05-सितम्बर-2013 19:02 IST
शिक्षकों से कहा भारत को अगले स्वर्ण युग में ले जाने के लिए दृढ़ रहें
नई दिल्ली: 5 सितम्बर 2013: (पीआईबी): राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने 336 शिक्षकों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। आज नई दिल्ली में शिक्षक दिवस के अवसर पर एक समारोह में उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे भारत को अगले स्वर्ण युग में ले जाने के लिए दृढ़ रहें। राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका स्वीकार करते हुए उन्होंने ऐसी शिक्षा व्यवस्था की जरूरत पर जोर दिया जिसमें बच्चे पूछताछ की भावना, सहिष्णुता और स्वस्थ वाद-विवाद की क्षमता विकसित कर सकें। उन्होंने कहा कि ठोस शिक्षा प्रणाली विकास का अधिकार है। ज्ञान के क्षेत्र में देश के गौरवपूर्ण अतीत याद दिलाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की ऐसी स्थिति इसलिए थी क्योंकि समाज में शिक्षकों को आदर दिया जाता था। राष्ट्रपति ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए कहा कि लड़कियों को शिक्षा देने से मना करना सबसे दुखद पहलू है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा लक्ष्य 'सबके लिए ज्ञान और ज्ञान के लिए सभी' होना चाहिए।
इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री डॉक्टर एमएम पल्लम राजू कहा कि योग्यता सम्पन्न शिक्षकों की भर्ती, शिक्षा क्षेत्र में प्रतिभा सम्पन्न लोगों को लाने तथा स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के मकसद से शिक्षकों तथा शिक्षण पर राष्ट्रीय मिशन की शुरूआत शीघ्र की जाएगी। राष्ट्रीय मिशन में शिक्षकों का पेशेवर कैडर बनाया जाएगा, उनके प्रदर्शन का मानक तैयार होगा तथा उनके पेशेवर विकास के लिए श्रेष्ठ संस्थागत सुविधाएं दी जाएगी।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री जितीन प्रसाद ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान की सफलता से माध्यमिक शिक्षा की मांग बढ़ी है। शिक्षा को सर्वाधिक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन मानते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सभी बच्चों को शिक्षा देने के लिए कृत संकल्प है। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ शशि थरूर ने याद दिलाया की वर्तमान राष्ट्रपति ने पहले मंत्री रहते हुए शिक्षा क्षेत्र को भरपूर समर्थन दिया था। समारोह में 177 प्राइमरी शिक्षकों तथा 140 माध्यमिक शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संस्कृत के 6 शिक्षकों तथा 4 मदरसा शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।
देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन का जन्म दिवस 5 सितम्बर देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ एस राधाकृष्णन महान विद्वान और दार्शनिक थे। शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने का प्रचलन 1958 से शुरू हुआ और इसका उद्देश्य शिक्षकों के सम्मान को बढ़ाना था। प्रत्येक पुरस्कार के तहत एक प्रमाण-पत्र, एक रजत पदक तथा 25 हजार रूपये नकद दिये जाते है। (PIB)
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शिक्षकों से कहा भारत को अगले स्वर्ण युग में ले जाने के लिए दृढ़ रहें
इस ऐतिहासिक सम्मान को प्राप्त करती चंडीगढ़ की सुश्री उपदेश कौर (फोट:पीआईबी ) |
इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री डॉक्टर एमएम पल्लम राजू कहा कि योग्यता सम्पन्न शिक्षकों की भर्ती, शिक्षा क्षेत्र में प्रतिभा सम्पन्न लोगों को लाने तथा स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के मकसद से शिक्षकों तथा शिक्षण पर राष्ट्रीय मिशन की शुरूआत शीघ्र की जाएगी। राष्ट्रीय मिशन में शिक्षकों का पेशेवर कैडर बनाया जाएगा, उनके प्रदर्शन का मानक तैयार होगा तथा उनके पेशेवर विकास के लिए श्रेष्ठ संस्थागत सुविधाएं दी जाएगी।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री जितीन प्रसाद ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान की सफलता से माध्यमिक शिक्षा की मांग बढ़ी है। शिक्षा को सर्वाधिक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन मानते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सभी बच्चों को शिक्षा देने के लिए कृत संकल्प है। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ शशि थरूर ने याद दिलाया की वर्तमान राष्ट्रपति ने पहले मंत्री रहते हुए शिक्षा क्षेत्र को भरपूर समर्थन दिया था। समारोह में 177 प्राइमरी शिक्षकों तथा 140 माध्यमिक शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संस्कृत के 6 शिक्षकों तथा 4 मदरसा शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।
देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन का जन्म दिवस 5 सितम्बर देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ एस राधाकृष्णन महान विद्वान और दार्शनिक थे। शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने का प्रचलन 1958 से शुरू हुआ और इसका उद्देश्य शिक्षकों के सम्मान को बढ़ाना था। प्रत्येक पुरस्कार के तहत एक प्रमाण-पत्र, एक रजत पदक तथा 25 हजार रूपये नकद दिये जाते है। (PIB)
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