सावधान: खेल खेल में लिया गया पंगा भी दिला सकता है सज़ा
वास्तव में आज इंटरनेट के तमाम पहलू हैं। जीवन की हर आवश्यकता और कामकाज में इसका पर्याप्त दखल हो चुका है। इसके जरिए मानव जीवन में काफी फुर्ती नज़र आने लगी है। जो काम महीनों की मेहनत और लाखों परेशानियों के बावजूद असंभव लगते थे, अब पलक झपकते ही होने लगे हैं।मर्स इंटरनेट के जरिए अपने ग्राहकों की सही पहचान, उत्पादों का पूर्ण विवरण, दामों की समुचित जानकारी तथा उत्पादों की डिजाइन तथा सेवाएं बड़ी आसानी से हासिल करा रहा है। अपने देश में पिछले पांच-छ: सालों के दौरान ही इंटरनेट जैसी तकनीकी का इस्तेमाल सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र का विस्तार कर रही है। आज देश में इंटरनेट का दायरा बड़े महानगरों तक ही सिमटा नहीं रहा है बल्कि आज छोटे शहरों और कस्बों में भी साइबर कैफे की मौजूदगी है। भारत में बढ़ते कम्प्यूटर की तकनीकी के विस्तार की ओर इशारा कर रही है।
सूचना क्रांति के इस नायाब तोहफे को युवाओं ने अपने जीवन में कितना सही रूप में उतारा है, ये कह पाना संभव नहीं लगता।
मनोरंजन के तमाम अन्य साधनों से ऊब रहा युवा वर्ग घंटों इंटरनेट के जरिए अपना समय व्यतीत करने में व्यस्त है आमतौर पर युवाओं में नेट सर्फिंग का नशा सा छा रहा है। जहां ये युवा नेट सर्फिंग के दौरान नेट फ्रेंड्स में मशगूल रहते हैं। मात्र शब्दों की बुनियाद पर रिश्तों की इमारत खड़ी करने के प्रयास में युवा अकसर धोखा ही खाते हैं। इन युवाओं को मीडिया को माध्यम बनाकर खेल खेलना बेहद आसान तरीका लगता है, जो इंटरनेट के घातक परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं। यह तो सच है इंटरनेट ने युवाओं में काफी गहरी पैठ बना ली है। स्वस्थ मनोरंजन का ज्ञान का सागर का साधन आज साइबर क्राइम का जरिया भी बन रहा है।
साइबर क्राइम के बढ़ते चलन पर रोक लगाने के लिए सन् 2000 में इंफारमेशन टेक्रालॉजी एक्ट बनाया गया, जिसके तहत इंटरनेट पर अवैध वस्तुओं का क्रय-विक्रय, ई-बैंकिंग से जालसाजी, अश्लील मैसेज भेजना, हैकिंग, पासवर्ड की चोरी, ई-मेल बाम्बिंग जैसे मामलों की सजा भी नियुक्त की गई।
कम्प्यूटर कोड में छेड़छाड़-सजा तीन वर्ष।
हैकिंग-सजा कैद या फिर दो लाख का जुर्माना या फिर दोनों संभव हैं। पोर्नोग्राफी (ऐसी कोई भी फोटो या लेख जिसे सामाजिक मानकों के लिहाज से अश्लील करार दिया जाए)-सजा पांच वर्ष (एक लाख जुर्माना)। सरकारी कम्प्यूटर से छेड़छाड-सजा दस वर्ष।
किसी का डिजिटल हस्ताक्षकर बनाना-सजा दो वर्ष।
गलत सूचना देना जिससे कम्प्यूटर को नुकसान हो-सजा दो वर्ष।
अधिकृत रूप में साइट में प्रवेश— सजा दो वर्ष।
किसी भी किस्म के जाली दस्तावेजों का इंटरनेट पर आदान-प्रदान-सजा दो वर्ष।
