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Sunday, December 09, 2018

राम मन्दिर कानून से नहीं-शक्ति से बनेगा-ठाकुर दलीप सिंह का संदेश

9 December 2018 को 19:28 बजे किया गया (WTM by RPK)
अब श्रीराम तंबू में न रहे-भव्य मंदिर शीघ्र बने:महन्त रामदास
जालन्धर: 9 दिसम्बर 2018: (राजपाल कौर//पंजाब स्क्रीन)::
अरविंदर सिंह द्धारा दिल्ली से प्राप्त तस्वीर संदेश 
अयोध्या में श्रीराम मन्दिर के भव्य निर्माण के लिए कोई कानून बन सकता है तो ठीक नहीं तो बिना कानून ही बनवा दीजिए क्योंकि जब श्रीराम मन्दिर गिराया था तो किस कानून के अधीन गिराया था जो बिना कानून गिराया हो वह बिना कानून ही बनेगा। सरकार गिरे या बचे कोई भी हालात बनें लेकिन भव्य निर्माण श्रीराम जन्मभूमि पर अवश्य बनना चाहिए हमारी नामधारी संगत पूर्णरूप से आपके साथ है। क्योंकि कानून कमजोरों के लिये होता शक्तिशालियों के लिये कोई कानून नहीं होता उक्त संदेश नामधारी समाज से सत्गुरू दलीप सिंह जी महाराज द्वारा भेजा गया था जिसे संत पलविन्द्र सिंह ने आज शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मन्दिर परिसर में आयोजित विराट धर्म सम्मेलन के दौरान पढ़कर सुनाया। संत पलविन्द्र सिंह ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 625 रियासतों को जबरदस्ती भारत में शामिल किया था वह किस कानून के अधीन किया था। इस प्रकार के महान कार्य किसी कानून के अधीन नहीं होते सरकार जो करती है वही कानून होता है। अभी मथुरा में भगवान श्री राम जी का मन्दिर और काशी में विश्वानाथ मन्दिर भी बनाना है। यह कब बनेंगे इसका सीधा स्पष्ट उत्तर है कि यदि आप सोचते हैं कि मुस्लमानों को सहिमत करके मन्दिर बनाएंगे तो वह संभव नहीं। उन्होंने केन्द्र सरकार को आग्रह किया कि वह 31 दिसम्बर से पहले श्रीराम भव्य मन्दिर बनवा दें आपकी सरकार का जो हाल हो उसकी चिंता न करें वरना अगली सरकार बनानी मुश्किल हो जायेगी। 
संदेश में यह भी कहा गया कि हरिमन्दिर साहिब पर भारतीय फौज का आक्रमण किस कानून के अधीन हुआ था। कांग्रेस के समय में इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात किस कानून के अधीन सिखों का कत्लेआम हुआ था इसलिए स्पष्ट है कि कानून वहीं होता है जो सरकार देती है। 

उन्होंने कहा कि हम नामधारी राष्ट्रवादी है भारतीय संस्कृति को मानते हैं व उसके रक्षक हैं इसलिए भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिये भव्य राममन्दिर श्रीराम जन्मभूमि पर अवश्य बनना चाहिए।
महामण्डलेश्वर रामेश्वरदास (हरिद्वार) ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हमारी भारतीय संस्कृति की आस्था आस्मिता व गौरव हैं और भारत में श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मन्दिर न बनना हमें लज्जा दिलाने वाला है आज जरूरत अपनी शक्ति, सामर्थ को पहचाने की है। हिन्दू समाज लम्बे समय से श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिये संघर्षरत हैं। वर्तमान आंदोलन भी 30 वर्षों से चलाया जा रहा है। हिन्दू समाज चाहता है कि अयोध्या में भव्य राम मन्दिर बनें इससे जुड़ी सभी बाधाएं दूर हो लेकिन यह प्रतिक्षा अब लंबी हो चुकी है। 2010 में उच्चन्यायलय ने जो फैसला दिया था वह 2011 से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है और जब न्यायालय से पूछा गया कि अब इसकी सुनवाई कब होगी तो कहा गया कि हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं। कब सुनना है यह न्यायालय का अपना अधिकार है लेकिन न्यायालय के इस जवाब से हिन्दू समाज अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा है और यह बात समस्त हिन्दू समाज के लिये आश्चर्यजनक व वेदनापूर्ण है। सर्वोच्च न्यायालय को पूर्णविचार करना चाहिए यहां समाज को न्यायालय का वहीं न्यायालय को सामान्य समाज की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए। यदि न्यायालय की प्राथिमकताएं बाधा बनती हैं तो सरकार को इस संबंध में उचित अध्यादेश लाना चाहिए ताकि सपष्ट हो सके कि कौन है जो हिन्दू समाज की अवहेलना कर रहा है। फिर हिन्दू निर्णय करेगा कि उसे सत्ता किसके हाथों में देनी है। 
