Monday, September 30, 2013

नशे से जंग:एम्पटी इनसाइड का प्रीमियर

Mon, Sep 30, 2013 at 1:06 PM                          Click here to see the official movie trailer 
अकाल पुरख की फौज और आस्ट्रेलिया की संस्था ने बनाई फिल्म 
पंजाब की युवा पीढ़ी को नशे की दलदल से निकालने का अभियान तेज 
अमृतसर: (गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन): पंजाब के दुश्मन की साजिश सफल रही और अब पंजाब की युवा पीढी पुरी तर्ह नशे की जकड में है। इस दुखद हकीकत के साथ ही एक संतोष की खबर भी है कि पंजाब से प्रेम करने वाले अभी भी निराश नही हुए पंजाब में बह रहे नशे के छठे दरिया को रोकने और नौजवान पीढ़ी को नशे की दलदल से निकालने के लिए अकाल पुरख की फौज ने आस्ट्रेलिया की एक संस्था के साथ मिल कर एम्पटी इनसाइड नाम की एक पंजाबी फिल्म बनाई है। जिसका प्रीमियर अमृतसर स्थित गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल में किया गया। फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने फिल्म में दिए गए संदेश को जहां सराहा, वहीं उन्होंने कहा, कि फिल्म पंजाब में बड़े स्तर पर नौजवान पीढ़ी को दिखानी चाहिए। ताकि वे नशे की इस दलदल से निकल कर सुखमय जीवन व्यतीत करें।
    पंजाब में बह रहे नशे के छठे दरिया से नौजवान पीढ़ी को बचाने के लिए हर संस्था अपने-अपने स्तर पर काम कर रही है। इसी सिलसिले में अकाल पुरख की फौज की ओर से आस्ट्रेलिया की एक संस्था के साथ मिल कर एम्पटी इनसाइड नामक एक पंजाबी फिल्म बनाई है। इस फिल्म का आज गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल में प्रीमियर किया गया। फिल्म को देखने के लिए पहुंचे दर्शकों के मुताबिक फिल्म पंजाब में नौजवान पीढ़ी को नशे की दलदल से बाहर निकालने में काफी अहम रोल अदा करेगी। वहीं, अकाल पुरख की फौज के मुखी के मुताबिक फिल्म बनाने का मुख्य मकसद सिर्फ नशों पर चोट करना और नौजवान पीढ़ी को बचाना है। 

इस फिल्म का ट्रेलर देखने के लिये क्लिक करे  

Saturday, September 28, 2013

मुख्यमंत्री बादल का पत्र मिलने पर मरणव्रत फिलहाल कैंसल

Sat, Sep 28, 2013 at 7:27 PM
भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने जताया वायदे पर विशवास 
अमृतसर 28 सितम्बर 2013(गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन) - अमृतसर से भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना मरणव्रत टाल दिया है, उन्होंने कहा, कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा एक चिट्ठी आई है और उसमे उन्होंने सिद्धू द्वारा अमृतसर के विकास के लिए लाये गए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की समय सीमा तय कर दे गयी है, जिसके चलते उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री बादल पर विश्वास जताते हुए अपना मरणव्रत फिलहाल के लिए टाल दिया है

    अमृतसर से भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पिछले तीन हफ्तों से अमृतसर के विकास के मुद्दे पर चलाया जा रहा ड्रामा आज फिर से लटक गया, उन्होंने कल एक प्रेस नोट जारी कर पंजाब सरकार द्वारा अमृतसर के विकास के मुद्दे को नजरअंदाज किये जाने के मामले को लेकर मरणव्रत पर बैठने का एलान किया था, लेकिन आज उन्होंने ठीक मरणव्रत पर बैठने से पहले एक प्रेस कांफ्रेस कर अपने मरणव्रत पर बैठने का कार्यक्रम टाल दिया, उन्होंने कहा, कि उन्हें देर रात पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा एक चिट्ठी आई है और उसमे उन्होंने सिद्धू द्वारा अमृतसर के विकास के लिए लाये गए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की समय सीमा तय कर दे गयी है, जिसके चलते उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री बादल पर विश्वास जताते हुए अपना मरणव्रत फिलहाल के लिए टाल दिया है 
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पाकिस्तानी साज़िशों के खिलाफ और भड्का आक्रोश

Sat, Sep 28, 2013 at 7:38 PM
अमृतसर में फूंका गया पाकिस्तान का झंडा
अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी फ्रंट ने किया रोष प्रदर्शन 
पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दे भारत सरकार-महिंदर सिंह सिद्धू
अमृतसर 28 सितम्बर 2013:(गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन):अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी फ्रंट की ओर से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की ओर से सेना पर किए जा रहे हमलों के विरोध में जोरदार प्रदर्शन कर पाकिस्तान का झंडा फूंका गया। इस मौके पर फ्रंट के पंजाब प्रधान महिन्द्र सिंह सिद्धु ने भारत सरकार से मांग की है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और पाकिस्तान की फौज बार-बार भारतीय सीमा पर दुश्मनी से भरी हरकत कर रही है। भारतीय सीमा में घुस कर भारतीय सैनिकों पर हमला किया जात है और हम मूक दर्शक  बने बैठे हैं.   हमलों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाए। 
       जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की ओर से सेना पर किए जा रहे हमलों के विरोध में आज अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी फ्रंट की ओर से जोरदार प्रदर्शन कर पाकिस्तान का झंडा फूंका गया। इस मौके पर फ्रंट के पंजाब प्रधान ने भारत सरकार से मांग की है, कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और पाकिस्तान की फौज बार-बार भारतीय सैनिकों पर किए जा रहे हमलों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाए। उन्होंने कहा, कि कभी भारतीय सैनिकों के सिर कलम कर लिए जाते हैं और कभी भारतीय सेना के ठिकानों पर हमला किया जाता है। लेकिन भारत की ओर से हमेशा पाकिस्तान के साथ दोस्ताना माहौल को बढ़ावा दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा, कि यदि समय पर पाकिस्तान की सरकार को मुंह तोड़ जवाब नहीं दिया गया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।

Wednesday, September 25, 2013

नगरनिगम में भी राहुल तिवारी का स्वागत गर्मजोशी से जारी

Wed, Sep 25, 2013 at 5:45 PM
आज अश्वनी सहोता ने की शिष्टमंडल के साथ मुलाकात 
लुधियाना, 25 सितंबर ( विजय मानव//पंजाब स्क्रीन ): भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि.) भावाधस-भारत एवं म्युनिंसीपल सैनेटरी इंस्पैक्टर्ज एसोसीएशन-पंजाब, सैनेटरी सुपरवाईजर और सफाई कर्मचारीयों का एक शिष्टमंडल वीर शिरोमणी, कर्मयोगी अशवनी सहोता, राष्ट्रीय सर्वोच्च निर्देशक, भावाधस (रजि.)-भारत एवं नोडल अफसर, नगर निगम, लुधियाना की अगुवाई में माननीय श्री राहुल तिवारी कमिश्नर नगर निगम का हार्दिक स्वागत किया तथा उन्हें बुके देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रुप में वीरश्रेष्ठ मोहनवीर चौहान, राष्ट्रीय संचालक, भावाधस (रजि.) भारत, वीरश्रेष्ठ विजय मानव, राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री, भावाधस (रजि.)-भारत, वीर रवि वाली, प्रांतीय कन्वीनर-पंजाब, वीर नरेश दैत्य, प्रान्तीय सहायक सचिव-पंजाब, स. बलजीत सिंह सहोता, जिला संजोयक लुधियाना, वीर विक्की सहोता, शाखा अध्यक्ष भावाधास (रजि.), राज कुमार सहोता, बलवीर सहोता, अमन चंद कंडियरा, रवि वाली, बिट्टु गिल, इन्द्रपाल चौहान विशेष रूप में शामिल हुए।
वीर शिरोमणी, कर्मयोगी अशवनी सहोता ने अपनी एसोसीएशन की ओर से निगम कमिश्नर श्री राहुल तिवारी जी को निगम प्रशासन को हर तरह का सहयोग करने का विश्वास दिलाया।
इस अवसर पर चीफ सैनेटरी इंस्पैकटर्ज शमशेर सिंह, अमीर सिंह बाजवा, जगजीत सिंह, बंटू सिंह, अवतार सिंह, रवि डोगरा, सैनेटरी इंस्पैकटर दर्शन सिंह, नीशू घई, पवन शर्मा, रवि शर्मा, राजिन्द्र कुमार कल्यान, गुरचरन सिंह, राजेश शर्मा, दीपक कुमार, भीम सैन, बलदेव सिंह, अनिल पासी प्रमुख रूप में मौजूद थे।
उपास्थित नेताओं ने माननीय कमिश्नर साहिब से निगम सफाई कर्मचारीयों को रैगुलर करने, सभी सफाई कर्मचारीयों को हर महीने दिनांक 7 को समयनुसार तनखाह देने, सैनेटरी सुपरवाईजर का अगला प्रमोशन चैनल बनाने, सफाई कर्मचारीयों से सुपरवाईजर को पदउन्नत करना, चीफ सैनेटरी इंस्पैकटरज का अगला प्रमोशन चैनल बनाने, सैनेटरी इंस्पैकटरज को 30 लीटर पैट्रोल तथा जी.ई स्तरीय ग्रेड देने की मांग की।
  इस अवसर पर भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि.) भावाधस-भारत तथा युनियनों के सभी पदाधिकारी शिव लाल भूम्बक, राजेश खोसला, विजय फरमाये, जतिन्द्र लौहरिया, लक्की सहोता, संजीव सहोता (बंटी), कर्ण बाली, दविन्द्र काका, लाला प्रवीण कुमार, प्रो. रिम्पी बैंस, वीर अजय सभ्रवाल, वीर सुरिन्द्र चौहान (बिंदर), राजेश मटटू, हरविंदर सिंह, सूरज, अशोक, विजय चौहान, प्रमोद चौहान, शैली मट्टू, अशवनी बैंस, अमित मीता, तरसेम चाचा, सुरेश कुमार, रोनी शेरपूरीया, सुशील कुमार, रोहित, दीपक, डा. मुकेश,  रिंकू सहोता, रवि धींगान, अमन सक्सैना, रणवीर लंम्बरदार, अशोक भट्टी, संजय सहोता, रविंदर कुमार, सौरव सहोता, गुलशन डमाना, वीर राजेश कुमार, वीर सुरिन्द्र मोहन, चांद कुमार, संजीव कुमार, विनोद सहोत आदि शामिल हुए।

