और पंजाबी के रंगों का सुमेल करके जब वह अपने अलग से अंदाज़ में आशयर कहती हैं तो हाल उनकी शायरी में मग्न हो जाता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्होंने अपने उस गुरु, उस अध्यापक को याद किया है जिस ने उन्हें बनाने में अपनी ज़िंदगी लगा दी।  आज के कारोबारी युग में लोगों को वही शिक्षक याद आ पाते हैं जिन्होंने शिक्षा को कभी व्यापार कभी नहीं समझा था। प्रस्तुत हैं फलक जी की कुछ पंक्तियाँ। 
           -रेक्टर कथूरिया 
जसप्रीत कौर फलक कहती हैं:-
हे गुरु, अध्यापक,शिक्षक,आचार्य आपको प्रणाम। 

आज पाँच सितम्बर हैं यानि शिक्षक दिवस। 

आज हम सभी ऊन अध्यापकों, गुरुओं और शिक्षकों को बधाईयां देते हैं।  

याद करते हैं जिन्होने हमारे जीवन दर्शन में कहीँ न कहीँ हमें गहरी तरह प्रभावित किया है। 

गुरु को ईशवर से अधिक महत्व प्राप्त है। 

आज शिक्षक दिवस के मौके पर अपने बचपन से लेकर आज तक के सफ़र पर नज़र डालूं तो उस पावन नाते को मैं किसी न किसी रूप में स्वीकार कर लेती हूँ। जहाँ कभी माता-पिता ,भाई-बहन,अध्यापक, दोस्त,कभी पति तो कभी बच्चे गुरु बनकर मेरे सम्मुख खड़े होते है और कॊई न कॊई सीख मुझे उनसे प्राप्त हो जाती है।  हमारे आचार्य, गुरु, अध्यापक दीपक की तरह जल कर हमारा जीवन रौशन और उज्ज्वल कर देते हैं। किसी ने ठीक कहा है - गुरु बिना ज्ञान न होत है। 

         जसप्रीत कौर " फ़लक " 
                        लुधियाना.


Thursday, September 03, 2015

"वेंडर" बन कर घुसे "लुटेरों" ने की एसी कोच में लूट

राष्ट्रपति अवार्ड लेने दिल्ली आ रही प्रिंसिपल से ट्रेन में लूट
लुधियाना: 3 सितम्बर 2015: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)
न सुरक्षा बलों की संख्या कम है और न ही सुरक्षा प्रबंधों के लिए बने तंत्र की। इसके बावजूद आम नागरिक असुरक्षित है। नई वारदात हुई है एक ट्रेन के ए सी कोच म इन एक महिला प्रिंसिपल के साथ जो राष्ट्रपति एवार्ड लेने के लिए दिल्ली जा रही थी। मीडिया दृष्टि ने यह सारा मामला रखा है सोशल मीडिया पर। 
शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति पुरस्कार लेने दिल्ली जा रही एक स्कूल की प्रिंसिपल की जान पर बन आई। प्रिंसिपल ट्रेन के एसी कोच में यात्रा कर रही थी. रास्ते में बदमाशों ने ट्रेन में धावा बोलकर उन्हें लूट लिया।  घटना से पहले बदमाशों ने नशीला स्प्रे इस्तेमाल किया था। 

ग्वालियर के केंद्रीय विद्यालय न.2 में रेखा सक्सेना प्रिंसिपल के तौर पर तैनात हैं। उनका चयन राष्ट्रपति मैडल के लिए हुआ है। उसी मैडल को लेने के लिए रेखा समता एक्सप्रेस ट्रेन से दिल्ली जा रही थी। वह ट्रेन के एसी-1 कोच में यात्रा कर रही थी। दिल्ली से पहले ही अज्ञात बदमाश वेंडर बनकर ट्रेन के कोच में आ गए और कोच में नशीला स्प्रे कर दिया। उसके बाद उन्होंने रेखा सक्सेना समेत अन्य यात्रियों से लूटपाट की। प्रिंसिपल रेखा से बदमाशों ने 50 हजार रूपए और पर्स में रखा सामान लूट लिया।
नशीले स्प्रे की वजह से रेखा सक्सेना की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के मूलचंद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जीआरपी ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। अभी तक बदमाशों का कोई सुराग नहीं लग पाया है।

Friday, September 06, 2013

राष्‍ट्रपति ने 336 शिक्षकों को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया

