भारतीय रेल की एकीकृत सुरक्षा प्रणाली का क्रियान्वयन
फीचर:रेलवे -एच. सी. कुंवर*
भारतीय रेल के उन्नयन और मज़बूतीकरण के लिए सुरक्षा की पहचान हमेशा प्रमुख क्षेत्र के रुप में की गई है। रेल मंत्रालय के तहत कार्यरत रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को यात्रियों, यात्री क्षेत्र और इससे संबंधित मामलों की रक्षा और सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है।
रेलवे सुरक्षा की समस्याओं का अध्ययन करने के बाद समूचे रेलवे नेटवर्क के 202 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया। एक जन यातायात प्रणाली के रुप में भारतीय रेलवे की अपनी कुछ विशिष्टताएं हैं। भारतीय रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 8,000 मिलियन लोग यात्रा करते हैं और दिल्ली तथा मुंबई जैसे महत्वपूर्ण स्टेशनों पर दैनिक आधार पर लाखों लोग पहुंचते हैं। महत्वपूर्ण घंटों के दौरान स्थिति विशिष्ट और नियंत्रण से परे हो जाती है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया जिसमें यात्रियों और उनके सामानों की बहुस्तरीय जांच में सहायक और साथ ही यात्रियों की निगरानी जैसी विविध विशिष्टताओं से परिपूर्ण सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया। इसके पीछे जांच/निगरानी के विभिन्न स्तरों को लागू करने का उद्देश्य है ताकि किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि की पहचान तत्काल की जा सके और ‘स्वर्णिम घंटे’ के भीतर कार्यवाई की जा सके।
इसके अनुसार रेल मंत्रालय ने व्यापक चर्चाओं के बाद महत्वपूर्ण स्टेशनों पर ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ की स्थापना की मंजूरी दी है। इस प्रणाली में निम्नलिखित घटक होंगे-
इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित सीसीटीवी प्रणाली
स्टेशन क्षेत्र में क्लोज सर्किट टीवी प्रणाली इस प्रकार स्थापित की जाएगी जिसमें स्टेशन की भीड़, प्रतीक्षा हॉल, प्लेटफॉर्म, पुल आदि सहित समूचा स्टेशन परिसर समाविष्ट हो जाए। सीसीटीवी प्रणाली इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित होगी और इसमें महत्वपूर्ण वीडियो विश्लेषण होगा जो स्वतः ही संदेहास्पद सामान, अत्याधिक भीड़, अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा अनुचित प्रवेश आदि के संकेत प्रदान करेगा।
पहुंच नियंत्रित करना
चारदीवारी की इस प्रकार कंटीली घेराबंदी जिससे स्टेशन क्षेत्र में अनाधिकृत प्रवेश/निकास संभव न हो। जहां से वाहन स्टेशन परिसर में प्रवेश करते हैं वहां प्रवेश द्वारों पर स्वचालित वाहन स्कैनर लगाए जाएंगे। निगरानी के लिए बनाए गए नियंत्रण कक्ष में एक स्कैनर लगाया जाएगा।
व्यक्तियों और सामानों की जांच प्रणाली
व्यक्तियों के जांच के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले मेटल डिटेक्टर, डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर और संदेहास्पद मामलों में तलाशी का प्रयोग किया जाएगा। बड़े आकार की एक्स-रे मशीनों के द्वारा सामानों की जांच की जाएगी।
बम खोज तथा निराकरण प्रणाली (बीडीडीएस)
बीडीडीएस महत्वपूर्ण स्टेशनों पर आधुनिक उपकरणों के साथ उपलब्ध रहेगी। यह प्रणाली प्रथम चरण में देश के 202 महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्टेशनों पर कार्यान्वित की जा रही है। सीसीटीवी आधारित निरीक्षण प्रणाली के जरिए रात-दिन निगरानी के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर समर्पित नियंत्रण कक्ष होंगे। ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ को महत्वपूर्ण तरीके से संचालित करने के लिए प्रशिक्षित आरपीएफ कर्मी तैनात होंगे। मशीन तथा साफ्टवेयर को सही तरीके से संचालित करना इस अनुबंध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
ऊपर उल्लेखित 202 स्टेशनों को मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान संचालित करने की योजना है।
अत: इस प्रणाली के तहत प्रवेश के साथ ही यात्रियों की विभिन्न तरीकों से जांच की जाएगी। आधुनिक मशीनों तथा सॉफ्टवेयर से लैस ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ में सुरक्षा के पारंपरिक उपायों का भी इस्तेमाल होगा, जिसे और मजबूत किया जा रहा है। पारंपरिक तरीकों तथा आधुनिक तकनीकों के संयुक्त प्रयास से भारतीय रेलवे के सुरक्षा परिदृश्य में महत्वपूर्ण सुधार होगा।
