FIB अपनी सरगर्मियां और तेज़ करेगी
डाक्टर भारत की टीम फिर जोश में |
देश और समाज के जो हालात हैं वे सभी के सामने हैं। सियासतदानों, पैसे वालों और पहुंच वालों की मनमर्जियां अब शायद सभी क़ानूनों से ऊपर हो चुकी हैं। इस सारे माहौल में जो खतरनाक स्थितियां पैदा हुई हैं उनसे शायद सभी बेखबर हैं। देश समाज से अब शायद किसी को लेना देना भी नहीं है। किसी की अंतरात्मा अगर कोई आवाज़ लगा भी दे तो उसे अनसुना कर दिया जाता है। कह दिया जाता है-हमने क्या लेना देना। अगर कोई बात रंगे हाथों पकड़ में आ भी जाए तो बहाना सामने आता है-उसने भी किया था--इसने भी किया था अब अगर हमने कर लिया तो क्या हुआ! यानी ज़माना वह आ गया है जब अपना स्वार्थ सर्वोप्रिय बाकी सब भाड़ में जाये।
ऐसे में भी कुछ लोग अभी बाकी हैं जिनसे यह सब सहन नहीं होता। वे अपनी अंतर आत्मा से आई आवाज़ को अनसुना नहीं कर पाते। यह लोग रातों को सोते सोते अचानक उठ कर बैठ जाते हैं। दिन की सख्त दुपहरी में भी बाहर धूप में घूमते हैं। मकसद होता है की शायद देश और समाज के लिए कुछ किया जा सके।
ऐसे ही लोगों में एक हैं डाक्टर भारत। वृद्ध आयु लेकिन जोश जवानी का। देश के लिए किसी भी क़ुर्बानी के लिए तैयार। देश के खिलाफ क्या क्या साज़िशें पक रही हैं इसकी खबर जुटाना उनके लिए प्राथमिक कामों में होता है। न जाने कैसा नेटवर्क है--कि आम तौर पर काफी कुछ पता लगा लेते हैं।
"क्राईम फ्री इंडिया ब्यूरो" नामक संगठन के बाद अब ऍफ़ आई बी अर्थात "फस्ट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो" नाम का संगठन चला रहे हैं। उनका कहना है कि यह गुप्तचर मीडिया संगठन है। इसमें शामिल लोग देश प्रेम और समाज सेवा को सामने रख कर इस में शामिल होते हैं। इन्हीं सदस्यों से मिलते थोड़े बहुत डोनेशन से इस संगठन का काम चलता है। जैसे ही इस संगठन को कोई विशेष सूचना मिलती है उसे अलग अलग माध्यमों से सरकार तक पहुंचा दिया जाता है। ज़रूरत पढ़ने पर उसे मीडिया के ज़रिये भी लोगों तक पहुंचाया जाता है। सदस्यों ने कई बार कहा कि डाक्टर साहिब इतने खतरनाक पंगे मत लिया करो लेकिन डाक्टर भारत की सेहत पर कोई असर नहीं। /हर बार एक ही जवाब-एक दिन मरना ही है--अगर देश के काम आ जाएँ तो इससे अच्छा क्या होगा। गोली से डर कर घर बैठ जाने वालों को कौन सा मौत नहीं आएगी? हो सकता है वे हार्ट अटैक या किसी और बीमारी से मर जाएँ। अब डाक्टर भारत को कौन बताये की आजकल के पहुँच वाले जब विरोधी बन जाएँ तो किसी न किसी समाज विरोधी तत्व से केवल गोली या छुरी ही नहीं चलवाते बल्कि सड़क हादसा भी करवा देते हैं। किसी राह चलते गुंडे से हमला भी हो सकता है। इस पर भी डाक्टर भारत का जवाब होता है-मुझे सब मालूम है।
डा. भारत के सहयोगी ओंकार सिंह पुरी |
कुछ इसी तरह का हाल है उनके साथी ओंकार सिंह पूरी का। उनकी उम्र शायद 70-75 से भी अधिक की होगी। इस उम्र में भी अकाउंटस का काम करके खुद कमाते हैं। एक पाँव लुधियाना तो दूसरा तरनतारन में। अपना कायनेटिक चलाते हैं किसी हवाई जहाज़ की तरह। किसी पर बोझ नहीं बनते। जब भी वक़्त निकलता है तो आ जाते हैं डाक्टर भारत के पास। कभी चाय-कभी जाम लेकिन चिंता हर पल यही कि देश के दुश्मनों के साथ कैसे निपटना है? एक दिन मुझे भी कहने लगे आप भी तेज़ी पकड़ो। मुझे हंसी भी आई--मैंने पूछा हम सब बूढ़े क्या कर लेंगें अब इस उम्र में?