उत्तर क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख राकेश कुमार ने कहा कि वर्तमान में हिन्दुओं को बांटकर अपनी राजनीति चमकाने का कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि हिन्दू अब जागृत हो रहा है। अब इनको अलग-अलग जाति साम्प्रदाएं में बांटने वाले बाज़ आएं अब भारत देश पर वहीं राज करेगा जो हिन्दू समाज का सम्मान करेगा। किसी धर्म विशेष को खुश करने की नीति रखने वाले या तो राजनीति करना छोड़ जाएं अन्यथा अब जागृत हिन्दू समाज अपने निर्णय अपनी संस्कृति व समथ्र्य के अनुरूप लेकर देश को सही ढंग से चलाने के लिये भी सक्षम है। श्री राकेश जी ने कहा कि 100 करोड़ हिन्दुओं की अवहेलना करके देश की सत्ता संभालने का दम भरने वाले सभी धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक दल अपनी कार्यविधि में समयानुकुल सुधार कर लें वरना अब हिन्दू समाज उन्हें माफ करने वाला नहीं है।
इस अवसर पर धार्मिक, संकीर्तिण व पवित्र मंत्रोच्चारण के साथ गणेश वंदना व श्रीराम स्तुति के पश्चात वहां उपस्थित सभी राम भक्तों ने अयोध्या में भव्य मन्दिर निर्माण का शंखनाध करते हुए अपना सक्रिय सहयोग करने का प्रण लिया। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्वामी सच्चदानंद, महामण्डलेश्वर 1008 महंत गंगा दास, महन्त रामदास,  व पूज्य संत समाज, बुद्धिजीवियों ने श्रीराम मंदिर के इतिहासिक व पौराणिक महत्व व वर्तमान दौर में उसकी सार्थकता की जानकारी देते हुए सभी रामभक्तों को इस पुनित कार्य में अपनी सक्रिय अहूति देने के लिये प्रेरित किया। 
बरागी आश्रम श्री राम मंदिर के 108 महंत रामदास ने कहा कि अब श्रीराम तंबू में न रहे, श्रीराम का भव्य मंदिर शीघ्र बनें इसके लिये संयुक्त प्रयास होना चाहिए अब इस विषय पर कोई भी राजनीति स्वीकार्य नहीं है। 
इस अवसर पर असंख्य रामभक्तों ने रामल्ला हम आएँगे, मन्दिर भव्य बनाएंगे। बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का। श्री राम हमारे प्राण हैं, मन्दिर में देरी अपमान है। मन्दिर बनने वाला है, इतिहास बदलने वाला है। हर घर भगवा छाएगा, श्रीराम राज फिर आएगा। एक ही नारा, एक ही नाम, जय श्री राम, जय श्री राम। रामल्ला के वास्ते, खाली करदो रास्ते। जन्मभूमि के काम न आए, वो बेकार जवानी है। लाठी गोली खाएंगे, मन्दिर भव्य बनाएंगे। जिस हिन्दू का खून खोले, वो खून नहीं पानी है के गगनचूंबी उद्घोष कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद पंजाब के अर्चकमण्डल के अध्यक्ष पंडित एस.के. शास्त्री, राज गुरू पंडित अशोक मोदगिल, महंत मथुरादास, महंत राज किशोर, महंत कमलेश, दिव्य ज्योति जागृत संस्थान (नूरमहल) से स्वामी सज्जनानंद, स्वामी हरिवल्लभानंद, स्वामी नरेशानंद, स्वामी तरुणेशानंद, राष्ट्रीय संत पंडित दीन दयाल शास्त्री (अध्यक्ष विश्व मानव कल्याण मिशन), महन्त बीलराम दास , महन्त राज किशोर, महन्त सिया शरण दास, महन्त कमलेश दास, महन्त केशव दास, महन्त पवन दास,  महन्त परमेश्वारदास, महन्त श्रवण दास, महन्त बलरामदास, स्वामी धर्म विवेक जी, महन्त अशोक कुमार, काठगढ़ नवांशहर से स्वामी दयाल दास, संत बिहारी दास, संत गोपाल दास, संत सत्य नारायण, बाबा पाल जी नागी, नामधारी संत दया सिंह , संत दर्शन सिंह , संत अमरीक सिंह, संत तेजिन्द्र सिंह, संत पलविन्द्र सिंह, संत गुरूमुख सिंह, संत दर्शन सिंह, संत रणवीर सिंह, संत गुरमीत सिंह, संत सेवा राम व अन्य तपस्वी, साधक व धर्म प्रेमी उपस्थित रहे। 
