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Friday, September 17, 2021

विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 17 सितंबर 2021

 17th September 2021 at 05:21 PM WhatsApp

सुरक्षित और सम्मानजनक डिलीवरी के लिए अभी कारवाई करें...

सुरक्षित मां और नवजात शिशु की देखभाल, WHO द्वारा प्रदान किया गया कॉल

लुधियाना: 17 सितंबर 2021: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

मिशन पुनर्जोत के स्वास्थ्य शिक्षा अभियान के तहत डॉ. रमेश एम.डी. स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में रोगियों की सुरक्षा को संवेदनशील बनाने के लिए विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के अवसर पर निदेशक, पुनर्जोत आई बैंक लुधियाना की ओर से डॉ. रमेश सुपर स्पेशियलिटी आई एंड लेजर सेंटर, लुधियाना में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया।

उन्होंने कहा कि विश्व रोगी सुरक्षा दिवस, 17 सितंबर 2021 के लिए, WHO ने सभी हितधारकों से "सुरक्षित और सम्मानजनक डिलीवरी के लिए अभी कार्रवाई करने" की अपील की है। "सुरक्षित माताओं और नवजात देखभाल" विषय के साथ। गर्भावस्था और प्रसव से संबंधित रोके जा सकने वाले कारणों से प्रतिदिन लगभग 810 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा, हर दिन लगभग ६,७०० नवजात शिशुओं की मृत्यु होती है, जो सभी अंडर -5 मौतों का ४७% है। इसके अलावा, लगभग 2 मिलियन बच्चे अभी भी हर साल पैदा होते हैं, 40% से अधिक बच्चे के जन्म के दौरान। असुरक्षित देखभाल के कारण महिलाओं और नवजात शिशुओं को होने वाले जोखिम और नुकसान के महत्वपूर्ण बोझ को देखते हुए कोविड-19 महामारी के कारण आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित होने के कारण इस वर्ष अभियान और भी महत्वपूर्ण है।

सौभाग्य से, एक सहायक वातावरण में काम करने वाले कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षित और गुणवत्ता देखभाल नवजात शिशुओं और नवजात शिशुओं के अधिकांश जन्म और मृत्यु को रोक सकती है। यह केवल सभी हितधारकों की भागीदारी और व्यापक स्वास्थ्य प्रणालियों और समुदाय-आधारित दृष्टिकोणों को अपनाने के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि पिछले तीन दशकों से हम पंजाब में अंधेपन के नियंत्रण के लिए विशेष रूप से सामुदायिक नेत्र विज्ञान और सुपर स्पेशियलिटी नेत्र देखभाल सेवाओं के लिए पूरी देखभाल और पूरी सुरक्षा के साथ काम कर रहे हैं।

वर्तमान में भारत सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा नियमों को बनाए रखने के लिए भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानक निर्धारित किए हैं।

निजी अस्पतालों को अस्पताल बोर्ड द्वारा एनएबीएच के राष्ट्रीय मान्यता के प्रतीक के रूप में पूर्ण मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जहां कोई भी स्वास्थ्य देखभाल के दौरान गुणवत्ता और सुरक्षा पर भरोसा कर सकता है।

हमें 2008 से पंजाब सरकार से आई बैंक मान्यता, 2014 से भारतीय गुणवत्ता परिषद से सेफ आई, अस्पताल संक्रमण नियंत्रण मान्यता और 2017 से एनएबीएच मिला है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ सुपर स्पेशियलिटी नेत्र देखभाल सेवाओं के क्षेत्र में बेहतर नेत्र देखभाल और रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है। विशेष रूप से जो अधिक खर्च नहीं कर सकते, हम हमेशा अन्य स्वास्थ्य संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और जनता को सोशल मीडिया, प्रदर्शनियों, सेमिनारों और प्रशिक्षणों के माध्यम से मानव जीवन और बेहतर स्वास्थ्य को बचाने के लिए सुरक्षा उपायों की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2019 की स्थापना रोगी सुरक्षा की वैश्विक समझ बढ़ाने, स्वास्थ्य सुरक्षा में सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाने और रोगी सुरक्षा बढ़ाने और रोगी के नुकसान को कम करने के लिए वैश्विक कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। दिन की अवधारणा को समझते हुए, हमें सामूहिक रूप से काम करना चाहिए। मानव जीवन को बचाने के लिए।