इस सबके बावजूद आज साइबर क्राइम पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है जबकि इंटरनेट के जरिए इस तरह के क्राइम बदस्तूर जारी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष साइबर अपराध से जुड़ी शिकायतों की संख्या में 45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी उसमें दुनिया भर के कम्प्यूटरों से जुड़े लोगों की केन्द्रीय भूमिका है। आई.टी. जहां रोजगार, विकास एवं जीवन के तमाम समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया है वहीं अपनी विश्वस्तरीय शृंखलाबद्धता के कारण कई बुराइयां की जड़ बन गया है। बढ़ता साइबर अपराध, कम्प्यूटर वायरसों से होने वाले हमले इसका प्रमाण हैं।(दैनिक ट्रिब्यून से साभार)
मनोरंजन के तमाम अन्य साधनों से ऊब रहा युवा वर्ग घंटों इंटरनेट के जरिए अपना समय व्यतीत करने में व्यस्त है आमतौर पर युवाओं में नेट सर्फिंग का नशा सा छा रहा है। जहां ये युवा नेट सर्फिंग के दौरान नेट फ्रेंड्स में मशगूल रहते हैं। मात्र शब्दों की बुनियाद पर रिश्तों की इमारत खड़ी करने के प्रयास में युवा अकसर धोखा ही खाते हैं। इन युवाओं को मीडिया को माध्यम बनाकर खेल खेलना बेहद आसान तरीका लगता है, जो इंटरनेट के घातक परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं। यह तो सच है इंटरनेट ने युवाओं में काफी गहरी पैठ बना ली है। स्वस्थ मनोरंजन का ज्ञान का सागर का साधन आज साइबर क्राइम का जरिया भी बन रहा है।
साइबर क्राइम के बढ़ते चलन पर रोक लगाने के लिए सन् 2000 में इंफारमेशन टेक्रालॉजी एक्ट बनाया गया, जिसके तहत इंटरनेट पर अवैध वस्तुओं का क्रय-विक्रय, ई-बैंकिंग से जालसाजी, अश्लील मैसेज भेजना, हैकिंग, पासवर्ड की चोरी, ई-मेल बाम्बिंग जैसे मामलों की सजा भी नियुक्त की गई।
कम्प्यूटर कोड में छेड़छाड़-सजा तीन वर्ष।
हैकिंग-सजा कैद या फिर दो लाख का जुर्माना या फिर दोनों संभव हैं। पोर्नोग्राफी (ऐसी कोई भी फोटो या लेख जिसे सामाजिक मानकों के लिहाज से अश्लील करार दिया जाए)-सजा पांच वर्ष (एक लाख जुर्माना)। सरकारी कम्प्यूटर से छेड़छाड-सजा दस वर्ष।
किसी का डिजिटल हस्ताक्षकर बनाना-सजा दो वर्ष।
गलत सूचना देना जिससे कम्प्यूटर को नुकसान हो-सजा दो वर्ष।
अधिकृत रूप में साइट में प्रवेश— सजा दो वर्ष।
किसी भी किस्म के जाली दस्तावेजों का इंटरनेट पर आदान-प्रदान-सजा दो वर्ष।
इस सबके बावजूद आज साइबर क्राइम पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है जबकि इंटरनेट के जरिए इस तरह के क्राइम बदस्तूर जारी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष साइबर अपराध से जुड़ी शिकायतों की संख्या में 45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी उसमें दुनिया भर के कम्प्यूटरों से जुड़े लोगों की केन्द्रीय भूमिका है। आई.टी. जहां रोजगार, विकास एवं जीवन के तमाम समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया है वहीं अपनी विश्वस्तरीय शृंखलाबद्धता के कारण कई बुराइयां की जड़ बन गया है। बढ़ता साइबर अपराध, कम्प्यूटर वायरसों से होने वाले हमले इसका प्रमाण हैं।(दैनिक ट्रिब्यून से साभार)
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