*विजय मानव म्यूनिंसीपल सैनेटरी सुपरवाईजर एसोसीएशन नगर निगम, लुधियाना के प्रधान हैं  और उनका सम्पर्क नम्बर है:98144-46999  

पाकिस्तान में ईसाई भाईचारे के लोगों पर हमले की निंदा जारी

जस्सोवाल और के के बावा ने भी की सख्त निंदा 
लुधियाना: 25 सितम्बर 2013 (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):  पंजाब और पंजाबी के एम्बेसडर की तरह जाने जाते प्रसिद्ध कला  प्रेमी सियासतदान जगदेव सिंह जस्सोवाल और उनके जाने माने निकट सहयोगी के के बावा ने इस हमले पर गहरी चिंता और दुःख व्यक्त किया है। देश भक्त यादगारी सोसायटी पंजाब के चेयरमैन श्री जस्सोवाल और प्रधान श्री बावा ने यहाँ जारी एक बयान  में कीनिया के एक शापिंग माल में हुए इसी तरह के एक अन्य हमले की भी निंदा की। इन दोनों नेतायों ने कहा की धर्म तो जोड़ता है लेकिन ये लोग धर्म के नाम पर ही तोड़ने का काम कर रहे हैं। आतंकवाद की तह तक जाते हुए इन दोनों ने कहा की वास्तव में आतंकवाद की आग पर अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले लोग इन हमलों से देश की अर्थ व्यवस्था को खोखला करके देश की सम्प्रभुता के लिए खतरा बने हुए हैं। मानवता के दुश्मन इन लोगों को पहचान कर समाज से अलग थलग करने की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक हो गई है। बयान में जहाँ विश्व शांति के लिए प्रार्थना करने पर जोर किया गया वहीँ पत्रकार जसदीप मल्होत्रा की बेवक्त मौत पर गहरे दुःख का भी इज़हार किया गया। 
अन्य संगठनों ने भी की इस हमले की तीखी निंदा     Wed, Sep 25, 2013 at 5:42 PM
लुधियाना, 25 सितम्बर (विशाल गर्ग//पंजाब स्क्रीन): पाकिस्तान के खैबर पखतूनखवां राज के ऐतिहासिक गिरजा घर पर हुए आतंकवादी हमले की सख्त शब्दों में निंदा करते हुए साईं मीयां मीर फाऊंडेशन इंटरनैशनल के चेयरमैन स. हरदयाल सिंह अमन ने कहा है कि यह एक अमानवीय एवं घिनौनी हरकत है, जिससे पूरी मानवता को दु:ख पहुंचा है।
स. अमन ने कहा कि इस तरह बेकसूर लोगों की हत्या करने वाला न तो इंसान कहलाने का हकदार है और न ही वह किसी धर्म का पैरोकार हो सकता है क्योंकि दुनिया का कोई भी धर्म इस तरह के पाप की इजाजत नहीं देता बल्कि हर धर्म दीन-दुखियों की सेवा व मदद करने की प्रेरणा देता है। अपने निजी एवं घटिया मनसूबों के लिए इंसानिॉयत के नाम पर बदनूमा धब्बा लगाने वाले हत्यारों से सवाल करते हुए स. अमन ने पूछा कि अपने ईष्ट को पूजते लोगों को मारना कहां का धर्म है। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधी लोगों से निपटने के लिए सख्त कानून व सजा की जरूरत है क्योंकि सख्त सजा ही समाज में ऐसे पापों व अपराधों को रोक सकती है।

पंजाब स्क्रीन पंजाबी में भी देखें 

Tuesday, September 24, 2013

एक अक्‍टूबर से पेट्रोलियम संरक्षण का राष्‍ट्रव्‍यापी महाअभियान

24-सितम्बर-2013 20:04 IST
पेट्रोलियम मंत्री डॉ. वीरप्‍पा मोइली का प्रेस कान्‍फ्रेंस में संबोधन 
प्रिय मित्रों, 
जैसा कि आपको विदित है, हमारे देश के आर्थिक संवर्द्धन एवं विकास के लिए ऊर्जा की उपलब्‍धता महत्‍वपूर्ण है।उर्जा का प्रमुख भाग तेल एवं गैस उत्‍पादन के रूप में इस्‍तेमाल किया जाता है।पेट्रोलियम उत्‍पादको के लिए बढ़ती मांग पर्यावरण के साथ साथ हमारी विदेशी मुद्रा की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता भी उत्‍पन्‍न हो रही है। आज हमारी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 75 प्रतिशत से ज्‍यादा कच्‍चे तेल का आयात करना पड रहा है। चालू वर्ष 2013-14 के लिए हमारी अभिकल्पित आवश्‍यकता लगभग 160 मिट्रिक मिलियम टन (एम एम टी) रहेगी। 

मेरे मंत्रालय द्वारा बड़े उपभोक्‍ताओं को बाजार मूल्‍य पर डीज़ल की आपूर्ति, कु‍किंग गैस सिलेन्‍डरों की संख्‍या सीमित करने, एल पी जी सिलेन्‍डरों के छद्म उपभोक्‍ताओं को समाप्‍त करना, राज्‍यों के लिए केरोसीन ऑयल के कोटे के युक्तिसंगत बनाने जैसे महत्‍वपूर्ण उपाय पहले से शुरू कर दिए गए हैं और उनके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। पीपीएसी से यह जानकारी प्राप्‍त हुई है कि अप्रैल-अगस्‍त 2013 के दौरान एलपीजी और डीजल दोनों की रुपये में क्रमश: 1.6 और 1 प्रतिशत की नकारात्‍मक वृद्धि दर्ज हुई है। रुपये के गिरते मूल्‍य तथा अल्‍प वसूलियों एवं कच्‍चे तेल की कीमतों में वृद्धि से, हम इसकी भरपाई नहीं कर पाएंगे। हमें ईंधन के अनुरक्षण के लिए ज्‍यादा उपाय करने होंगे, जिसमें भारी मूल्‍यवृद्धि अथवा मात्रागत प्रतिबंधों जैसी कड़ी प्रतिकूल परिस्थितियों से जुझना होगा। 

मित्रों, आपकों ज्ञात होगा कि भारत में युवा जनसंख्‍या की प्रतिशतता कहीं ज्‍यादा है और ये युवा पीढ़ी दुपहिया वाहनों को सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल करते हैं। मुझे यह बताते हुए प्रसन्‍नता है कि इस महा अभियान के दौरान विराट कोहली और सायना नेहवाल जैसे युवा शक्तिपुंज ऊर्जा संरक्षण के संदेश के प्रचार-प्रसार हेतु इसे अभियान से जुड़ेंगे। हम भी आपकों स्‍मार्ट फोन तथा नए मीडिया संसाधनों के जरिए ऊर्जा की बचत करने के टिप्‍स की जानकारी देंगे। 

2. यदि हम विभिन्‍न क्षेत्रों के पेट्रोलियम उत्‍पाद की मांग का विश्‍लेषण करें, तो पाएंगे कि परिवहन क्षेत्र में ऊर्जा का व्‍यापक इस्‍तेमाल होता है। परिवहन क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण घटक बस तथा ट्रक हैं, जिनमें करीब 68 एमएमटी की खपत होती है। इसके बाद पेंसेजर कार, टैक्‍सी, एसयूवी जैसी कमर्शियल कारें आती है। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में मूलत: ट्रैक्‍टरों व डीजल पम्‍पों सेटों में भी इसकी भारी मांग है। 

3. यहां विभिन्‍न क्षेत्रों के उपभोक्‍ता अपनी आवश्‍यकता के अनुसार पेट्रोलियम उत्‍पादों का इस्‍तेमाल करते हैं, वहीं इन पेट्रोलियम उत्‍पादों की बर्बादी को न्‍यूनतम करके इसमें अनुरक्षण की विपुल संभावनाएं विद्यमान है। परिवहन क्षेत्र, कृषि के साथ-साथ घरेलू उपभोक्‍ता भी सरल किंतु प्रभावी अनुरक्षण टिप्‍स को अपनाकर इन उत्‍पादों के उपयोग में कभी ला सकते हैं। 

4. (क) समुचित ड्राइविंग प्र‍वृति (ख) वाहनों का बेहतर रख रखाव (ग) कार्यालय और स्‍कूल जाने के लिए कार-पुलिंग प्रणाली अपनाना (घ) ट्रैफिक लाइनों पर इंजिन स्‍वीच ऑफ करने जैसे सरल उपायों से परिवहन क्षेत्र में ईंधन की बर्बादी को रोका जा सकता है। इसी भांति, कृषि क्षेत्र में भी ट्रैक्‍टरों तथा डीजल पम्‍पों की समुचित रख रखाव व ड्राइविंग से डीजल की बचत की जा सकती है। परिवार/घरेलू क्षेत्र में एलपीजी खाना बनाने का मुख्‍य ईंधन स्रोत है। बेहतर कुकिंग आदत से ईंधन बचत टिप्‍स हमारे घरों में एलपीजी गैस बचाने में मदद मिलेगी। 

5. पेट्रोलियम उत्‍पादों के अनुरक्षण के लिए उपभोक्‍ताओं के बीच जागरूकता लाने की दृष्टि से मेरा मंत्रालय एम ''राष्‍ट्रव्‍यापी-अभियान'' शुरू करेगा, जिसमें परिवहन क्षेत्रों पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा। इसका उद्देश्‍य शहरों और कस्‍बों में उपभोक्‍ताओं को अपने ईंधन बिलों को न्‍यूनतम करने के लिए प्रोत्‍साहित कराना होगा, ताकि तेल का आयात कम करने में हमारे देश की मदद हो सके। 

6. विस्‍तृत विचार-विमर्श के उपरांत हमने गतिविधियों की एक योजना को अंतिम रूप दिया है, जिसे छ: सप्‍ताह की अवधि के लिए देशभर में 1 अक्‍टूबर 2013 से शुरू किया जाएगा। इन गतिविधियों में अनुरक्षण उपाय अपनाने में उपभोक्‍ताओं को प्रोत्‍साहित करने के लिए उनसे प्रत्‍यक्ष संवाद स्‍थापित किया जाएगा। इसके साथ-साथ हम टीवी, प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के जरिए इस महत्‍वपूर्ण मुद्दे पर जन-जागृति का निर्माण करेंगे। इस अभियान के लिए 45 करोड़ रुपये से ऊपर का कुल निधिगत आवंटन किया गया है, जिसे 6 सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों और पीसीआरए बजट से वहन किया जाएगा। 