Sunday, May 31, 2020

मृत्यु, बीमारी और गरीबी का प्रमुख कारण : धूम्रपान

 कैंसर का प्रमुख कारण: धूम्रपान 
*धूम्रपान से होती है दुनिया भर में एक वर्ष में 8 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु
लुधियाना: 31 मई 2020: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)
विश्व तंबाकू दिवस हर साल 31 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह वार्षिक उत्सव जनता को तम्बाकू के उपयोग के खतरों, तम्बाकू कंपनियों की व्यावसायिक प्रथाओं, उनके आस-पास के लोग, एक स्वस्थ दुनिया पर अपना दावा करने और भावी पीढ़ियों की रक्षा करने और तम्बाकू महामारी से लड़ने के बारे में बताते हैं। जानें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) क्या कर रहा है.

आज विश्व तंबाकू दिवस पर डॉ। रमेश एम। डी स्टेट अवार्डी, नेत्र रोग विशेषज्ञ, चिकित्सा निदेशक, डॉ। रमेश सुपरस्पेशलिटी आई एंड लेजर सेंटर और पुनर्जोत आई बैंक सोसायटी (रजि।), लुधियाना ने कहा कि धूम्रपान दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है, जो इसे दुनिया के प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक बनाता है। प्रत्येक वर्ष 8 मिलियन से अधिक लोग मारे जाते हैं इनमें से 7 मिलियन से अधिक मौतें सीधे धूम्रपान के उपयोग का परिणाम हैं, जबकि लगभग 1.2 मिलियन धूम्रपान करने वाले सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में हैं।

तंबाकू के सभी रूप हानिकारक हैं, और तंबाकू के संपर्क का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है। धूम्रपान दुनिया भर में तंबाकू के उपयोग का सबसे आम रूप है।

दुनिया भर में 1.3 बिलियन धूम्रपान करने वालों में से 80% निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं, जिसमें तंबाकू से संबंधित बीमारी और मृत्यु का सबसे अधिक शिकार होता है।

तंबाकू के धुएं के संपर्क में कोई सुरक्षित स्तर नहीं है, जो हर साल 1.2 मिलियन से अधिक समय से पहले मृत्यु और गंभीर हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनता है।

2003 में, WHO के सदस्य राज्यों ने सर्वसम्मति से तम्बाकू नियंत्रण पर WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन को अपनाया। 2005 से प्रभावी, वर्तमान में दुनिया की 90% से अधिक आबादी वाले 182 दल हैं।

WHO FCTC सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में एक मील का पत्थर है। यह एक साक्ष्य-आधारित संधि है जो लोगों के स्वास्थ्य के उच्च स्तर पर अधिकार की पुष्टि करता है, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सहयोग के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है और अनुपालन के लिए उच्च मानक निर्धारित करता है। संधि की स्थापना को मजबूत करना विशेष रूप से 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को 3. ए के रूप में शामिल करता है।

आज पूरी दुनिया एक कोरोना जैसी महामारी से लड़ रही है, जिसमें प्रत्येक मनुष्य इस महामारी से बचने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन कर रहा है यहां तक ​​कि अगर धूम्रपान जैसी महामारी को रोकने के लिए ऐसे नियमों का पालन किया जाता है, तो कुछ ही समय में धूम्रपान को रोका जा सकता है।
डाक्टर रमेश एम डी हैं और स्टेट अवार्डी भी हैं 
उनसे संपर्क किया जा सकता है उनके मोबाईल नंबर +917589944331 के ज़रिये 

