05-सितम्बर-2013 17:02 ISTराष्ट्रपति ने किया पुरस्कार से सम्मानित किया
नई दिल्ली: 5 सितंबर 2013: (पीआईबी): राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में देशभर के चयनित शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि ठोस शिक्षा प्रणाली प्रबुद्ध समाज की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह आधार है, जिस पर प्रगतिशील और लोकतांत्रिक समाज खड़ा होता है और जहां कानून का शासन चलता है और समाज के लोग एक दूसरे के अधिकारों को सम्मान देते हैं।
श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विकास का अर्थ लोगों से है, लोगों के मूल्यों से तथा सांस्कृतिक विरासत के प्रति आस्था से है। राष्ट्रपति ने कहा कि मूल्यों को आकार देने के लिए शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नैतिक क्षितिज बढ़ाने के लिए शिक्षकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं में सभ्यता से उपजे मूल्य भरना शिक्षकों का दायित्व है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता की लगातार समीक्षा के लिए हमें एक प्रणाली विकसित करनी होगी। हमारे शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे शिक्षक हैं, जो युवाओं के विचारों को नया रूप से दे सकते हैं। शब्दों और कर्मों के जरिए ऐसे शिक्षक विद्यार्थियों को प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें कार्य कुशलता और सोच के नये स्तर पर ले जा सकते हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एम एम पल्लम राजू, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री जितीन प्रसाद और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. शशि थरूर भी उपस्थित थे।(PIB)
वि.कासोटिया/गांधी/तारा – 6033
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माननीय राष्ट्रपति के हाथों इस गौरवशाली पुरस्कार को प्राप्त करती हुई चंडीगढ़ सुश्री उपदेश कौर (PIB) |
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि ठोस शिक्षा प्रणाली प्रबुद्ध समाज की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह आधार है, जिस पर प्रगतिशील और लोकतांत्रिक समाज खड़ा होता है और जहां कानून का शासन चलता है और समाज के लोग एक दूसरे के अधिकारों को सम्मान देते हैं।
श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विकास का अर्थ लोगों से है, लोगों के मूल्यों से तथा सांस्कृतिक विरासत के प्रति आस्था से है। राष्ट्रपति ने कहा कि मूल्यों को आकार देने के लिए शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नैतिक क्षितिज बढ़ाने के लिए शिक्षकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं में सभ्यता से उपजे मूल्य भरना शिक्षकों का दायित्व है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता की लगातार समीक्षा के लिए हमें एक प्रणाली विकसित करनी होगी। हमारे शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे शिक्षक हैं, जो युवाओं के विचारों को नया रूप से दे सकते हैं। शब्दों और कर्मों के जरिए ऐसे शिक्षक विद्यार्थियों को प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें कार्य कुशलता और सोच के नये स्तर पर ले जा सकते हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एम एम पल्लम राजू, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री जितीन प्रसाद और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. शशि थरूर भी उपस्थित थे।(PIB)
वि.कासोटिया/गांधी/तारा – 6033
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