अभिनय और गायन में फिर लुधियाना की मौजूदगी का अहसास
पंजाबी फिल्मों की बात चले तो जो नाम और चेहरे एकदम जहन में आते है उनमें से एक चेहरा है सरदार भाग सिंह का। चंडीगढ़ के बस स्टैंड से बाहर निकलते ही सडक पार करके उनके घर में जाना किसी वक्त रोज़ की बात हुआ करती थी। वक्त की गर्दिश में फिर यह सिलसिला न चाहते हुए ही लगातार कम होता चला गया। यहाँ रोज़ी रोटी के फ़िक्र में ऐसे सिलसिले अक्सर कम हो जाते हैं। पर उनकी जो बातें अब तक जहन में हैं उनमें से एक है सोमवार। वह सोमवार को उपवास रखते थे। भगवान् शिव में उनकी गहरी आस्था थी। शिव का नटराज रूप उनके ड्राईंग रूम में भी सजा होता। कभी मूड होने पर वह भगवान् शिव और कला की विस्तृत चर्चा भी करते।
इसी तरह गायन और अभिनय के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने वाली सुलक्षना पंडित भी बहुत अध्यात्मिक थी।सर्दी हो या ओले बरस रहे हों हर रोज़ सुबह पूरे केशों सहित स्नान करना और फिर पूजा पाठ में काफी समय गुज़ारना उनकी दिनचर्या में शामिल था। उनकी आवाज़ में भी जादू सा था और अभिनय में भी। बहुत सी लोकप्रिय फिल्मों में यादगारी भूमिका निभा पाना और फिर फिल्म फेयर एवार्ड भी हासिल कर लेना कोई आसान बात नहीं थी। हालाँकि उनके सामने चुनौती भी सख्त थी और प्रतियोगिता भी।
दर्शकों के मन में हनुमान जी की छवि बनने के बाद दारा सिंह जी भी धर्म कर्म में बहुत रुचि लेने लगे। शायद यही कारण है कि दर्शक उनमें हनुमान जी को ही देखने लगे। पहले पहले मुझे लगता था की शायद इस तरह के सात्विक किस्म के लोग तामसिक प्रवृतियों से भरी फ़िल्मी दुनिया में सफल नहीं हो सकेंगे। पर इन सबकी सफलता देख कर दुनिया के साथ साथ मैं खुद भी हैरान रह गया। पंजाबी फ़िल्मी दुनिया के महारथी भाग सिंह ने किस तरह अपनी बेटी बरखा को पत्रकारिता की बारीकियों से अवगत करा कर एक कुआलिफाईड पत्रकार बनाया। अभिनय में नई जान डालने
वाली अपनी धर्मपत्नी कमला भाग सिंह के साथ किस तरह कदम दर कदम मिला कर कठिन से कठिन रास्तों पर चल कर सफलता की ऊंचाइयों को छुआ यह किसी करामत से कम नहीं। मुझे उनके परिवार के साथ इतय एक एक पल बिना किसी कोशिश के अब तक याद है। भाग सिंह जी का गोरा रंग और मेहंदी रंगी भूरी दाड़ी कुल मिलकर उनकी शख्सियत बहुत ही आकर्षक लगती रिटायर्मेंट के बाद इस तरह की सहेज पान तभी संभव होता है जब दिल और दिमाग के ख्याल भी बहुत खूबसूरत हों। ज़िन्दगी के सभी रंगों को उन्हों ने मुस्करा कर समझा। हर मुश्किल को उन्होंने हर बार सुस्वागतम कहा। एक आम इंसान की तरह ज़िंदगी जीते जीते वह अचानक ही अपनी सहजता के कारण खास हो जाते। मुझे याद है एक बार एक फ़िल्मी मेले के आयोजन को लेकर कुछ पत्रकार दोस्तों ने काफी कुछ विरोध में लिखा पर जब वे भाग सिंह जी के सम्पर्क में आये तो उनका नजरिया पूरी तरह बदल गया। वे समझ गए कि मामले को देखना अपनी अपनी सोच पर भी निर्भर करता है। जादू केवल जादूगर की छड़ी में नहीं शब्दों में भी होता है। बाद में यह विरोध दोस्ती में बदल गया। वे पत्रकार दोस्त दिल्ली से उन्हें मिलने विशेष तौर पर चंडीगढ़ आते।