Sunday, December 23, 2018

पास्टर सुलतान मसीह की याद में डा. रमेश मंसूरां का निशुल्क आई कैंप

जहां पास्टर की हत्या की गयी वहां पर फिर उमड़ा प्रेम का संदेश 
लुधियाना: 23 दिसंबर 2018: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
बेहद लोकप्रिय थे पास्टर सुल्तान मसीह। हर किसी को हमेशां अपने  लगते। उनकी आवभगत भी कमाल की थी। बातें करते हुए जब वह ताली या चुटकी बजाते तो उनके स्टाफ को मालूम हो जाता कि इस मेहमान को क्या पसंद है। चाय या काफी? मीठा या नमकीन? पकौड़े या समोसे? उनकी आवभगत का अंदाज़ बिलकुल निराला था। 
किसी की सहायता करते वक़्त भी वह किसी को कानोकान खबर न होने देते। जिसकी मदद करते उसको भी बस उसे भी मदद होने पर ही पता चलता और उसे भी कहते बस चुप रहना।  यह सब भगवान येशु ने किया। उसको कभी कमज़ोर या हल्का महसूस न होने देते। जब 15 जुलाई 2017 को उनकी बर्बर हत्या की गयी तो बहुत से लोगों को लगा कि उन के सिर से उनका सहारा उठ गया। जिस चर्च में कभी हर पल रौनक औऱ खुशियों  का माहौल बना रहता था उस पर पुलिस का पहरा लग गया। यह सब कुछ सुरक्षा के लिए ही हुआ था लेकिन अहसास में कुछ डर सा अवश्य महसूस होने लगा। उस माहौल को तोड़ने में पास्टर सुलतान मसीह के बेटे अली शा ने बहुत हिमत दिखाई। पिता से बिछड़ने का गम भूलना आसान नहीं था लेकिन चर्च की ज़िम्मेदारी को देखते हुए उन्होंने खुद को सहज किया। 
आज उसी चर्च में जब आँखों की जाँच का निशुल्क कैम्प लगा तो ऐसे महसूस हुआ जैसे वह प्रेम भरा पुराना माहौल फिर लौट आया हो। डाक्टर रमेश मंसूरां की देख रेख में पुनर्जोत अभियान का स्टाफ इस मेडिकल शिविर में सक्रिय था। जहाँ कभी पास्टर सुल्तान मसीह गरीबों की ज़िंदगी में आये अंधेरों को दूर किया करते थे वहीँ आज डाक्टर रमेश का स्टाफ गरीब और ज़रूरतमंद लोगों की आँखों का इलाज करके उनकी ज़िंदगी में छाये अंधेरों को दूर कर रहा था। इस मौके पर पुनर्जोत अभियान के सक्रिय स्टाफ मेंबर मंजीत कौर कई कई बार भावुक हुई। इसी तरह एक और सक्रिय सदस्य रछपाल ऋषि ने भी कई बार पास्टर सुलतान मसीह को याद किया। 
वास्तव में यह कैंप उन्हीं की याद में लगाया गया था। चर्च में लगे इस कैंप में डाक्टर रमेश के स्टाफ को पूरा सहयोग दिया चर्च के स्टाफ ने।  बहुत से लोग आये। बहुत से लोगों ने इस कैंप का फायदा उठाया। किसी के ऑपरेशन की समस्या हल हुई। किसी को आँखों के दर्द की दवा मिली। किसी ने चश्में एक नंबर बनवाया। किसी ने ऐनक निशुल्क ली। यहाँ दवाएं भी बिलकुल फ्री बांटी गयी। खानेपीने का प्रबंध चर्च की तरफ से था। कुल मिलाकर यह एक सफल कैंप था। लोगों की भीड़ को देख कर शहीद पास्टर सुलतान मसीह के बेटे और मौजूदा पास्टर अली शा ने भी संतोष व्यक्त किया। जिस जगह पर पास्टर सुलतान मसीह की हत्या की गयी थी उस जगह पर फिर से शांति और जनसेवा का संदेश इस कैंप के ज़रिये लोगों तक पहुंच रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे पास्टर  खुद इसी कैंप में मौजूद हों और छुप कर सब कुछ देख रहे हों। 

