टेकनिक से ज्यादा उन पलों को देखने का नज़रिया
Samvedna:I am still unknown to myself, searching my identity |
Nobody can go back and start a new beginning, but anyone can start today and make a new ending |
अर्थात कोई भी लौट कर नयी शुरूयात तो नहीं कर सकता लेकिन कोई भी आज से अभी से एक नयी शुरूयात करके एक नए अंत की रचना अवश्य कर सकता है.
दूसरा ब्लोगिंग Lost Bud में एक बाल-श्रमिक को लकड़ी का काम करते हुए दिखाया गया है जिसके साथ उद्धृत है मार्क ट्वैन का कथन: Lord save us all from... a hope tree that has lost the faculty of putting out blossoms. जोड़ दिया गया है. हर ब्लोगिंग के साथ इस तरह शब्दों का इस्तेमाल हर फोटोग्राफ को एक अलग स्तर पर ले जाता है, जहाँ फोटोग्राफी की टेकनिक से ज्यादा उसको देखने का नज़रिया ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है.
किन्तु केवल शब्दों का प्रयोग ही नहीं , कभी अन-कहे ही, उनके फोटोग्राफ,बिना वाक्यों का इस्तेमाल से भी बहुत कुछ कह जाते हैं. सम्प्रति उनके पोस्ट किया हुआ ब्लोगिंग Three Moods of Nature में प्रकृति के एक ही रूप में तीन अलग अलग मानविक मूडज़ को ढूंड पाना, वह भी बिना कोई वाक्य बोले, एक अजब कला पारदर्शिता है, जो दर्शकों को मंत्र मुग्ध किये बिना नहीं छोड़ता है.
यह उदीयमान ब्लोगर तथा फोटोग्राफर भारत के जानीमानी नारीवादी लेखिका सरोजिनी साहू तथा ओडिया के सुप्रसिद्ध लेखक जगदीश महंती की सुपुत्री हैं. संवेदना अपने सॉफ्टवेर इंजीनियर पति नरेन्द्र पटनायक तथा एक पुत्र के साथ चेन्नई में रहती हैं.
संवेदना अपने ब्लॉग में अपना परिचय एक nonsense thinker के रूप में देती है और दावा करती है की उसे बहुत कुछ अभी सीखना है. उसकी भाषा में: I am still unknown to myself, searching my identity अर्थात अभी तक मैं खुद भी अपने आप को नहीं जानती, तलाश कर रही हूँ अपनी पहचान हालत तो हम सभी की यही है की हमसे अधिकतर अपने आप को भी नहीं जानते.....पर बहुत ही कम लोग हैं जो इस हकीकत को जान पाते हैं महसूस कर पाते हैं और उन लोगों की संख्या तो और भी कम है जो अपने जीवन काल में ही अपनी खुद की तलाश शुरू कर पाते हैं....हमें ख़ुशी है की सम्वेदना गौतमी उन कुछ बहुत ही थोड़े से कीमती लोगों में से एक है. आपको सम्वेदना का ब्लॉग कैसा लगा, तस्वीरें कैसी लगी अवश्य बताएं. आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी. --रेक्टर कथूरिया
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