इसके अलावा वर्तमान में 1275 महत्वपूर्ण मेल तथा एक्सप्रेस ट्रेनों की सुरक्षा, महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों तक पहुंच नियंत्रण , दोषियों पर मुकदमा (रेलवे अधिनियम के 29 धाराओं के अंतर्गत) जिसमें ट्रेन, स्टेशन परिसर में अनाधिकृत गतिविधियां यानी अलार्म चेन खींचना, अनाधिकृत रूप से समान बेचना, अनाधिकृत रूप से महिलाओं तथा आरक्षित कोच आदि में प्रवेश करना सम्मिलित है, के लिए आरपीएफ तैनात है तथा रेलवे संपत्ति अधिनियम (अनलॉफुल पसेशन) 1966 के अंतर्गत रेलवे की संपत्ति चोरी करने पर पकड़े गए अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाना भी शामिल है।
यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी जोनल रेलवे में आरपीएफ की 22 कमांडों टुकडियों को तैनात किया जा रहा है। यह 12 आरपीएफ कमांडों की टुकडि़यों के अतिरिक्त होगी। एक महिला बटालियन सहित देश के विभिन्न भागों में स्थापित आरपीएफ के अंतर्गत रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएफ) की 12 बटालियन तथा तीन अतिरिक्त बटालियनों को आरपीएफ के विशेष बल को मजबूत करने के लिए स्वीकृत किया गया है। यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आरपीएफ को एके 47 राइफल्स, इनसांस, नौ मिलिमीटर पिस्तौल जैसे आधुनिक हथियारों से लैस किया गया है।
आरपीएफ में मौजूदा रिक्तियों तथा नए पदों को भरने के लिए हवलदार के 11952 पदों तथा सबइंस्पेक्टर के 511 पदों को अधिसूचित करके एक विशेष भर्ती अभियान चलाया गया है। इन रिक्तियों में से दस प्रतिशत रिक्तियां योग्य महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित की गई हैं।
आरपीएफ के अतिरिक्त जिला पुलिस, ट्रैक तथा पुल की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। राज्य पुलिस की इकाई सरकारी रेलवे पुलिस, स्टेशन परिसर तथा ट्रेन में अपराधों को रोकने तथा उसकी जांच एवं कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। सरकारी रेलवे पुलिस के 50 प्रतिशत व्यय का वहन रेलवे करती है तथा शेष का भुगतान संबंधित राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। (पीआईबी) 10-अप्रैल-2012 19:45 IST
*उपनिदेशक (मीडिया तथा संचार), रेल मंत्रालय
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फीचर:रेलवे -एच. सी. कुंवर*
भारतीय रेल के उन्नयन और मज़बूतीकरण के लिए सुरक्षा की पहचान हमेशा प्रमुख क्षेत्र के रुप में की गई है। रेल मंत्रालय के तहत कार्यरत रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को यात्रियों, यात्री क्षेत्र और इससे संबंधित मामलों की रक्षा और सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है।
रेलवे सुरक्षा की समस्याओं का अध्ययन करने के बाद समूचे रेलवे नेटवर्क के 202 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया। एक जन यातायात प्रणाली के रुप में भारतीय रेलवे की अपनी कुछ विशिष्टताएं हैं। भारतीय रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 8,000 मिलियन लोग यात्रा करते हैं और दिल्ली तथा मुंबई जैसे महत्वपूर्ण स्टेशनों पर दैनिक आधार पर लाखों लोग पहुंचते हैं। महत्वपूर्ण घंटों के दौरान स्थिति विशिष्ट और नियंत्रण से परे हो जाती है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया जिसमें यात्रियों और उनके सामानों की बहुस्तरीय जांच में सहायक और साथ ही यात्रियों की निगरानी जैसी विविध विशिष्टताओं से परिपूर्ण सुरक्षा प्रणाली का प्रस्ताव किया गया। इसके पीछे जांच/निगरानी के विभिन्न स्तरों को लागू करने का उद्देश्य है ताकि किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि की पहचान तत्काल की जा सके और ‘स्वर्णिम घंटे’ के भीतर कार्यवाई की जा सके।
इसके अनुसार रेल मंत्रालय ने व्यापक चर्चाओं के बाद महत्वपूर्ण स्टेशनों पर ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ की स्थापना की मंजूरी दी है। इस प्रणाली में निम्नलिखित घटक होंगे-
इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित सीसीटीवी प्रणाली
स्टेशन क्षेत्र में क्लोज सर्किट टीवी प्रणाली इस प्रकार स्थापित की जाएगी जिसमें स्टेशन की भीड़, प्रतीक्षा हॉल, प्लेटफॉर्म, पुल आदि सहित समूचा स्टेशन परिसर समाविष्ट हो जाए। सीसीटीवी प्रणाली इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित होगी और इसमें महत्वपूर्ण वीडियो विश्लेषण होगा जो स्वतः ही संदेहास्पद सामान, अत्याधिक भीड़, अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा अनुचित प्रवेश आदि के संकेत प्रदान करेगा।
