Showing posts with label PIB. Show all posts
Showing posts with label PIB. Show all posts

Thursday, July 31, 2025

62 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का भंडाफोड़

Thursday: CGST News  31st July 2025 at 12:08 PM PIB Ludhiana 

सीजीएसटी लुधियाना ने  किया; अब तक दो गिरफ्तारियां

लुधियाना: 31 जुलाई 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर, केंद्रीय जीएसटी लुधियाना द्वारा ऑडियो-वीडियो प्रोडक्शन क्षेत्र की कई फर्मों के विरुद्ध जांच की गई, जिसमें 62 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इन फर्मों ने 342 करोड़ रुपये मूल्य की सेवाएं विदेशी संस्थाओं से आयात की थीं और उस पर जीएसटी का भुगतान नहीं किया।

जांच में यह भी सामने आया है कि इन फर्मों ने जीएसटी कानूनों के अंतर्गत निर्धारित कोई भी दस्तावेजी प्रक्रिया का पालन नहीं किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कर चोरी सुनियोजित और जानबूझकर की गई।

इन फर्मों को संचालित करने और बनवाने में शामिल दो व्यक्तियों को को कल, अर्थात् 30 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया।

अब तक की गई इन दो गिरफ्तारियों के साथ, जांच अभी जारी है ताकि इस नेटवर्क की पूरी श्रृंखला और चोरी की कुल राशि का पता लगाया जा सके।

सीजीएसटी लुधियाना आयुक्तालय ईमानदार करदाताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने और कर धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।

Sunday, May 11, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम सीधा प्रसारण

PMO office On Monday 12th May 2025 at 08:00 PM Updated 12th May 2015 at 08:16 PM
हमने पाकिस्तान में चल रहे आतंकी अड्डों को तबाह किया 
Prime Minister Narendra Modi addresses the Nation
प्रधानमंत्री कार्यालय//Azadi ka Amrit Mahotsav//Posted On: 12 MAY 2025 8:27PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन का मूल पाठ

प्रिय देशवासियों,
नमस्कार!
हम सभी ने बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशस्त्र बलों को, हमारी खुफिया एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को, हर भारतवासी की तरफ से सैल्यूट करता हूं। हमारे वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया। मैं उनकी वीरता को, उनके साहस को, उनके पराक्रम को, आज समर्पित करता हूं- हमारे देश की हर माता को, देश की हर बहन को, और देश की हर बेटी को, ये पराक्रम समर्पित करता हूं।

साथियों,
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया था। छुट्टियां मना रहे निर्दोष-मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने, बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत विभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी। इस आतंकी हमले के बाद सारा राष्ट्र, हर नागरिक, हर समाज, हर वर्ग, हर राजनीतिक दल, एक स्वर में, आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठ खड़ा हुआ। हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को पूरी छूट दे दी। और आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।

साथियों,
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ये सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह, पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है। भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया। आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, Nation First की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं, परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।

जब पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर भारत की मिसाइलों ने हमला बोला, भारत के ड्रोन्स ने हमला बोला, तो आतंकी संगठनों की इमारतें ही नहीं, बल्कि उनका हौसला भी थर्रा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकाने, एक प्रकार से ग्लोबल टैररिज्म की यूनिवर्सटीज रही हैं। दुनिया में कहीं पर भी जो बड़े आतंकी हमले हुए हैं, चाहे नाइन इलेवन हो, चाहे लंदन ट्यूब बॉम्बिंग्स हो, या फिर भारत में दशकों में जो बड़े-बड़े आतंकी हमले हुए हैं, उनके तार कहीं ना कहीं आतंक के इन्हीं ठिकानों से जुड़ते रहे हैं। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। आतंक के बहुत सारे आका, बीते ढाई-तीन दशकों से खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे थे, जो भारत के खिलाफ साजिशें करते थे, उन्हें भारत ने एक झटके में खत्म कर दिया।

साथियों, 
भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान घोर निराशा में घिर गया था, हताशा में घिर गया था, बौखला गया था, और इसी बौखलाहट में उसने एक और दुस्साहस किया। आतंक पर भारत की कार्रवाई का साथ देने के बजाय पाकिस्तान ने भारत पर ही हमला करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूलों-कॉलेजों को, गुरुद्वारों को, मंदिरों को, सामान्य नागरिकों के घरों को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन इसमें भी पाकिस्तान खुद बेनकाब हो गया।

दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुंचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

इसलिए, भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा। पाकिस्तान, दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था, इसलिए, जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूं, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।

साथियों,
भारत की तीनों सेनाएं, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है। 

पहला-भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाही करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा। 

तीसरा-हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने, पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।

साथियों,
युद्ध के मैदान पर हमने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने रेगिस्तानों और पहाड़ों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया, और साथ ही, न्यू एज वॉरफेयर में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इस ऑपरेशन के दौरान, हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। आज दुनिया देख रही है, 21वीं सदी के वॉरफेयर में मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट्स, इसका समय आ चुका है।

साथियों,
हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हम सभी का एकजुट रहना, हमारी एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। टैररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, ये एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।

साथियों, 
पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे हैं, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है। भारत का मत एकदम स्पष्ट है, टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते। और, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता।

मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।

प्रिय देशवासियों,
आज बुद्ध पूर्णिमा है। भगवान बुद्ध ने हमें शांति का रास्ता दिखाया है। शांति का मार्ग भी शक्ति से होकर जाता है। मानवता, शांति और समृद्धि की तरफ बढ़े, हर भारतीय शांति से जी सके, विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है, और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी जरूरी है। और पिछले कुछ दिनों में, भारत ने यही किया है।

मैं एक बार फिर भारत की सेना और सशस्त्र बलों को सैल्यूट करता हूं। हम भारतवासी के हौसले, हर भारतवासी की एकजुटता का शपथ, संकल्प, मैं उसे नमन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

भारत माता की जय !!!
भारत माता की जय !!!
भारत माता की जय !!!

****//MJPS/ST//(Release ID: 2128269) 


Monday, August 12, 2024

नई दिल्ली के हैंडलूम हाट में आयोजित विरासत प्रदर्शनी

प्रविष्टि तिथि: 12 Aug 2024 5:30 PM by PIB Delhi

श्री गिरिराज सिंह और श्री पबित्र मार्घेरिटा ने  किया अवलोकन 


नई दिल्ली: 12th अगस्त 2024: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह और वस्त्र राज्य मंत्री श्री पबित्र मार्घेरिटा ने आज नई दिल्ली के जनपथ स्थित हैंडलूम हाट में आयोजित “विरासत” प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी का आयोजन 10वें राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस के उपलक्ष्य में किया गया है। प्रदर्शनी 3 अगस्त से 16 अगस्त, 2024 एक पखवाड़े तक चलेगी।

श्री गिरिराज सिंह ने हथकरघा बुनकरों और कारीगरों से बातचीत की और इस बात पर बल दिया कि सरकार बुनकरों और उनके परिवारों के लिए बेहतर आय के अवसरों के लिए वस्त्र मूल्य श्रृंखला में सुधार करने का प्रयत्न कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा हथकरघा समुदाय है जो स्थिरता और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करता है। दुनिया टिकाऊ उत्पादों के उपयोग की ओर बढ़ रही है और हथकरघा शून्य-कार्बन रहित उद्योग है और किसी भी ऊर्जा की खपत नहीं करता है तथा हथकरघा उद्योग शून्य-जल रहित फुटप्रिंट वाला क्षेत्र है।

श्री पबित्र मार्घेरिटा ने हथकरघा क्षेत्र में प्राकृतिक रंगों के अनुप्रयोग के लाइव प्रदर्शन को देखा। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में फैशन उद्योग में प्राकृतिक रंगों वाले हथकरघा कपड़ों की भारी मांग बाजार में देखी जाने लगी है। हथकरघा बुनकरों द्वारा प्राकृतिक रंगों के उपयोग से न केवल मूल्यवर्धन होता है बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि होती है।

मंत्रियों ने हथकरघा हाट में पौधारोपण कर “एक पेड़ मां के नाम”अभियान को प्रोत्साहित किया। उन्होंने “हर घर तिरंगा” अभियान के तहत हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को तिरंगा झंडे भी वितरित किए।

यह प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए हथकरघा उत्पाद प्रदर्शित और बिक्री के लिए रखे गए हैं। इनमें कोसा, चंदेरी, मधुबनी, मंगलगिरी, मेखला चादर, मोइरांग फी, इकत आदि शामिल हैं।

हैंडलूम हाट में कई गतिविधियाँ भी आयोजित की जा रही हैं, जैसे कि हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिए 75 स्टॉल, जहाँ वे सीधे उत्पादों की खुदरा बिक्री कर सकेंगे और शीर्ष समितियों, बोर्डों आदि द्वारा 07 स्टॉल, भारत के उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों का क्यूरेटेड थीम प्रदर्शन और हथकरघा हाट में प्राकृतिक रंगों, कस्तूरी कपास, डिजाइन और निर्यात पर कार्यशालाएँ, 12 अगस्त 2024 को बुनकरों और कारीगरों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर, लोई लूम और फ्रेम लूम का लाइव प्रदर्शन, भारत के लोक नृत्य और स्वादिष्ट क्षेत्रीय व्यंजन आदि।

भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों को रोजगार देता है, जो देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत सरकार ने हथकरघा के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ब्रांडिंग की जाती है, ताकि उत्पादों की विशिष्टता को उजागर करने के अलावा उत्पादों को प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें एक अलग पहचान दी जा सके। यह खरीदार के लिए एक गारंटी भी है कि खरीदा जा रहा उत्पाद वास्तव में हस्तनिर्मित है। प्रदर्शनी में सभी प्रदर्शकों को अपने उत्कृष्ट उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और इस प्रकार हथकरघा उत्पादों के लिए बाजार और हथकरघा समुदाय की आय में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है। “विरासत” श्रृंखला-“विशेष हथकरघा एक्सपो” हथकरघा दिवस के अवसर पर आयोजित की जाने वाली प्रमुख प्रदर्शनी है। 

इस वर्ष 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त को मनाया गया। यह आयोजन हथकरघा और हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा पर केंद्रित है और हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को बाजार से भी जोड़ता है।

********//एमजी/एआर/वीएल/एचबी//(रिलीज़ आईडी: 2044667)

Thursday, August 10, 2023

कल दिल्ली में सांसदों की 'हर घर तिरंगा' बाइक रैली का आयोजन

 प्रविष्टि तिथि: 10 AUG 2023 5:34 PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय करेगा इस भव्य और यादगारी मार्च का आयोजन 

उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़, रैली को हरी झंडी दिखाएंगे


नई दिल्ली
: 10 अगस्त 2023: (पी आई बी//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

तिरंगे से इश्क करने वाले के बार फिर खुश हैं। उनके मन की मुरादें पूरी होने जा रही हैं। इस बार फिर लहराना है देश का प्यारा ध्वज तिरंगे। साम्प्रदायिक और सियासी विवादों से ऊंचे उठते हुए है--झंडा ऊंचा रहे हमारा-- विजयी तिरंगा प्यारा! इसे गाते हुए स्वयं भी लहराना है और दूसरों को भी इसकी प्रेरणा देनी है। इस बार हर गली, हर मोहल्ले में होगा तिरंगे का जलवा, तिरंगे जोश। तिरंगे की शान से बनेगी एक अलगी सी छवि। जो साम्प्रदायिक हमलों से लोगों को आपस में लड़ने लगे हैं उनके मुँह पर होगा तिरंगे के चाहने वालों का ज़ोरदार तमाचा। 

आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के तत्वावधान में 13 अगस्त 2023 से 15 अगस्त 2023 तक पूरे देश में "हर घर तिरंगा" अभियान चलाकर, लोगों को अपने घरों में झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस अभियान से पहुंचेगा हर घर तक, हर दिल तक तिरंगा। 

हर घर तिरंगा अभियान की व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने और अधिक से अधिक सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, 11 अगस्त 2023 को सुबह 08.00 बजे प्रगति मैदान, नई दिल्ली में सांसदों और मंत्रियों के साथ एक तिरंगा बाइक रैली का आयोजन किया गया है। बाइक रैली को उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी किशन रेड्डी भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा हरी झंडी दिखाने के बाद, बाइक रैली इंडिया गेट सर्कल पहुंचेगी। रैली इंडिया गेट के एक चक्कर को पूरा कर, कर्तव्य पथ को पार करेगी और मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में समाप्त होगी।

'आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम)' प्रगतिशील स्वतंत्र भारत के 75 गौरवशाली वर्षों का स्मरण करने वाला एक सतत उत्सव है। भारत सरकार की इस पहल का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र की उपलब्धियों को प्रकाश में लाना है। 'आजादी का अमृत महोत्सवभारत के लोगों को समर्पित है जिन्होंने देश के विकास और इसकी विकासवादी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नागरिकों को अपने घरों में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 13 से 15 अगस्त 2022 तक 'हर घर तिरंगा' अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के पीछे का विचार लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना पैदा करना और उन्हें भारत की यात्रा और इस महान राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने वालों की याद दिलाना है। पिछले वर्ष, यह अभियान बेहद सफल रहा था जिसमें करोड़ों परिवारों ने अपने घरों में तिरंगा फहराया और छह करोड़ लोगों ने हर घर तिरंगा वेबसाइट पर तिरंगा फहराते हुए सेल्फी अपलोड की।

 इस अवसर पर आप इस वेबसाइट - https://harghartiranga.com पर देख सकते हैं तिरंगे का प्रेम और लोगों द्वारा डाली गई सेल्फियां। इसी तरह एक और वेबसाईट https://amritmahotsav.nic.in पर भी नज़र आएगा तिरंगे का रंग। इस तरह इन सभी मंचों को शायद पहली बार इतने ज़ोरदार ढंग से तिरंगे का प्रचार करने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। 

*********

एमजी/एमएस/पीएस/डीवी//(रिलीज़ आईडी: 1947597) 

Friday, January 13, 2023

सीबीआई का एक बड़ा ऑप्रेशन "कनक"

 Friday 13th January 2023 at 09:15 PM

 अब तक लगभग 99 स्थानों पर ली गई तलाशी 

नई दिल्ली: 13 जनवरी 2023: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

सीबीआई ने एक बड़े ऑपरेशन 'कनक' में लगभग 39 स्थानों पर बहुत बड़ा एक्शन लिया है। आगे की तलाशी सहित अब तक 1.03 करोड़ रु.(लगभग) बरामद किया एवं एफसीआई के प्रबंधक को भी गिरफ्तार किया। अब तक लगभग 99 स्थानों पर तलाशी ली गई है।

सीबीआई ने आगे की तलाशी सहित अब तक 1.03 करोड़ रु.(लगभग) बरामद किया है, इस   दौरान  आगे रूप नगर, संगरूर, मोरिंडा, बस्सी पठाना फतेहगढ़ साहिब, मोहाली, गुरदासपुर, बरनाला, मनसा, बठिंडा, सुनाम, बुदलाडा, मोहाली (सभी पंजाब में); अंबाला, गुरुग्राम (हरियाणा में); कोलार, चिक्काबलापुर (कर्नाटक में); चेन्नई (तमिलनाडु), नई दिल्ली व चंडीगढ़ स्थित आरोपियों के परिसरों सहित  39 स्थानों पर तलाशी ली।

इसके अलावा, आरोपियों  के परिसरों में तीन दिनों की तलाशी के दौरान तीन करोड़ रु. (लगभग) से अधिक की एफडीआर(FDRs) तथा विभिन्न संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए। एफसीआई के कर्मियों, निजी चावल मिल मालिकों एवं  अनाज व्यापारियों द्वारा अपनाए गए चैनलाइज्ड/ प्रणालीकृत भ्रष्टाचार के अवैध सांठगांठ के विरुद्ध  'ऑपरेशन कनक' नाम के एक बड़े ऑपरेशन में कुल मिलाकर 99 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसमें अनुचित लाभ आदि प्राप्त करने  के लिए एफसीआई के कुछ कर्मियों को अनुचित रिश्वत दी गई थी। 

जांच के दौरान, सीबीआई ने एक प्रबंधक (प्रयोगशाला), एफसीआई, डीओ, चंडीगढ़ को भी गिरफ्तार किया। आरोपी को सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया एवं दिनांक  16.01.2023 तक सीबीआई हिरासत में भेज  गया। इससे पहले,  डीजीएम (गुणवत्ता नियंत्रण/कार्मिक) आरओ, चंडीगढ़ तथा  खरार (पंजाब) स्थित फर्म के एक मालिक को गिरफ्तार किया गया था एवं  वर्तमान में दोनों सीबीआई हिरासत में हैं

एफसीआई के सेवारत (34) एवं सेवानिवृत्त कर्मियों (3), निजी व्यक्तियों (17) और अन्य संस्थाओं आदि सहित 74 आरोपियों के विरुद्ध  मामला दर्ज किया।  ऐसा आरोप है कि पश्चपात प्राप्त करने के लिए  निजी गिरोह संचालको ने एफसीआई कर्मियों को भारी रिश्वत दी। आगे यह आरोप है कि निजी चावल मिल मालिक और अनाज व्यापारी निम्न गुणवत्ता वाले खाद्यान्नों की खरीद को समायोजित करने, खाद्यान्नों को उतारने में दिन-प्रतिदिन के कार्यों में कदाचार, विभिन्न कदाचारों के विरुद्ध  जांच को प्रभावित( manage) करने  आदि में लाभ प्राप्त करने के लिए एफसीआई कर्मियों  को रिश्वत दे रहे थे। यह भी आरोप है  कि कर्मियों  ने राइस मिल मालिकों के साथ षड्यंत्र में स्टॉक में कमी को कवर किया एवं  कम गुणवत्ता वाले खाद्यान्न को स्वीकार किया,  जो देश के अन्य हिस्सों में ले जाया गया। बदले में राइस मिल मालिकों ने तकनीकी सहायकों, डीजीएम, एजीएम, और यहां तक कि कार्यकारी निदेशक सहित एफसीआई के कर्मियों  को कथित रूप से चैनलाइज्ड/ प्रणालीकृत भ्रष्टाचार  के रूप में भारी मात्रा में रिश्वत देते हैं।

Wednesday, January 11, 2023

पंजाब में पराली जलाने का जवाब है बाजरा:उमेंद्र दत्त

Wednesday 11th January 2023 at 04:43 PM

वेस्टर्न फास्ट फूड कल्चर से आगाह किया एडीजी राजेंद्र चौधरी ने 

*कहा कि बाजरा ग्लूटेन मुक्त, प्रोटीन में उच्च और स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है


चंडीगढ़//लुधियाना:11 जनवरी 2023:  (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आज खेती विरासत मिशन के सहयोग से लुधियाना क्लब में मीडिया से इंटरेक्शन और मिलेट लंच का आयोजन किया। आज के दौर में हमारा समाज अनाज और कृषि से सबंधित जिन संकटों का सामना कर रहा है उनके समाधान तलाशने में यह एक ऐतिहासिक आयोजन था जिसमें बहुत ही पते की और गहरी बातें चर्चा का विषय बनीं। 

भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम) 2023 के प्रस्ताव को प्रायोजित किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा अनुमोदित किया गया था। भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी आईवाईएम 2023 को "जन आंदोलन" और भारत के लिए "बाजरा के लिए वैश्विक केंद्र" बनने की इच्छा व्यक्त की है। पीआईबी चंडीगढ़ द्वारा इस क्षेत्र में इस आंदोलन (मूवमेंट) की अगुवाई की जा रही है। उन्होंने स्थानीय मीडिया के लिए तरनतारन और चंडीगढ़ में भी मिलेट लंच का आयोजन किया है, ताकि मीडिया को बाजरा और इसके प्रचार के लिए अधिक मीडिया स्थान देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

मौजूदा दौर में पैदा हुईं स्वास्थ्य समस्यायों की चर्चा करते हुए बहुत ही पते की बातों का खुलासा किया  पीआईबी  चंडीगढ़  के एडीजी श्री राजेंद्र चौधरी ने।  उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि “वेस्टर्न फास्ट फूड कल्चर अपनाने के कारण आज की युवा पीढ़ी कम उम्र से ही स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्याओं का सामना कर रही है। बाजरा विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के खिलाफ लड़ाई में सहायता कर सकता है। बाजरा लस (ग्लूटेन) मुक्त, प्रोटीन में उच्च, और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला होता है।इस प्रकार, वे वजन घटाने में भी मदद कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, "बाजरा उपभोक्ताओं और किसानों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।" उन्होंने अपनी बात को जारी रखा “बाजरा को उगाने के लिए कम पानी और बिजली की आवश्यकता होती है। बाजरा मोटापे, मधुमेह, एनीमिया, हार्मोनल असंतुलन, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि जैसी कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है, जिससे उपभोक्ता स्वस्थ जीवन जी सकेंगे। फलस्वरूप, यह संतुलित पोषक तत्वों का एक उत्कृष्ट स्रोत है।”आज के आयोजन का उद्देश्य मीडिया को बाजरा के बारे में जागरूक करना है। नतीजतन, खपत भी बढ़ेगी, जिससे मांग बढ़ेगी।”

कार्यक्रम के विशेष वक्ता, खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक, श्री उमेंद्र दत्त ने कहा: "बाजरा को अब फ्रिंज फसल नहीं माना जाता है। वे चावल और गेहूं की चक्रीय कृषि के साथ प्रतिस्पर्धा में हैं। इसके अतिरिक्त, वे हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं।" उन्होंने पराली जलाने पर चर्चा करते हुए कहा "बाजरे का डंठल मवेशियों के लिए बहुत अच्छा भोजन है।” उन्होंने कहा “पशुओं के चारे के रूप में उपयोग किए जाने के कारण किसान बाजरे के डंठल को नहीं जलाते हैं। यह पंजाब में पराली जलाने के मुद्दे का भी जवाब हो सकता है।”

जगराओं के बाजरा उगाने वाले किसान श्री रसिंदर सिंह ने भी इस अवसर पर अपने अनुभवों की बात की और कहा कि बाजरा भी जी-20 बैठकों का एक अभिन्न हिस्सा है और प्रतिनिधियों को इसे चखने, किसानों से मिलने और बाजरा से जुड़े हुए स्टार्ट-अप के साथ इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से बाजरा का सच्चा अनुभव दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा, "अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 के उपलक्ष्य में, बाजरा पर उचित ध्यान देने के लिए सरकार के प्रयासों को सही मायने में देखा जा रहा है, और वर्तमान बैठक का भी ऐसा ही करने का इरादा है।"

