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Saturday, December 13, 2014

लुधियाना में दो दिवसीय वैडिंग प्रदर्शनी शुरू

गोल्ड प्लेटिड और डायमंड जड़े iphone 6 ने लुधियानावासियों को लुभाया   
लुधियाना: 13 दिसंबर 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
चंडीगढ़ में कई दिलों को लुभाने के बाद, ज़ायरा डायमंड्स अब अपने गोल्ड प्लेटिड और डायमंड जड़े Iphone 6 के साथ लुधियानावासियों के दिलों में समाने को तैयारहै। इस सिलसिले में ज़ायरा डायमन्डज़ ने लुधियाना में अपनी प्रदर्शनी की शुरूआत की है। आभूषणों के लिए विश्वसनीय माने जाने वाले ब्रांड ज़ायरा डायमन्डज़ की इसएक्स्क्लूसिव कलेक्शन की प्रदर्शनी का शुभांरभ किया जाने माने उद्योगपति बी सी नागपाल और पंजाबी फिल्मों के मशहूर अभिनेता हेक्टर संधू ने होटल पार्क प्लाज़ामें 13 दिसंबर से दो दिन की प्रीमियम वेडिंग और लाइफस्टाइल प्रदर्शनी में भी इन खास गोल्ड प्लेटिड और डायमंड जड़े आईफोन्स को प्रदर्शित किया जाएगा।
ज़ायरा डायमंड के मनोज जैन के मुताबिक,लुधियाना अपने व्यवसायिक उत्साह के लिए जाना जाता है। साथ ही इस शहर के लोग महंगे गैजेट्स के लिए अपने शौकके लिए भी मशहूर हैं। लुधियानावासियों के इसी शौक के लिए हम यहां खास गोल्ड प्लेटिड और डायमंड जड़े आईफोन्स लेकर आए हैं। इन आईफोन्स की कीमत 90हज़ार से लेकर 6 लाख रुपए तक है। आईफोन्स की कीमतें उनमें जड़े डायमंड की गुणवत्ता और संख्या पर भी निर्भर करती है।"
ये आईफोन्स खरीददारों के लिए अपने महंगे शौक को पूरा करने लायक तो हैं ही साथ ही ये किसी निवेश से भी कम नहीं है. लुधियाना में ज़ायरा डायमंड्स की प्रदर्शनीमें एक ही छत के नीचे लाइफस्टाइल और लक्ज़री आईटम्स पेश किए जाएंगे. इस दौरान ज़ायरा गोल्ड प्लेटिड और डायमंड जड़े पेन, जिनकी कीमत 50,000 से 2 लाख रुपए तक होगी, डायमंड जड़ी स्विस घड़ियां, जिनकी कीमत 2 लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक होगी, ऐसे कई आईटम्स ज़ायरा डायमंड्स की दो दिनों कीप्रदर्शनी में दिखाए जाएंगे।
ज़ायरा के आभूषण IGI मार्क और हॉलमार्क प्रमाणित होते हैं इसीलिए इसकी विश्वसनीयता सौ प्रतिशत खरी होती है. चंडीगढ़ में 2010 में अपने पहले आउटलेट केखुलने के बाद से अब तक ज़ायरा ने आभूषण जगत में काफी नाम कमाया है. वर्तमान में ज़ायरा के पूरे देश में 13 स्टोर हैं और अब कंपनी ने 2015 तक देश के बाकीशहरों में 40 स्टोर शुरु करने का लक्ष्य रखा है।
लुधियाना में आयोजित ज़ायरा डायमन्डज़ की इस प्रदर्शनी में शादी ब्याह के लिए महंगे और शानदार आईटम्स पेश किए गए। इस प्रदर्शनी में महिलाओं और पुरुषों के लिए इटैलियन डिजा़यन की अंगूठियां, और बैंड्स, रिंग कम पेन्डेन्ट्स, पेन्डेन्ट्स कम नेकलेस और कॉकटेल रिंग्स जैसे वो सभी महंगे आईटम्स हैं जिसे अपनी शादीयादगार बनाने के लिए हर महिला या पुरुष खरीदने की चाह रखता हैप्रदर्शनी में आकर यकीकन आप खुद को खरीददारी से रोक नहीं पाएंगे क्योंकि यहां जो आईटम्स हैं उन्हें आप अपने पास ज़रूर देखना चाहेंगे।

Thursday, October 10, 2013

पंजाबी फिल्म में पहली बार एक ठगनी का रोल अदा कर रही है नीरू बाजवा

फिल्म की प्रमोशन का शुभारम्भ करने टीम पहुंची गुरु की नगरी में
अमृतसर: 9 अक्टूबर 2013: (गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन ब्यूरो) - आज तक कई फिल्मों में हीरो को अपनी उंगली पर नचाने वाली नीरू बाजवा अपनी नई फिल्म में नए दूल्हों को अपने पीछे भागने पर मजबूर कर देगी। जी हां, नीरू बाजवा की 11 अक्तूबर को रीलिज होने जा रही फिल्म आरएसवीपी में वह एक ऐसे ठग का किरदार निभा रही है, जो अपने साथियों के साथ नौजवानों का न सिर्फ कीमती सामान लेकर फरार हो जाती है, बल्कि उनकी भावनाओं को भी ठेस पहुंचाती है। अपनी फिल्म आरएसवीपी की प्रमोशन की शुरूआत करने के लिए नीरू बाजवा आज फिल्म के सह अभिनेता गुग्गू गिल के साथ गुरु नगरी अमृतसर पहुंची। इस मौके पर उन्होंने बताया, कि फिल्म में वह एक ऐसी लड़की का किरदार निभा रही है, जो शादी के नाम पर नौजवानों के साथ ठगी करती है। उन्होंने बताया, कि इस फिल्म की कहानी आजकल हो रही घटनाओं पर आधारित है। इसलिए इस फिल्म में कामेटी, एक्शन और वह सब-कुछ है, जिसे दर्शक देखना पसंद करेंगे। वहीं, फिल्म के सह अभिनेता गुग्गू गिल ने बताया, कि फिल्म में वह नीरू बाजवा के शिकार लड़के के पिता का रोल अदा कर रहे हैं। उन्होंने बताया, कि उनका रोल इस फिल्म में काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब नीरू बाजवा उनके बेटे के साथ ठगी मारने के लिए उनके परिवार में आती है, तो उसे पता चलता है कि इस बार उनसे काफी गल्ती हो गई है।

Wednesday, August 14, 2013

चावल के दानों से तैयार किया भारत का नक्शा

Tue, Aug 13, 2013 at 8:32 PM
स्वतंत्रता दिवस पर पेपर आर्टिस्ट ने दिखाया अपनी कला का कमाल
अमृतसर (गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन) 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। आजादी के दिन से लेकर आज तक 15 अगस्त को देशवासी बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। हर कोई इस दिन अपने-अपने अंगाज में लोगों को बधाई देता है, तो कोई एकता और अखंडता का संदेश देता है। इस बार स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में लोगों को बधाई देने के लिए अमृतसर के पेपर आर्टिस्ट गुरप्रीत सिंह ने अपने ही अंदाज में पेपर से देश के नक्शे को जहां तैयार किया है, वहीं उसने चावल के दानों से भी देश के नक्शे को तैयार कर लोगों को आपस में प्यार और सद्भाव से रहने का संदेश दिया। बकौल गुरप्रीत सिंह स्वतंत्रता दिवस का हमारे देशवासियों को पूरा साल इंतजार रहता है। उनके मुताबिक चावल के दानों से तैयार किए गए भारत देश के नक्शे को तैयार करने80 घंटे का समय लगा है। गुरप्रीत सिंह अब तक दुनिया के सात अजूबों के अलावा कई धार्मिक स्थलों के भी पेपर से माडल तैयार कर चुके हैं। जिस कारण उनका नाम विभिन्न रिकार्ड बुकों में भी शामिल हो चुका है।