7. जैसा कि मैंने उल्‍लेख किया है, हमारा मुख्‍य ध्‍यान परिवहन क्षेत्र पर होगा, अत: हम 'परिवहन क्षेत्र में ईंधन मितव्‍यतता पर राष्‍ट्रीय कार्यशाला'' की राष्‍ट्रव्‍यापी शुरुआत 1 अक्‍टूबर 2013 को करेंगे। हम प्रिंट, टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, वेबसाइटों आदि जैसे व्‍यापक प्रचार माध्‍यमों से इसकी शुरुआत करेंगे। हम एलपीजी क्लिनिक किसान मेले, ड्राइवर प्रशिक्षण कार्यक्रम, नुक्‍कड़ नाटक, मैराथन दौड़, क्षेत्रीय कार्यालयों पर वाहनों की जांच आदि उपायों का संचालन करेंगे, ताकि ईंधन संरक्षण का संदेश घर-घर पहुंच सकें। 

8. मेरे मंत्रालय के मार्गदर्शन के अधीन, पीसीआरए ने ऊर्जा रक्षता ब्‍यूरो (वीईई) व अन्‍य साझेदारों के साथ परामर्श करके एलपीजी स्‍टोव और डीजल पम्‍पों के लिए बेंच मानदण्‍ड तैयार किये हैं। इस कार्यक्रम से उपभोक्‍ताओं को अधिक ईंधन दक्ष उपकरणों की उपलब्‍धता में सुविधा रहेगी और एलपीजी व डीजल की खपत में कमी आएगी। वीईई अक्‍टूबर 2013 के दौरान इन मानदण्‍डों की घोषणा करेगी। भविष्‍य के लिए प्रेरणा लेने के दृष्टिगत समवर्ती तृतीय पक्ष द्वारा इन गतिविधियों का मूल्‍यांकन किया जाएगा, जिसका समन्‍वय पीसीआरए द्वारा किया जाएगा। ओएमसी वितरण निष्‍पादक है और कतिपय विशेष अवयवों को इन ईंधन में मिलाने से पेट्रोल व डीजल की ऊर्जा क्षमता बढ़ जाती है, रख-रखाव लागत में कमी आती है और इससे प्रदूषण भी कम फैलता है। तथापि यह ईंधन उच्‍चतर सांविधिक कर्तव्‍यों के फलस्‍वरूप ज्‍यादा महंगे हैं, अत: मेरे मंत्रालय ने वित्‍त मंत्रालय के साथ इस मामले को उठाया है ताकि ड्यूटी संरचना को युक्तिसंगत किया जा सके, जो इसके व्‍यापक उपयोग को बढ़ावा देगा। 

9. मैंने केन्‍द्रीय ऊर्जा, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, शहरी विकास मंत्री और कृषि मंत्री के साथ व्‍यक्तिगत रूप से इस मामले को उठाया है कि वे अपनी गतिविधियों के माध्‍यम से इस महा अभियान को अपना समर्थन प्रदान करें। मैंने पेट्रोलियम अनुरक्षण संदेश को प्रचारित कराने के लिए इस राष्‍ट्रव्‍यापी अभियान में सभी मुख्‍यमंत्रियों का सहयोग भी मांगा है। मैंने शहरी विकास मंत्री से चुने हुए शहरों में ईंधन की बचत के लिए ''नि:शुल्‍क साइकिल योजना'' शुरू करने तथा हमारी तेल क्षेत्र की कंपनियों से भी निधि जुटाने का अनुरोध किया है। मैंने कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन राज्‍य मंत्री को भी पत्र लिखकर सरकारी कार्यालयों में ''भिन्‍न कार्य के घंटे'' नियत करने का अनुरोध किया है, जिससे व्‍यस्‍तता के घंटों के दौरान रोड ट्रैफिक जाम की रोक थाम में मदद मिलेगी। मैंने सभी मुख्‍यमंत्रियों, प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुखों तथा विभिन्‍न केन्‍द्रीय मंत्रालयों के प्रमुखों से भी अनुरोध किया है कि वे सप्‍ताह के 1 दिवस को ''बस दिवस'' के रूप में घोषित करें, जिसके दौरान वे सभी अपने दैनिक यात्रा के लिए केवल सार्वजनिक वाहन के इस्‍तेमाल को प्रोत्‍साहन देंगे। 

10. इस समय राज्‍य परिवहन उपक्रम किसी सब्सिडी के बगैर बाजार मूल्‍य पर डीजल की खरीद कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हमें विभिन्‍न राज्‍यों से अभ्‍यावेदन प्राप्‍त हुए हैं। ओएमसीएस ने भी अवगत कराया है कि दोहरी मूल्‍य प्रणाली कार्य नहीं कर पा रही है, क्‍योंकि राज्‍य परिवहन उपक्रम अपनी बस फिलिटों के लिए रिटेल आऊटलेटों से ईंधन ले रही हैं, जिससे रिटेल आऊटलेटों के सुचारू काम काज में बांधा आती है और इस प्रक्रिया में ईंधन बर्बाद होता है। सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्‍साहित करने की आवश्‍यकता के दृष्टिगत हम सब्सिडी युक्‍त मूल्‍य पर एसटीयू को डीजल की खरीद की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं, किंतु यह हमारे अनुरक्षण अभियान में उनकी सक्रिय सहभागिता के अ‍ध्‍याधीन होगा। 

11. चालकों की ड्राइविंग आदत में सुधार लाना काफी महत्‍वपूर्ण है। पीसीआरए की ''ड्राइविंग ट्रेनिंग कार्यक्रम'' (जो तीन दिवसीय सघन मॉड्यूल है) के अंतर्गत 50 हजार ड्राइवरों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है। हमारा प्रस्‍ताव अगले 6 महीनों में और 20 हजार एसटीयू ड्राइवरों को प्रशिक्षण प्रदान करना है। बाद में, एसटीयू की सहायता से हम अगले दो वर्षों में और एक लाख ड्राइवरों को प्रशिक्षण दिलाना चाहेंगे। इसी भांति, ट्रांसपोर्ट हबो में हमारी योजना '' ट्रक ड्राइवरों'' को आधे दिन का प्रशिक्षण दिलाना है। अगले दो माह में हमारा प्रस्‍ताव 30 हजार ट्रक ड्राइवरों को प्रशिक्षण दिलाना है। 

12. प्रिय मित्रों, देश में प्रत्‍येक व्‍यक्ति से मेरी अपील है कि वे इस राष्‍ट्रीय महा अभियान को सफल बनाने में मेरे मंत्रालय के साथ सहयोग करें ताकि देश को तेल आयात कम करने में मदद मिल सकें। (PIB)

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वि.कासो‍टिया/सुरेन्‍द्र/मनोज-6371

पाकिस्तान में चर्च पर हुए हमले का विरोध

Tue, Sep 24, 2013 at 12:05 AM
इसाई भाइचारे ने फूंका पाकिस्तान का पुतला: डीसी को दिया ज्ञापन
अमृतसर: (गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन):पाकिस्तान में रविवार को प्रार्थना के दौरान चर्च पर हुए फिदाइन हमले के विरोध स्वरूप आज अमृतसर में विभिन्न इसाई संगठनों की ओर से रोष प्रदर्शन किया गया। इस दौरान संगठनों ने पाकिस्तान का पुतला फूंका और मांग की गई, कि पाकिस्तान सरकार वहां पर रह रहे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएं। इतना ही नहीं, एंगलीकन चर्च आफ इंडिया के बिशप ने कहा, कि यदि पाकिस्तान में सभी धर्मों के अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित मानते हैं, तो उन्हें तुरंत पाकिस्तान छोड़ कर भारत आ जाना चाहिए। वहां से पलायन करने वालों का यहां पर न सिर्फ स्वागत किया जाएगा, बल्कि हरेक धर्म के लोग उनके रहने और खाने पीने का भी ताउम्र प्रबंध करेंगे। इसके अलावा डायोसिस आफ अमृतसर की ओर से डीसी अमृतसर के माध्यम से पाकिस्तान के उच्चायोग को पत्र लिख कर मांग की गई, कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे लगातार हमलों पर नकेल डाली जाए। ता कि वहां पर अल्पसंख्यक अपनी जिंदगी आराम से गुजार सकें। 

जनजातीय विकास के लिए

23-सितम्बर-2013 19:53 IST
केन्‍द्र सरकार ने 26 राज्‍यों को दिये 2904 करोड़ और 71 लाख रूपये
19 सितंबर 2013/28 भाद्रपद, 1935 को जारी समाचार शीर्षक ‘‘केन्‍द्र सरकार ने जनजातीय विकास के लिए 26 राज्‍यों को 2904 करोड़ और 71 लाख रूपये दिये’’ में एक त्रुटि थी। समाचार के सही संस्‍करण को निम्‍न प्रकार पढ़ा जाए: 

भारत सरकार संविधान के अनुच्‍छेद 275(1) के अन्‍तर्गत केन्‍द्र सरकार द्वारा 26 राज्‍यों को जनजातीय विकास के लिए अप्रैल 2010 से अगस्‍त 2013 तक अनुदान के रूप में 2904 करोड़ और 71 लाख रूपये जारी किये हैं। 

अनुदान का उपयोग सड़क, पुल, जल संचयन सुविधाओं के रूप में विभिन्न संरचनात्‍मक सुविधाओं के निर्माण, सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (इएमआरएसएस) की स्थापना और उनके रख-रखाव के साथ ही अनुसूचित जनजाति और अन्‍य परंपरागत वनवासी अधिनियम, 2006 को लागू करने और अनुसूचित जनजाति के समग्र विकास पर केन्द्रित लक्ष्य और सामाजिक मुख्य धारा में लाने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए होता है। 

अधिकतम धनराशि मध्‍य प्रदेश को 478.45 करोड़ रूपये दी गई है और इसके बाद क्रमश: उड़ीसा (337.45 करोड़) और झारखण्‍ड (245.54 करोड़ रूपये) आते हैं। (PIB)
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वि.कसोटिया/महेश राठी-6336

दो योजनाओं की शुरूआत

23-सितम्बर-2013 20:43 IST
'सीखो और कमाओ' और 'जियो पारसी' 
अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए श्री के रहमान खान ने दो योजनाओं की शुरूआत की 
अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्री श्री के रहमान खान ने आज यहां 'सीखो और कमाओ' और 'जियो पारसी' नामक दो योजनाओं की शुरूआत की। मंत्री महोदय ने देश के पांच स्‍थानों पर स्थित आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम के जरिए पांच सौ अल्‍पसंख्‍यक प्रशिक्षुओं की पायलट परियोजना शुरू की। यह पांच स्‍थान दिल्‍ली, कोलकाता, शिलांग, बरनाला और बेंगलूरू हैं। इन 55 प्रशिक्षुओं में मुस्‍लमान, सिख और ईसाई वर्ग के हैं। इनका प्रशिक्षण इस वर्ष जुलाई से शुरू हुआ है और इन्‍हें अग्रिम नियुक्ति पत्र प्रदान कर दिये गये हैं। मंत्री महोदय ने बताया कि इन तीन महत्‍वपूर्ण अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के अलावा बौद्धों और पा‍रसियों को भी योजना से जोड़ा जाएगा। 