                   ****

Friday, October 28, 2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया दुर्गम रास्तों का मंत्र

प्रविष्टि तिथि: 28 OCT 2022 6:33PM by PIB Delhi 

कठिनाइयों के हर पहलू का सुझाया बारीकी से समाधान 

राज्यों के गृह मंत्रियों के 'चिंतन शिविर' में वीडियो के ज़रिए प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ


नई दिल्ली
: 28 अक्टूबर 2022: (पी आई बी//पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)

नमस्कार!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री अमित शाह, अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रिगण, गृह मंत्री जी, राज्यों के पुलिस महानिदेशक, गृह मंत्रालय के वरिष्ठ पदाधिकारीगण, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों ! आजकल देश में उत्सव का माहौल है। ओणम, ईद, दशहरा, दुर्गा पूजा, दीपावली सहित अनेक उत्सव शांति और सौहार्द के साथ देशवासियों ने मनाए हैं। अभी छठ पूजा समेत कई अन्य त्यौहार भी हैं। विभिन्न चुनौतियों के बीच, इन त्यौहारों में देश की एकता का सशक्त होना, आपकी तैयारियों का भी प्रतिबिंब हैं। संविधान में भले कानून और व्यवस्था राज्यों का दायित्व है, लेकिन ये देश की एकता-अखंडता के साथ भी उतने ही जुड़े हुए हैं। सूरजकुंड में हो रहा गृह मंत्रियों का ये चिंतन शिविर, कॉपरेटिव फेडरेलिज्म का भी एक उत्तम उदाहरण है। हर एक राज्य एक दूसरे से सीखे, एक दूसरे से प्रेरणा लें, देश की बेहतरी के लिए मिल-जुलकर के काम करे, ये संविधान की भी भावना है और देशवासियों के प्रति हमारा दायित्व भी है।

साथियों,

आज़ादी का अमृतकाल हमारे सामने है। आने वाले 25 साल देश में एक अमृत पीढ़ी के निर्माण के हैं। ये अमृत पीढ़ी, पंच प्रणों के संकल्पों को धारण करके निर्मित होगी। विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता और सबसे प्रमुख बात नागरिक कर्तव्य, इन पंच प्रणों का महत्व आप सभी भली-भांति जानते हैं, समझते हैं। ये एक विराट संकल्प है, जिसको सिर्फ और सिर्फ सबका प्रयास से ही सिद्ध किया जा सकता है। तरीके अपने-अपने हो सकते हैं, रास्ते, priority अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन ये पंच प्रण देश के हर राज्य में हमारी गवर्नेंस की प्रेरणा होने चाहिए। जब ये सुशासन के मूल में होंगे, तो भारत के सामर्थ्य का विराट विस्तार होगा। जब देश का सामर्थ्य बढ़ेगा तो देश के हर नागरिक, हर परिवार का सामर्थ्य बढ़ेगा। यही तो सुशासन है, जिसका लाभ देश के हर राज्य को समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना है। इसमें आप सभी की बहुत बड़ी भूमिका है।

साथियों,

यहां आप में से अधिकतर या तो राज्य को नेतृत्व दे रहे हैं, या फिर सीधे-सीधे कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कानून व्यवस्था का सीधा संबंध, राज्य के विकास से है। इसलिए राज्यों में विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में आप सभी के निर्णय और नीतियां और आपकी रीति ये बहुत अहम हैं।

साथियों,

कानून-व्यवस्था के पूरे तंत्र का विश्वसनीय होना, जनता के बीच उनका Perception क्या है, ये भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आपने देखा है कि जब भी कोई natural calamity  होती है, प्राकृतिक आपदा हाती है, तो इन दिनों NDRF की, SDRF की एक पहचान बनी हुई है। उनको यूनिफार्म, वो संकट के समय पहले पहुंच जाना और उसके कारण देशवासियों के मन में इनके प्रति एक विश्वास बना है कि भाई, ये आए हैं चलिए संभल जाएगा, ये जो कह रहे हैं मानना चाहिए। इनकी बातें अगर स्वीकार करेंगे तो हमारा नुकसान कम होगा। और आप देखिए NDRF में है कौन भाई? SDRF में है कौन? आप ही के सब साथी हैं। सुरक्षाबल के जवान ही हैं। लेकिन समाज में उनके प्रति बड़ी श्रद्धा बन गई है। आपदा के समय में जैसे ही NDRF-SDRF की टीम पहुंचती है, वैसे ही लोगों को संतोष होने लगता है कि अब एक्सपर्ट टीम पहुंच गई है, अब ये अपना काम कर लेंगे।

साथियों,

अपराध वाली किसी भी जगह पर जैसे ही पुलिस पहुंचती है, लोगों में ये भाव आता है कि सरकार पहुंच गई। कोरोना काल में भी हमने देखा है कि किस तरह पुलिस की साख बेहतर हुई थी। पुलिस के लोग जरूरतमंदों की मदद कर रहे थे, जरूरी संसाधान जुटा रहे थे, अपनी ही जिंदगी को दांव पर लगा रह थे। यानि कर्तव्य परायणता में कोई कमी नहीं है, जरूरत अच्छा Perception बनाए रखने की भी है, इसके लिए पुलिस बल को प्रेरित करना, उसके लिए प्लान करना, हर छोटी-मोटी चीजों पर लगातार मार्गदर्शन करते रहना, कुछ गलत होता है तो रोकना, ये हमारी एक जीवंत प्रक्रिया होनी चाहिए, ऊपर से नीचे तक हर पल होनी चाहिए।

साथियों,

हमें एक बात और समझनी होगी। अब कानून व्यवस्था किसी एक राज्य के दायरे में सिमटी रहने वाली व्यवस्था नहीं रह गई है। अब अपराध Inter-state और Inter-national हो रहे हैं। यानि टेक्नोलॉजी की मदद से एक राज्य में बैठे अपराधी, दूसरे राज्य में भयंकर अपराध करने की ताकत रखते हैं। देश की सीमा से बाहर बैठे अपराधी भी टेक्नोलॉजी का जमकर गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए हर राज्य की एजेंसियों का आपस में तालमेल, केंद्र और राज्य की एजेंसियों का आपस में तालमेल ये बहुत जरूरी है। और इसीलिए आपको मालूम होगा मैंने डीजीपी कांफ्रेंस में कहा था कि दो adjoining state होते हैं उसके जो adjourning district होते हैं उन्होंने periodically बैठकर के दोनों राज्यों की दोनों जिलों की समस्याओं का संकलन करना चाहिए, साथ मिलकर काम करना चाहिए। उसी में से ताकत बनेगी। कई बार केंद्रीय एजेंसियों को कई राज्यों में एक साथ जांच करनी पड़ती है। दूसरे देशों में भी जाना पड़ता है। इसलिए हर राज्य का दायित्व है कि चाहे राज्य की एजेंसी हो, चाहे केंद्र की एजेंसी हो या संबंधित कहीं किसी और राज्य से संपर्क आता है। सभी एजेंसियों को एक दूसरे को पूरा सहयोग देना चाहिए। कोई बड़ा है, कोई छोटा है, किसका अधिकार है उसी में कभी-कभी तो हम देखते हैं एक आधी एफआईआर रजिस्टर नहीं हुई, क्यों नहीं हुई तो बोले ये तय नहीं हो रहा है कि वो जो जगह है वो इस थाने में पड़ती है कि उस थाने में पड़ती है। ये जो चीजें हैं वो सिर्फ पुलिस-थाने तक नहीं हैं। राज्यों के बीच भी हो जाती हैं। केंद्र और राज्यों के बीच में  हो जाती हैं। भारत और विदेश की व्यवस्थाओं के साथ हो जाती हैं। इसलिए हमारी efficiency के लिए, हमारे outcome के लिए सामान्य नागरिक को सुरक्षा देने के लिए हमारे बीच में तालमेल, संकलन, सहयोग बहुत अनिवार्य है। और इसके लिए जितना संकलन बढ़ेगा, आपके राज्य की भी ताकत बढ़ने वाली है।

साथियों,

साइबर क्राइम हो या फिर ड्रोन टेक्नॉलॉजी का हथियारों और ड्रग्स तस्करी में उपयोग, इनके लिए हमें नई टेक्नॉलॉजी पर काम करते रहना होगा। अब देखिए हम 5G के युग में घुस गए हैं, तेजी से 5G पहुंचने वाला है। अब 5G के जितने लाभ हैं, इतनी ही जागरुकता भी जरूरी रहेगी।  5G से facial recognition technology, automatic number-plate recognition technology, drones और CCTV जैसी टेक्नॉलॉजी की परफॉर्मेंस में कई गुणा सुधार होने वाला है। लेकिन हम जितनी तेजी से आगे बढ़ेंगे, जो क्राइम करने वाला वर्ल्ड है, उसका भी ग्लोबलाइजेशन हो चुका है। वो भी interested हो चुका है। वो भी टेक्नोलॉजी में forward हो चुके हैं। मतलब हमें उनसे दस कदम आगे जाना होगा। हमें हमारी कानून व्यवस्था को भी स्मार्ट बनाना इसके लिए बहुत ही आग्रह से काम करना पड़ेगा।

साथियों,

मेरा आग्रह ये भी है कि टेक्नोलॉजी को कृपा करके बजट के तराजू से ना तौलें। और मेरा सभी आदरणीय मुख्यमंत्रियों से, सभी आदरणीय गृहमंत्रियों से इस विषय में एक टीम बनाकर के दुनिया में criminal world की किस टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहा है, उपलब्ध टेक्नोलॉजी हमारे लोगों को कैसे सुरक्षा दे सकती है, इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए और इसमें जो बजट जाएगा वो बाकी सैकड़ों खर्चों को बचाने का कारण बन जाएगा। और इसलिए टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल पूरे पुलिस तंत्र को तो मजबूत करता ही करता है, सामान्य मानवी को सुरक्षा देना का एक विश्वास नीचे तक हम पहुंचा सकते हैं। टेक्नोलॉजी, Crime Prevention में भी मदद करती है और Crime  detection में भी, Crime Investigation में भी बहुत काम आती है। आज देखिए, कितने ही अपराधी, CCTV की वजह से पकड़े जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी अभियान के तहत शहरों में बनाए गए आधुनिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम से भी बहुत मदद मिल रही है।

साथियों,

इस प्रकार की नई टेक्नॉलॉजी के विकास के लिए केंद्र सरकार ने पुलिस टेक्नॉलॉजी मिशन भी शुरु किया है। अनेक राज्य भी इसमें अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। लेकिन ये अनुभव आ रहा है कि हमारे अलग-अलग प्रयोग होने के कारण हमारी टेक्नोलॉजी एक दूसरे के साथ बात नहीं करती है, और इसलिए हमारी एनर्जी waste होती है। वो जो भी मेटरियल है, वो उस राज्य तक सीमित रहता है।  हमें कॉमन प्लेटफार्म के विषय में बड़ा मन रखकर के सोचना ही पड़ेगा। किसी एक के पास बहुत उत्तम चीज है तो ये मानकर के न बैठें कि मेरे पास है, मैं तो किसी को दूंगा नहीं, मैं अपनी ताकत बनाए रखूँगा, एक समय आएगा कि इतनी उत्तम टेक्नोलॉजी होगी और लोगों के सहयोग में नहीं होगी तो stand alone निकम्मी हो जाएगी। और इसलिए टेक्नोलॉजी में भारत के संदर्भ में सोचना हमारी सभी best practices, best innovation कॉमन लिंक वाले ही होने चाहिए, Inter operable होने चाहिए, एक दूसरे के साथ लगातार सरलता से बात कर सके ये व्यवस्थाएं अनिवार्य है।