टेक्सटाइल-हौजरी मज़दूरों ने की मज़दूर पंचायत

आनंदमार्गिओं ने नकारा महासम्भूति  के अवतरण का दावा

नए साल के साथ ही हो जाएगी कयामत की शुरुआत

आनन्दमार्ग जागृति में हुई तन-मन के गहरे रहस्यों की चर्चा 

बीएसएफ ने चलाया अभियान

Tuesday, December 25, 2012

भक्ति में शक्ति के आधार पर आगे बढ़ रहा गौरव सग्गी

अभिनय और गायन में फिर लुधियाना की मौजूदगी का अहसास
पंजाबी फिल्मों की बात चले तो जो नाम और चेहरे एकदम जहन में आते है उनमें से एक चेहरा है सरदार भाग सिंह का। चंडीगढ़ के बस स्टैंड से बाहर निकलते ही सडक पार करके उनके घर में जाना किसी वक्त रोज़ की बात हुआ करती थी। वक्त की गर्दिश में फिर यह सिलसिला न चाहते हुए ही लगातार कम होता चला गया। यहाँ रोज़ी रोटी के फ़िक्र में ऐसे सिलसिले अक्सर कम हो जाते हैं। पर उनकी जो बातें अब तक जहन में हैं उनमें से एक है सोमवार। वह सोमवार को उपवास रखते थे। भगवान् शिव में उनकी गहरी आस्था थी। शिव का नटराज रूप उनके ड्राईंग रूम में भी सजा होता। कभी मूड होने पर वह भगवान् शिव और कला की विस्तृत चर्चा भी करते। 
Photo Courtesy:Sara Tariq
इसी तरह गायन और अभिनय के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने वाली सुलक्षना पंडित भी बहुत अध्यात्मिक थी।सर्दी हो या ओले बरस रहे हों हर रोज़ सुबह पूरे केशों सहित स्नान करना और फिर पूजा पाठ में काफी समय गुज़ारना उनकी दिनचर्या में शामिल था। उनकी आवाज़ में भी जादू सा था और अभिनय में भी। बहुत सी लोकप्रिय फिल्मों में यादगारी भूमिका निभा पाना और फिर फिल्म फेयर एवार्ड भी हासिल कर लेना कोई आसान बात नहीं थी। हालाँकि उनके सामने चुनौती भी सख्त थी और प्रतियोगिता भी। 
दर्शकों के मन में हनुमान जी की छवि बनने के बाद दारा सिंह जी भी धर्म कर्म में बहुत रुचि लेने लगे। शायद यही कारण है कि दर्शक उनमें हनुमान जी को ही देखने लगे। पहले पहले मुझे लगता था की शायद इस तरह के सात्विक किस्म के लोग तामसिक प्रवृतियों से भरी फ़िल्मी दुनिया में सफल नहीं हो सकेंगे। पर इन सबकी सफलता देख कर दुनिया के साथ साथ मैं खुद भी हैरान रह गया। पंजाबी फ़िल्मी दुनिया के महारथी भाग सिंह ने किस तरह अपनी बेटी बरखा को पत्रकारिता की बारीकियों से अवगत करा कर एक कुआलिफाईड पत्रकार बनाया। अभिनय में नई जान डालने 
पठानकोट में गौरव सग्गी के  
भक्ति रस में झूमते भक्त 
वाली अपनी धर्मपत्नी कमला भाग सिंह के साथ किस तरह कदम दर कदम मिला कर कठिन से कठिन रास्तों पर चल कर सफलता की ऊंचाइयों को छुआ यह किसी करामत से कम नहीं। मुझे उनके परिवार के साथ इतय एक एक पल बिना किसी कोशिश के अब तक याद है। भाग सिंह जी का गोरा   रंग और मेहंदी रंगी भूरी दाड़ी कुल मिलकर उनकी शख्सियत बहुत ही आकर्षक लगती रिटायर्मेंट के बाद इस तरह की  सहेज पान तभी संभव होता है जब दिल और दिमाग के ख्याल भी बहुत खूबसूरत हों। ज़िन्दगी के सभी रंगों को उन्हों ने मुस्करा कर समझा। हर मुश्किल को उन्होंने हर बार सुस्वागतम कहा। एक आम इंसान की तरह ज़िंदगी जीते जीते वह अचानक ही अपनी सहजता के कारण खास हो जाते। मुझे याद है एक बार एक फ़िल्मी मेले के आयोजन को लेकर कुछ पत्रकार दोस्तों ने काफी कुछ विरोध में लिखा पर जब वे भाग सिंह जी के सम्पर्क में आये तो उनका नजरिया पूरी तरह बदल गया। वे समझ गए कि मामले को देखना अपनी अपनी सोच पर भी निर्भर करता है। जादू केवल जादूगर की छड़ी में नहीं शब्दों में भी होता है। बाद में यह विरोध दोस्ती में बदल गया। वे पत्रकार दोस्त दिल्ली से उन्हें मिलने विशेष तौर पर चंडीगढ़ आते।
लुधियाना का गौरव सग्गी 
इसी तरह दारा सिंह जी ने भी धमकियों और चुनौतियों को बहुत ही सहजता से सवीकार करके ज़िन्दगी जीने के नए अदाज़ सिखाये। चंडीगढ़ में दारा स्टूडियो की स्थापना का काम आसान नहीं था। मुझे पता चला कि उन्हें उतनी जगह नहीं मिली जितनी वह चाहते थे। किसी सनसनीखेज़ खबर की चाह में मैंने दारा जी से इसी मुद्दे पर सवाल कर दिया। दारा जी मुझे देखकर मुस्कराए और बहुत ही सहजता से बोले अगर सरकार यह जगह भी न देती तो हम क्या कर लेते? दारा जी जैसे महान लोगों ने जिंदगी को जो सलीके और सबक सिखाये उनकी अहमियत वक्त के साथ साथ लगातार बढती रहेगी। उनके पास बैठ कर, उनसे बातें करके एक नई ऊर्जा का अहसास होता था।
आज अचानक यह सब कुछ मुझे याद आ रहा है एक नए युवा चेहरे को देख कर। लुधियाना का गौरव सग्गी भी फ़िल्मी दुनिया को समर्पित है लेकिन पूरी तरह सात्विक रहते हुए। तकरीबन तकरीबन हर रोज़ उपवास, हर रोज़ पूजा पाठ, हर रात्रि मेडिटेशन। सोने में चाहे आधी रात हो जाये लेकिनउठना वही रात को दो बजे और ठंडे पानी से नहा कर रम जाना पूजा पाठ में। मेडिटेशन, रियाज़ या फिर शूटिंग, रिकार्डिंग या कोई और परफोर्मेंस बस यही है गौरव की दिनचर्या। मैंने कभी गौरव को आम लडकों की तरह इधर उधर आलतू फालतू बातों में नहीं देखा। लुधियाना से मुम्बई और मुम्बई से विदेश तक यही है उसका लाइफ स्टाइल।
कहते हैं धरती गोल भी है बहुत छोटी भी। बस इसी सिद्धांत पर एक बार हमारी मुलाकात पठानकोट में हुई। सुबह मूंह अँधेरे से लेकर देर शाम तक हम एक साथ रहे। यह सब किसी प्रोजेक्ट को लेकर था और इसके बारे में वहां शायद किसी को खबर भी नहीं थी लेकिन हमें वहां बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के जाना पड़ा एक ही आयोजन में। हम सब ने जलपान किया लेकिन गौरव का उपवास था। खाना तो दूर जल या चाये की एक बूँद भी नहीं। अचानक ही मेरे सामने किसी आयोजक ने मंच पर गौरव का नाम अनाऊंस करवा दिया और उसके बाद कमरे में आ कर कहा कि अब आप मंच पर आ जाइये अगली बारी आपकी है। सुन कर मुझे चिंता हुई। मुझे मालूम था कि गौरव ने सुबह से कुछ नहीं खाया। 
चाये या पानी का एक घूँट भी नहीं। मुझे लगा कि शायद यह लड़का कहीं मंच पर गिर न पड़े। इसके साथ ही न वहां गौरव की टीम थी न ह साज़ और संगीत का पर्याप्त प्रबंध। पर गौरव के चेहरे पर न चिंता, न डर, न ही घबराहट। आशंकित मन के साथ कुछ ही पलों के बाद मैं भी पीछे पीछे बाहर बने मंच पर चला गया।वहां मेरे देखते ही देखते गौरव ने भगवान् का नाम लेकर अपना गायन शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वहां मौजूद सभी लोग पहले तो मस्त हुए फिर उठ कर गौरव के साथ साथ झूमने लगे।मुझे वह दिन अब भी याद आता है तो मुझे फिर फिर हैरानी होने लगती है। सुबह से लेकर रात तक मैंने गौरव पर से आँख नहीं हटाई तां कि वह छुप कर कहीं कुछ खा तो नहीं रहा पर सचमुच उसने सारा दिन कुछ नहीं खाया-पीया। मुझे लगता है कि इस के बावजूद इतनी अच्छी परफारमेंस किसी दैवी शक्ति से ही संभव हो सकी। गौरतलब है की मेडिटेशन करने वालों की कार्यक्षमता अक्सर बढ़ जाती है। मन की शक्ति एकाग्र हो जाने से उनकी योग्यता विकसित होती है।यही कारण है गौरव एक्टिंग में भी काम कर रहा है और गीत संगीत में भी। इसके साथ ही कैमरे की बारीकियों  को भी वह बहुत ही अच्छी तरह से समझता है। अपनी लोकप्रिय एल्बम "रब दा सहारा" में उसने गायन और अभिनय दोनों में अपना जादू दिखाया है। आखिर में एक बात और इस सबके लिए वह अपने पिता अश्विनी सग्गी और माता के आशीर्वाद को ही एक वरदान मानता है।-रेक्टर कथूरिया 