मंत्री महोदय ने भारत में पारसियों की कम होती जनसंख्‍या को थामने के लिए एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण योजना 'जियो पारसी' की भी शुरूआत की। यह योजना सत प्रतिशत केंद्रीय योजना है। श्री खान ने पारसियों की प्रजनन दर एक प्रतिशत से कम होने पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि सरकार देश में पारसी आबादी में कमी आने के प्रति बहुत चिंतित है। पारसी समुदाय की मांग पर मंत्रालय ने 'जियो पारसी' नामक की एक महत्‍वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है। 

मंत्री महोदय के वक्‍तव का मूल्‍यपाठ नीचे दिया जा रहा है:- 

'' संप्रग सरकार की पहल पर अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय का गठन 29 जनवरी, 2006 को किया गया, जिसका उद्देश्‍य अल्‍पसंख्‍यकों की आकांक्षाओं को पूरा करना है। इसके साथ ही उन्‍हें विकास के पथ पर शामिल करना है। 

•  अल्‍पसंख्‍यक मामले के मंत्रालय को यह अधिकार प्राप्‍त है कि वह अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यकों से जुड़े मुद्दों पर ध्‍यान केंद्रित करें और अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के लाभ के लिए नीति, योजना, समन्‍वय, मूल्‍यांकन, नियामक ढांचे की समीक्षा और विकास कार्यक्रमों की रूप-रेखा तैयार करे। 

• अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए मंत्रालय ने संरचना विकास, शैक्षिक अधिकारिता, आर्थिक आधिकारिता, महिला सशक्तिकरण और वक्‍फ विकास जैसी कई कल्‍याणकारी योजनाओं का कार्यान्वयन किया है। 

• पिछले छह-सात वर्षों के दौरान अल्‍पसंख्‍यकों के विकास के लि‍ए हमारे मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए मुझे आज आपको यह जानकारी देते हुए प्रसन्‍नता हो रही है कि अल्‍पसंख्‍यक मामले मंत्रालय ने ‘’सीखो और कमाओ’’ और ‘’जीयो पारसी’’ नामक दो नई योजनाओं को शुभारंभ किया है। 

• ‘’सीखो और कमाओ’’ योजना एक कौशल विकास पहल है। यह ‘’अल्‍पसंख्‍यकों के कौशल विकास’’ के लिए सौ प्रतिशत केन्‍द्रीय योजना है। इस योजना का कार्यान्‍वयन वर्तमान वित्‍तीय वर्ष से किया गया है। 

• जैसा कि हम जानते हैं कि करीब 12 दशमलव 8 मिलियन लोग प्रत्‍येक वर्ष श्रम बाजार में आते हैं। हालाकि भारत में सबसे ज्‍यादा युवा जनसंख्‍या है, लेकिन भारतीय श्रमिकों में मात्र 10 प्रतिशत में से आठ प्रतिशत ने अनौपचारिक और दो प्रतिशत ने औपचारिक रूप से पेशेवर कौशल प्राप्‍त किया है। करीब 63 प्रतिशत विद्यार्थी कक्षा दस तक पहुंचते-पहुंचते विभिन्‍न कारणों से विद्यालय छोड़ देते हैं। अल्‍पसंख्‍यकों के मामले में, खासतौर पर मुसलमानों का विद्यालय की शिक्षा छोड़ना काफी चौंकाने वाला है, क्‍योंकि यह करीब 93 प्रतिशत है। देश में मात्र 3.1 मिलियन व्यवसायिक प्रशिक्षण सीटें उपलब्ध हैं और इन प्रशिक्षण स्थलों में कुछ ही सीटें जल्द विद्यालय शिक्षा छोड़ने वाले विद्यार्थियों के लिए हैं। यह दिखाता है कि बड़ी संख्या में विद्यालय छोड़ने वाले विद्यार्थी एक तरफ अपनी रोजगार योग्याता को सुधारने के लिए कौशल विकास तक पहुंच नहीं बना पाते और दूसरी तरफ 12.8 मिलियन रोजगार उपलब्ध हैं। 2011 के अनुमानों के मुताबिक भारत में 21 प्रमुख क्षेत्रों में करीब 244 मिलियन का कौशल अंतराल है। 

• भारत एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित होने की दिशा में अग्रसर है और देश की प्रतिस्पर्धात्मक योग्यता इसके लोगों की सृजन, सहभागिता और ज्ञान का अधिक प्रभावी रुप से उपयोग करने की योग्यता से निर्धारित होगी। परिवर्तन के इस दौर में भारत को ऐसे कौशलपूर्ण श्रमिकों को विकसित करने की आवश्यकता होगी जो अधिक दूरदर्शी, विश्लेषक, ज्ञान को ग्रहण करने वाले और विविध कौशलों से युक्त हों। 

• भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ है। कौशल विकास प्रयासों के माध्यम से जनसांख्यिकीय लाभ देश में समावेशन और उत्पादकता को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा और इससे अंतर्ऱाष्ट्रीय स्तर पर कौशल की कमी को भी कम किया जा सकेगा इसलिए बड़े स्तर पर कौशल विकास की अत्यन्त आवश्यकता है। 

• ‘’सीखो और कमाओ’’ में 14 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं को लक्ष्य बनाया गया है और इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े मौजूदा श्रमिकों, विद्यालय छोड़ चुके विद्यार्थियों में रोजगार योग्यता को विकसित और उनके ि‍लए रोजगार को सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के पारम्परिक कौशल को संरक्षित और अद्यतन रखते हुए उनका बाजार से संपर्क बनाना है। ये योजना अल्पसंख्यक युवाओं के विभिन्न आधुनिक और पारम्परिक व्यवसायों में उनकी शैक्षणिक योग्यता, वर्तमान आर्थिक स्थिति और बाजार संभावना के अनुसार उनके कौशल स्‍तरों में सुधार करेगी। इससे वे एक उपयुक्त रोजगार प्राप्त करने और स्वयं के रोजगार के लिए उपयुक्त कौशल विकास के माध्यम से आय अर्जित कर सकेंगे। इसमें राष्ट्रीय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीबीटी) के द्वारा स्वीकृत प्रमापीय रोजगारपरक कौशल (एमईएस) को शामिल किया गया है। 

• इस योजना को कौशल प्रशिक्षण और औद्योगिक संघों के क्षेत्र में सूचीबद्ध ऐसे विशेषज्ञ संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा जो रोजगार योग्यता को सुनिश्चित कर सकें। 75 प्रतिशत रोजगार प्रतिशत की गारंटी देने वाले संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी। इनमें से कम से कम 50 प्रतिशत रोजगार संगठित क्षेत्र में होना चाहिए। 

• इस योजना को देश में कहीं भी चलाया जा सकता है लेकिन उन संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनका उद्देश्य चिह्नित अल्पसंख्यक केन्द्रित जिलों, कस्बों, गांवों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के साथ साथ बाजार संपर्क को सुनिश्चित करते हुए अल्पसंख्यकों के पारम्परिक कौशलों का विकास करना है। 

• परियोजना कार्यान्वित करने वाली एजेंसियों को रोजगार निष्पक्षता और रोजगार परामर्श के मामले में जागरुकता फैलाने के साथ उद्योग क्षेत्र से मजबूत तंत्र जोड़ने के अलावा यह सुनिश्चित करना होगा कि कौशल विकास कि इस प्रक्रिया में गरीबों और लाभ से वंचित तबके के लोगों पर पर्याप्त ध्यान दिया सके। 

• देश के पाँच स्थलों जैसे दिल्ली, कोलकाता, शिलोंग, बरनाला और बंगलूरु में आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम के माध्यम से 500 अल्पसंख्यक प्रशिक्षुओं की पायलट परियोजना का शुभारंभ करने की घोषणा करते हुए आज मुझे खुशी का अनुभव हो रहा है। 55 प्रशि‍क्षुओं का एक समूह इस वर्ष जुलाई से प्रशिक्षण लेना प्रारम्भ कर चुका है । मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि इस समूह के 55 सदस्यों में मुसलमान, सिख और ईसाई अल्पसंख्यक समुदायों से हैं। रोजगार सुनिश्चित करने के लिए इस समूह को आज ही अग्रिम रोजगार पत्र दिये जाएगें। 

• मैं उम्मीद के अनुसार कौशल प्रशिक्षण को समायोजित करने के लिए आईएल एंड एफएस और अपने अधिकारियों को शुभकामनाएं देता हूं। वर्तमान में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित करना ही सबसे बेहतर मानव सेवा है। मुझे और भी अधिक प्रसन्नता होती यदि इस समूह में शेष दो समुदाय बौद्ध और पारसी भी होते। हालांकि जल्द ही हम निश्चित रुप से बौद्ध और पारसी समुदायों तक भी पहुंच बनायेंगे। 

• मुझे विश्वास है कि हमारे मंत्रालय का यह कदम वंचित अल्पसंख्यक तबकों के बीच से गरीबी को मिटाने के सरकार के प्रयासों को योगदान प्रदान करेगा। 

• इसके अलावा भारत में पारसी जनसंख्या की घटती संख्या को रोकने से संबंधित मंत्रालय की एक और बेहद महत्वपूर्ण योजना ‘’जीयो पारसी’’ के शुभारंभ पर भी मुझे बेहद प्रसन्नता है। यह एक 100 प्रतिशत केन्द्रीय योजना है। मैं पारसी समुदाय को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत सरकार देश में घटती पारसी जनसंख्या को लेकर बेहद चिन्तित है। हमें इस मामले में सजग रहना होगा कि पारसी समुदाय की कुल जन्मदर एक प्रतिशत से नीचे आ गई है जो बेहद चिंता का विषय है। इसलिए पारसी समुदाय को शामिल करते हुए और उनकी मांग पर अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय ने ‘’जीयो पारसी’’ नामक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। 

• यह एक समुदाय चालित कार्यक्रम है जिसमें पारजोर फाउण्डेशन, बॉम्बे पारसी पंचायत और स्थानीय अंजुमन शामिल हैं। 

• इन लक्षित समूहों में बच्चों को जन्म देने की क्षमता वाले पारसी दम्पति और अपने माता- पिता तथा कानूनी संरक्षकों की सहमति से नपुंसकता जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए युवकों, महिलाओं, किशोरों और किशोरियों की सहायता करना शामिल है। 

