09-जनवरी-2013 12:52 IST
उद्देश्य प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक कल कोच्चि में हुई। विश्वभर से 13 प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों ने इसमें भाग लिया। बैठक में प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री श्री वायलार रवि, वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री आनंद शर्मा, विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद, मानव संसाधन मंत्री श्री एम.एम. पल्लम राजू, योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर मोंटेक सिंह आहलुवालिया और केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।
बैठक में जिन प्रवासी भारतीयों ने भाग लिया, उनमें श्री करण एफ. बिलीमोरिया, श्री स्वदेश चटर्जी, सुश्री इला गांधी, लॉर्ड खालिद हमीद, डॉक्टर रेणु खाटोर, श्री किशोर मधुबनी, श्री एल.एन. मित्तल, लॉर्ड भीखु छोटालाल पारेख, श्री सैमपितरोदा, तान श्री दातो अजीत सिंह, श्री नेविले जोसफ रोस, प्रोफेसर श्रीनिवास एस.आर.वर्धन और श्री युसूफाली एम.ए. शामिल थे।
बैठक में प्रतिभागियों ने महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों और भारत पर होने वाले उनके प्रभावों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया। इनमें वैश्विक आर्थिक स्थिति, पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्र की घटनाएं, ऊर्जा सुरक्षा और एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रवृत्तियां जैसे मुद्दे शामिल थे। सदस्यों ने भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच तथा भारत और विभिन्न देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के बारे में भी अपने विचार प्रस्तुत किये।
प्रधानमंत्री ने उनके दृष्टिकोण और रचनात्मक सुझावों के लिए सदस्यों का धन्यवाद किया।
प्रधानमंत्री की प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद का गठन वर्ष 2009 में हुआ था और हर साल इसकी बैठक होती है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में फैले विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध प्रवासी भारतीयों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना है, ताकि भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच सम्पर्कों के लिए व्यापक एजेंडा तैयार किया जा सके। (PIB)कोच्चि में प्रवासी वैश्विक सलाहकार परिषद की बैठक
मीणा/राजगोपाल/गीता-97
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Wednesday, January 09, 2013
Thursday, June 23, 2011
हमने चिराग रख दिया तूफां के सामने.....!
नफरत की आंधी कहीं भी चले यह हमेशां अपने साथ दुःख दर्द, आंसू और उदासियाँ ही लेकर आती हैं. हंसते भरे घरों को उजाड़ देना, घरों के चिराग बुझा देना इस के लिए बहुत ही मामूली बातें होती हैं. तबाही पर खिलखिलाती हुयी इन आँधियों को चलाने वाले अक्सर इसकी मार से बच जाते हैं और मासूम लोग इसका निशाना बन जाते हैं. आस्ट्रेलिया में भी यही हुआ जहाँ बहुत से भारतीय नौजवानों को मौत के घाट उतार दिया गया. पर कहते हैं न रात के काले घने अँधेरे में भी कहीं न कहीं रौशनी कौंध ही जाती है. आस्ट्रेलिया के मामले में एक मशाल रौशन की है वहां के एक कलाकार ने. नफरत की ह्वयों के खिलाफ मोहब्बत के चिराग जलाने की हिम्मत भी उसे उस मिहब्बत से ही मिली जो उसे भारत नें रहते हुए नीली. लीजिये आ भी देखिये इस वीडियो में वो सारी कहानी:
आस्ट्रेलियन टीवी नैट वर्क पर प्रसारित इस शुभ संदेश की शानदार और जानदार वीडियो को आप यूं ट्यूब पर भी देख सकते हैं इसको दुनिया के सामने लाने में ब्रिटिश सिक्ख फैडरेशन ने भी प्रमुख भूमिका अदा की है.