You may contact Gaurav at gauravsaggi@ymail.com
Mobile:(Punjab)  09914301145
Mobile: (Mumbai) 0996 734 049
भक्ति में शक्ति के आधार पर आगे बढ़ रहा गौरव सग्गी 

Tuesday, February 28, 2012

अमृतसर में तीन दिवसीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता शुरू

नेहरू युवा केंद्र ने किया सांस्कृतिक क्षेत्र में एक और सार्थक प्रयास 
अमृतसर//गजिंद्र सिंह किंग//28  फरवरी 2012 
अमृतसर में प्रदेश भर से आए विभिन्न संगठनों व नेहरू युवा केंद्र की शाखाओं के सदस्यों ने विरसे का मनमोहक नजारा पेश करने के लिए तीन रोजा  सांस्कृतिक प्रतियोगिता शुरू की जिसमे शबद गायन, लोक गीत, गिद्दा और भंगड़ा प्रतियोगिता होगी, विरसा विहार में नेहरू युवा केंद्र से संबंधित पंजाब भर में स्वयं सहायता ग्रुपों की ओर से हाथों से बनाई गई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई, जो देखने लायक थी. 
अमृतसर नेहरू युवा केंद्र संगठन द्वारा विरसा विहार में सांस्कृतिक धरोहर को मजबूती से कायम रखने के लिए तीन रोजा सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन शुर्रू किया.प्रदेश भर से आए विभिन्न संगठनों व नेहरू युवा केंद्र की शाखाओं के सदस्यों ने विरसे का मनमोहक नजारा पेश किया, तीन रोजा  सांस्कृतिक प्रतियोगिता में लोक गीत, गिद्दा और भंगड़ा प्रतियोगिता होगी. सब से पहले शबद गायन कर सांस्कृतिक प्रतियोगिता का शुभ-आरभ्भ किया गया, इसके साथ ही इस मौके पर शबद गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, इस दौरान विरसा विहार में नेहरू युवा केंद्र से संबंधित पंजाब भर में स्वयं सहायता ग्रुपों की ओर से हाथों से बनाई गई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई, वस्तुओं की छटा देखते लायक थी, जिसमे छज्ज, गानी, पक्खी, कढ़ाई वाले सूट, परांदा, टैडी बियर, शहद, बेड़ी, तितली, धार्मिक चित्र सहित कई हस्तकृति आकर्षण का केंद्र थी, नेहरू युवा केंद्र द्वारा राज्य सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन विरसा विहार में शुरू हो गया है, तीन दिन चलने वाले इस प्रतियोगिता नेहरू युवा केंद्र अमृतसर के जिला को आर्डिनेटर तजिंदर सिंह राजा ने सांस्कृतिक प्रतियोगिता बारे जानकारी देते हुए बताया, कि तीन रोजा  सांस्कृतिक प्रतियोगिता में लोक गीत, गिद्दा और भंगड़ा प्रतियोगिता होगी, विजेताओं को पुरस्कार भी दिए जाए गे 

Bite - तजिंदर सिंह राजा, आर्डिनेटर, अमृतसर 

Saturday, January 14, 2012

आम लोगों की आवाज: सामुदायिक रेडियो मट्टोली

उन लोगों की आवाज जो खुद को व्यक्त नहीं कर सकते
वि‍शेष लेख                                                                                  सुधा एस. नंबूदिरी*
पिछले ढ़ाई वर्षों से केरल के सुदूर इलाके वायनाड़ के लोग यहां के एकमात्र सामुदायिक रेडियो- रेडियो मट्टोली की गूंज सुनकर जागते हैं। अगर आप वायनाड में हैं तो 90.4 मेगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर सुबह 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक आप रेडियो मट्टोली सुन सकते हैं। वायनाड़ जिले में मनंतवाड़ी, द्वारका में स्थित इस सामुदायिक रेडियों का संचालन वायनाड़ सोशल सर्विस सोसायटी द्वारा किया जाता है। यह स्वयंसेवी संगठन पिछले छत्तीस वर्षों से वायनाड़ जिले में विकासात्मक कार्य की गतिविधियों में सक्रिय है।
रेडियो के निदेशक थॉमस जोसेप थेरकम अपनी खुशी बयां करते हुए कहते हैं- रेडियो मट्टोली की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई और यह अपने आप में सफलता की कहानी है। नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार कुल आबादी में से 24.05 प्रतिशत दैनिक श्रोता हैं। जिले के जनसांख्यिकी आंकडों के अनुसार (2011 की जनगणना के मुताबिक) यह संख्या 2,00,056 लोगों तक पहुंच गई है। लेकिन यदि साप्ताहिक और किसी खास अवसर पर इसे सुनने वाले लोगों को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या 74.05 प्रतिशत (6,10,539) तक पहुंच जाएगी। इसका अन्य रोमांचक पहलू यह है कि सामुदायिक रेडियो कार्यक्रम सुनने के लिए 56 प्रतिशत लोग रेडियो सेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि मट्टोली सुनने के लिए 40 प्रतिशत लोग अपने मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं।