• योजना के अंतर्गत चिकित्सीय जांच और दूर तक पहुंच के कार्यक्रम जैसे दो घटकों को जोड़ा गया है। चिकित्सीय जांच को मानक चिकित्सा प्रोटोकॉल में सूचीबद्ध अस्पतालों और क्लीनिकों में कराया जाएगा। परामर्श और दूर क्षेत्र तक पहुंच के कार्यक्रम को पारसी समुदाय की सहभागिता से चलाया जाएगा। 

• मैं इस बात पर खासतौर पर जोर देना चाहूंगा की कार्यान्वयन की प्रक्रिया के दौरान रोगियों की गोपनीयता को बनाए रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगा। 

• मुझे बेहद उम्मीद है कि पारसी समुदाय की सहायता से अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय पारसी जनसंख्या के घटते स्तर को रोककर इसे बढ़ाने में सफल होगा। मैं यहां उपस्‍थि‍त पारसी समुदाय के सदस्‍यों से भी आह्वान करता हूं कि वे योजना के जमीनी स्तर पर उचित कार्यान्वयन के लिए पूर्ण सहयोग प्रदान करें ताकि यह समुदाय इस योजना का पूरा लाभ उठा सके। 

• इन शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर से पारसी समुदाय, आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम, प्रशिक्षुओं और मंत्रालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उनके शानदार कार्य के लिए शुभकामनाएं देना चाहूंगा। 
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वि.कासोटिया/अरुण/संजीव/दिनेश/सोनिका-6335

स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया जाना आवश्‍यक- राष्‍ट्रपति

23-सितम्बर-2013 19:54 IST
इस समय खर्च है जीडीपी की एक दशमलव दो प्रतिशत धनराशि
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि स्‍वस्‍थ, प्रगतिशील और विश्‍व में अग्रिम पंक्ति में गिने जाने वाले भारत के लिए स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया जाना नितांत आवश्‍यक है। भारत इस समय स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) की एक दशमलव दो प्रतिशत धनराशि ही खर्च कर रहा है, जबकि अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्‍ट्रेलिया, नॉर्वे और ब्राजील जैसे देशों में यह खर्च जीडीपी के चार प्रतिशत तक है। श्री प्रणब मुखर्जी आज कर्नाटक के मैसूर नगर में जगद गुरू श्री शिवा-रथरीश्‍वर महा-विद्या-पीठ के अस्‍पताल के नए भवन का उद्घाटन कर रहे थे। राष्‍ट्रपति ने कहा कि चिकित्‍सा और पोषण की सुरक्षा, गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा तथा शालीन जीवन शैली प्रदान करके हमें अपनी जन क्षमताएं बढ़ानी होंगी। 

राष्‍ट्रपति ने कहा कि उपग्रह प्रौद्योगिक के इस्‍तेमाल से हमने हाल में दूर-दराज के चिकित्‍सा केंद्रों को शहरी क्षेत्रों में स्थित सुपर स्‍पेशलिटी अस्‍पतालों से जोड़ने में सफलता हासिल की है। लेकिन अभी इस सुविधा के प्रसार-प्रचार की बहुत बड़ी आवश्‍यकता है। हमें नवोन्‍मेष के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करना है, अनेक रोगों का प्रभावी और कम खर्चीला इलाज ढूंढना है, इस समय आयात किये जा रहे चिकित्‍सा क्षेत्र से जुड़े आधुनिक उपकरणों को स्‍वदेश में ही बनाना है, चिकित्‍सा शिक्षा को और बेहतर करना है, अनुसंधान केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों को नवोन्‍मेष के लिए प्रो़त्‍साहित करना है और डॉक्‍टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रेरित करना है। 

श्री मुखर्जी ने कहा कि अध्‍ययनों से यह स्‍पष्‍ट हो चुका है कि बीमारियों की रोकथाम वाली चिकित्‍सा सुविधाओं का विस्‍तार गरीबोन्‍मुखी और विकासोन्‍मुखी साबित होता है। आधुनिक जीवन शैली से पैदा होने वाली बीमारियों के लिए इस तरह की सुविधाएं और भी जरूरी हो गई हैं। बीमारियों की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर जन-शिक्षण अभियान आवश्‍यक है। इसमें संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियां, जीवन शैली प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण भी शामिल किया जाना चाहिए तथा व्‍यक्ति और समुदाय दोनों को लक्षित करके चलना चाहिए। श्री शिवा-रथरीश्‍वर महा-विद्या-पीठ की स्‍थापना एक गैर लाभकारी संगठन के रूप में 1954 में जगद गुरू वीर सिम्‍हासन पीठ (सुत्‍तूर) के डॉक्‍टर श्री शिवाराथरी राजेन्‍द्र महा स्‍वामी जी ने की थी। 
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वि.कासोटिया/नरेश/सोनिका-6338

