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Saturday, August 15, 2020

FIB के स्वतंत्रता दिवस में फिर उठा नशे का मुद्दा

 अनीता शर्मा ने सभी सियासी दलों और नेताओं को रखा निशाने पर 
झंडे की रस्म के समय राष्ट्रीयगान का दृश्य 
लुधियाना: 15 अगस्त 2020: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
मंच पर मुख्य मेहमान पार्षद डाक्टर जय प्रकाश 
कोरोना के चलते लगे लम्बे लॉकडाउन ने बहुत से लोगों की ज़िंदगी अपसेट कर दी। सभी को तो नहीं आता न आपदा को अवसर में बदलना। उन्हें सिर्फ इतना पता चला   कि आमदनी बंद हो गई और खर्चे बढ़ते ही रहे। न बिजली के बिल रुके, न ही किराये और न ही दुसरे खर्चे। बहुत से लोगों का हाथ बुरी तरह तंग हो गया। यह आर्थिक तंगी लगातार लम्बी खींचती चली आ रही है क्यूंकि कामकाज अभी चले ही कहां हैं? ऐसे में किसी आयोजन के लिए आर्थिक सहयोग तो अब नामुमकिन बन कर रह गया है। इसलिए  लग रहा था कि फस्ट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो नाम का संगठन चला रहे डाक्टर भारत इस बार स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम नहीं मना पाएंगे। गौरतलब है की वह पिछले 24 वर्षों से हर वर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके तिरंगा फहराते आ रहे हैं। आज भी आयोजन पहले से अधिक भव्य रूप में हुआ। कांग्रेस पार्टी से सबंधित पार्षद डाक्टर जय प्रकाश ने तिरंगा फहराया। इस मौके पर मुख्य मेहमान पार्षद डाक्टर जयप्रकाश के साथ, बेलन ब्रिगेड की राष्ट्रीय प्रमुख अनीता शर्मा, भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा पंजाब की राज्य सचिव सुधा खन्ना और स्वयं डाक्टर भारत सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। ओंकार सिंह पूरी के साथ साथ ऍफ़ आई बी की युवा टीम के सक्रिय सदस्य सोनू शर्मा और हरप्रीत राजू भी मौजूद रहे। लुधियाना के न्यू कुंदनपुरी इलाके में हुए इस यादगारी स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में लगातार बढ़ रहे नशे का मुद्दा गंभीर बन कर छाया रहा।  
मंच पर विशेष मेहमान सुश्री अनीता शर्मा 
कांग्रेस पार्टी के पार्षद डाक्टर जय प्रकाश ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों से अपील की हमारी सरकार नशे को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्प है और लगातार काम भी कर रही है। अगर किसी के पास भी नशे को लेकर कोई जानकारी हो तो वह हमें अवश्य बताये। हम सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखेंगे और एक्शन कर के नशा 
रोकने का मकसद पूरा कर लेंगें। जब डाक्टर जय प्रकाश अपना भाषण पूरा कर चुके तो उनके बाद नाम लिया गया अनीता शर्मा का। बेलन ब्रिगेड की प्रमुख अनीता शर्मा के अंतर्मन में नशे की बात छिड़ने पर फिर सोई हुई सिंहनी जाग उठी। वही शेरनी जिसने किसी समय नशे के खिलाफ जन तूफ़ान खड़ा कर दिया था। सभी दलों के नेता बेलन ब्रिगेड के आयोजनों में आना और नशे के खिलाफ संकल्प करना आवश्यक समझते थे। 