साथियों,

आज फॉरेंसिक साइंस का महात्मय बढ़ रहा है, और वो सिर्फ पुलिस महकमे तक सीमित नहीं है जी! Legal fraternity को फॉरेंसिक साइंस को समझना पड़ेगा, Judiciary को फॉरेंसिक साइंस समझना पड़ेगा, Even हॉस्पिटल को भी फॉरेंसिक साइंस समझना पड़ेगा। इन सबके प्रयत्न से ही फॉरेंसिक साइंस का उपयोग क्राइम और क्रिमिनल को सजा दिलाने में बहुत काम आ सकता है।  अकेले पुलिस के पास फॉरेंसिक साइंस की कुछ व्यवस्था हैं, ये enough नहीं होगा। और इसलिए हर राज्य में हमें संकलित और संतुलित व्यवस्था हर राज्य को गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की और उसकी क्षमता आज दुनिया के 60-70 देश फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का लाभ ले रहे हैं। हमारे राज्यों को भी बढ़-चढ़कर लाभ लेना चाहिए। ये पूरी तरह futuristic technology driven व्यवस्था है। Human Resource Development का भी वहां काम है, नए-नए टेक्नोलॉजी टूल बनाने का भी काम है। और बड़े कठिन केसेस को सुलझाने में भी वो लैब काम आ रही है। मैं समझता हूं कि इस व्यवस्था का उपयोग सभी राज्य सक्रियता से कैसे करें?

साथियों,

कानून व्यवस्था को बनाए रखना, एक 24x7 वाला काम है। लेकिन किसी भी काम में ये भी आवश्यक है कि हम निरंतर प्रकियाओं में सुधार करते चलें, उन्हें आधुनिक बनाते चलें। बीते वर्षों में भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था से जुड़े जो Reforms हुए हैं, उन्होंने पूरे देश में शांति का वातावरण बनाने में मदद की है। आप भी जानते हैं कि भारत की विविधता, भारत की विशालता की वजह से हमारे law enforcement system पर कितना दबाव होता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि हमारा ये सिस्टम सही दिशा में ऊर्जा लगाए। वर्ना हमने देखा है कि कितने ही अनावश्यक केसों में, छोटी-छोटी गलतियों की जांच में ही पुलिस डिपार्टमेंट की ऊर्जा चली जाती है। इसलिए हमने व्यापार-कारोबार से जुड़े अनेकों प्रावधानों को अब decriminalize कर दिया है, उन्हें अपराध की श्रेणी से बाहर निकाल दिया है। डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने कानूनों को समाप्त करके भविष्य का बहुत बड़ा बोझ कम किया गया है। मैं तो राज्यों से भी आग्रह करता हूं आप भी अपने यहां कानूनों को evaluate कीजिए। आजादी के पहले के जितने कानून हैं, उनको वर्तमान तरीकों के साथ बदलिए। हर कानून में क्रिमिनल एंगल और निर्दोष नागरिकों को परेशानी वो वक्त चला गया है जी।

साथियों,

सरकार को अब जैसे स्वामित्व योजना, ये स्वामित्व योजना के तहत देश के गांवों में ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से प्रॉपर्टी कार्ड वितरित कर रहे हैं, वो भी जमीन से जुड़े विवादों को कम करेंगे, झगड़े खत्म होंगे गांव के। वरना गांव की समस्या ज्यादातर एक फुट जमीन जिसने ले ली उसी में से बड़े-बड़े झगड़े हो जाते थे।

साथियों,

परोक्ष और अपरोक्ष रूप से किए गए ऐसे अनेक प्रयासों से law enforcement एजेंसियों को भी अपनी प्राथमिकता तय करने में बहुत मदद मिली है। लेकिन हम जब पूरे कैनवास पर चीजों को रखकर के अपनी स्ट्रेटजी में बदलाव नहीं करेंगे, 20-30-50 साल पुरानी पद्धतियों से चलेंगे तो शायद इन चीजों का फायदा नहीं मिलेगा। बीते वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों ने भी कानून-व्यवस्था को मजबूत किया है। आतंकवाद हो, हवाला नेटवर्क हो, भ्रष्टाचार हो, इस पर आज देश में अभूतपूर्व सख्ती दिखाई जा रही है। लोगों में विश्वास पनपने लगा है। UAPA जैसे कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई में व्यवस्थाओं को ताकत दी है। यानि एक तरफ हम देश के law enforcement system का, उसकी क्षमता बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ उन पर अनावश्यक बोझ को भी हटा सकें।

साथियों,

एक और विषय हमारे देश की पुलिस के लिए महत्वपूर्ण है। जैसे आज देश में One Nation, One Ration Card की व्यवस्था बनी है, One Nation-One Mobility Card की व्यवस्था हो रही है, One Nation-One Grid बना है, One Nation-One Sign Language बनी है, वैसे ही पुलिस की वर्दी को भी लेकर भी ऐसी ही कोई अप्रोच अपनाई जा सकती है। क्या हमारे राज्य मिल बैठकर के, इससे बहुत लाभ होंगे, एक तो Quality material product होगा, क्योंकि mass scale पर होगा। कैप होगी तो करोड़ों कैपेज की जरूरत पड़ेगी। बेल्ट चाहिए तो करोड़ों में चाहिएगा। और देश को कोई भी नागरिक कहीं पर भी जाएगा देखते ही उसको पता चलेगा हां ये पुलिस वाला है। अब जैसे पोस्ट ऑफिस का डिब्बा। हिन्दुस्तान में कोई पढ़ा-लिखा, अनपढ़ आदमी को मालूम है ये पोस्ट का डिब्बा है। यानि कागज डाला वहां पहुंचता है। एक पहचान होती है। हमारे लिए भी आवश्यक है कि हमारे देश के पुलिस बेड़े में, हम सोंचे, साथ मिलकर के सोंचे, कोई किसी पर थोपने की जरूरत नहीं है, एक evolve करें। आप देखिए बहुत बड़ा लाभ होगा और एक दूसरे की ताकत में इजाफा होगा। One Nation- One Police Uniform, हां उस राज्य का एक टैग हो सकता है, उस राज्य का एक नंबर हो सकता है, लेकिन पहचान कॉमन बने, इस पर सोचें, मैं एक विचार के रूप में रख रहा हूं। ना मैं कोई आपसे आग्रह भी करता हूं। मैं सिर्फ एक विचार रखता हूं। और इस विचार पर चर्चा कीजिए। कभी ठीक लगे 5 साल 50 साल 100 साल के बाद भी उपयोगी लगेगा, तो जरूर देखिए। उसी प्रकार से अलग-अलग प्रकार की पुलिस के नए-नए विभाग शुरू हुए हैं। Expertise आई है।

अब हम देखिए दुनिया में दूरिज्म का बहुत बड़ा मार्केट है। भारत में टूरिज्म की संभावनाएं बहुत बढ़ रही हैं। विश्व से बहुत बड़ी मात्रा में टूरिस्टों का भारत में आने का प्रवाह बढ़ना ही बढ़ना है। आज दुनिया में कई देश जो टूरिज्म के क्षेत्र में बहुत आगे हैं। वहां टूरिज्म के लिए काम करने वाली पुलिस बनाई जाती है। उनकी ट्रेनिंग अलग होती है। उनको languages भी सिखाई जाती है।  उनके behaviour पूरी तरह चेंज होता है। और यात्रियों को भी विदेश के टूरिस्टों को भी पता होता है कि भाई ये मदद करने के लिए पुलिस की व्यवस्था है और वो पुलिस होने के कारण वो Police Enforcement  जो Institutes है उससे भी बड़ी आसानी से संकलन कर पाता है। कभी न कभी हमे हमारे देश में इस सुविधा की expertise को डेवलप करना ही पड़ेगा। ताकि भारत में टूरिज्म के लिए  विश्वभर से आने वाले आदमी और एक पूंजी निवेश के लिए आने वाले में बहुत फर्क है। टूरिस्ट तुरंत आपका एंबेसडर बन जाता है। अच्छी चीज भी वही दुनिया में ले जाएगा, बुरी चीज भी वही दुनिया में ले जाएगा। पूंजी निवेश जो करता है उसको इस काम में काफी समय लग जाता है अगर गलत हो गया तो। लेकिन टूरिस्ट तो दो दिन में ही खबर पहुंचा देता है अरे यार भाई यहां तो ये हाल है।  और इसलिए आज भारत में भी मिडिल क्लास का  बल्क इतना बढ़ रहा है टूरिज्म को लेकर के बहुत बदलाव आ रहा है। अब टूरिज्म और ट्रैफिक नई समस्या आ रही है। अब हम एडवांस में नहीं सोचेंगे, alternate नहीं सोचेंगे तो वहीं टूरिज्म के हमारे सेंटर्स तो कोई बदलने वाले नहीं है। हम कहें कि भाई आप  शिमला नहीं वहाँ जाइये तो ये तो होने से शिमला जिसको जाना है शिमला ही जाएगा। नैनीताल जाना है वो नैनीताल ही जाएगा, श्रीनगर जाना है वो श्रीनगर ही जाएगा, गुलमर्ग जाना है वो गुलमर्ग ही जाएगा। हमें व्यवस्थाओं को विकसित करना होगा।

साथियों,

हमने देखा है, कोरोना के समय में जब पुलिस के लोग अपने क्षेत्रों के लोगों को फोन करके पूछते थे और  खासकर के मैंने देखा है कुछ शहरों में senior citizen के लिए पुलिस में जो बड़ी आयु के लोग हैं, जिनसे अब ज्यादा मजदूरी करवाना उनके साथ भी अत्याचार है। उन्होंने स्वेच्छा से ऐसे काम लिए हैं। और वे Senior Citizens को लगातार पूछते हैं ठीक हो ना, कहीं बाहर तो जाने वाले नहीं हो ना, घर बंद करके जाने वाले नहीं हो ना, इसके कारण नागरिकों का जो confidence बढ़ता है। वो एक प्रकार से आपकी ताकत बन जाता है। इस चीज को हम जितना ज्यादा उपयोग कर सकते हैं, professional way में कर सकते हैं और पूरी तरह जीवंतता हो, संवेदनशीलता हो, आप देखिए समाज जीवन में ये फोन आपका सप्ताह में अगर  किसी सीनियर सिटिजन को जाता है वो महीने भर दुनिया को कहता रहता है कि भई पुलिस थाने से बिलकुल फोन आ जाता है, हर बुधवार को पूछ लेते हैं मेरी कोई दिक्कत है नहीं, इन चीजों बहुत बड़ी ताकत होती है। जो perception की लड़ाई है ना, ये आपके सारे perception बनाने वाले लोग हैं। हमें एक और काम की तरफ बहुत सजग होने की जरूरत है जी, Technological Intelligence इसकी अपनी ही एक ताकत है, उसका उपयोग है लेकिन हम Human Intelligence को नकार नहीं सकते हैं। उस विधा को पुलिस डिपार्टमेंट ने आज से सौ साल, कितनी ही टेक्नोलॉजी बदल जाए, 100 साल के बाद उसकी जरूरत पड़ने वाली है। उस institute को जितना ताकतवर बना सकते हैं बनाइये। उसमें जो सामर्थ है, उसकी जो नजरें हैं वो उसकी जो बातचीत में से जो पकड़ के ले आता है, ये आपकी बहुत बड़ी ताकत होती है। और अगर दोनों क्षेत्रों में ताकत है फिर तो आप चीजों को बहुत आसानी से कल्पना कर सकते हैं कि भई ये संभावना है, दस दिन के बाद ये संभावना दिखती है, ये चल रहा है, चलो हम देखते हैं, यहां कुछ लोग आते हैं जाते हैं, कुछ हो रहा है, तुरंत पता चलेगा। और मैं समझता हूं, इसके कारण हमारी व्यवस्थाएं बहुत चुस्त हो जाएगी। जो 50 बार क्राइम करने वालो को सोचने के लिए मजबूर करेगी।

