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Saturday, July 18, 2015

RTI नहीं अभी भी पैसा और डंडा स्ट्रांग है

RTI एक्टिविस्ट सतपाल शर्मा ने जताई फिर हमले की आशंका 
RTI एक ऐसा जादू जो समाज को बदल सकता है 
पर साथ ही एक ऐसा विषधर सांप भी जिसे काबू कर पाना हर किसी के बस का काम नहीं। 
लुधियानातकरीबन हर विभाग की सूचना उपलब्ध कराने वाला यह चमत्कारी अधिकार सबको बहुत अच्छा भी लगता है लेकिन इसका उपयोग आपको सुरक्षा से निकाल कर ऐसी असुरक्षा में ले जाता है जहां कदम कदम पर खतरे ही खतरे हैं और दुश्मन ही दुश्मन।  दुश्मन बेगाने ही हों यह भी ज़रूरी नहीं वे आपके अपने भी हो सकते हैं। कुछ यही हो  रहा है लुधियाना में सतपाल शर्मा के साथ। 
पीएयू  में क्लास वन अफसर रह चुके सतपाल शर्मा जब रिटायर हुए तो वृद्धा अवस्था के बावजूद वे निकल पड़े समाज को बदलने।  उस समाज को, जिसकी रग रग में कुरप्पशन रच चुकी है।  पैसा जिसका दीन ईमान बन चूका है। मिलावट और रिश्वतखोरी जहाँ आम हो चुकी है। 
अच्छी भली पेंशन मिलती है और बच्चे सेटल हैं पर सतपाल शर्मा खुद को तब तक सेटल नहीं मानते जब तक यह पूरा समाज सेटल नहीं होता। समाज को बचाने और बदलने के लिए उन्होंने सहर लिया RTI का। कुछ जवाब भी मिले, कुछ काम भी हुए लेकिन एक शाम अचानक गली से निकले तो अचानक उन्हें घेर लिए कुछ गुंडों ने। आव देखा न ताव सतपाल शर्मा को ज़मीन पर गिरा दिया और गले में रस्सा डाल कर शुरू हो गयी पिटाई। उस शाम की बात बताते हुए सतपाल शर्मा आज भी सहम जाते हैं। 
उन्होंने किसी तरह दांव लगाया।  जवानी में खाया घी काम आ गया और वे बच कर भाग लिए।  भाग कर जान बचाई।  साथियों ने अस्पताल पहुँचाया।  बहुत सी अर्ज़ियाँ, बहुत से ज्ञापन लेकिन कोई सुनवाई नहीं। उनके बयान तक नहीं हो पाये। 
इसके बावजूद सतपाल शर्मा निराश नहीं हुए। वे निकल पड़े इन्साफ के संघर्ष को आगे बढ़ाने।  साथ दिया अनीता शर्मा, श्रीपाल शर्मा और एस के गोगना जैसे कुछ शुभचिंतकों ने। हमलावरों की घेराबंदी की तो एक के बाद एक कई सुराग मिले।  यह मामला भी पैसे की बहुतायत से पैदा हुआ।  हमला करने वाली एक जानी मानी स्वीट शॉप फर्म का कहना था कि उनके पास इतना पैसा है कि वह कुछ भी कर सकते हैं।  सतपाल शर्मा की पिटाई के बावजूद उनका कुछ न बिगड़े यह उन्होंने कर के भी दिखाया। 
इधर सतपाल शर्मा लगे रहे एक के बाद एक परत उतरती रही।  आखिर नगर निगम ने उस फर्म के गोदाम को सील कर दिया।  रिहायशी इलाके में गोदाम कैसे चल सकता है? नियमों की अवहेलना और बाहुबलियों के ज़ोर पर यहाँ सब कुछ चलता है।  पैसे और बंदूक   का ज़ोर मुकाबिल होने के बावजूद सतपाल शर्मा इसे सील करवाने में सफल रहे लेकिन उन्होंने कहा कि फर्म का मालिक बड़ा पैसे वाला है वह इसे आज रात को ही खुलवा लेगा। 
जब जन समर्थक मीडिया की टीम इसकी कवरेज कर रही थी तो सिफारशें आणि शुरू हो गयी कि छोडो यह कौन सा बड़ा मामला है? सिफारिशों में खुद को बहुत बड़े मीडिया संस्थान का मीडिया कर्मी कहने वाले भी शामिल थे।
अब सतपाल शर्मा का अंदेशा सिर्फ अंदेशा ही रहता है या फर्म सचमुच सील को तोड़ने तुड़वाने में कामयाब रहती है इसका पता तो समय आने पर ही चलेगा।  RTI नहीं अभी भी पैसा और डंडा स्ट्रांग है 
वीडियो भी देखिये 


Friday, June 12, 2015

आरटीआई कार्यकर्ता सतपाल शर्मा पर हमला

बेलन ब्रिगेड प्रमुख अनीता शर्मा और कई अन्य लोग पहुंचे हाल पूछने 
लुधियाना:12 जून  2015: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
आरटीआई का सिस्टम शुरू हुआ तो इसने एक ऐसा बदलाव लाना शुरू कर दिया जिसे लोग चाहते तो थे पर एक सपना समझते थे। यह आज़ादी थी हकीकत को देखने की आज़ादी। मुफ्त में आजकल मिटटी भी नहीं मिलती।  इसलिए हर चीज़ की कीमत अदा करनी पड़ती है। आरटीआई कार्यकर्ता इसकी कीमत अपनी जान को खतरे में डाल कर अदा कर रहे हैं।  लोगों को ज़हर खिलाने पिलाने वाले, दफ्तरों में सरकारी काम को नज़रअंदाज़ वाले और घोटालेबाज़ आरटीआई कार्यकर्ताओं को बेहद दुश्मनी की नज़र से देखते हैं। दुश्मनी की इस नज़र का नया निशाना बने हैं लुधियाना के जानेमाने आरटीआई कार्यकर्ता सतपाल शर्मा। 
उन्होंने एक मामले में आरटीआई डाली तो मामला खुलना ही था। इस मामले के बेनकाब होने से घबराये हुए एक हलवाई ने अपने साथियों सहित   सतपाल शर्मा पर शाम को पौने सात बजे हमला कर दिया।  ज्यों ही वह घर से निकले उन्हें घेरत लिया गया और छत में लगने वाले बाले जैसी किसी लकड़ी के साथ उन्हें सड़क पर गिराकर पीटना शुरू कर दिया गया। 
सतपाल शर्मा मौके की नज़ाकत को देखते हुएअपनी नगदी और अन्य कीमती सामान और पैरों की चप्पल तक वहां छोड़ कर किसी तरह उनके चुंगल से बच निकले।।उनके दोस्तों ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुँचाया इसकी सूचना पुलिस को भी दी गई। 
आरटीआई के इस जांबाज़ कार्यकर्ता का हालचाल पूछने के लिए अनीता शर्मा, श्रीपाल शर्मा, एस के गोगना और कई अन्य लोग तुरंत अस्पताल पहुंचे। टेलीफोन और सोशल मीडिया पर उनका हाल पूछने के लिए एक बाढ़ सी ही आ गयी।