आज फिर अनीता शर्मा ने बहुत ही विनम्रता से डाक्टर जय प्रकाश से क्षमायाचना करते हुए अपनी बात शुरू की और कहा कि नशे के मामले में कोई भी सरकार  कम नहीं निकली। बाद में पंजाब स्क्रीन से अनौपचारिक बात करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में किसी भी सरकार ने नशा रोकने की हिम्मत ही नहीं दिखाई। सभी ने अपनी जेबें भरी हैं। नशे से होती आमदनी ने सभी की आँखों पर पर्दा डाल रखा है। नशे से होती तबाही किसी को नज़र ही नहीं  आ रही है। अब इस तबाही का शिकार बने लोग ही जागें  तो जागें इसके अलावा और शायद कोई रास्ता भी नहीं बचा। 
उल्लेखनीय है कि शर्मा एक गैर सियासी जन नेता थी। उसे सियासी घाघों की चालाकियां नहीं आती थी। न तो उसके पास धन दौलत की शक्ति थी और न ही बड़ी संख्या  समर्थक थे। आर्किटेक के तौर पर खुद अपनी मेहनत से कमाई करनी और उस कमाई से घर भी चलना और बाकी बचा सारा धन इस आंदोलन पर खर्च कर देना। सियासी लोग धीरे धीरे इस आंदोलन को खा गए। आज जब फिर नशे की बात छिड़ी तो अनीता शर्मा का सोया हुआ दर्द फिर जाग उठा। उसने सियासी लोगों के खोखले वायदों को न  बल्कि भोगा भी था। आज स्थिति फिर भयानक है। शराब  वाली मौतों ने साबित कर दिया है कि नशा तो शराब का भी खतरनाक होता है। सिर्फ ड्रग्ज़ का नाम ले कर शराब के खतरों को कम कर के दिखाने या छुपाने के निंदनीय प्रयास एक बार फिर जन विरोधी ही साबित हुए हैं। 
सियासतदानों को उन परिवारों का दर्द कभी समझ न आएगा जीने कमायू सदस्य इस शराब ने निगल लिए और सरकारें अपनी आमदनी के स्रोत बचाने में लगी रहीं। फस्ट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (ऍफ़ आई बी) की तरफ से आज का स्वतंत्रता दिवस इसी मुद्दे पर केंद्रित हो गया। अब देखना है की सिवल लाइंज़ के इलाके से उठी यह आवाज़ कोई रंग दिखाती है या यूं ही दब कर रह जाती है।  

Wednesday, August 15, 2018

नशा:सरकारों से उम्मीद छोड़ कर हमें खुद ही कुछ करना होगा

FIB के आयोजन में छलका बेलन ब्रिगेड प्रमुख अनीता शर्मा का दर्द 
लुधियाना: 15  अगस्त 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अनगिनत आयोजन हुए।  इन्हीं में से एक यादगारी आयोजन था जो FIB अर्थात फर्स्ट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो और अन्य सहयोगी संगठनों ने न्यू कुंदन पूरी में कराया। इसका आयोजन तिरंगे के जानेमाने प्रेमी डाक्टर भारत हर वर्ष करते हैं। इस बार उनके साथ बेलन ब्रिगेड प्रमुख अनीता शर्मा,  पंचमुखी हनुमान मंदिर के संजय गुप्ता, पत्रकार प्रेम ग्रोवर, समाज सेवी बलविंदर कुमार वर्मा, ब्लॉग मीडिया की तरफ से रेक्टर कथूरिया और प्रदीप शर्मा, आर टी आई एक्टिविस्ट श्रीपाल शर्मा सहित कई लोग सक्रिय रूप में शामिल हुए। 
तिरंगे को सलामी देने के बाद जहाँ इन लोगों ने स्वतंत्रता दिवस की बधाईयां दे वहीँ यह भी याद दिलाया कि  हिन्दोस्तान और पाकिस्तान दोनों तरफ के पंजाब ने बंटवारे के इस दुखद मौके पर अपनों की हत्याएं देखी हैं, घरों के उजाड़े देखे हैं, बहु बेटियों की इज़त लुटती देखी है--इस लिए उनके आंसुओं और उनकी दुखद यादों को याद रखना भी आवश्यक है। हम नहीं भूल सकते कि किस तरह बहुत से लोग आबादियों के तबादले में शव बना दिए गए। उनके शवों को अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हो सका। खून से लिथड़े हुए उन दिनों और रातों को भी याद रखना होगा तांकि विभाजन करने की साज़िशों का दोहराव दोबारा होने से रोका जा सके। गौरतलब है कि अब फिर से इसी तरह के साज़िशी तत्व सिर उठा रहे हैं। उनको नाकाम करना ही तिरंगे को सच्ची सलामी होगी। 