साथियों,

हमें एक और बात भी समझनी है। आज वैश्विक स्तर पर भारत जितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से भारत की चुनौतियां भी बढ़ने वाली हैं। पहले वो उपेक्षा की वृत्ति होती है, फिर उसका जरा मजाक उड़ाने की वृत्ति बनती है, फिर भी आप आगे बढ़ते हैं। तो फिर थोड़ी competition का भाव आ जाता है, प्रतिस्पर्धा आ जाती है। फिर भी आगे बढ़ते हैं, तो दुश्मनी का रुप ले लेती है। विश्व की बहुत सारी ताकतें होंगी जो नहीं चाहेंगी की उनके देश के संदर्भ में भारत कुछ सामर्थ्यवान बने। फलाने विषय में उनकी expertise है उसमें भारत न घुसे। फलानी प्रोडक्ट उनकी बपौती है, अगर उसमें भारत प्रोडक्शन में चला गया तो मार्केट पर भारत कब्जा कर लेगा। भारत बहुत बड़ा बाजार है, भारत खुद बनाने लग जाएगा तो फिर तो हमारा माल कहां जाएगा। कई प्रकार की चुनौती आने वाली है और वो चुनौतियों दुश्मनी का रूप लेते देर नहीं करती। और इसलिए हमें हमारे इन सारे challenges को हमें समझना है और ये सहज है किसी को हमसे कोई हमारा बुरा करना नहीं है। मनुष्य का स्वभाव है आपके यहां भी दो अफसर होंगे तो लगता है कि हां यार आगे चलकर इसका प्रमोशन हो जाएगा, मैं तो रह जाऊंगा। तो उनका फिर 10 साल पहले ही तू-तू शुरू हो जाता है। वैसा हर जगह पर होता है भई। और इसलिए मैं कहता हूं कि हम थोड़ा दूर का सोचकर के हमारे सामर्थ्य को protected environment, proper massaging इसके लिए आवश्यक बारीकियों को जो पहले की Law & Order और आज की चुनौतियों में बहुत बड़ा फर्क आने वाला है। पहले का तो बरकरार रखना ही पड़ेगा, नए के लिए भी हमें अपने आप को तैयार करना पड़ेगा। हमें देश के विरोध में जो ताकतें खड़ी हो रही हैं। जिस प्रकार हर चीज का उपयोग किया जा रहा है। सामान्य नागरिकी सुरक्षा के लिए, Law abiding cities के अधिकारों के लिए ऐसी किसी भी नकारात्मक शक्तियों के खिलाफ कठोर से कठोर बर्ताव ही हमारी जिम्मेदारी है। कोई उदारता नहीं चल सकती है जी।  क्योंकि आखिरकार जो Law abiding citizen हैं, जो कानून को मानने वाला व्यक्ति है, वो कहां जाएगा भई। हमारा काम है और ऐसे 99 पर्सेंट सिटिजन वही होते हैं जी, 1 पर्सेंट का ही प्रोब्लम होता है। हमें उन 99 को विश्वास दिलाने के लिए उन 1 पर्सेंट के प्रति जरा भी उदारता बरतने की जरूरत नहीं है।

साथियों,

सोशल मीडिया की शक्ति को हमें कम करके नहीं आंकना चाहिए, इतने मात्र से उसको आंकना नहीं चाहिए। एक छोटी सी Fake News, पूरे देश में बड़ा बवाल खड़ा कर सकती है। हमें मालूम है एक आरक्षण की ऐसी अफवाह फैल गई, fake news चल गया, जिसके चलते क्या कुछ नुकसान झेलना पड़ा था देश को। 6-8 घंटे के बाद जब पता चला तो सब शांत हो गए, लेकिन तब तक तो नुकसान बहुत हो चुका था। और इसलिए लोगों को हमें एजुकेट करते रहना पड़ेगा कि कोई भी चीज आती है उसको फारवर्ड करने से पहले 10 बार सोचों भई। कोई भी चीज आती है उसको मानने से पहले जरा वेरिफाई करो और सारे प्लेटफार्म पर वेरिफिकेशन की व्यवस्था होती है। आप एक-दो-दस जगह पर आकर चक्कर लगाओगे तो कुछ न कुछ नया वर्जन मिल जाएगा। ये हमें लोगों को एजुकेट करना होगा। हमें ऐसी Fake World से Driven Society, उसी से डरी हुई सोसायटी, उसी से ड्राईव होने वाली सोसाइयटी इसके बीच में एक बहुत बड़ी शक्ति हमें खड़ी करनी होगी। टेक्नोलॉजिकल शक्ति खड़ी करनी होगी।     

साथियों,

सिविल डिफेंस की आवश्यकता और जैसे अभी अमित भाई बता रहे थे भई, कुछ चीज हैं जिस पर हमारा ध्यान अभी हट रहा है। अमित भाई ने सही चीजों को पकड़ा है। आप लोग भी ये जो अनेक दशकों से चली हुई चीजें हैं, इसका बहुत उपयोग है स्कूल कॉलेज में भी इसको हमने सिविल डिफेंस से विषय हो, प्राइमरी हेल्थ वाले विषय हो, जो चीजें होती हैं, पहले भी करते थे हम लोग। Fire fighting की व्यवस्था हम पहले भी करते थे। इसको हमने सहज स्वभाव बनाना चाहिए और मैंने तो कहा है हर नगर पालिका, महानगर पालिका में सप्ताह में एक दिन किसी स्कूल में जाकर के Fire Fighting के क्षेत्र के लोग और पुलिस ने जाकर के ड्रिल करनी चाहिए। तो स्कूल के बच्चे देखेंगे तो उनका भी एजुकेशन हो जाएगा, जो सिस्टम है वो भी उनकी ड्रीम और प्रेक्टिस होती जाएगी। अगले हफ्ते दूसरे स्कूल, फिर एक स्कूल का दस साल में एक बार बारी आएगी बड़े शहर में तो। लेकिन हर पीढ़ी को पता चलेगा वे सिविल डिफेंस के संबंध में, Fire Fighting के संबंध में ये सारी ड्रिल नागरिक को करनी होती है। आपको भी एक बहुत बड़ी ताकत मिलेगी जी। ये सहज रूप से करने वाला काम है।

साथियों,

बीते वर्षों में आतंक के ग्राउंड नेटवर्क को ध्वस्त करने में सभी सरकारों ने बहुत जिम्मेदारी के साथ उसकी गंभीरता को समझकर के कुछ न कुछ करने का प्रयास किया है। कहीं पर शायद सफलता पहले मिली हो, कहीं पर देर से मिली हो, लेकिन हर एक को इसकी गंभीरता को आज समझाना पड़े ऐसा नहीं है। अब हमें इसमें ताकत को जोड़कर के इसको handle करना है जी। इसी प्रकार नक्सलवाद  के हर फार्म को हमें पराजित करना पड़ेगा जी। बंदुक वाला भी है और कलम वाला भी नक्सलवाद है। हमें इन सबका काट निकालना पड़ेगा जी। हमारी युवा पीढ़ियों  को भ्रमित करने के लिए ऐसी बचकाना बातें कर करके चल पड़ते हैं लोग और इतना नुकसान देश को हो रहा है, और आने वाले दिनों में कोई संभाल नहीं पाएगा जी।  और इसलिए हमने जैसे नक्सल प्रभावित जिलों पर फोकस किया है, उसी प्रकार से उन्होंने अब अपना Intellectual दायरा उन जगह पर पहुंचाने का प्रयास किया है, जो आने वाली पीढ़ियों में विकृत मानसिकता पैदा कर सकते हैं। एक दूसरे के प्रति द्वेष पैदा कर सकते हैं। इमोशनल चीजों को out of proportion उछाल कर के समाज के अनेक टुकड़ों में खाई पैदा कर सकते हैं, बिखराव पैदा कर सकते हैं। देश की एकता और अखंडता सरदार वल्लभ भाई पटेल हमारी प्रेरणा हो, हमें ऐसी किसी चीजों को देश में चलने नहीं देना है जी। लेकिन बुद्धिपूर्वक करना पड़ेगा, समझदारी से करना पड़ेगा। हमारे Fight forces में भी ऐसी expertise तैयार करनी पड़ेगी। किसी राज्य में कोई घटना घटी है, तो हमारे टॉप एक्सपर्ट को वहां स्टडी के लिए भेजना चाहिए, कि  विश्वविद्यालय जाओ तीन दिन वहां रहकर आओ, वहां पर हुआ है तो उन्होंने कैसे हैन्डल किया था, मामला कैसे पनपा था, उससे हम सीखते हैं। सीखने के लिए हमें लगातार कोशिश करनी चाहिए। और जो इस प्रकार की दुनिया वाले लोग हैं, उनको अंतरराष्ट्रीय स्तर से भी बहुत मदद मिल जाती है और वो इसमें चतुर होते हैं, और उनका चेहरा मोहरा इतना बड़ा सात्विक दिखता है। इतना बड़ा संविधान और कानून की भाषा में भी बोलते हैं प्रवृत्ति कुछ और करती है। इन सारी चीजों को दूध का दूध और पानी का पानी ये समझने की ताकत हमारे सिक्यूरिटी सामर्थ्य में होनी चाहिए जी। हमें स्थायी शांति के लिए तेजी से आगे बढ़ना बहुत जरूरी है।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर हो या नॉर्थ ईस्ट हो आज हम विश्वास gain कर रहे हैं। Destructive ताकतों को भी मुख्य धारा में आने का मन करने लगा है। और जब हम विकास उनको नजर आता है, Infrastructure दिखता है, उनकी अपेक्षाएं पूरी हो रही हैं। तो वे भी अब शस्त्रों को छोड़कर के साथ चलने के लिए तैयार हो रहे हैं। उसी प्रकार से बॉर्डर और कोस्टल एरिया में हमें विकास की ओर देखना होगा। बजट में भी बाइब्रेंट विलेज की बात कही गई है। आपको इस पर सोचना चाहिए। आपके टॉप अफसर उनको बॉर्डर विलेज में नाइट स्टे करके आना चाहिए। आग्रह कीजिए मैं तो मंत्रियों से भी कहुंगा कि कम से कम एक साल में पांच या सात बॉर्डर विलेज में जाकर के दो-तीन घंटे बिताकर आइए। चाहे वो किसी स्टेट का बॉर्डर विलेज हो, चाहे इंटरनेशनल बॉर्डर विलेज हो, आपको बहुत कुछ बारीकियों को पता चलेगा।

