इस दवा के बाद नहीं रहता किसी भाव या संवेदना का अहसास
लुधियाना: 7 सितम्बर 2015: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
आपको हैरानी हो सकती है और होनी भी चाहिए। आपने कलम के सिपाही भी देखे सुने होंगें और सशत्र सैनिक भी। कभी ऐसा देखा कि कलम का सिपाही सीमा की चिंता कर रहा हो। केवल चिंता ही नहीं बल्कि उसकी रक्षा के उपायों पर भी गंभीर हो। आज हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसे पत्रकार से जिसने अपनी मीडिया फ़ोर्स और ख़ुफ़िया नेटवर्क से एक ऐसी खतरनाक दवाई का पता लगाया है जो आजकल आतंक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है। इस दवा का ही परिणाम है कि इस्लामिक स्टेट के बच्चे एक इशारा होते ही किसी को भी गोली मार देते हैं और किसी को भी छुरा घोंप देते हैं। इस तरह के जघन्य कुरटयों के समय उनके चेहरे पर न डर होता है न ही झिझक और न ही कोई अन्य भाव। किसी रिमोट कंट्रोल्ड यंत्र की तरह ये नन्हे आतंकी बड़ी बड़ी वारदातें कर रहे हैं। विश्व के सभी प्रमुख आतंकी संगठनों में यह दवा धड़ल्ले से इस्तेमाल की जा रही है। इस दवा को लेते ही न कोई जज़बात रहता है न कोई संवेदना न ही कोई भाव। बस एक ही ध्यान कि इशारा होते ही अपने शिकार को मौत के घाट उतार देना है। बचपन में ही मौत के खिलाडी बने ये बच्चे बड़े हो कर कितने खतरनाक होंगें इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता। आज तेज़ी से तैयार हो रही बाल आतंकियों की ये फ़ौज जब दुनिया में आतंक की आंधी ला देगी तो उससे बचने का कोई रास्ता भी नज़र नहीं आने वाला। दवा खा कर बेरहम होने वाले बच्चे अपने आकाओं के इशारे पर बेगुनाह लोगों पर ज़ुल्मो सितम ढाया करेंगे। क्यूंकि यह कैमिकली जनरेटड आतंक होगा इस लिए इसका तोड़ ढूंढ़ना भी मुश्किल होगा। छुरा, बंदूक, रिवाल्वर और अन्य हथियारों को खिलोने की तरह इस्तेमाल करने वाले ये बच्चे न अपनी जान की परवाह करेंगे न ही दुसरे की। बेरहमी के ये पहाड़ दुनिया पर टूटने के लिए तेज़ी से तैयार हो रहे हैं। दुनिया इन बच्चों से डरेगी पर कुछ कर नहीं सकेगी। अगर इन बच्चों के हाथों में एटमी हथियार आ गए तो फिर दुनिया की खैर नहीं। तबाही का खतरा हमारे सरों पर मंडरा रहा है। बेरहमी भरी मौत दुनिया के दरवाज़े पर दस्तक दे रही है।
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