हम उनके आभार से इसे आपके लिए भी यहाँ दिखा रहे हैं तन की मोहब्बत का यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक फैले.....खास तौर पर उन लोगों तक की जो भारतियों, खास कर पंजाबियों और सिक्खों की जान के दुश्मन बने हैं.. यदि आपके पास भी कोई ऐसा ही वीडियो हो या फिर कोई एनी तस्वीर या आलेख तो उसे अवश्य भेजिए. हम उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे.--रेक्टर कथूरिया
Thursday, March 03, 2011
मारीशस में महाशिवरात्रि .../..मधु गुजधर
महा शिवरात्रि का पर्व समीप है और भारत में तथा भारत से बाहर बसे भारतीय मूल के समस्त जनों में शिव उपासना की एक पावन लहर दौड़ रही है | मंदिरों में सफाई रंगरोगन का काम चल रहा है |मूर्तिकार बड़ी संलग्नता से शिव प्रतिमा और शिवलिंग को गढ़ने में लगे है| बड़े बड़े पंडाल लगने वाले है...फूलों की पौध तैयार कर दी गयी है..साज सज्जा के सभी कार्य अपनी चरम सीमा पर है..और हों भी क्यों न...ये पावन पर्व न सिर्फ हमें अपने धर्म पथ की और अग्रसर करते है वरन कहीं हमें अपनी जड़ों से भी जोड़ते हैं |आज भारत से हजारों मील की दूरी पर बसे इस अति सुन्दर देश मारीशस की भूमि पर शिवरात्रि पर्व की अद्भुत छठा को देख कर तो यही आभास होता है कि भारत कोई देश या धरती का एक टुकड़ा या मानचित्र पर दर्शाया गया कोई कोना नहीं वरन भारत तो एक विस्तार है ,उस अनुभूति का नाम है जिसे हर भारतीय ने अपने दिल में संजोया है ...फिर वो इस विश्व के जिस भी कोने में गए ,ह्रदय में छुपे अपने भारत को उसे अपने साथ ले गए | ऐसा ही किया था हमारे उन पूर्वजों ने जो लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व जब अपनी मात्रभूमि छोड़ कर मारीशस आये तो अपनी निर्धनता की अवस्था में भी एक खज़ाना अपने साथ लेकर इस भूमि पर उतरे थे ...और वो खज़ाना था उन के बगल में दबी रामायण और गीता की पोथी ...जिसे उन में से अधिकतर लोग पढना भी नहीं जानते थे | पर एक विशवास था की धर्म की पुस्तक का साथ अनजाने देश में हर प्रकार की विपत्तियों से रक्षा करेगा|उन का वो विश्वास सार्थक सिद्ध हुआ...उन के धर्म ने उन के विश्वास ने और कठिन परिश्रम ने प्रभाव दिखाया और आज उन्ही पूर्वजों की संतान इस देश के कर्णधार बन कर इस देश पर राज कर रही है|
आज मैं मारीशस की इस सुन्दर भूमि से "फेस बुक " के माध्यम से जुड़ने वाले सभी मित्रों से एक अनुराध करूगी की जीवन में एक बार अवश्य महा शिवरात्रि का पर्व मारीशस में आकर मनाये क्योंकि ये आप के लिए न सिर्फ एक भक्ति भाव लिए सुखद अनुभव होगा वरन आप को अथिति के रूप में पाकर हम भी धन्य हो जायगे || आज विश्व भर में टूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रकार आकर्षक आमंत्रण दिए जाते है...मैं आप को एक नए टूरिस्म से परिचित करना चाहूगी और वो है धार्मिक टूरिस्म | मैं यहाँ आप को बताना चाहुगी की मारीशस में महा शिव रात्रि का पर्व बहुत भव्य रूप में मनाया जाता है |यहाँ पूर्ण प्राक्रतिक द्रश्यों से घिरे एक सुन्दर जलाशय के चरों और अनेक मंदिर बने हुए है|शिव रात्रि से लगभग दस दिन पूर्व से कांवर लेकर देश के कोने कोने से भक्त गण पदयात्रा द्वारा गंगा जलाशय जिसे गंगा तालाब भी कहते ,की और निकल पड़ते है और दिन रात चल कर पवित्र जल ला कर शिवरात्रि के दिन शिव लिंग पर चढाते है | पहले उस जलाशय तक पहुच पाना एक अति कठिन यात्रा होती थी |ऊबड़ खाबड़ जंगलों से गुजरना होता था |लकिन स्वंत्रता के बाद मारीशस के प्रथम प्रधान मंत्री स्वर्गीय चाचा रामगुलाम जी (जी हाँ उन्हें लोग चाचा कह कर ही बुलाते थे ..कितना अपनापन एक प्रधान मंत्री और उस के देश की जनता के बीच) ने जलाशय तक जाने के लिए सड़क निर्माण की योजना प्रारंभ की | सम्पूर्ण देश स्वयं में एक बड़ा तीर्थ बन जाता है पूरी पूरी रात भक्त गण भजन गाते बजाते चलते है|गंगा जलाशय के बारे में कुछ दन्त कथाएं भी प्रसिद्ध है..लेकिन एक बहुत बड़ी आस्था है की गंगा जलाशय से शिवरात्रि के दिन जल लाकर शिव लिंग पर चढाने से समस्त कष्टों का निवारण होता है| शिवरात्रि के दिन देश के सभी मंदिरों में चार पहर की पूजा होती है और उस पूजा में देश के राष्ट्रपति ,प्रधान मंत्री और अन्य महानुभाव एक साधारण भक्त की भांति हिस्सा लेते है| प्रधान मंत्री डाक्टर नवीन रामगुलाम जी का सफ़ेद कुरते पजामे में अपनी पत्नी वीणा रामगुलाम जी के साथ जब शिव अभिषेक के लिए सम्मिलित होते है तो बरबस स्मरण हो आते है वो पूर्वज...हमारे पूर्वज जिन्होंने भारत से बाहर जाकर लघु भारत का निर्माण किया| शिवरात्रि एक आम छुट्टी का दिन होता है यहाँ |यदि आप यहाँ आना चाहे या मारीशस के बारे में कुछ अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहें तो मेरा समस्त सहयोग आप के साथ रहेगा| ---- मधु गुजधर
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मधु गुजधर सितार पर संगीत लहरियों के साथ |
नोट: कुछ तकनीकी कारणों से हमें यह आलेख देरी से प्राप्त हुआ.
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