05-सितम्बर-2013 19:02 IST
शिक्षकों से कहा भारत को अगले स्‍वर्ण युग में ले जाने के लिए दृढ़ रहें
इस ऐतिहासिक सम्मान को प्राप्त करती चंडीगढ़ की सुश्री उपदेश कौर    (फोट:पीआईबी )
नई दिल्ली: 5 सितम्बर 2013: (पीआईबी): राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने 336 शिक्षकों को उनके उल्‍लेखनीय योगदान के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया। आज नई दिल्ली में शिक्षक दिवस के अवसर पर एक समारोह में उन्‍होंने शिक्षकों से कहा कि वे भारत को अगले स्‍वर्ण युग में ले जाने के लिए दृढ़ रहें। राष्‍ट्र निर्माण में शि‍क्षकों की भूमिका स्‍व‍ीकार करते हुए उन्‍होंने ऐसी शिक्षा व्‍यवस्‍था की जरूरत पर जोर दिया जिसमें बच्‍चे पूछताछ की भावना, सहिष्‍णुता और स्‍व‍स्‍थ वाद-विवाद की क्षमता विकसित कर सकें। उन्‍होंने कहा कि ठोस शिक्षा प्रणाली विकास का अधिकार है। ज्ञान के क्षेत्र में देश के गौरवपूर्ण अतीत याद दिलाते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत की ऐसी स्थिति इसलिए थी क्‍योंकि समाज में शिक्षकों को आदर दिया जाता था। राष्‍ट्रपति ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए कहा कि लड़कियों को शिक्षा देने से मना करना सबसे दुखद पहलू है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारा लक्ष्‍य 'सबके लिए ज्ञान और ज्ञान के लिए सभी' होना चाहिए। 

इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री डॉक्‍टर एमएम पल्‍लम राजू कहा कि योग्‍यता सम्‍पन्‍न शिक्षकों की भर्ती, शिक्षा क्षेत्र में प्रतिभा सम्‍पन्‍न लोगों को लाने तथा स्‍कूलों और कॉलेजों में शिक्षा के स्‍तर को सुधारने के मकसद से शिक्षकों तथा शिक्षण पर राष्‍ट्रीय मिशन की शुरूआत शीघ्र की जाएगी। राष्‍ट्रीय मिशन में शिक्षकों का पेशेवर कैडर बनाया जाएगा, उनके प्रदर्शन का मानक तैयार होगा तथा उनके पेशेवर विकास के लिए श्रेष्‍ठ संस्‍थागत सुविधाएं दी जाएगी। 

मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री श्री जितीन प्रसाद ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान की सफलता से माध्‍यमिक शिक्षा की मांग बढ़ी है। शिक्षा को सर्वाधिक मूल्‍यवान प्राकृतिक संसाधन मानते हुए उन्‍होंने कहा कि सरकार सभी बच्‍चों को शिक्षा देने के लिए कृत संकल्‍प है। मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री डॉ शशि थरूर ने याद दिलाया की वर्तमान राष्‍ट्रपति ने पहले मंत्री रहते हुए शिक्षा क्षेत्र को भरपूर समर्थन दिया था। समारोह में 177 प्राइमरी शिक्षकों तथा 140 माध्‍यमिक शिक्षकों को सम्‍मानित किया गया। इस अवसर पर संस्‍कृत के 6 शि‍क्षकों तथा 4 मदरसा शिक्षकों को भी सम्‍मानित किया गया। 

देश के दूसरे राष्‍ट्रपति डॉ एस राधाकृष्‍णन का जन्‍म दिवस 5 सितम्‍बर देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ एस राधाकृष्‍णन महान विद्वान और दार्शनिक थे। शिक्षकों को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित करने का प्रचलन 1958 से शुरू हुआ और इसका उद्देश्‍य शिक्षकों के सम्‍मान को बढ़ाना था। प्रत्‍येक पुरस्‍कार के तहत एक प्रमाण-पत्र, एक रजत पदक तथा 25 हजार रूपये नकद दिये जाते है। (PIB)

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Thursday, September 05, 2013

शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार

05-सितम्बर-2013 17:02 ISTराष्‍ट्रपति ने किया पुरस्कार से सम्‍मानित किया 
माननीय राष्ट्रपति के हाथों इस गौरवशाली पुरस्कार को प्राप्त करती  हुई चंडीगढ़  सुश्री उपदेश कौर  (PIB)
नई दिल्ली: 5 सितंबर 2013: (पीआईबी): राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में देशभर के चयनित शिक्षकों को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया। 
इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि ठोस शिक्षा प्रणाली प्रबुद्ध समाज की रीढ़ है। उन्‍होंने कहा कि शिक्षा वह आधार है, जिस पर प्रगति‍शील और लोकतांत्रिक समाज खड़ा होता है और जहां कानून का शासन चलता है और समाज के लोग एक दूसरे के अधिकारों को सम्‍मान देते हैं। 