     श्री थेरकम के अनुसार व्यापक ज्ञान, प्रौद्योगिकी, जागरुकता और सशक्तिकरण आदि के लिए सामुदायिक रेडियो एक ऐसा संपूर्ण उपकरण है जो श्रोताओं के प्रति लक्षित है। अन्य मीडिया माध्यमों जैसे समाचारपत्रों अथवा टेलीविजन की तुलना में रेडियो का स्थान हमेशा अधिक मज़बूत स्थिति में रहा है। कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही सामाचारपत्र अथवा पैम्फलेटो  को पढ़ सकता है। इसके अलावा टेलीविजन देखने का तात्पर्य है उसे अपना समय देना और इसके लिए बिजली की भी आवश्यकता होती है लेकिन रेडियो सुनते हुए कोई अन्य काम भी साथ साथ किया जा सकता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि वायनाड के लगभग  30,000 परिवारों के पास बिजली कनेक्शन नहीं है।रेडियो मट्टोली केरल में प्रथम सामुदायिक रेडियो सेवा है और राज्य में एकमात्र इलेक्टॉनिक मीडिया माध्यम जो प्रतिदिन जनजातीय भाषाओं में कार्यक्रम का प्रसारण करता है। शिक्षा, सूचना, स्वास्थ्य आदि से संबंधित कार्यक्रमों का प्रतिदिन दोपहर 2:30 बजे और रात 8:05 बजे प्रसारण किया जाता है। केरल राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद् के सहयोग से रेडियो मट्टोली एक विशेष विज्ञान कार्यक्रम “नम्मा सस्त्रा” का भी प्रसारण करता है। यह स्थानीय भाषाओं में भी प्रसारित होता है। इसके अलावा गांधी जी के विचारों, अधिकारियों और जनता के बीच संबंधों, स्वास्थ्य कार्यक्रम, रोज़गार प्रशिक्षण संबंधी कार्यक्रमों, नवीन पाठ्यक्रमों आदि पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण भी किया जाता है। । समाज में समाजिक-आर्थिक बदलाव लाने के उद्देश्य पर आधारित लाभकारी सूचनाओं का प्रसारण करने के अपने उद्देश्य में यह सफल रहा है। श्री थेकरम का कहना है कि इस पर प्रसारित होने वाले अधिकांश कार्यक्रम स्थानीय लोगो द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं जिससे श्रोताओं पर इसका तत्काल भावात्मक जुड़ाव हो जाता है और संदेश प्रभावी रुप से ग्रहण हो जाता है। इसके लक्ष्य समूह में हाशिए पर खडे किसान, स्थानीय लोग, दलित, कृषि श्रमिक महिलाएं और बच्चे शामिल हैं इसलिए इस प्रकार का भावात्मक जुडाव आवश्यक है। विश्वास कायम करने के लिए इन लोगों का जुडाव आवश्यक है। रेडियो मट्टोली ने विद्यालयों में मट्टोली क्लबों की भी स्थापना की है। जिले के 288 विद्यालयों में से 91 विद्यालयों में मट्टोली क्लब हैं। इस क्लब के सदस्यों को मट्टोली पर अपने कार्यक्रम प्रसारित करने का अवसर प्राप्त होता है। इससे बच्चों के भीतर नेतृत्व क्षमता, सृजनात्मकता और जागरुकता का विकास होता है। उन्हें मीडिया जगत का अच्छा ज्ञान प्राप्त हो जाता है।      58 लाख रुपए के शुरुआती निवेश के साथ रेडियो मट्टोली की शुरुआत हुई जिसका इस्तेमाल इसके बुनियादी ढांचे और रेडियो मट्टोली के एक वर्ष तक सुचारु रुप से चलने के लिए किया गया। आज इसे नाबार्ड, कॉफी बोर्ड, केरल राज्य कृषि वभाग और सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वरा सीमित व्यवसायिक विज्ञापनों का सहयोग प्राप्त है। यह सही है कि रेडियो मट्टोली उन लोगों की आवाज है जो अपने आप को व्यक्त नहीं कर सकते। यह  सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रुप से उन्हें आगे की राह पर प्रशस्त करता है।

*मीडिया और संचार अधिकारी(पत्र सूचना कार्यक्रम, कोचीन


सामुदायिक रेडियो संघ की मांग मंजूर

Friday, January 13, 2012

आंध्र प्रदेश में मिला बौध स्‍तूप

टीले के आस-पास के क्षेत्र में काले व लाल रंग के बर्तन भी पाए गए 
आंध्र प्रदेश सरकार के राज्‍य पुरातत्‍व विभाग ने कृष्‍णा जिले के बन्‍टूमिल्लि मांडा के मुंजूलूरू गांव में वर्ष 2010 में एक बौध स्‍तूप स्‍थल की खोज की थी। मुंजूलुरू गांव में पाया गया यह स्‍तूप अर्द्ध गोलाकार टीले पर बना है जिसकी उंचाई 10 मीटर है। इसके आधार में चार दिशाओं में आयातकार उभार बने हैं। यह 27X23X7 से.मी. आकार की ईंटों से बना है। टीले के आस-पास के क्षेत्र में काले व लाल रंग के बर्तन पाए गए हैं। शंखों के साथ पाण्‍डु भी यहां पाए गए हैं। 5-6 शताब्‍दी का बलुआ पत्‍थर का टूटा हुआ अयाका खम्‍भा भी यहां मिला है।

आंध्र प्रदेश सरकार के राज्‍य पुरातत्‍व एवं संग्रहालय विभाग ने कथित प्राचीन स्‍मारक को संरक्षित करने के लिए अधिसूचना सं0 जी.ओ.एमएस सं0 64 वाईएटी एण्‍ड सी (पीएमयू) विभाग, दिनांक 16 जून, 2011 को जारी की है। 

Friday, January 06, 2012

11 से 20 जनवरी तक होगा अंतर्राष्ट्रीय नाटकों का मंचन

गुरु की नगरी अमृतसर में  14वें नाटक मेले का आयोजन  
         गजिंदर सिंह किंग//अमृतसर//6 जनवरी 2012 

देश के सबसे बड़े एक्टिंग स्कूल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एन.एस.डी.) के तत्वाधान में गुरु नगरी अमृतसर में 11 जनवरी से 20 जनवरी के बीच 14वें थियेटर फेस्टिवल के दौरान अफ्रीका, पोलैंड, जापान, इटली, पाकिस्तान से भी कलाकार नाटकों का मंचन करेंगे, भारत रंग महोत्सव के दौरान 19 नाटकों का मंचन होगा.
        देश के सबसे बड़े एक्टिंग स्कूल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एन,एस,डी) के तत्वाधान में गुरु नगरी अमृतसर में अफ्रीका, पोलैंड, जापान, इटली, पाकिस्तान के कलाकार 14वें थियेटर फेस्टिवल के दौरान नाटकों का मंचन 11 जनवरी से 20 जनवरी के बीच विरसा विहार व पंजाब नाटशाला में करेंगे, जब कि देश के कई नामी-गिरामी कलाकार नाटक महोत्सव में हिस्सा लेंगे, इस महोत्सव में मुबंई, दिल्ली, लखनऊ, चेन्नई, इंफाल, कोलकाता इत्यादि शहरों की प्रमुख नाटक हस्तियां भाग लेंगी, इन नाटकों का मंचन शाम पांच बजे विरसा विहार व शाम सात बजे से पंजाब नाटशाला में होगा, रोजाना दो नाटकों का मंचन होगा, यह जानकारी प्रेस वार्ता दौरान देश के सबसे बड़े एक्टिंग स्कूल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एन.एस.डी.) की डायरेक्टर डा. अनुराधा कपूर व सुरेश भारद्वाज के अतिरिक्त केवल धालीवाल (नाटक कार) ने दी. डा. अनुराधा कपूर ने बताया, कि एन.एस.डी. का यह 14वां अंतरराष्ट्रीय थियेटर महोत्सव है, जिसमें कई देशों के कलाकार हिस्सा ले रहे हैं, यह नाटक पहले दिल्ली में होंगे उसके बाद 11 जनवरी से 20 जनवरी के बीच इन नाटकों का मंचन विरसा विहार व पंजाब नाटशाला में किया जाएगा. इस महोत्सव में अफ्रीका, पोलैंड, जापान, इटली, पाकिस्तान से भी कलाकार नाटकों का मंचन करेंगे, जबकि देश के कई नामी-गिरामी कलाकार नाटक महोत्सव में हिस्सा लेंगे, इस महोत्सव में मुबंई, दिल्ली, लखनऊ, चेन्नई, इंफाल, कोलकाता आदि शहरों की प्रमुख नाटक हस्तियां हिस्सा लेंगी.