श्रीराम मंदिर न्यास समिति, जालन्धर इकाई से कोई सवाल हो तो सम्पर्क नंबर है:98140-71007

Monday, September 02, 2013

अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा–मा. अशोक सिंघल जी

धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये बहुत बडा आन्दोलन करना पडेगा--अशोक सिंघल 
प्र.- मीडिया और राजनैतिक दलों का विश्व हिन्दू परिषद पर यह आरोप है कि उसने आगामी लोकसभा चुनाव-2014 के निमित्त इस 84 कोसी परिक्रमा के नाम पर वोट-परिक्रमा का आयोजन किया. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
उ. – 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत को मात्र राजनैतिक स्वतंत्रता मिली थी, और इसको पाने के लिए हमें बहुत संघर्ष करना पडा था. 1857 से  कहा जा सकता है यह संघर्ष अंग्रेजों के विरुद्ध शुरू हुआ. 1857 से लेकर 1947 तक संघर्ष के पीछे का मंत्र था – वन्देमातरम. जिस प्रकार 90 वर्ष के संघर्ष के उपरांत हमें राजनैतिक स्वतंत्रता मिली उसी प्रकार हमें अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये बहुत बडा आन्दोलन करना पडेगा. इसलिए ही लगभग 1950 से यह राम-मन्दिर का आन्दोलन चल रहा है. 60 वर्ष बाद मुकदमे का जो फैसला आया है उससे हम यह कह सकते है कि राम-मन्दिर का यह आन्दोलन हमारे देश की सांस्कृतिक – आज़ादी का आन्दोलन है. जिस प्रकार आज़ादी के आन्दोलन के पीछे कोई राजनैतिक दल नही था जिसके लिये लोग काम कर रहे थे, बल्कि आम जनता चाहती थी कि देश आज़ाद हो इसलिए वह बिना किसी राजनैतिक दल की सदस्यता लिए सडको पर उतरी थी. उसी प्रकार आज धार्मिक स्वतंत्रता हमारा अधिकार है इसलिए हम सबको अपनी सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना चाहिए. जहाँ तक राम-जन्मभूमि का प्रश्न है तो राम-जन्मभूमि-आन्दोलन कोई राजनैतिक-आन्दोलन नही है बल्कि देश का धार्मिक और सांस्कृतिक आन्दोलन है. महर्षि अरविन्द ने ठीक ही कहा था कि हमें अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता हेतु हमें बहुत संघर्ष और बलिदान देना होगा. आज भी लोग कहते हैं कि विहिप के रामजन्मभूमि-आन्दोलन से बडा उन्होने अपने जीवन में कोई आन्दोलन नही देखा. अभी उससे भी बडा आन्दोलन होने जा रहा है जो हमें धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से स्वतंत्रता देगा. रामजन्मभूमि राम भक्तों का अन्दोलन है. हमारी राम-जन्मभूमि की हत्या 1528 में ही हो गई था. उसकी पुनर्प्रतिष्ठा जल्दी-से-जल्दी होनी चाहिए. आज भी भगवान राम टाट  में बैठे है और हम ठाट से बैठे है. राम-जन्मभूमि का यह आन्दोलन भगवान राम को तम्बू से हटाकर एक भव्य मन्दिर में विराजमान करने का है. यही बात हमारे पूज्य संतों ने भी कुंभ में कहा है कि यह काम संसद में कानून बनाकर ही होगा. भारत सरकार इसके लिये प्रतिबद्ध भी है क्योंकि 14 सितम्बर 1994 को भारत सरकार के महाधिवक्ता दीपंकर गुप्ता ने भारत सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पूर्वक सरकार की नीति को स्पष्ट करते हुए लिखित में बताया था कि यदि महामहिम राष्ट्रपति के प्रश्न का उत्तर सकारात्मक आता है अर्थात ढांचे के नीचे 1528 से पूर्व कोई हिन्दू मन्दिर/भवन था तो भारत सरकार की कार्यवाही हिन्दू भावनाओं के समर्थन में होगी.           