बेलन ब्रिगेड की प्रमुख और  FIB की उपाध्यक्ष अनीता शर्मा ने नशे का मुद्दा भी उठाया और इस पर दुःख ज़ाहिर किया कि कोई भी सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस रणनीति बनाने को तैयार नज़र नहीं आती। तरह तरह की चालाकी भरी बातों और बहानों से ही असली मुद्दे को इधर से उधर सरका कर गुम कर दिया जाता है। इसलिए हमें खुद ही उठना होगा। सरकारों से कोई भी उम्मीद छोड़ कर खुद ही आगे आना होगा। नशे को अपनी व्यक्तिगत पारिवारिक समस्या समझना होगा। तभी इसे दूर करने की संभावना बन सकती है। 
इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए समाज सेवी बलविंदर कुमार वर्मा ने कहा कि कोई भी सरकार इस पर कुछ नहीं करेगी क्यूंकि सरकार को शराब से आमदनी होती है। इसके साथ ही उन्होंने सलाह दी कि अफीम-भुक्की इत्यादि खोल दी जानी चाहिए तांकि "चिट्टे" जैसे हत्यारे नशे को रोका जा सके। उन्होंने अफीम से होने वाले औषधीय फायदे भी गिनवाए। 
FIB प्रमुख डाक्टर भारत ने नशे के नेटवर्क और चक्रव्यूह की जानकारी बहुत ही सादगी भरे शब्दों में दी और बताया कि समस्या अंतर्राष्ट्रीय है। नशा और नशे का व्यापार वास्तव में देशी-विदेशी आतंकी संगठनों का  मुख्य हथियार भी है और उनकी आर्थिकता की रीढ़ की हडडी भी। इसलिए इसे समाप्त करना किसी एक सरकार के बस में ही नहीं।   विश्व को इसके खिलाफ एकजुट होना ही होगा। डाक्टर भारत ने कहा कि FIB संगठन इस मकसद के लिए अब पहले से ज़्यादा सक्रिय है और बहुत कुछ कर भी रहा है लेकिन हम इसका खुलासा यहाँ सब के सामने नहीं कर सकते क्यूंकि यह देश और समाज की सुरक्षा से जुड़े मामले हैं। 
पत्रकार और ट्रॉफ़ीमेकर प्रेम ग्रोवर ने सभी को स्वतंत्रता दिवस के प्रतीक चिन्ह और मालाएं भी  भेंट की। उन्होंने कहा कि समाज को नशा मुक्त और अपराध मुक्त करने के लिए जो प्रयास डाक्टर भारत कर रहे हैं हम सभी इस काम में अब उनके साथ हैं।  कोई उनको अकेला न समझे। 
आनेवाले दिनों में FIB का एक नया रंगरूप सभी के सामने आएगा जिस पर संगठनात्मक कार्य ज़ोरशोर से जारी है। अब कोई भी अपराधी FIB की बाज़ निगाहों से बच नहीं पायेगा। हम इस तरह के तत्वों की गुप्त जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को देकर राष्ट्र और समाज को सावधान करते रहेंगे। आवश्यक होने पर इसकी संक्षिप्त सूचना मीडिया के ज़रिये भी दी जाएगी। 
इस आयोजन में देश भक्ति के रस में डूबे गीतों ने आसपास के सारे माहौल को गहरी संवेदना से भर दिया और उन सभी की यादों में आँखें नम हो गयीं जो देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तो गए लेकिन लौट के घर न आये। कार्यक्रम में उन शहीदों को याद करते हुए नमन किया गया। 


Thursday, May 17, 2018

लुधियाना में फिर तैयार है "चाईना गेट" जैसी टीम

FIB अपनी सरगर्मियां और तेज़ करेगी
लुधियाना: 18  मई 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
डाक्टर भारत की टीम फिर जोश में 