Saturday, December 17, 2011

सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में नमस्तक हुए गायक मलकीत सिंह

 धार्मिक गीतों की कामयाबी के लिए की अरदास 
  गजिंदर सिंह किंग//अमृतसर// 16 दिसम्बर,2011//
पंजाबी गीतो के मशहूर तूतक तूतिया वाले गायक मलकीत सिंह आज सच्च्खंड श्री हरिमंदिर साहिब में नमस्तक हुए, उन्होंने आपनी आने वाली नई धार्मिक गीतों की एलबम की कामयाबी के लिए सच्च्खंड श्री हरिमंदिर साहिब में नमस्तक हो कर माथा टेक गुरु घर का आशीर्वाद लेकर नई धार्मिक गीतों की एलबम की गीतों की कामयाबी की अरदास की.  
      आज सच्च्खंड श्री हरिमंदिर साहिब में पंजाबी गीतो के मशहूर तूतक तूतिया वाले गायक मलकीत सिंह ने आपनी आने वाली नई धार्मिक गीतों की एलबम की कामयाबी के लिए सच्च्खंड श्री हरिमंदिर साहिब में नमस्तक हो कर माथा टेक गुरु घर का आशीर्वाद लिया और नई धार्मिक गीतों की एलबम की गीतों की कामयाबी के लिए गुरु घर में अरदास की, इस दौरान मीडिया से बात करते हुए गायक मलकीत सिंह ने आपनी नई धार्मिक गीतों की एलबम के गीतों बारे जानकारी देते हुए बताया, कि पहली बार हमने नई धार्मिक गीतों की एलबम के अभी दो गीत गाए है, और पहले भी धार्मिक गीत गाए है, लेकिन उस समय गीतों की वीडियो शूट नहीं होती थी और इस बार नई दो धार्मिक गीतों की वीडियो शूट सच्च्खंड श्री हरिमंदिर साहिब और नादेड साहिब होगी और पुराने धार्मिक गीतों की वीडियो शूट करे गे, उन्होंने एक धार्मिक गीत आपनी नई धार्मिक गीतों की एलबम से कुछ लाइने गा कर सुनाई और कहा, कि अलग-अलग गुरु साहिबान और धार्मिक इतिहास बारे अलग-अलग ढंग से धार्मिक गीत गा-कर लोगो को समझाया गया है, कि किस तरह सब धर्मो के गुरु साहिबान का इतिहास है, उन्होंने आपनी एक और नई कल्चर और भांगड़े वाली गीतों की कैसेट बारे बताया, कि वह कैसेट लन्दन में रिकाडिंग होने वाली है, जो कि वैसाखी में रिलीज होगी, उन्होंने माँ के गीतों बारे हस कर कहा, कि माँ के ऊपर हमने बहुत से गीत गाए है, लेकिन इस बार मैने डैडी के ऊपर भी गीत गाया है और वह गीत भी लोग माँ के गीतों जैसे डैडी का गीत भी पसंद करेगे    

Monday, November 07, 2011

मन और प्रकृति के रंगों को कैमरे में संजोती सम्वेदना गौतमी

टेकनिक से ज्यादा उन पलों को देखने का नज़रिया 

Samvedna:I am still unknown to myself, searching my identity 
कैमरा सही हाथों में हो और उसे  सही वक्त पर इशारा मिल जाये तो वह इतिहास रच देता है. बेजान से पलों में जान देता है. एक छोटी सी क्लिक ऐसे दस्तावेज़ बना देती है जिन्हें देख कर पत्थर दिल गुनाहगारों के कलेजे भी काँप जाते हैं. एक तस्वीर और उसमें कैद हुए कुछ गुज़र चुके पल दिल को झंक्झौर देते हैं, दिमाग को सोचने पर मजबूर कर देते हैं. कहते हैं की गुज़रा हुआ जमाना, आता नहीं दोबारा...पर कैमरा उस गुज़रे हुए जमाने को भी एक बार फिरसजीव कर देता है. गुजर चुके वक्त की इन तस्वीरों को देख कर दिल की धडकन कभी तेज़ हो जाती है और कभी बढ़ जाती है. आज हम उस कैमरे की बात कराहे हैं जो उसके हाथों में रहा जिस का नाम है सम्वेदना और स्वभाव है अत्यंत सम्वेदनशील. वह प्रकृति से बातें करती है.  जब उसे आशा नजर आती है तो वह उस उम्मीद को अपने कैमरे में बंद कर लेती है, जब निराशा महसूस होती है तो वह उसे भी अपने कैमरे में संजो लेती है औए जब ख़ुशी महसूस होती है तो उन पलों को भी हमेशां के लिए अमर बना देती है. और जिस कैमरे  की बात आज हम कर रहे हैं वह रहा है सम्वेदना के हाथों में. अपने नाम की ही तरह सम्वेदनशील और मर्मस्पर्शी  इस फोटोग्राफर  संवेदना गौतमी, एक सृजनशील फोटोग्राफर हैं.उदीयमान हैं, पर उनके कैमरा की नज़र में पैनापन तथा सोच में बुद्धिमत्ता की झलक उन्हें भीड़ से अलग पहचान देती है. उम्र मात्र  26 साल , शिक्षा में एम बी. ए. यह युवा फोटोग्राफर फ़िलहाल चेन्नई में रहती हैं. उनका ब्लॉग 'माई पेज' में प्रकाशित उनकी फोटोग्राफी से ही उनके कला निपुणता का पता चलता है. हर फोटो के साथ चुने हुए शब्दों का इस्तेमाल का प्रयोग दर्शक को अभिभूत करने के लिए काफी है. 