प्र. – ‘14 सितम्बर 1994 को भारत सरकार द्वारा शपथ-पत्र कर लिखित में जवाब देना’..कृपया इस बिन्दु को विस्तार से बतायें.
उ. – 7 जनवरी 1993 को भारत सरकार ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर संसदीय कानून बनाकर ढांचे के चारों ओर की 67 एकड भूमि का अधिग्रहण कर लिया. इस अधिग्रहण में राम जन्मभूमिन्यास को उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा पट्टे पर दी गई 42 एकड भूमि भी थी. जबकि ढांचे वाले स्थान का क्षेत्रफल मात्र 12000 वर्गफीट ही है. अधिग्रहीत समस्त भूमि केवल हिन्दू समाज की है, जिसमें अनेक मन्दिर भी हैं. मुस्लिम समाज की लेशमात्र भूमि भी सरकार ने नही ली. सरकार ने अधिग्रहण का उद्देश्य घोषित करते हुए कहा कि इस भूमि में एक मन्दिर व एक मस्जिद तथा यात्रियों की सुविधाओं के स्थान निर्माण करेंगे. सरकार के इस अधिग्रहण को मुस्लिम समाज ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी साथ ही तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय वर्ष 1993 में तत्कालीन महामहिम डा. शंकर दयाल शर्मा ने संविधान की धारा 143 ए के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय से एक प्रश्न किया कि क्या ढांचे वाले स्थान पर सन 1528 के पहले कोई हिन्दू मन्दिर था ? कालांतर में न्यायालय ने लंबी सुनवाई के बाद अक्टूबर 1994 में विवादित भूखंड का अधिग्रहण रद्द करके विवादित भूखंड से संबंधित सभी मुकदमों के अंतिम न्यायिक निपटारे के लिए पुनर्जीवित कर दिया तथा शेष भूमि का अधिग्रहण स्वीकार कर लिया एवं विवादित भूमि के स्वामित्व निपटारा व राष्ट्रपति महोदय के प्रश्न का उत्तर का दायित्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय को सौंप दिया. परिणामत: रामजन्मभूमि-क्षेत्र में उत्खनन की प्रक्रिया शुरू हुई. महामहिम जी के प्रश्न पर और अधिक सपष्टीकरण मांगने पर 14 सितम्बर 1994 को भारत सरकार द्वारा शपथ-पत्र कर लिखित में जवाब दिया गया.
प्र. - विहिप का अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा का आयोजन करने का हेतु क्या था ?  
उ.- कुंभ में पूज्य संतो ने कहा कि 480 वर्ष के संघर्ष के पश्चात यह ढांचा गिरा. उसके लिए 76 संघर्ष हुए जिसमें लाखों लोगों ने बलिदान दिया. साथ ही संतो ने यह भी कहा कि 84 कोसी परिक्रमा-क्षेत्र में हम कोई भी बाबरी-प्रतीक नही बनने देंगे. इसके लिए हम जन-जागरण करेंगे. इसलिए विहिप ने श्री अयोध्या जी की यह 84 कोसी परिक्रमा का अभियान लिया और अयोध्या की यह 84 कोसी परिक्रमा हमारा धार्मिक अधिकार भी है. अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा एक परंपरागत सदियों से चली आ रही परिक्रमा है. अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा हेतु विहिप ने संतो के लिए एक योजना बनाई. योजनानुसार हर प्रांत से 200 संत आयेंगे अपने हिस्से की परिक्रमा करेंगे. वहाँ के स्थानीय लोग अलग प्रांत से आए हुए संतो का दर्शन कर सके इसके लिए वहाँ की स्थानीय जनता की भागीदारी से ही मात्र दो जगहों पर कार्यक्रम होंगे. तत्पश्चात भगवान राम का दर्शन कर संत वापस अपने प्रांत में चले जायेंगे. कुछ ही संत पूरी 84 कोसी परिक्रमा में चलेंगे.