श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विकास का अर्थ लोगों से है, लोगों के मूल्‍यों से तथा सांस्‍कृतिक विरासत के प्रति आस्‍था से है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि मूल्‍यों को आकार देने के लिए शिक्षा की भूमिका महत्‍वपूर्ण होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि नैतिक क्षितिज बढ़ाने के लिए शिक्षकों की भूमिका अति महत्‍वपूर्ण है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि युवाओं में सभ्‍यता से उपजे मूल्‍य भरना शिक्षकों का दायित्‍व है। 

राष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्‍ता की लगातार समीक्षा के लिए हमें एक प्रणाली विकसित करनी होगी। हमारे शैक्षणिक संस्‍थानों में ऐसे शिक्षक हैं, जो युवाओं के विचारों को नया रूप से दे सकते हैं। शब्‍दों और कर्मों के जरिए ऐसे शिक्षक विद्यार्थियों को प्रेरित करने के साथ-साथ उन्‍हें कार्य कुशलता और सोच के नये स्‍तर पर ले जा सकते हैं। 

इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एम एम पल्‍लम राजू, मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री श्री जितीन प्रसाद और मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री डॉ. शशि थरूर भी उपस्थित थे।(PIB)

वि.कासोटिया/गांधी/तारा – 6033

टीचर्स डे के उपलक्ष्य में एक कलाकार की श्रद्धा

Wed, Sep 4, 2013 at 9:18 PM
मीनिएचर आर्टिस्ट ने अपने ही अंदाज में पेश की श्रद्धा
अमृतसर: 4 सितम्बर 2013:(गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन): अध्यापक दिवस आज भी श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। स्वार्थ और शुद्ध कारोबारी नजरिये के इस दौर में भी अभी बहुत से लोग हैं जो अपने शिष्य को प्राचीन काल के गुरु की तरह ही पढ़ते हैं। बहुत से शिष्य भी हैं जो अपने अध्यापक को केवल एक टीचर नहीं बल्कि गुरु की तरह ही सम्मान देते हैं। इसकी ताज़ा मिसाल मिली अमृतसर में जहाँ हमारी मुलाक़ात हुई हरविन्द्र सिंह से। हरविन्द्र सिंह ने टीचर्स डे के मौके पर हर छात्र की तरह अपने गुरु को अपने ही अंदाज में श्रद्धा सुमन अर्पित किये हैं। अमृतसर के मीनिएचर आर्टिस्ट डा. हरविंदर सिंह ने अपने अपने ही विलक्ष्ण अंदाज में अपने गुरुओं को नमन किया। गुरु और चेले का समाज में अपना अलग स्थान है। आज टीचर्स डे के मौके पर हर छात्र अपने गुरु को अपने ही अंदाज में श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं। इस बीच अमृतसर के मीनिएचर आर्टिस्ट डा. हरविंदर सिंह ने भी अपने ही अंदाज में अपने गुरुओं को नमन किया है। उन्होंने बताया, कि अध्यापक दिवस पर वह अपने अध्यापक को श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने करीब सौ पेंसिलों पर अपनी श्रद्धा को उकेर दिया। इन पेंसिलों की सहायता और संयोजन से उन्होंने बहुत ही आकर्षक कलाकृतियां बने हैं जिनकी एक झलक हम यहाँ भी प्र्स्त्गुत कर रहे हैं। 