देश और समाज के जो हालात हैं वे सभी के सामने हैं। सियासतदानों, पैसे वालों और पहुंच वालों  की मनमर्जियां अब शायद सभी क़ानूनों से ऊपर हो चुकी हैं। इस सारे माहौल में जो खतरनाक स्थितियां पैदा हुई हैं उनसे शायद सभी बेखबर हैं। देश समाज से अब शायद किसी को लेना देना भी नहीं है। किसी की अंतरात्मा अगर कोई आवाज़ लगा भी दे तो उसे अनसुना कर दिया जाता है। कह दिया जाता है-हमने क्या लेना देना। अगर कोई बात रंगे हाथों पकड़ में आ भी जाए तो बहाना सामने आता है-उसने भी किया था--इसने भी किया था अब अगर हमने कर लिया तो क्या हुआ! यानी ज़माना वह आ गया है जब अपना स्वार्थ सर्वोप्रिय बाकी सब भाड़ में जाये। 
ऐसे में भी कुछ लोग अभी बाकी हैं जिनसे यह सब सहन नहीं होता। वे अपनी अंतर आत्मा से आई आवाज़ को अनसुना नहीं कर पाते।  यह लोग रातों को सोते सोते अचानक उठ कर बैठ जाते हैं। दिन की सख्त दुपहरी में भी बाहर धूप में घूमते हैं। मकसद होता है की शायद देश और समाज के लिए कुछ किया जा सके। 
ऐसे ही लोगों में एक हैं डाक्टर भारत। वृद्ध आयु लेकिन जोश जवानी का। देश के लिए किसी भी क़ुर्बानी के लिए तैयार। देश के खिलाफ क्या क्या साज़िशें पक रही हैं इसकी खबर जुटाना उनके लिए प्राथमिक कामों में होता है। न जाने कैसा नेटवर्क है--कि आम तौर पर काफी कुछ पता लगा लेते हैं। 
"क्राईम फ्री इंडिया ब्यूरो" नामक संगठन के बाद अब ऍफ़ आई बी अर्थात "फस्ट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो"  नाम का संगठन चला रहे हैं। उनका कहना है कि यह गुप्तचर मीडिया संगठन है। इसमें शामिल लोग देश प्रेम और समाज सेवा को सामने रख कर इस में शामिल होते हैं। इन्हीं सदस्यों से मिलते थोड़े बहुत डोनेशन से इस संगठन का काम चलता है। जैसे ही इस संगठन को कोई विशेष सूचना मिलती है उसे अलग अलग माध्यमों से सरकार तक पहुंचा दिया जाता है। ज़रूरत पढ़ने पर उसे मीडिया के ज़रिये भी लोगों तक पहुंचाया जाता है। सदस्यों ने कई बार कहा कि डाक्टर साहिब इतने खतरनाक पंगे मत लिया करो लेकिन डाक्टर भारत की सेहत पर कोई असर नहीं। /हर बार एक ही जवाब-एक दिन मरना ही है--अगर देश के काम आ जाएँ तो इससे अच्छा क्या होगा। गोली से डर कर घर बैठ जाने वालों को कौन सा मौत नहीं आएगी? हो सकता है वे हार्ट अटैक या किसी और बीमारी से मर जाएँ। अब डाक्टर भारत को कौन बताये की आजकल के पहुँच वाले जब विरोधी बन जाएँ तो किसी न किसी समाज विरोधी तत्व से केवल गोली या छुरी ही नहीं चलवाते बल्कि सड़क हादसा भी करवा देते हैं। किसी राह चलते गुंडे से हमला भी हो सकता है। इस पर भी डाक्टर भारत का जवाब होता है-मुझे सब मालूम है। 
डा. भारत के सहयोगी ओंकार सिंह पुरी 
कुछ इसी तरह का हाल है उनके साथी ओंकार सिंह पूरी का। उनकी उम्र शायद 70-75 से भी अधिक की होगी। इस उम्र में भी अकाउंटस का काम करके खुद कमाते हैं। एक पाँव लुधियाना तो दूसरा तरनतारन में। अपना कायनेटिक चलाते हैं किसी हवाई जहाज़ की तरह। किसी पर बोझ नहीं बनते। जब भी  वक़्त निकलता है तो आ जाते हैं डाक्टर भारत के पास। कभी चाय-कभी जाम लेकिन चिंता हर पल यही कि देश के दुश्मनों के साथ कैसे निपटना है? एक दिन मुझे भी कहने लगे आप भी तेज़ी पकड़ो। मुझे हंसी भी आई--मैंने पूछा हम सब बूढ़े क्या कर लेंगें अब इस उम्र में?