प्र.- जहाँ तक मुझे पता है कि विहिप ने इससे पहले कभी भी अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा नही की. ऐसे में क्या यह मान लिया जाय कि अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा की योजना विहिप ने जल्दबाजी में बनाई ? 
उ. - मैने 5 अप्रैल 2010 को हरिद्वार-कुंभ में एक चिंता व्यक्त की थी कि राम-जन्मभूमि का विषय पिछले 18 वर्षों सुप्त पडा है. आज के नव-तरुण एवं युवा पीढी इससे परिचित ही नही है. इस तथ्य को ध्यान में रखकर ही हमें आगामी जन-जागरण की योजना बनानी होगी. इसी को ध्यान में रखकर ही  25 अगस्त, 2013 से 13 सितम्बर, 2013 तक अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा की जन-जागरण-योजना बनाई गई. परमात्मा ने अपना काम आज़मखान से करवा लिया. अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा के बारें  देश-दुनिया सबको पता चल गया.
प्र. – अखिलेश सरकार ने विहिप पर नया परिक्रमा मार्ग बनाने का आरोप लगाया है. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
उ. – वर्षा ऋतु के समय सरयू नदी का जलस्तर बढ जाता है और इस समय सरयू का जलस्तर बढा हुआ है. अत: सरयू का जलस्तर बढा जाने के कारण नाव से सरयू नदी पार करना संभव नही है. इसको ध्यान में रखते हुए बाराबंकी में टिकैतपुर गांव से लेकर गोंडा तक का हमने एक नया मार्ग बनाया था. 17 अगस्त,2013 को जब एक प्रतिनिधि मंडल मुलायम सिंह यादव से मिलने गया था तो इस नये मार्ग के विषय पर चंपतराय जी ने अखिलेश यादव से बात भी की थी. इतना ही नही, मैने स्वयं भी मुलायम सिंह यादव से कहा था कि इस नए मार्ग में हमारा कोई पडाव नही होगा. मुलायम सिंह यादव ने भी हमें यह आश्वासन दिया था कि इस विषय पर वे अधिकारियों से चर्चा करेंगे. परंतु परिक्रमा पर रोक लगाने जैसी तो कोई बात मुलायम सिंह यादव ने की ही नही थी.
प्र. – सुनने में आया है कि आपने रामजन्म भूमि हेतु देश भर में जन-जागरण करने के लिए 18 अक्टूबर, 2013 को भी कोई कार्यक्रम करने का तय किया है. उस नए कार्यक्रम के बारे में थोडा हमें बतायें.
उ. - 18 अक्टूबर, 2013 को तो बहुत बडा कार्यक्रम होगा. संघ के सहयोग से लगभग एक लाख गांवों में कार्यक्रम होंगे. संसद के माध्यम से अयोध्या में राम-जन्मभूमि पर भगवान राम का भव्य मन्दिर निर्माण हो तथा अयोध्या के 84 कोसी परिक्रमा-क्षेत्र में बाबरी-प्रतीक नही बनने दिया जायेगा, लाखों गांवो के करोडों लोग यह संकल्प लेंगे. एक बडा कार्यक्रम अयोध्या के सरयू के तट पर होगा. इस बडे कार्यक्रम में भी लोग हाथो में जल लेकर संकल्प करेंगे.

प्र. – अगर अखिलेश सरकार ने 84 कोसी परिक्रमा की तरह पुन: रोडा अटकाने की कोशिश की तो ?
उ. – क्या करेगा मुलायम सिंह ? मारेगा ? गोली चलायेगा ? वो जो भी करेगा उसे उसका परिणाम भोगना पडेगा. संतो को जेल में डालेगा, उन्हे अनेक प्रकार के कष्ट देगा तो संत चुप बैठेगें क्या ? संत फिर ऐसा महाजनजागरण करेंगे जो अभी तक कभी नही हुआ. जन-जागरण भी होगा और आन्दोलन भी होगा. यह भी संभव है कि 18 अक्टूबर के बाद और भी कोई बडा आन्दोलन हो.
प्र. – मीडिया में यही चर्चा है कि नरेद्र मोदी को 2014 में प्रधानमंत्री बनाने के लिए ही विहिप ऐसे कार्यक्रम कर रही है क्योंकि विहिप के इन कार्यक्रमों से वोटों का धुर्वीकरण होगा जिसका फायदा बीजेपी को सीधे-सीधे मिलेगा. इस पर आपका क्या मंतव्य है ?