इसी तरह दारा सिंह जी ने भी धमकियों और चुनौतियों को बहुत ही सहजता से सवीकार करके ज़िन्दगी जीने के नए अदाज़ सिखाये। चंडीगढ़ में दारा स्टूडियो की स्थापना का काम आसान नहीं था। मुझे पता चला कि उन्हें उतनी जगह नहीं मिली जितनी वह चाहते थे। किसी सनसनीखेज़ खबर की चाह में मैंने दारा जी से इसी मुद्दे पर सवाल कर दिया। दारा जी मुझे देखकर मुस्कराए और बहुत ही सहजता से बोले अगर सरकार यह जगह भी न देती तो हम क्या कर लेते? दारा जी जैसे महान लोगों ने जिंदगी को जो सलीके और सबक सिखाये उनकी अहमियत वक्त के साथ साथ लगातार बढती रहेगी। उनके पास बैठ कर, उनसे बातें करके एक नई ऊर्जा का अहसास होता था।
भक्ति में शक्ति के आधार पर आगे बढ़ रहा गौरव सग्गी
Photo Courtesy:Sara Tariq |
दर्शकों के मन में हनुमान जी की छवि बनने के बाद दारा सिंह जी भी धर्म कर्म में बहुत रुचि लेने लगे। शायद यही कारण है कि दर्शक उनमें हनुमान जी को ही देखने लगे। पहले पहले मुझे लगता था की शायद इस तरह के सात्विक किस्म के लोग तामसिक प्रवृतियों से भरी फ़िल्मी दुनिया में सफल नहीं हो सकेंगे। पर इन सबकी सफलता देख कर दुनिया के साथ साथ मैं खुद भी हैरान रह गया। पंजाबी फ़िल्मी दुनिया के महारथी भाग सिंह ने किस तरह अपनी बेटी बरखा को पत्रकारिता की बारीकियों से अवगत करा कर एक कुआलिफाईड पत्रकार बनाया। अभिनय में नई जान डालने
पठानकोट में गौरव सग्गी के भक्ति रस में झूमते भक्त |
लुधियाना का गौरव सग्गी |
आज अचानक यह सब कुछ मुझे याद आ रहा है एक नए युवा चेहरे को देख कर। लुधियाना का गौरव सग्गी भी फ़िल्मी दुनिया को समर्पित है लेकिन पूरी तरह सात्विक रहते हुए। तकरीबन तकरीबन हर रोज़ उपवास, हर रोज़ पूजा पाठ, हर रात्रि मेडिटेशन। सोने में चाहे आधी रात हो जाये लेकिनउठना वही रात को दो बजे और ठंडे पानी से नहा कर रम जाना पूजा पाठ में। मेडिटेशन, रियाज़ या फिर शूटिंग, रिकार्डिंग या कोई और परफोर्मेंस बस यही है गौरव की दिनचर्या। मैंने कभी गौरव को आम लडकों की तरह इधर उधर आलतू फालतू बातों में नहीं देखा। लुधियाना से मुम्बई और मुम्बई से विदेश तक यही है उसका लाइफ स्टाइल।
कहते हैं धरती गोल भी है बहुत छोटी भी। बस इसी सिद्धांत पर एक बार हमारी मुलाकात पठानकोट में हुई। सुबह मूंह अँधेरे से लेकर देर शाम तक हम एक साथ रहे। यह सब किसी प्रोजेक्ट को लेकर था और इसके बारे में वहां शायद किसी को खबर भी नहीं थी लेकिन हमें वहां बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के जाना पड़ा एक ही आयोजन में। हम सब ने जलपान किया लेकिन गौरव का उपवास था। खाना तो दूर जल या चाये की एक बूँद भी नहीं। अचानक ही मेरे सामने किसी आयोजक ने मंच पर गौरव का नाम अनाऊंस करवा दिया और उसके बाद कमरे में आ कर कहा कि अब आप मंच पर आ जाइये अगली बारी आपकी है। सुन कर मुझे चिंता हुई। मुझे मालूम था कि गौरव ने सुबह से कुछ नहीं खाया।