Wednesday, August 28, 2013

459 सीनियर सैकेण्डरी स्कूल प्रिसिपलों से वचिंत

Wed, Aug 28, 2013 at 6:05 PM
एक-एक प्रिसिंपल को 4-4 स्कूलों का प्रबंध देकर समय निकाला जा रहा है
चंडीगढ़ : 28 अगस्त 2013: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): गवर्नमेंट स्कूल हेडमास्टर ऐसोसिएशन ने सरकार के पक्षपाती व्यवहार से तंग आकर अब लोकतंत्र के चौथे स्तभं प्रैस के समक्ष अपना दुःख रखा है। नियमों की आड़ में हो रही धाधली के विरोध में सरकार की बदनीति को लोगों तक पहुंचाने के लिए अब संगठन ने प्रैस का सहारा लिया है। पिछले पांच वर्षों से अपनी तरक्कीयों के संबंध में सरकार को 500 से अधिक मांग पत्र दे चुके हेडमास्टारों ने बताया कि तरक्की के संबंध में गलत नीति होने के कारण 459 सीनियर सैकेण्डरी स्कूल प्रिसिपलों से वचिंत हैं और एक-एक प्रिसिंपल को 4-4 स्कूलों को प्रबंध देकर समय निकाला जा रहा है। यहां पर यह जिक्र योग है कि इन स्कूलों में पढऩे वाले अढ़ाई लाख छात्रों का भविश्य खतरे में है।
गौरतलब है कि वर्ष 1997-98 और 2005 में सरकार तजुर्बे में छूट देकर प्रिसिंपल लगा चुकी है, गवर्नमेंट स्कूल हेडमास्टर एसोसिएषन ने मांग की थी कि सरकार के पत्र नं. २१२२-ष्ठस्त्रस्-६३/३८११८ दिनांक 27/11/1964 के अनुसार लोकहित में नियमों में ढील देकर प्रिसिंपल की तरक्कीयां की जायें। इस उपरान्त सिविल रिट पटीशन 6444 ऑफ 2009 में मानयोग पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से सरकार को तुजुर्बे में ढील देने के लिए दिषा निर्देष भी दिये गये थे। परन्तु सरकार ने इसकी तरफ कोई ध्यान नही दिया।
वास्तव में 2004 के एक्ट में हेडमास्टर और लेक्चरार से पी.ई.एस. ग्रुप-ए की तरक्कीयों के लिए 7 साल का तुजुर्बा रखा गया है जो कि मुख्याध्यापकों के लिए बिल्कुल तर्कहीन शर्त  है। क्योंकि मुख्याध्यापक लगने के लिए लैक्चरर और अध्यापक के लिए 7 साल का तुजुर्बा जरूरी है। नियमों की कमजोरी के कारण गैर प्रबंधकीय तुजुर्बे वाले लैक्चररों को सीधा प्रिसिंपल और जिला शिक्षा अधिकारी, ए.डी.पी.आई. इत्यादि ऊंचे पदों पर लगा दिया जाता है। परन्तु मुख्याध्यापक पर और सात साल प्रबंधकीय तुजुर्बे की षर्त लगा दी गई है जो कि पी.पी.एस.सी. के नियमों के खिलाफ है और तर्क संगत नही है। क्योंकि पी.पी.एस.सी. पी.ई.एस. ग्रुप ए की भर्ती के लिए 3 साल के स्कूल प्रबंध का तुजुर्बा  लाजमी रखती है। जबकि लैक्चरर को कोई प्रबंधकीय तुजुर्बा नही होता। खुद सरकार ने एक जनहित याचिका न. 19400 आफ 2012  के उत्तर में माना है कि प्रिसिंपल का पद प्रषासकिय व प्रबंधकीय है और इस पद से जिला षिक्षा अधिकारी, ए.डी.पी.आई. और प्रिसिंपल डाईट के तौर पर विभाग में अहम प्रषासकिय कार्य सभालते है। परन्तु इस सटेटमेंट के बावजूद भी प्रषासकिय तुजुर्बे वाले मुख्याध्यापिकों को नजऱ अंदाज करके बिना प्रषासकिय तुजुर्बे वाले लेक्चररों को लगातार प्रिसिंपल की तरक्कीयां दी जा रही हैं।
एसोसिएषन सरकार से मांग करती है कि सीनियर सैकेण्डरी स्कूलो का प्रबंध योग्य हाथों में देने के लिए केन्द्र और दूसरों राज्यों की तरह लैक्चररों को पहले वाईस प्रिसिंपल की पोस्ट पर तैनात किया जाये ताकि वो भी प्रबंधन एवं वित्तीय डयूटियों के बारे में सरकारी नियमों से अवगत हो सकें और तुजुर्बा हासिल कर सकें। इसके उपरान्त पी.पी.एस.सी. के नियमों के अनुसार तीन साल के प्रबंधकीय तुजुर्बे के बाद ही पी.ई.एस. ग्रुप ए में तरक्कीयां की जायें।  प्रिसिपल की 459 असामियां जो कि मुख्याध्यापक के कोटे की हैं को तुरन्त भरा जाये, लेक्चरर से प्रिसिंपल बनाने के लिए निर्धारित 70 प्रतिषत कोटा खत्म किया जाये क्योंकि इस व्यवस्था में लेक्चरर के पास कोई भी प्रबंधकीय तुजुर्बा नहीं है। माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के डबल बेंच के निर्णय जो कि सिविल रिट पटीशन न. 9715 आफ 2005 दिनांक 18/10/2005 में दिये नियम 1941 सब नियम 3,4,5 अनुसार मुख्याध्यापक का कोटा सुरक्षित रखकर वर्श 2011 में मांगें गये प्रिसिंपल की तरक्की के केसों की डी.पी.सी. करवाई जाये। दिनांक 23/07/2013 को डी.पी.आई. (सैकेण्डरी षिक्षा) के दफतर के समक्ष एवं दिनांक 09/08/2013 को टीचर होम बठिंडा में उपरोक्त मांगों के संबंध में मुख्याध्यापकों द्वारा भारी मात्रा में एकत्रता की गई और सरकार से इन मांगों को मानने के लिए अनुरोध किया गया।