Monday, June 12, 2017

महंगाई के चलते कैम्पों से मिलती है आम लोगों को कुछ राहत

श्री दण्डी स्वामी मंदिर के मेडिकल कैम्प में हुई 600 मरीज़ों की जांच 
लुधियाना:11 जून 2017: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन):: More Pics on facebook 
विकास के दावे सियासत वालों की या उनके समर्थकों की तो मजबूरी हो सकती है पर हमारी नहीं। ज़मीनी हकीकत देखना और दिखाना हमारा कर्तव्य भी है और मकसद भी। दावे कितने सच्चे हैं यह हकीकत हम आपके सामने लाते रहते हैं। इस बार इस हकीकत कोदेखने का बहाना बना है एक मेडिकल कैम्प। जब कहीं मेडिकल कैम्प लगता है तो वहां बहुत से ऐसे लोग भी आते हैं जो कभी कभी उच्च मध्यम वर्गीय परिवारों से भी सबंधित होते हैं। कैम्प में आये हुए इन लोगों के दिल को टटोलने और उनकी आंखों में ध्यान से देखने पर पता चलता है कि कितनी देर हो चुकी है उन्हें यह सोचते हुए कि अपना इलाज  लेकिन लेकिन वे चाह कर भी अपना इलाज नहीं करवा पाए। दिन-ब-दिन महंगे हो रहे इलाज के कारण अस्पतालों में जाने से पहले बार बार सोचना पड़ता है। ऐसे बेबस और मजबूर लोगों के लिए मेडिकल कैम्प आवश्यक इलाज की सुविधा और अवसर का वरदान ले कर आते हैं। 
आज लुधियाना के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री सिद्ध पीठ श्री दंडी स्वामी मंदिर में एक ऐसा ही कैम्प था। बहुत से लोग मिले जो बहुत देर से अपनी शूगर तक चैक नहीं करवा सके थे। बहुत से लोग ऐसे भी थे जिनके लिए बीपी चैक करवाना भी सम्भव न हो सका। बहुत से लोग ऐसे थे जिनको अपनी बीमारी की समझ नहीं आ रही थी। बहुत से लोग आंखों का आपरेशन करवा पाने की स्थिति में भी नहीं थे। हमारी टीम को इस कैम्प में जाने का अवसर मिला गांव मंसूरां वाले डाक्टर रमेश की तरफ से आये निमंत्रण के बहाने से। कैम्प में पहुँच कर मिली बहुत से लोगों की बहुत सी कहानियां जिनको आम तौर पर न तो मीडिया में जगह मिलती है न ही सियासतदानों के दरबार में। यूं भी दुःख सभी को बता पाना आसान कहाँ होता है। हम भी उनके दिलों में छुपा उतना ही दुःख पाए जितना बातों बातों में उनकी आँखों तक झलक आया। हमें लगा अगर इनकी बेबसी और मूलभूत आवश्यकता को नज़र अंदाज़ करके समाज का विकास देखा गया तो विकास के वे आंकड़े सच्चे नहीं होंगें। More Pics on facebook 
शहर के सिविल लाइंस इलाके में स्थित श्री सिद्ध पीठ श्री दंडी स्वामी मंदिर में फ्री मेडिकल कैंप का आयोजन पं. राज कुमार शर्मा की अगुवाई में किया गया था। सफेद वस्त्रों में पंडित राजकुमार जी हर टेबल पर जा कर काम तो बार बार चैक करते हैं पर जल्दी किये मीडिया के सामने नहीं आते। पूछ भी लो तो कहेंगे आप मरीज़ों से बात करो--डाक्टरों के विचार सुनो। मैं तो सेवादार हूँ। इस कैंप में विशेष रूप से आंखों के माहिर डॉ. रमेश मंसूरा, डॉ. वरुण मेहता, डॉ. अमित कांसल, डॉ. संदीप शर्मा, डॉ. सुरिंदर गुप्ता और अन्य डॉ. विशेष रूप से मरीज़ों का इलाज़ करने को सहयोग दिया। कैंप में आंखों के 600 मरीज़ों का चेकअप किया गया। इस मौके पर चौधरी मदनलाल बग्गा, अनिल शर्मा, चंदर मोहन, राजेश गाबा, रवि मल्होत्रा, गुलशन नागपाल, पं. गोपाल शर्मा, राजिंदर नागपाल, धर्मवीर, दीपक शर्मा भी मौजूद थे। तकरीबन हर टेबल पर भीड़ थी। दुःख और मसीबत के मरे लोगों की आँखों में एक चमक भी थी। यह चमक उम्मीद की किरण से आ रही थी। खुद को फिर स्वस्थ महसूस करने की उम्मीद। More Pics on facebook 
शूगर की जाँच टेबल पर जा कर पूछा तो पता चला कि  ज़्यादातर लोग 30 वर्ष से अधिक उम्र के ही आए थे पर शूगर सभी को थी। किसी को कम किसी को ज़्यादा। इसी तरह ब्लड प्रेशर की जाँच कर रही मैडम आशा ने बताया कि ब्लड प्रेशर भी यहाँ जाँच के लिए आये तकरीबन सभी लोगों को था। हाँ हाई बीपी के मरीज़ लो बीपी से कुछ ज़्यादा थे। इसी तरह गैस्ट्रो के मरीज़ भी बहुत ज़्यादा थे। डाक्टर वरुण मेहता बहुत ध्यान से सभी को देख रहे थे। कुछ मरीज़ों ने बताया कि उनके इलाके में पानी शुद्ध नहीं आ रहा। बहुत बार कहा लेकिन पानी शुद्ध नहीं हुआ। आँखों के मरीज़ों की संख्या शायद सभी से अधिक थी। बाद दोपहर तक लम्बी लम्बी लाइनें. नज़र आयी।  सफेद मोतिया, कला मोतिया और बहुत सी अन्य समस्याएं। डाक्टर रमेश से मिल कर इन मरीज़ों को एक नयी ख़ुशी मिली।  दुनिया को फिर से ठीक रूप में देख पाने की उम्मीद जगी। इनकी अँधेरी ज़िंदगी में रौशनी का संदेश लाये डाक्टर रमेश। ये वे लोग थे  जो दोबारा देख पाने की संभावना का सपना भी नहीं लेते थे। More Pics on facebook 
इसी तरह ई एन टी के जांच टेबल पर कम सुनने वाले मरीज़ों की संख्या ज़्यादा थी। डाक्टर संदीप शर्मा बहुत बारीकी से सभी की जाँच कर रह थे। इन मरीज़ों में भी छोटी बड़ी उम्र के मिले जुले मरीज़ ज़्यादा थे। फैक्ट्रियों में चलती बड़ी बड़ी मशीनों के आवाज़ों से पैदा होते शोर के प्रदूषण ने इनके कानों पर बहुत बुरा असर डाला। इन मरीज़ों को भी इसी कैम्प में आ क्र राहत मिली। 
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Wednesday, November 02, 2016