Nobody can go back and start a new beginning, but anyone can start today and make a new ending
उनका एक ब्लोगिंग है, जिसमे कसाईओं के हाट में पशुओं का खरीद-ओ-फ़रोख्त का दृश्य को इस अंदाज से पेश किया गया है:

अर्थात कोई भी लौट कर नयी शुरूयात तो नहीं कर सकता लेकिन  कोई भी आज से अभी से एक नयी शुरूयात करके एक नए अंत की रचना अवश्य कर सकता है. 
दूसरा ब्लोगिंग Lost Bud में एक बाल-श्रमिक को लकड़ी का काम करते हुए दिखाया गया है जिसके साथ उद्धृत है मार्क ट्वैन का कथन: Lord save us all from... a hope tree that has lost the faculty of putting out blossoms. जोड़ दिया गया है. हर ब्लोगिंग के साथ इस तरह शब्दों का इस्तेमाल हर फोटोग्राफ को एक अलग स्तर पर ले जाता है, जहाँ फोटोग्राफी की टेकनिक से ज्यादा उसको देखने का नज़रिया ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है.
 Lord save us all from... a hope tree that has lost the faculty of putting out blossoms. ~Mark Twain
किन्तु केवल शब्दों का प्रयोग ही नहीं , कभी अन-कहे ही, उनके फोटोग्राफ,बिना वाक्यों का इस्तेमाल से भी बहुत कुछ कह जाते हैं. सम्प्रति उनके पोस्ट किया हुआ ब्लोगिंग Three Moods of Nature में प्रकृति के एक ही रूप में तीन अलग अलग मानविक मूडज़ को ढूंड पाना, वह भी बिना कोई वाक्य बोले, एक अजब कला पारदर्शिता है, जो दर्शकों को मंत्र मुग्ध किये बिना नहीं छोड़ता है.
यह उदीयमान ब्लोगर तथा फोटोग्राफर भारत के जानीमानी नारीवादी लेखिका सरोजिनी साहू तथा ओडिया के सुप्रसिद्ध लेखक जगदीश महंती की सुपुत्री हैं. संवेदना अपने सॉफ्टवेर इंजीनियर पति नरेन्द्र पटनायक तथा एक पुत्र के साथ चेन्नई में रहती हैं.  
संवेदना अपने ब्लॉग में अपना परिचय एक nonsense thinker के रूप में देती है और दावा करती है की उसे बहुत कुछ अभी सीखना है. उसकी भाषा में: I am still unknown to myself, searching my identity  अर्थात 
अभी तक मैं खुद भी अपने आप को नहीं जानती, तलाश कर रही हूँ अपनी पहचान हालत तो हम सभी की यही है की हमसे अधिकतर अपने आप को भी नहीं जानते.....पर बहुत ही कम लोग हैं जो इस हकीकत को जान पाते हैं महसूस कर पाते हैं और उन लोगों की संख्या तो और भी कम है जो अपने जीवन काल में ही अपनी खुद की तलाश शुरू कर पाते हैं....हमें ख़ुशी है की सम्वेदना गौतमी उन कुछ बहुत ही थोड़े से कीमती लोगों में से एक है. आपको सम्वेदना का ब्लॉग कैसा लगा, तस्वीरें कैसी लगी अवश्य बताएं. आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी. --रेक्टर कथूरिया 

Sunday, October 23, 2011

बेटियों को हत्या के कलंक से अब पंजाब उबर चुका है

Updated on Oct.23, 2011 at 12:12 PM
मेला धीयाँ दा में शिरकत करने पहुंची हरसिमरित  कौर बादल
बेटियों को जन्म से भी पहले मौत के घाट उतार देने के कलंक से अब पंजाब उबर चूका है.इस बात का दावा किया मैडम हरसिमरित कौर बादल ने. पंजाब के दुःख की आवाज़ को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से संसद में उठाने वाली इस अकाली लीडर ने कई बार यह साबित किया है की वह पंजाब और अकाली दल का एक नया इतिहास रचने को अब पूरी तरह सक्षम है. लुधियाना के सरकारी महिला कालेज में एक विशेष आयोजन-मेला धीयाँ दा-- में मीडिया से बात करते हुए सुश्री बादल ने पत्रकारों के सभी सवालों का जवाब बहुत ही संतोष जनक और यादगारी सलीके से दिया. जैसे ही मीडिया ने उन्हें मेले के मुद्दे से राजनीती में लेजाने की बात शुरू की तो वह झट से बोली...देख...बेटियों की बात करते करते आ गए न सियासत पर....! लीजिये देखिये पूरी वीडियो जिसमें कई ,...मुद्दे हैं...कई बातें हैं. प्रस्तुत है यह प्रेस वार्ता बिना किसी कांट छांट के. इस मेले में पंजाब के कैबनेट मंत्री हीरा सिंह गाबड़िया, सुश्री उपिंदरजीत कौर गरेवाल और कई एनी प्रमुख लोग भी मौजूद थे. इस मेले के अंश आपको किसी एनी पोस्ट में दिखाए जा रहे हैं. -रेक्टर कथूरिया//विशाल गर्ग

Tuesday, August 23, 2011

अंडे के खोल पर अन्ना हजारे


कला के ज़रिये भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को संदेश 
अमृतसर से गजिंदर सिंह  
गांधीवादी समाज सेवक अन्ना हजारे की आंधी पूरे देश में चल रही है, हर कोई अपने-अपने अंदाज में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन में हिस्सा डाल रहा है, अन्ना हजारे के इस अभियान का हिस्सा बनते हुए अमृतसर के दंत चिकित्सक और आर्टिस्ट डा. हरविंदर सिंह गिल ने भी अपने अंदाज में अंडे के खोल पर अन्ना हजारे, जन लोकपाल बिल और भारत का नक्शा उकेरा कर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को एकजुट होने का संदेश दिया है.
गांधीवादी समाज सेवक अन्ना हजारे की ओर से भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जन लोकपाल बिल पास कराने की मांग को लेकर अनशन पर बैठने के बाद देश के हर कौने  से उनके हक की आवाज बुलंद हो रही है, हर कोई अपने-अपने अंदाज में अन्ना हजारे के हक में लोगों को जागरूक करने में जुटा हुआ है, अन्ना हजारे की सोच से प्रभावित होकर अमृतसर के डेंटिस्ट और आर्टिस्ट डा. हरविंदर सिंह ने भी लोगों को जागरूक करने के लिए अपने ही अनोखे अंदाज में अंडे के खोल पर अन्ना हजारे, जन लोकपाल बिल और भारत का नक्शा उकेरा है, ताकि लोग अधिक से अधिक अन्ना हजारे की इस मुहिम के साथ जुड़े और देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए चलाए गए अभियान का हिस्सा बन सकें.
पेशे से दंत चिकित्सक डा. हरविंदर सिंह गिल पिछले 15 वर्षों से विभिन्न वस्तुओं, चिन्हों और विभिन्न नेताओं के चेहरों को अंडों के खोल पर उकेर चुके हैं, इसके अलावा उन्होंने पंजाब के अमीर विरसे से जुड़े खेती के हथियारों की भी छोटी प्रतिकृतियां बनाई हैं, 
उन्होंने कहा, कि इससे एक तो उनके कलाकार दिल को संतुष्टि मिलती है और दूसरा वह अपने भाव भी लोगों के सामने प्रकट करने में सफल हो जाते हैं, यह ही नही हरर्विंदर गिल का नाम इंडिया बुक ओफ रीकोर्ड्स में बी दर्ज है और वेह इन् अन्ड़ों के उपर एक अनदे में 100000  से भी ज्यादा छेद करने का रिकार्ड भी हरविंदर सिंह आपने नाम कारवा चुके है.

Saturday, July 16, 2011

....देखते ही देखते यह क्या हुआ !