INDIA: सत्ता में सहभागिता का भ्रम-2//--सचिन कुमार जैन

An Article by the Asian Human Rights Commission  Mon, Sep 23, 2013 at 9:06 AM
लोगों ने विरोध किया तो उन्हे राष्ट्र विरोधी और नक्सलवादी कह कर अपराधी करार दिया गया
विकास के नाम पर सरकार के काम लोगों के खिलाफ जा रहे हैं
एक अच्छा शासन व्यावस्था का सूचक है व्यवस्था में समाज की हिस्सेदारी; इस हिस्सेदारी का मतलब यह अहसास बनाए रखना है कि राज्य समाज से ऊपर नहीं है. सत्ता में लोगों की सहभागिता की वकालत करते समय हम मानते हैं कि समाज को किसी भी गलत व्यवहार के खिलाफ निर्णय लेने का अधिकार भी होगा. उड़ीसा के नियमागिरी क्षेत्र में आदिवासी जिस पहाड़ को पूजते हैं और जिससे उनकी खाद्य और आजीविका सुनिश्चित होती है, बाक्साईट के लिए उस पहाड़ को मिटाने की योजना बन गयी क्योंकि विकास होना है. लोगों ने विरोध किया तो उन्हे राष्ट्र विरोधी और नक्सलवादी कह कर अपराधी करार दिया गया. आखिर में सर्वोच्च न्यायलय ने संविधान की लाज रही और कहा कि ग्राम सभाएं तय करेंगी कि वहाँ खनन होगा या नहीं; आखिर में सभी १२ ग्राम सभाओं ने खनन के विरोध में प्रस्ताव पारित किया. यह एक उदहारण है कि विकास के नाम पर सरकार के काम लोगों के खिलाफ जा रहे हैं.
वर्ष २००६ में हमारी संसद ने एक और क़ानून बनाया – वन अधिकार क़ानून; यह क़ानून इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि इसमे सरकार ने माना था कि आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक रूप से अन्याय होता रहा है और उनसे उनके संसाधन छीने जाते रहे हैं. वे हज़ारों साल से जिस जमीन पर रहते हैं, उन जमीनों को पहले अंग्रेजों और बाद में भारत की सरकारों ने कागजों पर गलत नियम – क़ानून बना कर अपने कब्जे में ले लिए और प्राकृतिक अधिकार के बावजूद आदिवासियों और जंगलों में रहने वालों को अतिक्रमणकारी कहा जाने लगा. भारत सरकार ने कहा अब उन्हे जंगल पर अधिकार दिया जायेगा; पर इसके लिए आदिवासी समाज को प्रमाण देकर यह सिद्ध करना था कि कि वह कितने और किस जरूरत के लिए जंगल का उपयोग करता है! जो समाज अपनी ही व्यवस्था में रहता आया हो, जिसमे जंगल या जमीन को निजी संपत्ति न माना हो; उससे कागजी प्रमाणों की मांग की गयी. इसके उलट दूसरी तरफ सरकार के पास हर जिले में हर गांव के बारे में यह जानकारी दस्तावेजी रूप में उपलब्ध है कि संसाधनों का समुदाय कैसा उपयोग करता है? ऐतिहासिक अन्याय से मुक्त करने के मकसद से बनाए गए क़ानून में सरकार ने यह नहीं कहा कि हम उनकी मुक्ति का पहला कदम उठाएंगे और हर दस्तावेज ग्राम सभा को बिना मांगे उपलब्ध करवाएंगे. यही कारण है कि आज भी देश भर में लोगों को केवल ३ प्रतिशत सामुदायिक हक मिल पाए हैं. ऐसे में समावेशी विकास और सहभागिता के मौजूदा चेहरे पर कितना विश्वास किया जाना चाहिए?
भेदभाव अभी भी सबसे बड़ी चुनौती है. पारंपरिक रूप से दलितों के साथ जन्म से लेकर मृत्यु तक छुआछूत की व्यवस्था बनी रही है. स्कूल में बच्चों के साथ भेदभाव, कुएं पर पानी भरने और दलित व्यक्ति को घोड़ी पर चढ़ कर बारात ले जाने तक की अनुमति नहीं रही. आज भी दलित के पास जमीन है भी तो उस पर ऊँची जाति का कब्ज़ा बरकरार है. इसी श्रृंखला में अब भेदभाव का नया रूप जुड़ गया है. श्योपुर जिले के कराहल विकास खंड के एक गांव में १० बच्चे मध्यान्ह भोजन नहीं करते हैं; वे कहते हैं कि हम किसान है. इसी तरह सीहोर में भी अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चे स्कूल का खाना नहीं खाते हैं, क्योंकि दलित महिलाओं का समूह भोजन पकाता है. अब तक ऊँची जातियां दलितों और आदिवासियों को भेदभाव के नाम पर बाहर धकेलती रही हैं; पर अब वे खुद के बहिष्कार की सोची समझी तकनीक के जरिये भेदभाव और ऊँचे-नीचे होने की भावना को बरकरार रखने की दिशा में बढ़ गयी हैं.
इसी दौर में भारत में पंचायतों में महिलों के लिए ५० प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर दी गयी; पर २० सालों के अनुभव बताते हैं कि लोगों को सत्ता सौंपने के मकसद से स्थापित विकेन्द्रीकरण की इस व्यवस्था में उन्हे न तो शक्ति संपन्न बनने के लिए प्रशिक्षण की कोई ठोस व्यवस्था की गयी, न ही उनके संरक्षण की कोई व्यवस्था खड़ी की गयी. सहभागिता के नाम पर महिलाओं, दलित और आदिवासियों को एक तरफ आरक्षण दिया गया, तो वहीँ दूसरी तरफ व्यावस्था ऐसे बुनी गयी कि वंचित समुदायों के ये वंचित प्रतिनिधि ऊँची जातियों, ऊँची जातियों के प्रतिनिधियों और नौकरशाही के नए उपनिवेश बन गए. सरकार की उलझावदार व्यावस्था में अच्छे-अच्छे फँस जाते हैं, वहाँ पंचायत सचिवों को ताकतवर बना दिया गया और उन्होंने नौकरशाही के साथ गठजोड़ करके चुने हुए जनप्रतिनिधियों को ऐसा फंसाया कि विकेन्द्रीकरण की सोच पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया. कुल मिला कर बात यह है कि चुने हुए प्रतिनिधियों को सरकार ने क्रियान्वयन के काम में जुटा दिया, अंतिम निर्णय लेने के अधिकार नौकरशाही को दे दिए और ऐसा माहौल बनाया कि पंचायत में जन-सहभागिता का मतलब समुदाय में बिखराव हो गया. मध्यप्रदेश की ग्रामपंचायत अपने सचिव (जिसे लोग मंत्री कहते हैं) को नहीं हटा सकती है न शिक्षक को नहीं हटा सकती है. उन्हे यह अधिकार दिया गया है कि वे सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के हितग्राहियों का चयन करें; वे २० पात्र लोगों का चयन करते हैं पर सरकार १० लोगों को पेंशन देती है; इससे लोगों के मन में भी पंचायत व्यवस्था के खिलाफ अविश्वास पैदा होता है. जैसे भारत की सरकार और संसद में किसी भी मांग को खारिज करने के कारण नहीं बताए जाते हैं, वैसे ही पंचायत में भी यह किसी को पता नहीं चलता है कि उन्हे समय पर मजदूरी क्यों नहीं मिल रही है या उनके स्कूल में शिक्षक क्यों नहीं है? बस लोगों को चुपचाप स्थिति को "जहाँ है जैसी है" के सिद्धांत पर ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेने की बाध्यता है. यही उनकी राज्य के प्रति जिम्मेदारी है.
राजनीतिक व्यवस्था में सहभागिता सुनिश्चित किये बिना लोकतंत्र में सहभागिता आयेगा; यह कल्पना करना बेमानी है. वर्ष २०१३ में जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं; वहाँ चुनावी प्रक्रियाएं इस बात से तय होती हैं कि किस विधान सभा क्षेत्र में कितने दलित, कितने आदिवासी, कितने मुसलमान और कितने पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं. इसी आधार पर उम्मीदवारी तय होती है. फिर यह देखा जाता है कि जैन, अग्रवाल या यादव कितने हैं!! इन आधारों पर संपन्न होने वाले चुनावों के बाद जो व्यवस्था बनेगी क्या वह समग्र समाज की सहभागिता की पक्षधर होगी?
दो साल पहले भारत की वृद्धि दर ९ प्रतिशत सालाना थी. इस साल अनुमान था कि यह ५.५ प्रतिशत रहेगी, पर अप्रैल २०१३ की पहली तिमाही में वृद्धि दर ४.४ प्रतिशत रही. पिछले कुछ सालों में हमने खूब आर्थिक विकास किया क्योंकि तब हम अपने संसाधनों (खनिज़, जंगल, नदियों और श्रम) का एकसाथ बेतरतीब शोषण कर रहे थे, उन्हे बेंच रहे थे. इससे खूब पैसा आ गया. हज़ारों लाखों साल में इन संसाधनों से संपन्न हुए थे. हमरे विकासकार इन संसाधनों को एक ही बार में उपयोग में ले आना कहते हैं. आप एक कोयला या बाक्साईट निकाल सकते हैं; फिर जब २० से ३० सालों में यह खत्म हो जायेगा तो क्या करेंगे? समाज, खास तौर पर आदिवासी समाज इस लूट का विरोध करता रहा है. वह जानता है कि प्रकृति और इंसान का विकास एक दूसरे पर निर्भर है; परन्तु संसाधनों के शोषण आधारित विकास को लागू करने के लिए सत्ता ने हर तरह के हथियारों का उपयोग किया. अब विकास के बीस सालों के बाद चमक का तारा टूटने लगा क्योंकि सरकार के एजेंडे में प्रकृति का संरक्षण रहा ही नहीं. अगस्त २०१३ में वित्तमंत्री ने इसे साबित भी कर दिया. उन्होंने अर्थव्यवस्था को फिर से विकास की पटरी पर लाने के लिए संसद के सामने १० बिंदुओं की एक कार्ययोजना रखी.; उसमे समाज की प्राथमिकताओं और सहभागिता का कोई जिक्र ही नहीं था. कुछ मामलों में (जैसे नियमागिरी में आदिवासियों के हक) सर्वोच्च न्यायालय की सक्रीय भूमिका को सरकार विकास की राह में रोड़ा मानती है. यानी सरकार आश्वस्त है कि आर्थिक विकास तो बिना सहभागिता के ही होगा; सहभागिता में तो लोग योजना बनायेंगे, प्राथमिकताएं भी वे ही तय करेंगे और निगरानी भी उन्ही की होगी; इससे जिस तबके के हितों को हमारी सरकारें संरक्षित करना चाहती हैं, उनका विकास तो हो ही नहीं पायेगा.
छत्तीसगढ़ में ग्राम सभाओं ने तय किया कि वे इस बात के पक्ष में नहीं हैं कि प्राकृतिक संसाधन कंपनियों और माफियाओं को लूटने के लिए सौंप दिए जाएँ. वे सरकार की विकास की परिभाषा को खारिज कर रहे थे. यदि सहभागिता एक मूल्य है तो उन्हे इसका अधिकार दिया जाना चाहिए था. पर इसके उलट सत्ता ने उनके खिलाफ बंदूकें तान दीं और ६०० गांवों के लोगों को अपनी जगह से बेदखल करके शरणार्थी बना दिया गया. इस व्यवस्था में सहभागिता का सिद्धांत कहाँ लागू होगा?
शासन व्यवस्था का मौजूदा चरित्र ही ऐसा है कि वह लोगों की सहभागिता को पचा ही नहीं सकती. चूँकि लोकतंत्र में सहभागिता का जिक्र होना जरूरी है इसलिए वह इसका भ्रम पैदा कर देती है. इसमे देश का बजट बनाते समय वित्तमंत्री जी कंपनियों और उद्योगपतियों के संगठनों के मंच पर जाकर उनकी बात को सुनते और समझते हैं; पर किसानों, महिलाओं, मजदूरों, आदिवासिओं और दलितों के खुले मंचों पर उन्हे जाने की हिम्मत नहीं होती. अभी सहभागिता का मतलब सत्ता में निर्णायक हिस्सेदारी नहीं है.

About the Author: Mr. Sachin Kumar Jain is a development journalist, researcher associated with the Right to Food Campaign in India and works with Vikas Samvad, AHRC's partner organisation in Bhopal, Madhya Pradesh. The author could be contacted at sachin.vikassamvad@gmail.comTelephone: 00 91 9977704847
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About AHRC: The Asian Human Rights Commission is a regional non-governmental organisation that monitors human rights in Asia, documents violations and advocates for justice and institutional reform to ensure the protection and promotion of these rights. The Hong Kong-based group was founded in 1984.

This is second and concluding part of a 2 part article on illusion of participation in Indian democracy.

INDIA: सत्ता में सहभागिता का भ्रम -1//सचिन कुमार जैन

Monday, September 23, 2013

16वीं राष्‍ट्रीय एकता परिषद की बैठक में प्रस्‍ताव पारित

23-सितम्बर-2013 20:28 IST
हर प्रकार की हिंसा की निंदा की
आज यहां राष्‍ट्रीय एकता परिषद की 16वीं बैठक में पारित प्रस्‍ताव का मूलपाठ इस प्रकार है:- 

‘’राष्‍ट्रीय एकता परिषद 23 सितंबर, 2013 को आयोजित अपनी 16वीं बैठक में सर्वसम्‍मति से प्रस्‍ताव करती है:- 

सामप्रदायिक सौहार्द को भंग करने के लिए हर प्रकार की हिंसा की निंदा की जाती है और इस तरह की हिंसा करने वालों के साथ कानून के तहत तुरंत और सख्‍ती के साथ निपटा जाएगा। 

सभी समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को कायम रखने और मजबूत बनाने तथा सामानयता समान्‍य के साथ सभी नागरिकों को आजादी के साथ जीवन बिताने के योग्‍य बनाने के लिए सभी उपाय किये जाएंगे। 

यह भी प्रस्‍ताव किया जाता है कि सरकार और हितधारक कानून के दायरे के अंदर लोगों के बीच मौजूद विवादों और असहमतियों को दूर करने के लिए सभी उपाय करेंगे। साथ ही अपने धर्मनिरपेक्ष और बहुलतावादी सामाज को मजबूत बनाने के लिए संस्‍थानों का गठन करेंगे। परिषद सर्वसम्‍मति से यह भी प्रस्‍ताव करती है- अनुसूचित जनजातियों एवं जनजातियों पर लगातार होने वाले अत्‍याचारों की निंदा की जाती है और इस संबंध में विभिन्‍न कानूनों और वशिेष अधिनियमों के तहत अत्‍याचार करने वालों के खिलाफ ऐसे अपराधों के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

परिषद यह भी प्रस्‍ताव करती है कि उपरोक्‍त वर्गों का समावेश सामाज के अन्‍य वर्गों के साथ समान स्‍तरों पर किये जाने का अथक प्रयास किया जाता रहेगा। 

परिषद यह भी प्रस्‍ताव करती है कि मैला ढोने की अमानवीय और असम्‍मानजनक श्रम के अन्‍य तरीकों को समाप्‍त किया जाएगा। इसके साथ ही इन कार्यों में लगे हुए लोगों को वैकल्पिक रोजगार प्रदान किया जाएगा ताकि वे सम्‍मान के साथ जीवन जी सकें। 

परिषद सर्वसम्‍मति से यह भी प्रस्‍ताव करती है- 

महिलाओं के प्रति हिंसा और यौन उत्‍पीड़न की निंदा की जाती है और ऐसे अपराधियों के विरूद्ध कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा कड़ी कार्रवाई किया जाना सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, आपराधिक न्‍याय प्रणाली के तहत ऐसे मामलों की जल्‍द सुनवाई की जाएगी। 

परिषद यह भी प्रस्‍ताव करती है यह सुनिश्चित किया जाएगा कि महिलाओं को अपने सामाजिक और आर्थिक विकास के सम्‍मान अवसर मिले और वे आजादी का लाभ उठा सकें। उन्‍हें रात और दिन किसी भी समय कहीं भी आने-जाने के अधिकार की सुरक्षा की जाएगी। 
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वि.कासोटिया/अरुण/मनोज-6345