पहुंच नियंत्रित करना
चारदीवारी की इस प्रकार कंटीली घेराबंदी जिससे स्टेशन क्षेत्र में अनाधिकृत प्रवेश/निकास संभव न हो। जहां से वाहन स्टेशन परिसर में प्रवेश करते हैं वहां प्रवेश द्वारों पर स्वचालित वाहन स्कैनर लगाए जाएंगे। निगरानी के लिए बनाए गए नियंत्रण कक्ष में एक स्कैनर लगाया जाएगा।
व्यक्तियों और सामानों की जांच प्रणाली
व्यक्तियों के जांच के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले मेटल डिटेक्टर, डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर और संदेहास्पद मामलों में तलाशी का प्रयोग किया जाएगा। बड़े आकार की एक्स-रे मशीनों के द्वारा सामानों की जांच की जाएगी।
बम खोज तथा निराकरण प्रणाली (बीडीडीएस)
बीडीडीएस महत्वपूर्ण स्टेशनों पर आधुनिक उपकरणों के साथ उपलब्ध रहेगी। यह प्रणाली प्रथम चरण में देश के 202 महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्टेशनों पर कार्यान्वित की जा रही है। सीसीटीवी आधारित निरीक्षण प्रणाली के जरिए रात-दिन निगरानी के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर समर्पित नियंत्रण कक्ष होंगे। ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ को महत्वपूर्ण तरीके से संचालित करने के लिए प्रशिक्षित आरपीएफ कर्मी तैनात होंगे। मशीन तथा साफ्टवेयर को सही तरीके से संचालित करना इस अनुबंध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
ऊपर उल्लेखित 202 स्टेशनों को मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान संचालित करने की योजना है।
अत: इस प्रणाली के तहत प्रवेश के साथ ही यात्रियों की विभिन्न तरीकों से जांच की जाएगी। आधुनिक मशीनों तथा सॉफ्टवेयर से लैस ‘एकीकृत सुरक्षा प्रणाली’ में सुरक्षा के पारंपरिक उपायों का भी इस्तेमाल होगा, जिसे और मजबूत किया जा रहा है। पारंपरिक तरीकों तथा आधुनिक तकनीकों के संयुक्त प्रयास से भारतीय रेलवे के सुरक्षा परिदृश्य में महत्वपूर्ण सुधार होगा।
इसके अलावा वर्तमान में 1275 महत्वपूर्ण मेल तथा एक्सप्रेस ट्रेनों की सुरक्षा, महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों तक पहुंच नियंत्रण , दोषियों पर मुकदमा (रेलवे अधिनियम के 29 धाराओं के अंतर्गत) जिसमें ट्रेन, स्टेशन परिसर में अनाधिकृत गतिविधियां यानी अलार्म चेन खींचना, अनाधिकृत रूप से समान बेचना, अनाधिकृत रूप से महिलाओं तथा आरक्षित कोच आदि में प्रवेश करना सम्मिलित है, के लिए आरपीएफ तैनात है तथा रेलवे संपत्ति अधिनियम (अनलॉफुल पसेशन) 1966 के अंतर्गत रेलवे की संपत्ति चोरी करने पर पकड़े गए अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाना भी शामिल है।
यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी जोनल रेलवे में आरपीएफ की 22 कमांडों टुकडियों को तैनात किया जा रहा है। यह 12 आरपीएफ कमांडों की टुकडि़यों के अतिरिक्त होगी। एक महिला बटालियन सहित देश के विभिन्न भागों में स्थापित आरपीएफ के अंतर्गत रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएफ) की 12 बटालियन तथा तीन अतिरिक्त बटालियनों को आरपीएफ के विशेष बल को मजबूत करने के लिए स्वीकृत किया गया है। यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आरपीएफ को एके 47 राइफल्स, इनसांस, नौ मिलिमीटर पिस्तौल जैसे आधुनिक हथियारों से लैस किया गया है।
आरपीएफ में मौजूदा रिक्तियों तथा नए पदों को भरने के लिए हवलदार के 11952 पदों तथा सबइंस्पेक्टर के 511 पदों को अधिसूचित करके एक विशेष भर्ती अभियान चलाया गया है। इन रिक्तियों में से दस प्रतिशत रिक्तियां योग्य महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित की गई हैं।
आरपीएफ के अतिरिक्त जिला पुलिस, ट्रैक तथा पुल की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। राज्य पुलिस की इकाई सरकारी रेलवे पुलिस, स्टेशन परिसर तथा ट्रेन में अपराधों को रोकने तथा उसकी जांच एवं कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। सरकारी रेलवे पुलिस के 50 प्रतिशत व्यय का वहन रेलवे करती है तथा शेष का भुगतान संबंधित राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। (पीआईबी) 10-अप्रैल-2012 19:45 IST
*उपनिदेशक (मीडिया तथा संचार), रेल मंत्रालय
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