उ. – जिस प्रकार से देश की आज़ादी हेतु इतना बडा आन्दोलन किसी राजनैतिक पार्टी को फायदा पहुँचाने के लिए नही हुआ था बल्कि देश को आज़ाद कराने के लिए हुआ था उसी प्रकार देश की धार्मिक-सांस्कृतिक स्वतंत्रता हेतु राम-जन्मभूमि का यह आन्दोलन हो रहा है न कि किसी राजनैतिक दल के लिए. हाँ इस राम-जन्मभूमि – आन्दोलन का जो समर्थन करेगा उसे यश मिलेगा और जो विरोध करेगा उसे अपयश मिलेगा. बस इतनी सी बात है.
प्र. – कुछ संतो ने भी विहिप की इस अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा पर प्रश्नचिन्ह खडा किया है. उन संतो का यह तर्क है भगवान राम ने रावण का वध भी चतुर्मास में नही किया था तो विहिप नई परंपरा क्यों डाल रही है ?
उ. – कुछ संत ही ऐसा कहते होंगे पर सभी संत ऐसा नही कहते हैं. खासकर अयोध्या में कोई संत चतुर्मास नही करता है. हरिद्वार में भी हमें विरले ही संत मिले जो चतुर्मास करते है.
प्र. – कांग्रेस के दिग्विजय सिंह मैच-फिक्सिंग कहकर और बसपा ने सपा-विहिप(भाजपा) पर साठगाँठ का आरोप लगाया. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
उ. – आज़ादी-आन्दोलन में इतने लोग कुर्बान हो गये. क्या उन देशभक्तों में भी किसी प्रकार की कोई साठगाँठ थी ? ऐसे बेहूदा लोगो की बातों पर मै कोई टिप्पणी नही करना चाहता.
प्र. – आपने जन-जागरण के निमित्त अयोध्या की 84 कोसी यात्रा का आयोजन किया परंतु अखिलेश सरकार ने इस यात्रा का दमन करने में कोई कसर नही छोडी. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
उ. – स्वराज आन्दोलन को दमन करने में अंग्रेज सरकार ने भी कोई कसर नही छोडी थी. जैसे-जैसे अंग्रेज सरकार ने दमन करना शुरू किया स्वराज-आन्दोलन बढता चला गया. उसी प्रकार धार्मिक-सांस्कृतिक आज़ादी के लिए राम-जन्मभूमि आन्दोलन का जितना दमन किया जायेगा उतना ही राम-जन्मभूमि आन्दोलन विकराल रूप धारण करता जाएगा. जिस प्रकार अंग्रेजों भारत छोडो करके अंग्रेजों को भारत से निकाल दिया गया उसी प्रकार हम भी क़्विट इंडिया” करके भारत से तथाकथित सेकुलरों का देश में बहिष्कार कर देंगे.
प्र – अयोध्या सहित देश में इतने अधिक मन्दिर हैं. परंतु विहिप मथुरा,काशी और अयोध्या के मन्दिर की ही बात क्यों करती है ?
उ. –  बडे – बडे राजे-रजवाडों ने वहाँ बहुत ही कलात्मक ठंग से मन्दिर बनवाए थे. उन मन्दिरों का रख-रखाव वहाँ के रजवाडों से किया जाता था. आज जब सभी राजे-रजवाडे खत्म हो गए तो उन मन्दिरों का रख-रखाव करने का जिम्मा सत्ता की है. परंतु आज सत्ताधारी मन्दिरों के पुनरोद्धार की तरफ कोई ध्यान ही नही देता. करॉडों रूपए आज इन मन्दिरों के पुनरोद्धार में लगेंगे. हमें अब ऐसी सत्ता चाहिए जो देश के मन्दिरों का पुनरोद्धार करवा सके. किसी सत्ताधारी ने इस गंभीर विषय पर कभी ध्यान ही नही दिया. अयोध्या की इस 84 कोसी परिक्रमा में तुलसीदास के गुरू जी के मन्दिर समेत भगवान राम के ऐसे अनेक मन्दिर आते है, जिन्हे कोई जनता ही नही है. देश को भगवान राम-कृष्ण-शंकर के बारें में पता चलना ही चाहिए. संक्षेप में, इस देश में अब रामभक्तों की सरकार बनेगी, सेकुलर इस देश से चला जायेगा.  (26.08.2013               
        
-          राजीव गुप्ता, 09811558925