साथियों,

हथियार ड्रग ये सारी जो तस्करी चल रही है। ड्रोन उसमें एक नया संकट घुसा हुआ है। हमें हमारे बॉर्डर और कोस्टल उनके लिए संकलन बहुत जरूरी है। हम कहेंगे भई नहीं ये करेगी, कोसटगार्ड ये करेगा इतने से बात बनेगी नहीं यहां, हमें ये संकलन बहुत अच्छे से बढ़ाना पड़ेगा। मुझे विश्वास है कि अगर हम मिलकर एक राष्ट्रीय परिपेक्ष के साथ आगे बढ़ेंगे तो हर चुनौती हमारे सामने बौनी सिद्ध हो जाएगी। और चीजों को हैंडल करने की हमारी ताकत भी बढ़ जाएगी। मुझे विश्वास है कि इस शिविर में जो चर्चा होगी, उसमें से कोई न कोई actionable point निकलेंगे। एक कलेक्टिव रोडमैप बनेगा, हर राज्य को साथ मिलकर के काम करना पड़ेगा। ये तेरा क्षेत्र है, ये मेरा क्षेत्र है, ये तेरा अधिकार है, ये मेरा अधिकार है, अगर हम उसमें उलझे रहेंगे तो उसका सबसे ज्यादा फायदा समाज विरोधी ताकतें जो कानून को मानते नहीं हैं वो इस अव्यवस्था का भरपूर फायदा उठा सकते हैं। इसलिए हमारे बीच समझदारी, संकलन, विश्वास और ये सब बड़ा प्रोफेशनल होना चाहिए जी। और ये जिम्मेदारी हमारे कैडर्स की है, बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। और मुझे विश्वास है हम साथ मिलकर के करेंगे तो हम जो चाहते हैं वैसा परिणाम प्राप्त कर सकेंगे, और देश के लिए जो अवसर आया है, उस अवसर को पहली नजर में ताकत यूनिफार्म फोर्सेस से आती है जी। विश्वास का एक कारण यूनिफार्म फोर्सेस बन जाता है। हम उसको जितना ज्यादा ताकतवर बनाएंगे, जितना ज्यादा बहुत विजन के साथ काम करने वाला बनाएंगे, जितना ज्यादा नागरिकों के प्रति संवेदनशील बनाएंगे, बहुत लाभ होगा।

कुछ सुझाव मैंने डीजीपी कांफ्रेंस में कहें हैं। मैं सभी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से आग्रह करुंगा कि डीजीपी कांफ्रेंस एक बहुत ही अच्छी Institutional के रूप में विकसित हुई है। खुलकर के चर्चा होती है और उसमें political element जीरो होता है। उसमें से जो बातें निकलती हैं,  मैं सभी गृहविभाग के मेरे सचिव जो रहते हैं वो आईएएस कैडर के होते हैं और हमारे जो political field के लोग जो चुनकर के आकर के सरकार चलाते हैं। डीजीपी कांफ्रेस में जो बातें हुई उनसे पूरा briefing लेना चाहिए। उसमें actionalble point को हमें अपने राज्य में तुरंत लागू करना चाहिए। तब जाकर के फायदा होगा। हमें डीजीपी कांफ्रेंस से तो एक मीटिंग हो गई थी हमारे साहब होकर के आ गए हैं ये नहीं है जी। ये एक देश की सिक्यूरिटी को लेकर के काम करने के लिए है। अब जैसे एक सुझाव आया था कि भई हमारी पुलिस के लिए रहने के घर। अब मैंने एक सुझाव दिया था कि खासकर के बड़े शहरों में जो पुलिस थाने हैं या पुलिस स्टेशन हैं। आप जरा सोचिये कि उसमें से कुछ multistorey बन सकता है क्या? नीचे थाना चला रहेगा, लेकिन अगर ऊपर-ऊपर 20 मंजिला मकान बना दिया और र्क्वाटर बना दिये रहने के लिए तो उस इलाके के जितने पुलिस वाले हैं, उनके लिए घर वहीं मिल जाएगा। ट्रांसफर हो जाएगा, तो वो खाली करके चला जाएगा तो जो आएगा उसको वो ही मकान मिल जाएगा। तो पुलिस को आज शहर के बाहर 25 मिलोमीटर दूर घर मिलता है। उसको आने-जाने में दो-दो घंटे लगते हैं। हम जमीन का भी ज्यादा उस राज्य से बात कर सकते हैं, उस कार्पोरेशन से बात कर सकते हैं, जरा उसको highrise के लिए बना सकते हैं, जिससे फायदा होगा और ऊपर भी हम सिक्योरिटी के लिए व्यवस्थाएं आर्गेनाइज कर सकते हैं। हम चीजों को देखने के लिए व्यवस्थाएं आर्गेनाइज कर सकते हैं। यानि stand alone एक छोटा पुलिस थाना है, उसके बजाय आधुनिक पुलिस थाना भी बन जाएगा और उसी के ऊपर 20-25 मंजिला मकान बनकर के रहने के लिए घरों की व्यवस्था हो जाएगी।

और मैं जरूर मानता हूं बड़े शहर में 25-50 थाने तो ऐसे जरूर मिल सकते हैं कि जहां इस प्रकार के डेवलपमेंट की संभावना है। क्योंकि बड़े शहरों में 20 किलोमीटर 25 किलोमीटर बाहर जाना पड़ रहा है पुलिस के र्क्वाटर बनाने के लिए, और उसमें देखा होगा अब जैसे अमित भाई बता रहे थे कि भई बजट जो देते हैं, वो उपयोग नहीं हो रहा है। जितनी मात्रा में खर्च होना चाहिए, नहीं हो रहा है। भारत सरकार में एक ऐसी स्थिति शुरू हुई है कि मुझे बार-बार आग्रह करना पड़ता है कि जिस काम के लिए तय किया है उस बजट को उस काम के लिए उपयोग करो और समय सीमा में करो, पैसे खर्च नहीं कर पा रहे हम लोग। हमारे देश में ये स्थिति हमें नहीं चाहिए, हमें अपनी ताकत बढ़ानी होगी जी, हमारा सामर्थ्य बढ़ाना होगा, निर्णय शक्ति को बढ़ाना पड़ेगा। तब जाकर के इस धन का सही उपयोग समय सीमा में कर पाएंगे और जब समय सीमा में धन का उपयोग होता है तो वेस्टेज तो बचता ही बचता है, हमें लाभ बहुत होता है।

मैं एक और विषय के प्रति आपका ध्यान चाहता हूँ सभी राज्य की पुलिस और भारत सरकार की पुलिस जो हम स्क्रेपिंग पॉलिसी लाए हैं, उसकी स्टडी कीजिए और आपके जितने पुराने व्हीकल हैं। एक बार उनको स्क्रेप करने की दिशा में आप आगे बढ़िये। पुलिस के पास व्हीकल पुराना नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसकी efficiency से जुड़ा हुआ विषय है। उसके कारण दो फायदे होंगे। जो स्क्रेपिंग की बिजनेस में आने वाले लोग हैं, उनको assurance मिल जाएगा कि भई फलाने राज्य में 2 हजार व्हीकल्स स्क्रेपिंग के लिए already उन्होंने  identify  कर दिए। चलों मैं एक यूनिट लगा देता हूं। रिसाइकल का circular economy  का काम हो जाएगा और हम अगर 2 हजार व्हीकल वहां जो नई व्हीकल बनाने वाली कंपनियां भी आ जाएगी कि भई अगर आप 2 हजार व्हीकल हमारे साथ लेते हो तो हम रेट इतना कम करेंगे, हम क्वालिटी में आपको जो चाहिए करके देंगे, इतना बढ़िया पैकेज बन सकता है जी। सभी हमारे पुलिस के पास आधुनिक से आधुनिक व्हीकल आ सकते हैं। हम उस पर सोचें और मैं चाहता हूं कि मिनिस्टर खुद बुलाए ऐसे जो स्क्रेपिंग की दुनिया में अच्छा काम कर सकते हैं उनको। और कहें हम चलो जमीन देते हैं आपको, आप स्क्रेपिंग के लिए recycle  के unit लगा दीजिए।  हम पहले पुलिस वाले व्हीकल दे देंगे आपको। हम पुलिस के लिए नए व्हीकल लेंगे। ये बहुत जरूरी है जी। भारत सरकार के भिन्न-भिन्न यूनिट भी अपने पुराने सारे कूड़ा-कचरा निकाल देते हैं। और नए तो हमारी environment  efficiency सब पर फर्क आएगा। तो ऐसी छोटी-छोटी चीजों पर भी अगर आप कुछ निर्णय करके निकलेंगे और उसको समय सीमा में लागू करेंगे, आप देखिए आप लोगों को तो सुरक्षा देंगे, आप देश के विकास में भी बहुत बड़े भागीदार बन जाएंगे। और मुझे पूरा विश्वास है कि जिस गंभीरता से इस मीटिंग को आप लोगों ने लिया है और विशेषकर के इतनी बड़ी संख्या में मुख्यमंत्रियों का आकर के इस मीटिंग में बैठना सचमुच में तो जब मैंने आपको देखा तो मेरा मन करता है कि मुझे वहां आपके बीच में होना चाहिए था। लेकिन पहले से ही कुछ कार्यक्रमों का इतना प्रेशर रहा है कि मैं नहीं आ पाया। लेकिन जब इतने सारे माननीय मुख्यमंत्री जी आते हों तो एक प्रधानमंत्री का स्वाभाविक मन कर जाता है कि जरा आपके बीच बैठूं, मैं भी आपके साथ चाय पान करते करते काफी बातें करुं, लेकिन मैं नहीं कर पाया इस बार। गृहमंत्री जी आपके साथ बात कर रहे हैं वो जो भी विषय आपसे चर्चा करेंगे, मुझ तक जरूर पहुंचेगा और मेरे हिस्से में जो जिम्मेदारी होगी मैं सभी मुख्यमंत्रियों को, सभी गृहमंत्रियों को विश्वास दिलाता हूं कि आपकी आशा अपेक्षा पर खरा उतरने के लिए भारत सरकार भी उतना ही प्रयास करेगी। मेरा आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत बहुत शुभकामनाएं।

***

DS/ST/DK   (रिलीज़ आईडी: 1871637)


Wednesday, February 24, 2021

आठ मिसाइल सह गोला बारूद नौकाओं की खरीद

Wednesday:24th February, 2021 at 18:24 IST

भारतीय नौसेना का मैसर्स सीकोन, विशाखापट्टनम के साथ अनुबंध


नई दिल्ली
: 24 फरवरी 2021: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन):: 

जंग के खिलाफ पूरी दुनिया में बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन जंग का माहौल समाप्त ही नहीं होता। रंगरूप बदल बदल कर जंग सामने आती रहती है। जब तक पूरी दुनिया में अमन, शांति और सौहार्द का माहौल नहीं बन जाता तब तक हथियारों और गोला बारूद की ज़रूरत बनी रहेगी। जब तक हथियार और गोला बारूद रहेंगे तब तक इन्हें लाने लेजाने की ज़रूरत भी रहेगी। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए भारत एक बार फिर और सशक्त हुआ है।  