अमृता प्रीतम...इस नाम को किसी तयारूफ की  ज़रुरत नहीं...ये नाम अपना वजूद रखता है...प्राण हैं जिसमे...जान बस्ती है इस नाम में...जो जिस्मानी तौर पर भले ही हमारे बीच मौजूद न हो...मगर उसकी साँसे आज भी चलती हैं...उन अलफ़ाज़ के माध्यम से जो उसकी कलम से निकल कर एक संस्कृति का रूप इख्तियार कर चुके हैं...ये अलफ़ाज़ जो धरोहर संभाले हैं उस सोच की... जो भय से परे थी...बेबाक थी...खूबसूरत थी...हौंसले से भरपूर थी,,,जिसने बेख़ौफ़ लिखा...हर्फों के नयन नक्श तराशते हुए...कविता,कहानी,निबंध ओर नोवेल की प्रतिमाओ को हसीन चेहरे दिए...
उन चेहरों ने आवाम की नज़रों में उतार कर सकून से नवाज़ा...और वो सोच हर दिल अज़ीज़ बन गई...वो भी कुछ ख्वाइश रखती थी...कुछ उम्मीदें थीं उसकी आवाम से...चाहत थीं उसकी   राजधानी में उसका आशिआना उसकी यादगार के रूप में संभाला जाए....वो चारदीवारी जिसके भीतर कई रचनाओं ने जनम लिया...वो छत...जो कलम और वर्क की महोब्बत की साक्षी थी...उसे सुरक्षित रखा जाये...वो फिजा इमरोज़ के तानाफुस  से महकती रहे...मगर जिस्मानी तौर पर अलविदा कहने के महज़ पांच वर्ष बाद लखते जिगर द्वारा  बेच दिया गया...न केवल सौदा हुआ उन तमाम जज़्बात और एहसास का जो उस घरोंदे की नींव थी ...बल्कि उन्हें धुल में मिला दिया गया....और सरकार और आवाम खामोश खड़ी देखती रही...उस सकून के सिले में क्या खूब नजराना दिया है हमने उस चाहत को....जी बी

Thursday, June 09, 2011

नहीं रहे कैनवस और रंगों के जादूगर एम एफ हुसैन

उन सभी लोगों  के लिए एक बुरी खबर है जो खूबसूरती के दीवाने तो होते ही हैं पर साथ ही इसकी की प्रशंसा खुल कर करने का अलीका भी जानते हैं।दुनिया के जानेमाने चित्रकार एम एफ हुसैन अर्थात  मकबूल फिदा हुसैन का लंदन में देहांत हो गया है। वो पिछले एक महीने से बीमार चल रहे थे। उन्हें तीन दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मीडिया को उनके देहांत की खबर उनके परिवार वालों ने दी है। इन ख़बरों के मुताबिक हुसैन ने लंदन के अस्पताल में गुरूवार को तड़के ढाई बजे आखिरी सांस ली। वह 95 साल के थे लेकिन इस उम्र में भी जोशीली जवानी के रंगीन जज़्बात उनकी बातों से कुछ और रंगीन हो जाते उनकी मृत्यु पर बॉलीवुड में  गहरे दुःख और शोक की एक लहर दौड़ गयी है। देवी मां की कुछ विवादित तस्वीरें बना कर वह सखत रोष का निशाना भी बने और आखिरकार साल 2006 में वे भारत से चले गए थे गौरतलब है कि इन्हीं विवादित तस्वीरों को लेकर उन्हें कुछ हिंदुवादी संगठनों की ओर से धमकीयां भी मिली थी। उन पर भारत कि कई अदालतों में मुकदमे भी दर्ज हैं। उन्हें डर था कि अगर वो भारत में रहे तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। आपको याद होगा कि हुसैन बहुत ही रंगीन मिजाज़ भी थे उनका जन्म 17 सितंबर 1915 में महाराष्ट्र के पंढरपुर में हुआ था। बचपन से ही कैनवस और रंगों के शौक़ीन  एम एफ हुसैन को सबसे पहले ख्याति मिली थी सन 1940 में। उनकी पहली प्रदर्शनी 1952 में ज़्युरिक में हुई। इसके बाद उनकी कलाकृतियों की अनेक प्रदर्शनियां यूरोप और अमेरिका में हुईं। पिछले दिनों उनकी बनायी पेंटिग 2.30 करोड़ में बिकी थी। 
सन 1973 में भारत सरकार ने उन्हे पद्मश्री से सम्मानित भी किया था। उन्होने अपनी पहली फ़िल्म थ्रू द आइज़ आफ अ पेन्टर  बनायी थी। यह फ़िल्म बर्लिन उत्सव में दिखायी गयी और उसे गोल्डेन बियर से पुरस्कृत भी किया गया। हुसैन ने मुंबई के जे जे स्कूल ओफ़ आर्ट्स से शिक्षा ग्रहण की थी। एम एफ हुसैन का नाम कई आलोचनाओं से भी जुड़ा रहा। उन पर हिंदू-देवी देवताओं के अश्लील चित्र बनाने का भी आरोप लगा था। फ़ोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें भारत का पिकासो की पदवी दी थी। उन्होंने कुछ समय पहले कतर की नागरिकता भी हासिल कर ली थी। बुढापे कि आखिरी उम्र होने के बावजूद जवानी के जोश से सराबोर हुसैन ने कई अभिनेत्रियों के लिए फिल्म बनायी थी । जिसमें सबसे चर्चित नाम माधुरी दीक्षित का था। कहा जाता है कि माधुरी की "हम आपको है कौन" को उन्होंने करीब सौ बार देखा था। हुसैन ने माधुरी के लेकर गजगामिनी और तब्बू को लेकर मीनाक्षी, ए टेल ऑफ़ थ्री सिटीज़ फिल्में बनायी थी। उनकी हसरत अभिनेत्री अमृता रॉव और अनुष्का को लेकर भी फिल्म बनाने की थी।



I still  remember M F Hussain---Dr. H S Bedi



Tuesday, March 29, 2011

कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये

भारतीय शास्त्रों में  बार बार यह बात याद दिलाई जाती है कि इंसान को अपने धर्म में हर पल कायम  रहना चाहिए. धर्म और स्वभाव का गहरा मेल है. जैसे आग जलाती है, हवा सुखाती है ये सब उनका स्वभाव है. सूर्य हमें रौशनी भी देता है और गर्मी भी, चाँद हमें चांदनी देता है जो आँखों को ठंडक देती हुयी महसूस होती हैं. इनमें से कभी भी कोई अपने धर्म से नहीं हटा. लेकिन इंसान बार बार किसी न किसी बहाने से अपने मानवीय धर्म और प्रेम प्यार के धर्म से हट जाता है. कभी जाति के नाम पर, कभी भाषा के नाम पर, कभी मज़हब के नाम पर और कभी क्षेत्र के नाम पर. लेकिन जो लोग धर्म पर कायम रहते हैं उनके सामने दुनिया झुकती है. इसमें देर चाहे हो जाये लेकिन अंधेर कभी नहीं होता. कभी वक्त था कि रूस और अमेरिका एक दूसरे के सामने खड़े थे. एक दूसरे को मिटाने के लिएआतुर. मास्को और वाशिंगटन कभी इस नफरत को भूल पायेंगे कभी किसी ने नहीं सोचा था. पर इस तस्वीर ने मुझे बहुत कुछ सोचने को मजबूर किया. तस्वीर में अमेरिकी रक्षा विभाग के सचिव रोबर्ट एम गेटस एक मकबरे पर फूल माला अर्पित करके अपने श्रद्दा सुमन अर्पित कर रहे हैं. मकबरा किसी सैनिक का है. सैनिक का नाम मैं नहीं जानता लेकिन जो बात पता चल सकी वह यह कि तस्वीर में दिखाया गया मकबरा मास्को में है. इस तस्वीर को अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए कैमरे में क्लिक किया  Cherie Cullen/ ने 22 मार्च 2011 को. इस तस्वीर को देख कर जहन में लता जी का गाया हुआ  वह अमर गीत भीआने लगता है...कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये....अगर आपके मन में भी कुछ आ रहा है तो उसे तुरंत लिख भेजिए. चाहे डाक से चाहे इमेल से. आपके विचारों का स्वागत होगा. आपको यह तस्वीर कैसी लगी ? इस पर अपने विचार भी भेजें और अगर आपके पास भी कोई अच्छी तस्वीर हो तो उसे अवश्य भेजें उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित किया जायेगा. --रेक्टर कथूरिया. 