किशन पटनायक स्मृति व्याख्यान

Sun, Sep 22, 2013 at 2:51 PM
नई दिल्ली:22 सितम्बर 2013:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरोसाहित्य वार्ता की ओर से किशन पटनायक स्मृति व्याख्यान का आयोजन दिनांक- 24 सितम्बर 2013 (मंगलवार) की शाम को ठीक 5 बजे किया जा रहा है। इस आयोजन का विषय होगा-वास्तविक लोकतंत्र : सारी सत्ता स्वशासी संस्थाओं को। इसमें भाग लेने वाले प्रमुख वक्ता होंगें-रविकिरण जैन और इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे जस्टिस राजेन्द्र सच्चर। इसका स्थान होगा स्थान - संगोष्ठी कक्ष (तीसरा तल)साहित्य अकादमी, 35, फिरोजशाह रोड, नई दिल्ली।  यदि आयोजनं स्थल पर पहुँचने में किसी को कोई दिक्कत आती है तो ओप्प्र कार्ड में दिए गए नंबरों पर सम्पर्क किया जा सकता है। 
उम्मीद की जनि चाहिए की इस आयोजन से चेतना के ए आयाम खुलेंगे और आज के युग में वास्तविक लोकतंत्र को पाने के रास्तों की बात भी होगी और इन मार्गों पर आने वाली रुकावटों से निपटने के समाधान पर भी विचार होगा। इसके अगले ही दिन होगा आदिवासी भाषा-साहित्य के  विकास की समस्याओं पर गंभीर। इसी स्थान पर दुसरे दिन होगा प्रोफैसर जयदेव मेमोरियल लेक्चर फॉर्म और साहित्य वार्ता की ओर से एक संयुक्त आयोजन। शाम को पांच बजे शुरू होने वाले इस आयोजन में वीर भारत तलवार तो होंगें मुख्य वक्ता और इसकी अध्यक्षता करेंगी रमणिका गुप्ता।  


Sunday, September 22, 2013

किशनगढ़ हवाई अड्डे की आधारशिला

21-सितम्बर-2013 17:22 IST
आधारशिला रखे जाने के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन 
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने आज राजस्थान में किशनगढ़ हवाई अड्डे की आधारशिला रखी। इस अवसर पर दिया गया प्रधानमंत्री का भाषण इस प्रकार है - 
“आज का दिन एक यादगार दिन है। आज किशनगढ़ हवाई अड्डे को पूरी तरह से कार्यशील हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने के प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई है। यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो इस क्षेत्र में विकास की बहुत सारी नई संभावनाएं पैदा करेगा। 

मैं अपने कैबिनेट साथी श्री अजीत सिंह जी और नागर विमानन मंत्रालय और भारत के विमान पत्तन प्राधिकरण के उन तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को इस मुकाम तक पहुंचाया है। मैं, राजस्थान के मुख्य मंत्री श्री अशोक गहलोत जी को बधाई देता हूं, जिन्होंने राजस्थान राज्य के फ़ायदे के लिए इस प्रोजेक्ट तथा तमाम अन्य योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम किया है। 

आज ही के दिन जयपुर में मेट्रो योजना की आधारशिला भी रखी जाएगी। मेट्रो प्रोजेक्ट विकास के रास्ते पर श्री अशोक गेहलोत जी का एक और साहसिक कदम होगा। उनको राजस्थान की जनता की भलाई की जो फ़िक्र है वो काबिले तारीफ़ है। 

श्री सचिन पायलट, बहुत दिनों से यह कोशिश करते रहे हैं कि किशनगढ़ हवाईअड्डे को विकसित करने का काम जल्द से जल्द शुरू हो। मैं उनकी मेहनत और लगन की भी बहुत तारीफ करता हूं। मैं समझता हूं कि यह राजस्थान की जनता की खुशकिस्मती है कि उन्हें श्री सचिन पायलट जैसे प्रतिनिधि मिले हैं। 

राजस्थान दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां की सांस्कृतिक विरासत बहुत ही समृद्ध है। इस राज्य की कुदरती खूबसूरती, दिलचस्प रीति-रिवाज, गौरवशाली इतिहास और अनोखी कलाओं की वजह से ही यहाँ का पर्यटन उद्योग इतना विकसित हो पाया है। दरअसल इस राज्य का सबसे प्रसिद्ध स्थान अज़मेर यहां से थोड़ी ही दूरी पर है। अज़मेर में हज़रत ख़्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती जी की दरगाह है, जिसको सभी धर्मों के लोग पवित्र मानते हैं। 

इस इलाके में कई और खूबसूरत और प्रसिद्ध स्थान हैं। पुष्कर ब्रह्मा जी के मंदिर और वहां लगने वाले वार्षिक मेले के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। ब्यावर, नागौर और चित्तौड़गढ़ शहर पूरे देश के लिए संगमरमर, कपड़ा और सीमेंट उद्योगों की दृष्टि से बहुत अहमियत रखते हैं। 

हालांकि यह क्षेत्र सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है, लेकिन यहां हवाई सुविधाओं की कमी रही है। यहां के लोगों के लिए सबसे नज़दीक हवाई अड्डा जयपुर है, जो यहां से लगभग 150 कि.मी. दूर है। 

किशनगढ़ हवाई अड्डा पूरी तरह बन जाने से वह सभी पर्यटक इस क्षेत्र में आसानी से पहुंच सकेंगे, जो हवाई मार्ग के रास्ते यहां आना चाहते हैं। इससे पर्यटन, कारोबार और तीर्थयात्राओं को बहुत बढ़ावा मिलेगा और इसकी वजह से इस क्षेत्र के औद्योगिक और आर्थिक विकास में बहुत तेजी आएगी। 

हमारे देश में अक्सर हवाई अड्डों को आमतौर पर अमीरों के लिए एक सहूलत माना जाता है। लेकिन अब हवाई संपर्क विकास के लिए एक जरूरत बन गई है। हवाई मार्ग की कमी किसी भी क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में एक बड़ी बाधा हो सकती है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही इसके फायदे पूरी तरह सामने आने लगेंगे। 

देश में हवाई अड्डों का बुनियादी ढांचा विकसित करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता रही है। मुझे खुशी है कि नागर विमानन मंत्रालय ने इस दिशा में कड़ी मेहनत की है। हालांकि शुरुआत में देश के महानगरों में बड़े-बड़े हवाई अड्डे बनाने पर ज़ोर दिया गया, लेकिन अब छोटे-छोटे शहरों में छोटे हवाई अड्डों का एक network विकसित करने की एक महत्वाकांक्षी योजना लागू की जा रही है। हमारी योजना से देश के विभिन्न शहरों और कस्बों में 100 से अधिक छोटे हवाई अड्डे बनाए जाएंगे जिनकी वजह से पूरा देश हवाई यातायात से आसानी से जुड़ जाएगा। किशनगढ़ हवाई अड्डे का विकास इस कोशिश के तहत शुरु किया जाने वाला पहला प्रोजेक्ट है। मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले समय में देश और राजस्थान के लोग ऐसे ही कई और हवाई अड्डे बनते हुए देखेंगे। 

पिछले 10 सालों के दौरान, हमारे देश में हवाई यात्रियों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। आने वाले वक्त में यह संख्या और भी बढ़ेगी। पिछले साल हवाई यात्रियों की संख्या देश भर में 16 करोड़ थी और 2020 के अंत तक इसके 30 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। हमारे देश में हवाई अड्डों के विकास के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी ताकि तेजी से बढ़ती हुई हवाई यातायात की जरूरतें पूरी हो सकें। इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र – दोनों को ही भारी निवेश करने की आवश्यकता है। 

मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि राजस्थान जैसे राज्य ने अधिक से अधिक छोटे हवाई अड्डे बनाए जाने की अहमियत को बखुबी समझ लिया है। मुझे विश्वास है कि इस काम में नागर विमानन मंत्रालय इस राज्य को पूरा-पूरा सहयोग देगा। 

अपनी बात खत्म करने से पहले मैं हम सबकी उस महान विरासत का ज़िक्र करना चाहूंगा जो अजमेर में मौज़ूद है। ख़्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती जी की दरगाह भाईचारे और शांति की एक शानदार मिसाल पेश करती है। दरगाह में सभी धर्मों के लोग दुआ मांगने आते हैं। मेरा यह मानना है कि हमें इस पवित्र दरगाह से जो सीख मिलती है वह आज उस वक्त और भी महत्वपूर्ण है जब देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ है। नफरत और हिंसा से जुड़ी सोच और कामों से किसी को भी फ़ायदा नहीं होता है। भारत सहनशीलता, सभी धर्मों का सम्मान और अपने से अलग विचारधाराओं का आदर करने जैसे सिद्धांतों की बुनियाद पर ही एक महान राष्ट्र बना है। हमारे देश में विविध धर्मेां, समुदायों, भाषाओं एवं जाति के लोगों के बीच हमेशा शांतिपूर्ण संबंध रहे हैं। हम सब के सामने एकमात्र रास्ता यह है कि हम इन महान परंपराओं का पूरी तरह पालन करें। 

नागर विमानन मंत्रालय और राज्य सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन पर मुझे यहाँ आने का निमंत्रण दिया, इसके लिए मैं उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूं। मैं इस प्रोजेक्ट को और आप सबको अपनी बहुत सारी शुभकामनाएं देता हूं।” (PIB)

वीके/पीके/डीके/एस/आरके/एसकेबी-6319

राष्ट्रपति कल से विभिन्न राज्यों की यात्रा पर

21-सितम्बर-2013 20:07 IST 
23 से 26 सितंबर के तक कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी की यात्रा 
आन्ध्र प्रदेश से  सुश्री हेमलता की अगुवानी में आये एक महिला शिष्टमंडल से भेंट करते हुए राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी (PIB )
नई दिल्ली:21 सितम्बर 2013:(पीआईबी): राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी 23 से 26 सितंबर, 2013 के दौरान कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी की यात्रा करेंगे। 

कर्नाटक में राष्ट्रपति 23 सितंबर, 2013 को मैसूर में जेएसएस महाविद्यापीठ के जेएसएस अस्पताल का शुभारंभ करेंगे। वे 24 सितंबर, 2013 को सैनिक स्कूल बीजापुर के स्वर्ण जयंती समारोहों का भी शुभारंभ करेंगे। 

तमिलनाडु में श्री प्रणब मुखर्जी 24 सितंबर, 2013 को चेन्नई में दक्षिण भारतीय फिल्म कामर्स चैंबर द्वारा आयोजित भारतीय सिनेमा के शताब्दी समारोहों की शोभा बढ़ाएंगे। 

पुडुचेरी में राष्ट्रपति 25 सितंबर, 2013 को पांडचेरी विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे। उसी दिन वे श्री अरविंदो आश्रम जाएंगे और श्री अरविंदो अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केंद्र के विद्यार्थियों को संबोधित करेंगे। (PIB)
वीके/पीके/डीके/एस/आरके/एसकेबी-6322