चाये या पानी का एक घूँट भी नहीं। मुझे लगा कि शायद यह लड़का कहीं मंच पर गिर न पड़े। इसके साथ ही न वहां गौरव की टीम थी न ह साज़ और संगीत का पर्याप्त प्रबंध। पर गौरव के चेहरे पर न चिंता, न डर, न ही घबराहट। आशंकित मन के साथ कुछ ही पलों के बाद मैं भी पीछे पीछे बाहर बने मंच पर चला गया।वहां मेरे देखते ही देखते गौरव ने भगवान् का नाम लेकर अपना गायन शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वहां मौजूद सभी लोग पहले तो मस्त हुए फिर उठ कर गौरव के साथ साथ झूमने लगे।मुझे वह दिन अब भी याद आता है तो मुझे फिर फिर हैरानी होने लगती है। सुबह से लेकर रात तक मैंने गौरव पर से आँख नहीं हटाई तां कि वह छुप कर कहीं कुछ खा तो नहीं रहा पर सचमुच उसने सारा दिन कुछ नहीं खाया-पीया। मुझे लगता है कि इस के बावजूद इतनी अच्छी परफारमेंस किसी दैवी शक्ति से ही संभव हो सकी। गौरतलब है की मेडिटेशन करने वालों की कार्यक्षमता अक्सर बढ़ जाती है। मन की शक्ति एकाग्र हो जाने से उनकी योग्यता विकसित होती है।यही कारण है गौरव एक्टिंग में भी काम कर रहा है और गीत संगीत में भी। इसके साथ ही कैमरे की बारीकियों को भी वह बहुत ही अच्छी तरह से समझता है। अपनी लोकप्रिय एल्बम "रब दा सहारा" में उसने गायन और अभिनय दोनों में अपना जादू दिखाया है। आखिर में एक बात और इस सबके लिए वह अपने पिता अश्विनी सग्गी और माता के आशीर्वाद को ही एक वरदान मानता है।-रेक्टर कथूरिया
You may contact Gaurav at gauravsaggi@ymail.com
Mobile:(Punjab) 09914301145
Mobile: (Mumbai) 0996 734 049
Mobile: (Mumbai) 0996 734 049
1 comment:
आपने बिलकुल सही कहा इसके साथ खुदा , पीर फकीरों का आशीर्वाद है ...मुझे आपकी यह पोस्ट बहुत हे खूबसूरत लगी आपने इसमें इसके मम्मी पापा का जीकर किया है . यह बिलकुल सही farmaiya आपने . मैं गौरव सग्गी के साथ उनको शो में मुलाकत्त हुई थी जब पहली बार देखा तो समझ गिया की यह लड़का खुदा द्वारा भेजा गिया है . नूर सरूर से ही मालूम हो ही जाता है ....आपको एक बात वो हमेशा आपनी मस्ती में होता है ...मुझे अभी भी याद है जब मैंने उसका ऑटोग्राफ माँगा तो मेरे तरफ देख कर कहता है ..भाई यह तो मेरी ख़ुशी है के मेरा ऑटोग्राफ आप लेने आये हो ...मैं आपको ज़रूर दूंगा वलकिन आपके साथ कौन आया .. मैंने कहा के मेरे पिता जी उन्होंने कहा कहा पर है मैंने कहा वो बाहर खड़े हैं ...वो ऊसी वक्त रूम से बाहर गए और सबके सामने उनके पाँव छुए और आदर सत्कार दिया .. यह मने आपसे बात शेयर के कियोंकी अपने भाव आज मुझे मौका मिल गिया आपके ज़रिये ....शुक्रिया
Post a Comment