भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था ने बहुत पहले ही आगाह कर दिया था
लुधियाना: 19 मई 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
"भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था" ने दो वर्ष पहले ही तैयार कर दी थी विशेष रिपोर्ट |
दरिया में शीरा गिराया गया तो हंगामा हो गया। हालांकि इस तरह के मामले पहली बार नहीं हुए। अगर इस सिलसिले को रोकने के लिए वक्त पर कदम उठाये जाते तो शायद इतनी बड़ी मात्रा में प्रदूषण की यह दुखद घटना होती ही नहीं। इस घटना से ज़ाहिर है कि प्रदूषण फ़ैलाने वाले बेख़ौफ़ हो चुके हैं। उन्हें किसी का डर नहीं रहा। उनके खिलाफ किये गये "एक्शन" का अंदाज़ बताता है की उनकी बेखौफी आधारहीन नहीं है। उनकी जेब में पैसा है और इस पैसे के जोर से यहाँ का कानून भी इनके मुताबिक चलता है। इन बातों की पुष्टि भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था ने दो वर्ष पूर्व ही कर दे थी।
हालत जितनी बुरी दिख रही है वास्तव में उससे कहीं ज्यादा सम्वेदनशील है। ऐसी हालत में सियासतदान जो कुछ कर रहे हैं वह शायद उनकी इस वक्त की सियासत के चलते जरूरी है।
जहाँ तक सतलुज और बुड्ढा दरिया का सम्बन्ध है उसकी हालत बहुत पहले से बिगड़ी हुई है। करीब दो वर्ष पूर्व भी "भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था" ने इस मामले को उठाया था। "आप" नेता एच एस फुल्का ने बाकायदा एक पत्रकार सम्मेलन में भी इस दरिया को बिगाड़े जाने की दुखद दास्तान मीडिया के सामने सुनाई थी। जब किसी पत्रकार ने इसे "बुड्ढा नाला" कहा तो श्री फुल्का ने एतराज़ किया था की नाला नहीं दरिया कहो। शायद वो चुनावी दिन थे इसलिए इस मुद्ददे की भी ज़रूरत थी। ज़रूरत का वह समय निकलते ही यह मुद्दा भी गैर ज़रूरी बन गया।
अब फिर आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर मैदान में है। विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि इस समय पंजाब में एनवायरमेंटल इमरजेंसी के हालात बने हैं और सूबे के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह मनाली में छुट्टियां मना रहे हैं। वह लुधियाना के वलीपुर गांव में सतलुज व बुड्ढा नाला के संगम स्थल का जायजा लेने पहुंचे थे।
विपक्षी नेता खैहरा ने कहा कि ब्यास दरिया में चीनी मिल ने शीरा छोड़कर दरिया को दूषित कर दिया गया है। इसके परिणाम स्वरूप दरिया में मछलियां मर गईं। पानी इतना जहरीला हो गया था कि उसका असर फिरोजपुर में भी देखने को मिला। बुड्ढा नाला में लुधियाना की इंडस्ट्री का केमिकल बहाया जा रहा है जो सीधे सतलुज दरिया में बह रहा है। इसकी वजह से सतलुज के प्रवाह क्षेत्र में आने वाले जिलों के साथ राजस्थान के कुछ जिले भी प्रभावित हो रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष खैहरा ने सतलुज व बुड्ढा नाला के संगम स्थल को दिखाते कहा कि इसे देख कर कोई भी व्यक्ति बता सकता है कि सतलुज के पानी में कितना जहर है। पहले अकाली सरकार बुड्ढा नाले की सफाई का राग अलापती रही और अब यही हाल कांग्रेस का है। यह बात है भी सही कि किसी भी दल ने कभी गंभीरता से इस मुद्दे की हाथ में नहीं लिया। बात बयानबाज़ी और ऐलानों तक ही सिमट कर रह जाती।
यहाँ के बहुत से इंडस्ट्रिलिस्ट राज्य में अपने मुनाफे के लिए पानी को जहरीला बना रहे हैं। सरकार चुप बैठी है। इसकी वजह से मालवा कैंसर हब बन गया है। उन्होंने बताया कि नदियों के प्रदूषण का मामला विधानसभा में उठाएंगे।
अब देखना है की इस समस्या को समझने और सुलझाने के लिए गैर सियासी लेकिन गंभीर क्षेत्रों से कितने लोग आगे आते हैं। पानी और हवा को बचना है तो इसे एक जन अभियान बनाना होगा।
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