मैसर्स सीकोन (एसईसीओएन), विशाखापट्टनम के साथ 19 फरवरी 2021 को भारतीय नौसेना ने आठ मिसाइल सह गोला बारूद वाली नौकाओं के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इन नौकाओं की डिलिवरी 22 जुलाई से शुरू होने वाली है। इन नौकाओं का इस्तेमाल किसी भी मिशन पर मिसाइलों को लाने-ले जाने और गोला-बारूद की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। परियोजना भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल में एक और मील का पत्थर साबित होगी।



Sunday, September 27, 2020

पारिवारिक पेंशन पर अब तलाकशुदा बेटियों का भी हक

 26-सितम्बर-2020 18:24 IST

तलाकशुदा बेटियों के लिए नियमों में विशेष ढील: डॉ.जितेंद्र सिंह

नई दिल्ली: 26 सितंबर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

डॉ.जितेंद्र सिंह
पारिवारिक पेंशन पाने के लिए तलाकशुदा बेटियों के लिए नियमों में ढील दे दी गई है और एक बेटी अब पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार होगी, भले ही तलाक अंतिम रूप से हुआ न रहा हो लेकिन तलाक की याचिका उसके मृत माता पिता कर्मचारी /पेंशनभोगी के जीवन काल के दौरान ही उसके द्वारा दायर कर दी गई थी।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा लाए गए कुछ महत्वपूर्ण सुधारों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा, एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहले के नियमों में किसी तलाकशुदा बेटी को पारिवारिक पेंशन के भुगतान का प्रावधान तभी था जब तलाक उसके मृत माता पिता कर्मचारी /पेंशनभोगी या उसकी पत्नी/पति के जीवन काल के दौरान ही हो गया रहा हो। नया परिपत्र न केवल पेंशन प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के जीवन में सुगमता लाएगा बल्कि तलाकशुदा बेटियों के लिए समाज में सम्मानजनक एवं समान अधिकार भी सुनिश्चित करेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि किसी दिव्यांग शिशु या उसके भाई बहन को पारिवारिक पेंशन की मंजूरी के लिए भी आदेश जारी कर दिए गए हैं भले ही दिव्यांग प्रमाणपत्र पेंशनभोगी माता पिता की मृत्यु के बाद प्रस्तुत किया गया हो लेकिन विकलांगता माता पिता की मृत्यु से पहले ही हो गई हो। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, दिव्यांग पेंशनभोगियों के जीवन में सुगमता लाने के लिए सहायक के लिए परिचारक भत्ता भी 4,500 रुपये प्रति महीने से बढ़ा कर 6,700 रुपये कर दिया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पेंशन विभाग द्वारा डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र के संबंध में सर्वाधिक उल्लेखनीय पहल की गई है। ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के सामने आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, जो सेवानिवृत्ति के बाद अपने बच्चों के साथ विदेशों में चले गए हैं और वहीं बस गए हैं, उनके लिए जीवन प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने एवं पारिवारिक पेंशन आरंभ करने पर समेकित निर्देशों पर परिपत्र लाया गया है जिसके द्वारा संबंधित बैंक की विदेश स्थित शाखाओं तथा भारतीय दूतावास/वाणिज्य दूतावास/उच्चायोग को वहीं जीवन प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने एवं पारिवारिक पेंशन आरंभ करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी के साथ-साथ सभी पेंशन संवितरण बैंकों को उन पेंशनभोगियों के लिए उनके दरवाजे पर ही जीवन प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं जो बैंक जा पाने में असमर्थ हैं।


भारत में तेजी से ठीक होने वाले रोगियों की संख्या में बढोतरी

 26-सितम्बर-2020 11:06 IST

पिछले 24 घंटों के दौरान 93 हजार से अधिक रोगी हुए ठीक 

*सक्रिय मामलों की तुलना में ठीक होने की दर 5 गुना अधिक

*प्रत्येक दिन बड़ी संख्या में ठीक होने वाले कोविड रोगियों के साथ ही भारत में तेजी से ठीक होने वाले रोगियों की संख्या में बढोत्तरी का सिलसिला जारी

नई दिल्ली: 26 सितंबर 2020: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन):: 

कोरोना ने अपना कहर बढ़ाया है लेकिन साथ ही हमने मिलजुल कर इसका साहस से सामना भी किया है। इसके कहर को मात भी दी है। बचाव कार्यों में बहुत ही तेज़ी  आई है। ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या बहुत ही तेज़ी से बढ़ी है। पिछले चौबीस घंटे के दौरान देश में 93,420 नए रोगी ठीक हुए हैं और इसके साथ ही ठीक होने वाले रोगियों की कुल संख्या 48,49,584 पहुंच गई है।


ठीक होने की दैनिक वृद्धि के साथ साथ रिकवरी दर में भी लगातार सुधार हो रहा है। वर्तमान में यह  82.14% पर पहुंच गई है।

भारत ने इस तरह एक दिन में ठीक होने वाले सर्वाधिक रोगियों के साथ ही वैश्विक रैंकिग में ठीक होने वाले कुल रोगियों की संख्या में शीर्ष स्थान बनाया हुआ है।

जैसे- जैसे भारत नए मामलों की तुलना में उससे अधिक रिकवरी दर हासिल कर रहा है वैसे- वैसे ठीक होने वाले मामलों और सक्रिय मामलों के बीच अंतर भी लगातार बढ़ रहा है

सक्रिय मामलों की तुलना में ठीक होने वाले मामलों की संख्या 5 गुना अधिक हो गई है।

ठीक होने वाले मामले (48,49,584) सक्रिय मामलों (9,60,969) से लगभग 39 लाख (38,88,615) अधिक हैं।

सक्रिय मामले कुल पॉजिटिव मामलों का केवल 16.28% है। इसमें स्थिर गिरावट का सिलसिला जारी है।

राष्ट्रीय औसत के बाद, 24 राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों भी नए मामलों की तुलना में रिकवरी की दर ज्यादा हो गई है।

10 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों का नए रिकवर मामलों में लगभग 73%  योगदान है

महाराष्ट्र ने 19,592 नए रिकवर मामलों के साथ अपनी इस बढ़त को कायम रखा है।

केंद्र सरकार की तीन-स्तरीय रणनीति 'टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट' की शुरुआत परीक्षण से होती है।  केंद्र सरकार 'चेज द वायरस' (वायरस का पीछा) की नीति का उद्देश्य परीक्षण के माध्यम संक्रमण का प्रसार रोकने और हर शख्स की पहचान करना है। केंद्र सरकार द्वारा परीक्षण की सुविधा को व्यापक बनाने और देश भर में आसान तथा अधिक सुलभ परीक्षण सुनिश्चित करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को उच्च परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाया गया है।  यह संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए संपर्कों की पहचान करने की  त्वरित निगरानी और ट्रैकिंग में सहायक है।

केंद्र सरकार ने घरों / आइसोलेशन केंद्र और अस्पतालों में रहने वाले रोगियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के लिए मानक प्रोटोकॉल जारी किए हैं। इनमें वैश्विक और राष्ट्रीय हालातों को देखते हुए समय- समय पर बदलाव किया जाता है। केंद्र सरकार तकनीकी, वित्तीय, सामग्री और अन्य संसाधनों के माध्यम से राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों में मदद कर रही है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय/ कोविड उच्च रिकवरी दर/ 26 सितंबर 2020/1

एमजी/एएम/केजे

Monday, April 06, 2020

Modi Magic: रौशनी से मिलते हैं उत्साह और हिम्मत

प्रधानमंत्री मोदी ने वही सब जुटाने का प्रयास किया 
नई दिल्ली: 5 अप्रैल 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। लॉक डाउन ही इसका सबसे आवश्यक हल था और उसे लागू भी किया गया। इस कदम के साथ ही सामने आई एक और तस्वीर। हर रोज़ कमा कर खाने वाले गरीब लोगों की घबराहट। इनमें से बहुत से लोग अपने अपने गांव की तरफ चल पड़े। रास्ते की तकलीफों और भूख का सामना करते हुए लोग। खौफ, निराशा और घबराहट के इस दौर में जब आशा की किरणें धूमिल होती जा रही हैं। बहुत से लोग बिछड़ चुके हैं। बहुत से लोगों के परिवारों को कोरोना डस चुका है। निराशा के इस गहन अंधेरे में दीप जलाने का फैसला किसी चमत्कारी हिम्मत से कम नहीं। वह हिम्मत दिखाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। उन्होंने सभी अटकलों और सभी विरोधों  दरकिनार करते हुए सभी से दीप जलाने को कहा। रात्रि को पूरे 9 बजे केवल 9 मिनटों के लिए। इस 9 की अहमियत को वही लोग समझ सकते हैं जो ज्योतिष विज्ञान को समझते हैं-जानते हैं। अब लोगों ने इसके साथ आतिशबाज़ी भी चलाई और हुड़दंग भी किया लेकिन प्रधानमंत्री ने तो ऐसा कुछ भी नहीं कहा था। उन्होंने खुद भी बहुत ही गंभीरता और आस्था से दीप जलाये। महामारी कोरोना के खिलाफ देश की एकजुटता और वह भी पूरे उत्साह के साथ दिखाई दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी नई दिल्ली में दीप जलाए।  देश भर में एक संकल्प नज़र आया।  एक हिम्मत नज़र आई। काम छोटा हो या बड़ा हिम्मत और संकल्प के बिना वह हो ही नहीं सकता।  हिम्मत और एकजुटता के इस अभियान में जब प्रधानमंत्री खुद भी शामिल हुए तो उन पलों को पीआईबी के कैमरामैन ने अपने कैमरे में संजो लिया। उन पलों की इस तस्वीर को हम आपके साथ भी सांझा कर रहे हैं। 

Thursday, March 19, 2020

22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक होगा जनता कर्फ्यू

प्रविष्टि तिथि: 19 MAR 2020 8:57 PM by PIB Delhi
कोरोना के कहर का सामना करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का मंत्र  
नई दिल्ली: 19 मार्च 2020: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन)::