Saturday, October 09, 2010

मिले सुर मेरा तुम्हारा....


गीत संगीत को कोई ईश्वरीय वरदान होता है.गमों की काली रात हो या फिर जंग का मैदान...इसकी शक्ति कभी डगमगाती नहीं. संगीत के सुर कभी कमजोर नहीं पड़ते. कभी कभी धीमे हो कर इनका असर और भी बढ़ जाता है.खामोश पलों में भी ये मन ही मन गूंजते रहते हैं.जब कभी बंदूक की गोली और गले से निकली सुरीली आवाज़ के सुर आपस में मिलते हैं तो एक नया ही संगीत पैदा होता है.....मिले सुर मेरा तुम्हारा को एक बार फिर कुछ नए अर्थ मिलते हैं.कुछ ऐसे ही पल थे सागर की उन लहरों पर जब उन पर एक विशाल बेड़ा USS Harry S. Truman (CVN 75)तैर रहा था.उस वक्त उनमें एक जानी मानी गायका और अदाकारा जेसिका सिम्पसन भी थी जो अपने आप को तैयार कर रही थी मशीन गन से निकलने वाली गोलियों की कर्कश आवाज़ को सुनने के लिए.पर युद्द के मैदान में इसी तरह की आवाजों का संगीत ही मुख्य होता है. उस समय अमेरिकी नौसेना के मुख्य बंदूकची के साथ रहने वाले एक सहयोगी साथी  Keith McGinley की उंगलियां इस शानदार और जानदार मशीनगन का घोडा दबाने के लिए तैयार बर तैयार थीं.गौरतलब है की जब इस विशार्ल बड़े को अर्ब सागर में उतारा गया तो उस अवसर को और भी ताद्गारी बनाने के लिए गीत संगीत का एक कार्यक्रम भी हुआ.जवानों के जोश और मनोंरंजन जेसिका सिम्पसन भी वहां विशेष तौर पर मौजूद रहीं.संगीत और बंदूक के उन ख़ास यादगारी पलों को पहली अक्टूबर 2010 के दिन कैमरे में उतारा अमेरिकी नौसेना के मॉस मीडिया विशेषज्ञ  Tyler Caswell ने.आपको यह तस्वीर कैसी लगी ?--रेक्टर कथूरिया      

Thursday, August 26, 2010

अनसुनी का मंचन 27 अगस्त को

अरविन्द गौड़
अनसुनी वास्तव में नाट्य रूपांतरण है हर्ष मंडेर की पुस्तक Unheard Voices का; जिसका स्टेज शो आयोजित किया जा रहा 27 अगस्त दिन शुक्रवार को शाम के 07 :30 बजे. दिल्ली की लोधी रोड पर स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में इस नाटक का मंचन लोगों में उस वक्त भी एक नया उत्साह पैदा कर रहा है जब लोग बाढ़ की मार में हैं. इसकी स्क्रिप्ट लिखी है मल्लिका साराभाई ने और निर्देशन किया है स्टेज की दुनिया के जानेमाने रंगकर्मी अरविन्द गौड़ ने. वही अरविन्द गौड़ जो समाजिक अन्याय, घरेलू हिंसा, जाति-पाति, साम्प्रदायिकता, सत्ता की हिंसा जिसने मामलों पर अपनी आवाज़ मंच कला के ज़रिये  लगातार बुलंद कर रहे हैं. उनके ही स्थापित किये हुए संगठन अश्मिता आर्ट थिएटर ग्रु की ओर से किये जा रहे इस आयोजन में आप भी आइये ... इसका मज़ा आप निशुल्क ले सकते हैं. निमन्त्रण पत्र पाने के लिए आपको 9540656537, 9911013630 पर सम्पर्क करना होगा.  आपके पास भी अगर कोई ऐसी सूचना हो तो उसे हमारे साथ अवश्य शेयर करें.  --रेक्टर कथूरिया   

Sunday, July 11, 2010

दिल्ली में कला पर्दार्शनियों का आयोजन तेज़

कितनी हैरानी की बात है आज जबकि गोलियों, बमों, पिस्तोलों, बन्दूकों का कारोबार तेज़ होता जा रहा है, सुपारी देकर या लेकर हत्या का धंधा फलफूल रहा है उस खतरनाक और शर्मनाक दौर में भी कला की बात जोरशोर से बुलंद भी हो रही है और सुनी भी जा रही है. देश की राजधानी दिल्ली में कला पर्दार्शनियों का आयोजन शुरू हो चुका है.इस दिशा में अपने कलाकार साथी नरेंद्र मेहता भी सरगरम हैं.को भी देते हैं. आज सुबह मिले उनके एक मैसेज में भी इसी तरह की सूचनाएं थीं. वह इस तरह के आयोजनों की खबर खुद बी रखते हैं और अपने मित्रों तक भी पहुंचाते हैं.  नयी दिल्ली के कुपेर्निक्स मार्ग पर ललित कला अकैडमी रविंदर भवन की गैलरी नम्बर तीन और चार में एक शानदार प्रदर्शनी 11 जुलाई को सांय 6 बजे शुरू हुई.  अनिल शर्मन, गुरमीत मारवाह, लोकेश शर्म, मोहद.नसीम, मनप्रीत सिंह, प्रियंसी जैन, पियूष शर्मा, विशाल भुवानिया, विजित शर्मा, योगेश कसेरा, यादवेन्द्र जैसे 11 जानेमाने कलाकारों की कलाकृतियाँ आप को भी बुला रही हैं. इनमें पेटिंग्स भी हैं, फोटोग्राफ्स भी और प्रिंट्स भी. अगर आप अभी तक यहां नहीं पहुंचे तो जल्द पहुँचिये. यह पर्दर्शनी चलेगी यहां 17 जुलाई के शाम 7 बजे तक.इसी तरह एक और कला पर्दर्शनी Shridharani  आर्ट गैलरी ” त्रिवेणी कला संगम 205, तानसेन मार्ग, नयी दिल्ली-1 के पते पर 9 जुलाई को शाम पांच बजे शुरू हुई.कलाकार मयंक शर्मा की पेंटिंग्स पर आधारित यह पर्दर्शनी 24 जुलाई तक चलेगी.
एक और पर्दर्शनी का उद्घाटन अभी 15 जुलाई को जाने माने Shridharani  आर्ट गैलरी ” त्रिवेणी कला संगम 205, तानसेन मार्ग, नयी दिल्ली-1 के पते परकला आलोचक प्रयाग शुक्ला करेंगे शाम पांच बजे.आम जनता इसे 16 जुलाई से लेकर 25 जुलाई तक देख सकेगी. हर रोज़ सुबह 11 बजे शुरू होने वाली यह पर्दर्शनी शाम सात बजे तक खुला करेगी.कला पर्दार्शनियों के इस सिलसिले में ही ART MAKERS-circa 2010 की तरफ से एक कला आयोजन शुरू हो रहा १६ जुलाई को शाम 6:30 बजे से जो चलेगा तीन अगस्त की शाम सात बजे तक. इसमें बड़ोदा से मुक्तिनाथ मंडल और  Brighu  शर्मा, प्रतिभा सिंह और सचिन जार्ज. गुडगाँव से परिणिति पंडा और बंगलुरू से Priti Vadakkath जैसे जाने माने कलाकार शामिल होंगें.----आप इन कला पर्दार्शनियों को देखने जाएँ तो अपने विचार अवश्य भेजें.--रेक्टर कथूरिया