हमारे आचार्य, गुरु, अध्यापक दीपक की तरह जल कर हमारा जीवन रौशन और उज्ज्वल कर देते हैं।
जसप्रीत कौर फलक बहुत ही अच्छी शायरा हैं। उर्दू, हिंदी और पंजाबी के रंगों का सुमेल करके जब वह अपने अलग से अंदाज़ में आशयर कहती हैं तो हाल उनकी शायरी में मग्न हो जाता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्होंने अपने उस गुरु, उस अध्यापक को याद किया है जिस ने उन्हें बनाने में अपनी ज़िंदगी लगा दी। आज के कारोबारी युग में लोगों को वही शिक्षक याद आ पाते हैं जिन्होंने शिक्षा को कभी व्यापार कभी नहीं समझा था। प्रस्तुत हैं फलक जी की कुछ पंक्तियाँ।
-रेक्टर कथूरिया
जसप्रीत कौर फलक कहती हैं:-
हे गुरु, अध्यापक,शिक्षक,आचार्य आपको प्रणाम।
आज पाँच सितम्बर हैं यानि शिक्षक दिवस।
आज हम सभी ऊन अध्यापकों, गुरुओं और शिक्षकों को बधाईयां देते हैं।
याद करते हैं जिन्होने हमारे जीवन दर्शन में कहीँ न कहीँ हमें गहरी तरह प्रभावित किया है।
गुरु को ईशवर से अधिक महत्व प्राप्त है।
आज शिक्षक दिवस के मौके पर अपने बचपन से लेकर आज तक के सफ़र पर नज़र डालूं तो उस पावन नाते को मैं किसी न किसी रूप में स्वीकार कर लेती हूँ। जहाँ कभी माता-पिता ,भाई-बहन,अध्यापक, दोस्त,कभी पति तो कभी बच्चे गुरु बनकर मेरे सम्मुख खड़े होते है और कॊई न कॊई सीख मुझे उनसे प्राप्त हो जाती है। हमारे आचार्य, गुरु, अध्यापक दीपक की तरह जल कर हमारा जीवन रौशन और उज्ज्वल कर देते हैं। किसी ने ठीक कहा है - गुरु बिना ज्ञान न होत है।
जसप्रीत कौर " फ़लक "
लुधियाना.
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