डकटर भारत झट से बोले--उससे ज़्यादा कर लेंगें जो "चाईना गेट" फिल्म के बुज़ुर्गों ने कर दिखाया था। उनकी ज़िंदादिली को देख कर मन में उत्साह जगता है लेकिन वित्तीय हालत को देख कर दुःख भी होता है। अफ़सोस है की यहाँ देश भक्ति के आडंबर कर के अपनी लीडरी चमकाने वाले तो लाखों रूपये अपने जेब में डाल कर चलते बनते हैं और इधर पैसों की कमी के चलते कभी नेट बंद हो जाता है--कभी पेट्रोल की दिक्क्त और कभी बिजली का बिल। इन लोगों को देख कर और इनसे बने लगाव को देख कर कभी कभी लगता है कि हम सब अघोषित पागल हैं। आंधियों के सामने चिराग़ जगाना शायद हमें रोमांस लगता है। इसके बावजूद यकीन होता है कि हमने शायद कुछ भी न कमाया हो लेकिन उस इंसानियत की हम आखिरी नस्ल अवश्य होंगें जिनसे देश और समाज के नव निर्माण हुआ करते हैं।
यह सारी टीम अब फिर सरगर्म है। मकसद है कुछ नयी तैयारी। देश के दुश्मनों से जंग लड़ना और वह भी बिना किसी सरकारी सहारे के। ये वे योद्धा हैं जो बिना हथियारों के भी इस जंग को लड़ने के लिए कमर कस रहे हैं। इस संबंध में एक बैठक हुई जिसमें कुछ स्थानीय लोग शामिल हुए। राष्ट्रिय अपराध व नशा विरोधी गुप्तचर मीडिया सर्विस एफ आई बी (फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो) की यह विशेष बैठक संगठन के मुख्य कार्यालय न्यू कुंदन पूरी सिविल लाइन्स में ब्यूरो के डायरेक्टर डॉक्टर भारत की अध्यक्षता में हुयी। इस बैठक में जहाँ देश की मौजूदा हालात पर चर्चा के साथ संगठन के कार्यों को तीव्र गति से आगे बढाकर अपराधों की रोकथाम में पुलिस प्रशासन का सहयोग करें। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि देश कि आन्तरिक सुरक्षा की रिपोर्ट केन्द्रीय सरकार के साथ साथ अब स्टेट सरकार को भी दी जाया करे। डाक्टर भारत ने कहा की नए खतरे गंभीर हो चुके हैं। नए ग्रुप, नई जातिवाद स्थितियां, साम्प्रदायिकता और कई अन्य समस्याएं अब बेहद खतरनाक हालत में हैं। डाक्टर भारत ने इस संबंध में कुछ छोटी छोटी विशेष फ़िल्में भी टीम को दिखायीं। साथ ही कहा कि अब जरुरी है कि पुलिस के अलावा मीडिया और राष्ट्र हित में काम करने वाले सामजिक संगठनों को भी एक मंच पर साथ जोड़ा जाये। डा. भारत ने कहा कि अब जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। अब वक्त आ गया है कि राष्ट्र की भलाई के लिए हर नागरिक आपने कर्तव्य का पालन करे। इस बैठक में डॉ. भारत के अलावा ओंकार सिंह पूरी, सोनू शर्मा, हरजीत सिंह राजू और अन्य लोग शामिल थे। वक्त सचमुच बहुत गम्भीर सा लगने लगा है। इस हालत में बिना हथियारों के ये योद्धा भी कितना लड़ पाएंगे? क्या आप लोग इनका साथ देंगें?
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