एक ख़ास डॉक्टर ने दोहराया समाज सुधार का संकल्प

नाटकों के ज़रिये समाज का अँधेरा दूर करने का हिम्मतवर प्रयोग 
लुधियाना: 2 नवम्बर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
समाज और समाज की सोच को बदलने की भावना हर किसी के मन में पैदा ही नहीं होती।  इसके लिए भी प्रकृति चुनाव करती है किसी ख़ास व्यक्ति का जिसका आत्मबल बलवान हो और जीवनशैली जन भलाई से भरी हुई। इस बार प्रकृति ने चुनाव किया है हर व्यक्ति को आंखों के दीपक देने में जुटे डॉक्टर रमेश मेहता का। डॉक्टर रमेश का मानना है कि समाज का एक बड़ा हिस्सा भी मानसिक तौर पर अँधा हो चुका है। बेटियों का अपमान, भ्रूण हत्या, नशाखोरी और रेप जैसे कुकृत्य कोई समझदार व्यक्ति कर ही नहीं सकता। राह जाती लड़कियों पर तेज़ाब फेंकना, उन्हें ज़िंदा जलाना, बहु को दहेज के लिए तंग करना किसी ऐसे अंधे व्यक्ति का ही काम हो सकता है जिसे अपने स्वार्थ के सिवा कुछ और नहीं दिखता।  जो पूरी तरह सम्वेदनहीन हो चुका है जैसे कि  कोई पत्थर हो। 
इस अंधे समाज को भी आंखें देने का संकल्प डॉक्टर रमेश ने किया हाल ही में। इस मकसद के लिए वह अपने चिकित्सा औज़ारों के साथ साथ अब कलम को भी हथियार बना रहे हैं। उन्होंने मीडिया से भी इस मकसद के लिए सहयोग माँगा है। उन्होंने एक ड्रामा लिखा "पुनरजोत का विवाह" जो कि बेहद लोकप्रिय हो रहा है। अब रविवार 6 नवम्बर 2016 को इसका मंचन होगा गाँव बद्दोवाल में जहाँ बाबा जसपाल सिंह की देखरेख में भाई घनईया चैरिटेबल अस्पताल की तरफ से बहुत सी ज़रूरतमन्द लड़कियों के सामूहिक विबाह एक साथ किये जाएंगे जिनकी संख्या 100 से ऊपर भी हो सकती है।   
यह जानकारी डॉक्टर रमेश ने आज पंजाबी भवन में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में दी। इस अवसर पर इस नाटक की सह निर्देशिका सपनदीप कौर  भी अपनी टीम के साथ मौजूद थीं। सपनदीप कौर ने कहा कि जनता को जगाना अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक कर्तव्य है। सपनदीप कौर ने पाश की एक प्रसिद्ध कविता के कुछ अंश भी पढ़े। भाई घनईया चैरिटेबल अस्पताल की तरफ से गुरप्रीत सिंह भी विशेष तौर पर पहुंचे। 
गौरतलब है कि डॉक्टर ऐस एन सेवक की सरपरस्ती में हो रहे इस नाटक के मंचन की मांग लगातार बढ़ रही है। नवांशहर से आने वाली जागो भी इस आयोजन का विशेष आकर्षण होगी। यह जागो भ्रूण हत्या की बुराई को कम करने के लिए निकाली जा रही है।