Saturday, September 21, 2013

राष्ट्रपति ने साम्प्रदायिक हिंसा को विक्षिप्तता बताया

21-सितम्बर-2013 20:10 IST
श्री प्रणब मुखर्जी ने किया विभिन्न धर्मों के नेताओं को संबोधित
शांति एवं भाइचारा फैलाने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया 
नई दिल्ली:21 सितम्बर 2013: (पीआईबी): राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने धर्मों के बीच और साम्प्रदायिक हिंसा को विक्षिप्तता बताया है। उन्होंने इस पर दुख प्रकट करते हुए शांति, भाइचारे और अहिंसा के प्रसार के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया है। 

श्री प्रणब मुखर्जी ने आज अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस (21 सितंबर, 2013) के अवसर पर अखिल भारतीय अहिंसा परमो धर्म जागरूकता अभियान के शुभारंभ के दौरान राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में विभिन्न धर्मों के नेताओं को संबोधित किया। 

राष्ट्रपति ने कहा कि अखिल भारत अखिल आस्था अभियान का उद्देश्य हिंसा मुक्त समाज बनाना है। उन्होंने कहा कि अहिंसा और शांति हमारी सभ्यता की प्राथमिक शिक्षा है। कोई धर्म हिंसा नहीं सिखाता। प्रत्येक धर्म प्रेम, करुणा और सेवा की शिक्षा देता है। श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की सभ्यता पांच हजार वर्ष पुरानी है जहां भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने अहिंसा के उपदेश दिए। भारत हमेशा सभी आस्था, विश्वास, धर्मों और रीति-रिवाजों को मानता आया है। 

इस अवसर पर ब्रह्म कुमारी की 97 वर्ष की दादी जानकी, भारतीय बहाई समुदाय के राष्ट्रीय न्यासी डॉ. ए. के. मर्चेन्ट, फादर डोमिनिक इमानुएल, दिल्ली कैथोलिक आर्कडियोसी के निदेशक फादर डोमिनिक इमानुएल, जमायते इस्लामी हिंद के सचिव इजाज अहमद असलम, भारतीय महाबोधि सोसायटी के वेन आर सुमितानंदा जैसे सभी धर्मो के नेता उपस्थित थे। (PIB)
वीके/पीके/डीके/एस/आरके/एसकेबी-6323

Friday, September 20, 2013

भारत में अल्‍पसंख्‍यकों का विकास//विशेष लेख/PIB

13-सितम्बर-2013 20:51 IST
विश्‍व के सभी बड़े धर्मों के अनुयायी भारत में भी हैं
    भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां सभी समुदायों के लोग शांति एवं सद्भाव से रहते हैं। विश्‍व के सभी बड़े धर्मों के अनुयायी भारत में भी हैं। यहां हिन्‍दू बहुसंख्‍यक हैं और राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग, अधिनियम, 1992 के तहत मुस्लिमों, सिखों, ईसाइयों, बौद्ध एवं पारसियों को अल्‍पसंख्‍यक का दर्जा प्राप्‍त है।
    देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। सरकार ने इन समुदायों के सामाजिक-आर्थिक उत्‍थान के लिए समय-समय पर विभिन्‍न कार्यक्रम एवं योजनाएं संचालित की है।

    इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के सशक्‍तीकरण और उनकी संस्‍कृति, भाषा एवं धार्मिक स्‍वरूप को बनाए रखने के लिए अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय का गठन किया है। इस मंत्रालय का लक्ष्‍य सकारात्‍मक कार्यों तथा समावेशी विकास के जरिए अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है ताकि एक प्रगतिशील देश के निर्माण में हर नागरिक को बराबर के अवसर मिल सकें। 

   अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की शिक्षा, रोजगार, आर्थिक गतिविधियों में बराबर की हिस्‍सेदारी तथा उनका उत्‍थान सुनिश्चित करने के लिए जून 2006 में अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम की घोष्‍णा की गई थी। इसके तहत विभिन्‍न लक्ष्‍यों को निश्चित समयावधि में हासिल किए जाने पर जोर दिया गया है।
इस कार्यक्रम के मुख्‍य उद्देश्‍य इस प्रकार हैं :
1.      शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों को बढ़ावा देना।
2.      मौजूदा एवं नयी योजनाओं के जरिए आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार में अल्‍पसंख्‍यकों की समान हिस्‍सेदारी सुनिश्चित करना, स्‍वरोजगार के लिए ऋण सहायता को बढ़ावा देना तथा राज्‍य एवं केन्‍द्र सरकार की नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्‍व बढ़ाना।
3.      बुनियादी सुविधाओं के विकास से जुड़ी योजनाओं में उनकी पर्याप्‍त हिस्‍सेदारी सुनिश्चित करते हुए उनके जीवन स्‍तर में सुधार लाना।
4.      सांप्रदायिक हिंसा एवं वैमनस्‍यता की रोकथाम तथा नियंत्रण।

   इस कार्यक्रम का मुख्‍य उद्देश्‍य इस बात को सुनिश्चित करना है कि वंचित तबकों के लिए शुरू की गई विभिन्‍न सरकारी योजनाओं का लाभ अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के वंचित वर्गों तक अवश्‍य पहुंचे। इन योजनाओं का लाभ समान रूप से अल्‍पसंख्‍यकों तक पहुंचाने के लिए इस कार्यक्रम में इस बात पर विशेष ध्‍यान दिया गया है कि अल्‍पसंख्‍यक बहुल क्षेत्रों में विकासात्‍मक परियोजनाओं की निश्चित हिस्‍सेदारी हो।

   नए 15 सूत्री कार्यक्रम में शामिल की गईं विभिन्‍न योजनाएं इस प्रकार हैं :
·        महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की समन्वित बाल विकास सेवाएं योजना, इसमें आंगनवाड़ी केन्‍द्रों के जरिए सेवाएं दी जा रही हैं।
·        मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) एवं कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना (केजीबीवी)।
·        ग्रामीण विकास मंत्रालय की आजीविका योजना।
·        आवासीय एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय की स्‍वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना।
·        श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थाओं का आधुनिकीकरण।
·        वित्‍तीय सेवाओं के विभाग की वरीयता सेक्‍टर ऋण योजना के तहत बैंक ऋण की उपलब्‍धता।
·        ग्रामीण विकास मंत्रालय की इंदिरा आवास योजना।

  केन्‍द्र सरकार ने सच्‍चर समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए कुछ सीमित उपाय भी किए हैं। ये इस प्रकार हैं –
·        माध्‍यमिक स्‍तर तक गुणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा की पहुंच, राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान।
·        देश के शैक्षिक रूप से पिछड़े 374 जिलों में प्रत्‍येक में एक मॉडल कॉलेज की स्‍थापना की जाएगी। इन 374 जिलों में से 61 जिलों की पहचान अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों के रूप में की गई है।
·        जिन क्षेत्रों में अल्‍पसंख्‍यक खासकर मुस्लिम अधिक रहते हैं, वहां के विश्‍वविद्यालयों एवं कॉलेजों में महिला छात्रावास की स्‍थापना व्‍यवस्‍था में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग से वरीयता का प्रावधान।
·        क्षेत्र विशेष एवं मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम को संशोधित किया गया है और इसे दो भागों में बांटा गया है।
1.      मदरसों में गुणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा प्रदान करने की योजना। इसमें बेहतर शिक्षकों की भर्ती करने, वेतन एवं अन्‍य भत्‍ते बढ़ाने, पुस्‍तकों, कम्‍प्‍यूटरों एवं शिक्षण सहायक उपकरणों की खरीद के लिए सहायता में बढ़ावा देना।
2.      निजी सहायता/गैर सहायता प्राप्‍त शैक्षिक संस्‍थानों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्‍तीय सहायता।
·        अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्‍लामिया विश्‍वविद्यालय, नई दिल्‍ली तथा मौलाना आजाद राष्‍ट्रीय उर्दू विश्‍वविद्यालय, हैदराबाद में उर्दू माध्‍यम के शिक्षकों के लिए पेशेवर अकादमियों की स्‍थापना।

  इसके अलावा केन्‍द्र सरकार ने 2008-09 में बहु-आयामी विकास कार्यक्रम भी शुरू किया है। इस कार्यक्रम का मुख्‍य उद्देश्‍य अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों में लोगों के जीवन की गुणवत्‍ता में सुधार लाना, विभिन्‍न प्रकार के असन्‍तुलनों को कम करना तथा सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है।

   विकास के नजरिए से जो जिले मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, उनके लिए विशेष योजना बनाई गई है, जिसमें स्‍कूली एवं माध्‍यमिक शिक्षा की बेहतर व्‍यवस्‍था, साफ सफाई पर ध्‍यान देना, पक्‍के घरों का निर्माण, स्‍वच्‍छ पेयजल एवं बिजली की उपलब्‍धता तथा आय बढ़ाने वाली लाभार्थी आधारित योजनाएं शामिल हैं। इसमें इस बात पर ध्‍यान दिया गया है कि जीवन स्‍तर में सुधार लाने के लिए बुनियादी सुविधाओं जैसे बेहतर सड़क संपर्क, मूलभूत स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं, कौशल विकास एवं विपणन सुविधाओं का होना जरूरी है।

   इसके अलावा अल्‍पसंख्‍यक मामलों का मंत्रालय अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के छात्रों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्‍त बनाने की दिशा में उन्‍हें विभिन्‍न छात्रवृत्तियां उपलब्‍ध करा रहा है।

   इसमें शामिलि छात्रवृत्तियां इस प्रकार हैं –
1.      प्री मैट्रिक स्‍कॉलरशिप स्‍कीम
2.      पोस्‍ट मैट्रिक स्‍कॉलरशिप स्‍कीम
3.      मैरिट-मींस स्‍कॉलरशिप स्‍कीम
4.      मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप
5.      मुक्‍त कोचिंग एवं अन्‍य योजनाएं
6.      अल्‍पसंख्‍यक वर्ग की महिलाओं के लिए नेतृत्‍व विकास योजना
7.      राज्‍यों में राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक विकास एवं वित्‍तीय निगमों से जुड़ी एजेंसियों को अनुदान योजना।

   इस प्रकार केन्‍द्र सरकार अल्‍पसंख्‍यक वर्गों के उत्‍थान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि जीवन के हर क्षेत्र में वे दूसरों के साथ सम्‍मान से खड़े होकर गौरवपूर्ण जीवन जी सकें। (PIB)

वि.कासोटिया/जेके/अनिल/मनोज/दयाशंकर- 191