डकटर भारत झट से बोले--उससे ज़्यादा कर लेंगें जो "चाईना गेट" फिल्म के बुज़ुर्गों ने कर दिखाया था। उनकी ज़िंदादिली को देख कर मन में उत्साह जगता है लेकिन वित्तीय हालत को देख कर दुःख भी होता है। अफ़सोस है की यहाँ देश भक्ति के आडंबर कर के अपनी लीडरी चमकाने वाले तो लाखों रूपये अपने जेब में डाल कर चलते बनते हैं और इधर पैसों की कमी के चलते कभी नेट बंद हो जाता है--कभी पेट्रोल की दिक्क्त और कभी बिजली का बिल। इन लोगों को देख कर और इनसे बने लगाव को देख कर कभी कभी लगता है कि हम सब अघोषित पागल हैं। आंधियों के सामने चिराग़ जगाना शायद हमें रोमांस लगता है। इसके बावजूद यकीन होता है कि हमने शायद कुछ भी न कमाया हो लेकिन उस इंसानियत की हम आखिरी नस्ल अवश्य होंगें जिनसे देश और समाज के नव निर्माण हुआ करते हैं। 
यह सारी टीम अब फिर सरगर्म है। मकसद है कुछ नयी तैयारी। देश के दुश्मनों से जंग लड़ना और वह भी बिना किसी सरकारी सहारे के। ये वे योद्धा हैं जो बिना हथियारों के भी इस जंग को लड़ने के लिए कमर कस रहे हैं।  इस संबंध में एक बैठक हुई जिसमें कुछ स्थानीय लोग शामिल हुए। राष्ट्रिय अपराध व नशा विरोधी गुप्तचर मीडिया सर्विस एफ आई बी (फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरोकी यह विशेष बैठक संगठन के मुख्य कार्यालय न्यू कुंदन पूरी सिविल लाइन्स में ब्यूरो के डायरेक्टर डॉक्टर भारत की अध्यक्षता में हुयी। इस बैठक में जहाँ देश की मौजूदा हालात पर चर्चा के साथ संगठन के कार्यों को तीव्र गति से आगे बढाकर अपराधों की रोकथाम में पुलिस प्रशासन का सहयोग करें।  साथ ही यह निर्णय लिया गया कि  देश कि आन्तरिक सुरक्षा की रिपोर्ट केन्द्रीय सरकार के साथ साथ अब स्टेट सरकार को भी दी जाया करे। डाक्टर भारत ने कहा की नए खतरे गंभीर हो चुके हैं। नए ग्रुप, नई जातिवाद स्थितियां, साम्प्रदायिकता और कई अन्य समस्याएं अब बेहद खतरनाक हालत में हैं। डाक्टर भारत ने इस संबंध में कुछ छोटी छोटी विशेष फ़िल्में भी टीम को दिखायीं। साथ ही कहा कि अब जरुरी है कि पुलिस के अलावा मीडिया और राष्ट्र हित में काम करने वाले सामजिक संगठनों को भी एक मंच पर साथ जोड़ा जाये। डा. भारत ने कहा कि अब जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। अब वक्त आ गया है कि राष्ट्र की भलाई के लिए  हर नागरिक आपने कर्तव्य का पालन करे। इस बैठक में डॉ. भारत के अलावा ओंकार सिंह पूरी,  सोनू शर्मा, हरजीत सिंह राजू और अन्य लोग शामिल थे। वक्त  सचमुच बहुत गम्भीर सा लगने लगा है। इस हालत में बिना हथियारों के ये योद्धा भी कितना लड़ पाएंगे? क्या आप लोग इनका साथ देंगें?