Sunday, December 23, 2018

पास्टर सुलतान मसीह की याद में डा. रमेश मंसूरां का निशुल्क आई कैंप

जहां पास्टर की हत्या की गयी वहां पर फिर उमड़ा प्रेम का संदेश 
लुधियाना: 23 दिसंबर 2018: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
बेहद लोकप्रिय थे पास्टर सुल्तान मसीह। हर किसी को हमेशां अपने  लगते। उनकी आवभगत भी कमाल की थी। बातें करते हुए जब वह ताली या चुटकी बजाते तो उनके स्टाफ को मालूम हो जाता कि इस मेहमान को क्या पसंद है। चाय या काफी? मीठा या नमकीन? पकौड़े या समोसे? उनकी आवभगत का अंदाज़ बिलकुल निराला था। 
किसी की सहायता करते वक़्त भी वह किसी को कानोकान खबर न होने देते। जिसकी मदद करते उसको भी बस उसे भी मदद होने पर ही पता चलता और उसे भी कहते बस चुप रहना।  यह सब भगवान येशु ने किया। उसको कभी कमज़ोर या हल्का महसूस न होने देते। जब 15 जुलाई 2017 को उनकी बर्बर हत्या की गयी तो बहुत से लोगों को लगा कि उन के सिर से उनका सहारा उठ गया। जिस चर्च में कभी हर पल रौनक औऱ खुशियों  का माहौल बना रहता था उस पर पुलिस का पहरा लग गया। यह सब कुछ सुरक्षा के लिए ही हुआ था लेकिन अहसास में कुछ डर सा अवश्य महसूस होने लगा। उस माहौल को तोड़ने में पास्टर सुलतान मसीह के बेटे अली शा ने बहुत हिमत दिखाई। पिता से बिछड़ने का गम भूलना आसान नहीं था लेकिन चर्च की ज़िम्मेदारी को देखते हुए उन्होंने खुद को सहज किया। 
आज उसी चर्च में जब आँखों की जाँच का निशुल्क कैम्प लगा तो ऐसे महसूस हुआ जैसे वह प्रेम भरा पुराना माहौल फिर लौट आया हो। डाक्टर रमेश मंसूरां की देख रेख में पुनर्जोत अभियान का स्टाफ इस मेडिकल शिविर में सक्रिय था। जहाँ कभी पास्टर सुल्तान मसीह गरीबों की ज़िंदगी में आये अंधेरों को दूर किया करते थे वहीँ आज डाक्टर रमेश का स्टाफ गरीब और ज़रूरतमंद लोगों की आँखों का इलाज करके उनकी ज़िंदगी में छाये अंधेरों को दूर कर रहा था। इस मौके पर पुनर्जोत अभियान के सक्रिय स्टाफ मेंबर मंजीत कौर कई कई बार भावुक हुई। इसी तरह एक और सक्रिय सदस्य रछपाल ऋषि ने भी कई बार पास्टर सुलतान मसीह को याद किया। 
वास्तव में यह कैंप उन्हीं की याद में लगाया गया था। चर्च में लगे इस कैंप में डाक्टर रमेश के स्टाफ को पूरा सहयोग दिया चर्च के स्टाफ ने।  बहुत से लोग आये। बहुत से लोगों ने इस कैंप का फायदा उठाया। किसी के ऑपरेशन की समस्या हल हुई। किसी को आँखों के दर्द की दवा मिली। किसी ने चश्में एक नंबर बनवाया। किसी ने ऐनक निशुल्क ली। यहाँ दवाएं भी बिलकुल फ्री बांटी गयी। खानेपीने का प्रबंध चर्च की तरफ से था। कुल मिलाकर यह एक सफल कैंप था। लोगों की भीड़ को देख कर शहीद पास्टर सुलतान मसीह के बेटे और मौजूदा पास्टर अली शा ने भी संतोष व्यक्त किया। जिस जगह पर पास्टर सुलतान मसीह की हत्या की गयी थी उस जगह पर फिर से शांति और जनसेवा का संदेश इस कैंप के ज़रिये लोगों तक पहुंच रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे पास्टर  खुद इसी कैंप में मौजूद हों और छुप कर सब कुछ देख रहे हों। 

7 comments:

Anonymous said...

Today, I went to the beach front with my kids. I found a sea shell and gave it
to my 4 year old daughter and said "You can hear the ocean if you put this to your ear." She placed the shell to her
ear and screamed. There was a hermit crab inside and it pinched her ear.
She never wants to go back! LoL I know this is totally off topic
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