मेरे प्रिय देशवासियों,

पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है।
आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है।
लेकिन इस बार ये संकट ऐसा है, जिसने विश्व भर में पूरी मानवजाति को संकट में डाल दिया है।
जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था, तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे,
जितने आज कोरोना से हैं।
पिछले दो महीने से हम निरंतर दुनिया भर से आ रहीं कोरोना वायरस से जुड़ी चिंताजनक खबरें देख रहे हैं,
सुन रहे हैं।
इन दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया है, आवश्यक सावधानियां बरती हैं।
लेकिन,
बीते कुछ दिनों से ऐसा भी लग रहा है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं,
सब कुछ ठीक है।
वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की ये सोच सही नहीं है।
इसलिए,
प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना,
सतर्क रहना बहुत आवश्यक है।
साथियों,
आपसे मैंने जब भी,
जो भी मांगा है,
मुझे कभी देशवासियों ने निराश नहीं किया है।
ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हमारे प्रयास सफल होते हैं।।
आज,
मैं आप सभी देशवासियों से, आपसे,
कुछ मांगने आया हूं।
मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए,
आपका आने वाला कुछ समय चाहिए।
साथियों,
अभी तक विज्ञान,
कोरोना महामारी से बचने के लिए,
कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है।
ऐसी स्थिति में चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है।
दुनिया के जिन देशों में कोरोना वायरस का प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है,
वहां अध्ययन में एक और बात सामने आई है।
इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है।
इन देशों में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।
भारत सरकार इस स्थिति पर, कोरोना के फैलाव के इस ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है।
हालांकि कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने तेजी से फैसले लेकर,
अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा Isolate करके स्थिति को सँभाला है।
भारत जैसे
130 करोड़ की आबादी वाले देश के सामने, विकास के लिए प्रयत्नशील देश के सामने,
कोरोना का ये बढ़ता संकट सामान्य बात नहीं है।
आज जब
बड़े-बड़े और विकसित देशों में हम कोरोना महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं,
तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,
ये मानना गलत है।
इसलिए, 
इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख बातों की आवश्यकता है।
पहला- संकल्प
और
दूसरा- संयम।
आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते,
अपने कर्तव्य का पालन करेंगे,
केंद्र सरकार,
राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।
आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।
साथियों,
इस तरह की वैश्विक महामारी में, एक ही मंत्र काम करता है- “हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ”।
ऐसी स्थिति में,
जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है,
तो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना बहुत आवश्यक है।
इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए अनिवार्य है संयम।
और संयम का तरीका क्या है- भीड़ से बचना,
घर से बाहर निकलने से बचना।
आजकल जिसे Social Distancing कहा जा रहा है, कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में,
ये बहुत ज्यादा आवश्यक है।
हमारा संकल्प और संयम, इस वैश्विक महामारी के प्रभावों को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
और इसलिए,
अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं,
आपको कुछ नहीं होगा,
आप ऐसे ही मार्केट में घूमते रहेंगे,
सड़कों पर जाते रहेंगे,
और कोरोना से बचे रहेंगे,
तो ये सोच सही नहीं है।
ऐसा करके आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे।
इसलिए मेरा सभी देशवासियों से ये आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक, 
जब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें।
जितना संभव हो सके,
आप अपना काम,
चाहे बिजनेस से जुड़ा हो,
ऑफिस से जुड़ा हो,
अपने घर से ही करें।
जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं,
जन-प्रतिनिधि हैं, जो मीडिया कर्मी हैं,
इनकी सक्रियता तो आवश्यक है लेकिन समाज के बाकी सभी लोगों को,
खुद को बाकी समाज से Isolate कर लेना चाहिए।
मेरा एक और आग्रह है कि हमारे परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन्स हों,
65 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्ति हों,
वो आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें।
आज की पीढ़ी इससे बहुत परिचित नहीं होगी,
लेकिन पुराने समय में जब युद्ध की स्थिति होती थी,
तो गाँव गाँव में
BlackOut किया जाता था। घरों के शीशों पर कागज़ लगाया जाता था, लाईट बंद कर दी जाती थी, लोग चौकी बनाकर पहरा देते थे |
ये कभी-कभी काफी लंबे समय तक चलता था। युद्ध ना भी हो तो भी बहुत सी जागरूक नगरपालिकाएं BlackOut की ड्रिल भी कराती थी।
साथियों,
मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं।
ये है जनता-कर्फ्यू।
जनता कर्फ्यू यानि जनता के लिए,
जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू।
इस रविवार,
यानि
22 मार्च को,
सुबह 7 बजे से रात
9 बजे तक, सभी देशवासियों को,
जनता-कर्फ्यू का पालन करना है।
इस दौरान हम न घरों से बाहर निकलेंगे, न सड़क पर जाएंगे, न मोहल्ले में कहीं जाएंगे।
सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग ही 22 मार्च को अपने घरों से बाहर निकलेंगे।
साथियों,
22 मार्च को हमारा ये प्रयास, हमारे आत्म-संयम,
देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक प्रतीक होगा।
22 मार्च को जनता-कर्फ्यू की सफलता, इसके अनुभव, हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे।
मैं देश की सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करूंगा कि वो
जनता-कर्फ्यू
का पालन कराने का नेतृत्व करें।
NCC,
NSS,
से जुड़े युवाओं,
देश के हर युवा,
सिविल सोसायटी,
हर प्रकार के संगठन,
इन सभी से भी अनुरोध करूंगा कि अभी से लेकर अगले दो दिन तक सभी को
जनता-कर्फ्यू
के बारे में जागरूक करें।
संभव हो तो हर व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम
10 लोगों को फोन करके कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ ही जनता-कर्फ्यू के बारे में भी बताए।
साथियों,
ये जनता कर्फ्यू एक प्रकार से हमारे लिए,
भारत के लिए एक कसौटी की तरह होगा।
ये कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है, ये देखने और परखने का भी समय है।
आपके इन प्रयासों के बीच, जनता-कर्फ्यू के दिन,
22 मार्च को मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं।
साथियों,
पिछले
2 महीनों से लाखों लोग, अस्पतालों में,
एयरपोर्ट्स पर,
दिन रात काम में जुटे हुए हैं।
चाहे
डॉक्टर हों,
नर्स हों,
हॉस्पिटल का स्टाफ हो,
सफाई करने वाले भाई-बहन हों,
एयरलाइंस के कर्मचारी हों, सरकारी कर्मचारी हों, पुलिसकर्मी हों,
मीडिया कर्मी हों,
रेलवे-बस-ऑटो रिक्शा की सुविधा से जुड़े लोग हों,
होम डिलिवरी करने वाले लोग हों,
ये लोग,
अपनी परवाह न करते हुए,
दूसरों की सेवा में लगे हुए हैं।
आज की परिस्थितियां देखें,
तो ये सेवाएं सामान्य नहीं कही जा सकती।
आज खुद इनके भी संक्रमित होने का पूरा खतरा है।
बावजूद इसके ये अपना कर्तव्य निभा रहे हैं,
दूसरों की सेवा कर रहे हैं।
ये राष्ट्र-रक्षक की तरह कोरोना महामारी और हमारे बीच में खड़े हैं।
देश इनका कृतज्ञ है।
मैं चाहता हूं कि
22 मार्च, रविवार के दिन हम ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें।
रविवार को ठीक
5 बजे,
हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर,
बाल्कनी में,
खिड़कियों के
सामने खड़े होकर
5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें।
ताली बजाकर,
थाली बजाकर या फिर घंटी बजाकर,
हम इनका हौसला बढ़ाएं, सैल्यूट करें।
पूरे देश के स्थानीय प्रशासन से भी मेरा आग्रह है कि
22 मार्च को
5 बजे,
सायरन की आवाज से इसकी सूचना लोगों तक पहुंचाएं।
सेवा परमो धर्म के हमारे संस्कारों को मानने वाले ऐसे देशवासियों के लिए हमें पूरी श्रद्धा के साथ अपने भाव व्यक्त करने होंगे।
साथियों,
संकट के इस समय में,
आपको ये भी ध्यान रखना है कि हमारी आवश्यक सेवाओं पर,
हमारे हॉस्पिटलों पर दबाव भी निरंतर बढ़ रहा है।
इसलिए मेरा आपसे आग्रह ये भी है कि रूटीन चेक-अप के लिए अस्पताल जाने से जितना बच सकते हैं,
उतना बचें।
आपको बहुत जरूरी लग रहा हो तो अपनी जान-पहचान वाले डॉक्टर,
आपके फैमिली डॉक्टर या अपनी रिश्तेदारी में जो डॉक्टर हों, उनसे फोन पर ही आवश्यक सलाह ले लें।
अगर आपने इलेक्टिव सर्जरी, जो बहुत आवश्यक न हो, ऐसी सर्जरी, 
उसकी कोई डेट ले रखी है, तो मेरा आग्रह है कि इसे भी आगे बढ़वा दें,
एक महीना बाद की तारीख ले लें।
साथियों,
इस वैश्विक महामारी का अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।
कोरोना महामारी से उत्पन्न हो रही आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्री के नेतृत्व में सरकार ने एक
कोविड-19-Economic Response Task Force
के गठन का फैसला लिया है।
ये टास्क फोर्स सारे स्टेकहोल्डर्स से नियमित संपर्क में रहते हुए,
फीडबैक लेते हुए,
हर स्थिति का आकलन करते हुए निकट भविष्य में फैसले लेगी।
ये टास्क फोर्स,
ये भी सुनिश्चित करेगी कि, आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए जितने भी कदम उठाए जाएं,
उन पर प्रभावी रूप से अमल हो।
निश्चित तौर पर ये महामारी ने देश के मध्यम वर्ग,
निम्न मध्यम वर्ग और गरीब के आर्थिक हितों को भी गहरी क्षति पहुंचा रही है।
संकट के इस समय में मेरा देश के व्यापारी जगत,
उच्च आय वर्ग से भी आग्रह है कि अगर संभव है तो आप
जिन-जिन लोगों से सेवाएं लेते हैं, उनके आर्थिक हितों का ध्यान रखें।
हो सकता है आने वाले कुछ दिनों में, ये लोग दफ्तर न आ पाएं, आपके घर न आ पाएं।
ऐसे में उनका वेतन न काटें, पूरी मानवीयता के साथ, संवेदनशीलता के साथ फैसला लें।
हमेशा याद रखिएगा,
उन्हें भी अपना परिवार चलाना है,
अपने परिवार को बीमारी से बचाना है।
मैं देशवासियों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूं कि देश में दूध,
खाने-पीने का सामान, दवाइयां,
जीवन के लिए ज़रूरी ऐसी आवश्यक चीज़ों की कमी ना हो इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।
इसलिए मेरा सभी देशवासियों से ये आग्रह है कि ज़रूरी सामान संग्रह करने की होड़ न लगाएं।
आप सामान्य रूप से ही खरीदारी करें।
Panic Buying न करें।
साथियों,
पिछले दो महीनों में,
130 करोड़ भारतीयों ने,
देश के हर नागरिक ने,
देश के सामने आए इस संकट को अपना संकट माना है,
भारत के लिए,
समाज के लिए उससे जो बन पड़ा है,
उसने किया है।
मुझे भरोसा है कि आने वाले समय में भी आप अपने कर्तव्यों का,
अपने दायित्वों का इसी तरह निर्वहन करते रहेंगे।
हां, मैं मानता हूं कि ऐसे समय में कुछ कठिनाइयां भी आती हैं, आशंकाओं और अफवाहों का वातावरण भी पैदा होता है।
कई बार एक नागरिक के तौर पर हमारी अपेक्षाएं भी नहीं पूरी हो पातीं।
फिर भी, ये संकट इतना बड़ा है कि सारे देशवासियों को इन दिक्कतों के बीच,
दृढ़ संकल्प के साथ इन कठिनाइयों का मुकाबला करना ही होगा।
साथियों,
हमें अभी अपना सारा सामर्थ्य कोरोना से बचने में लगाना है।
आज देश में केंद्र सरकार हो, राज्य सरकारें हों,
स्थानीय निकाय हों, 
पंचायतें हों,   
जन-प्रतिनिधि हों या फिर सिविल सोसायटी,
हर कोई अपने-अपने तरीके से इस वैश्विक महामारी से बचने में अपना योगदान दे रहा है।
आपको भी अपना पूरा योगदान देना है।
ये आवश्यक है कि वैश्विक महामारी के इस वातावरण में मानव जाति विजयी हो, भारत विजयी हो।
कुछ दिन में नवरात्रि का पर्व आ रहा है।
ये शक्ति उपासना का पर्व है।
भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़े, यही शुभकामना है।
बहुत-बहुत धन्यवाद !!!
***** 
VRRK/AK  (रिलीज़ आईडी: 1607251)