23-सितम्बर-2013 19:54 IST
इस समय खर्च है जीडीपी की एक दशमलव दो प्रतिशत धनराशि
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि स्वस्थ, प्रगतिशील और विश्व में अग्रिम पंक्ति में गिने जाने वाले भारत के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया जाना नितांत आवश्यक है। भारत इस समय स्वास्थ्य क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की एक दशमलव दो प्रतिशत धनराशि ही खर्च कर रहा है, जबकि अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और ब्राजील जैसे देशों में यह खर्च जीडीपी के चार प्रतिशत तक है। श्री प्रणब मुखर्जी आज कर्नाटक के मैसूर नगर में जगद गुरू श्री शिवा-रथरीश्वर महा-विद्या-पीठ के अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा और पोषण की सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा शालीन जीवन शैली प्रदान करके हमें अपनी जन क्षमताएं बढ़ानी होंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि उपग्रह प्रौद्योगिक के इस्तेमाल से हमने हाल में दूर-दराज के चिकित्सा केंद्रों को शहरी क्षेत्रों में स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों से जोड़ने में सफलता हासिल की है। लेकिन अभी इस सुविधा के प्रसार-प्रचार की बहुत बड़ी आवश्यकता है। हमें नवोन्मेष के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है, अनेक रोगों का प्रभावी और कम खर्चीला इलाज ढूंढना है, इस समय आयात किये जा रहे चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े आधुनिक उपकरणों को स्वदेश में ही बनाना है, चिकित्सा शिक्षा को और बेहतर करना है, अनुसंधान केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों को नवोन्मेष के लिए प्रो़त्साहित करना है और डॉक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रेरित करना है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि बीमारियों की रोकथाम वाली चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार गरीबोन्मुखी और विकासोन्मुखी साबित होता है। आधुनिक जीवन शैली से पैदा होने वाली बीमारियों के लिए इस तरह की सुविधाएं और भी जरूरी हो गई हैं। बीमारियों की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर जन-शिक्षण अभियान आवश्यक है। इसमें संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियां, जीवन शैली प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण भी शामिल किया जाना चाहिए तथा व्यक्ति और समुदाय दोनों को लक्षित करके चलना चाहिए। श्री शिवा-रथरीश्वर महा-विद्या-पीठ की स्थापना एक गैर लाभकारी संगठन के रूप में 1954 में जगद गुरू वीर सिम्हासन पीठ (सुत्तूर) के डॉक्टर श्री शिवाराथरी राजेन्द्र महा स्वामी जी ने की थी।
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वि.कासोटिया/नरेश/सोनिका-6338
इस समय खर्च है जीडीपी की एक दशमलव दो प्रतिशत धनराशि
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि स्वस्थ, प्रगतिशील और विश्व में अग्रिम पंक्ति में गिने जाने वाले भारत के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया जाना नितांत आवश्यक है। भारत इस समय स्वास्थ्य क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की एक दशमलव दो प्रतिशत धनराशि ही खर्च कर रहा है, जबकि अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और ब्राजील जैसे देशों में यह खर्च जीडीपी के चार प्रतिशत तक है। श्री प्रणब मुखर्जी आज कर्नाटक के मैसूर नगर में जगद गुरू श्री शिवा-रथरीश्वर महा-विद्या-पीठ के अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा और पोषण की सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा शालीन जीवन शैली प्रदान करके हमें अपनी जन क्षमताएं बढ़ानी होंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि उपग्रह प्रौद्योगिक के इस्तेमाल से हमने हाल में दूर-दराज के चिकित्सा केंद्रों को शहरी क्षेत्रों में स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों से जोड़ने में सफलता हासिल की है। लेकिन अभी इस सुविधा के प्रसार-प्रचार की बहुत बड़ी आवश्यकता है। हमें नवोन्मेष के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है, अनेक रोगों का प्रभावी और कम खर्चीला इलाज ढूंढना है, इस समय आयात किये जा रहे चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े आधुनिक उपकरणों को स्वदेश में ही बनाना है, चिकित्सा शिक्षा को और बेहतर करना है, अनुसंधान केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों को नवोन्मेष के लिए प्रो़त्साहित करना है और डॉक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रेरित करना है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि बीमारियों की रोकथाम वाली चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार गरीबोन्मुखी और विकासोन्मुखी साबित होता है। आधुनिक जीवन शैली से पैदा होने वाली बीमारियों के लिए इस तरह की सुविधाएं और भी जरूरी हो गई हैं। बीमारियों की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर जन-शिक्षण अभियान आवश्यक है। इसमें संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियां, जीवन शैली प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण भी शामिल किया जाना चाहिए तथा व्यक्ति और समुदाय दोनों को लक्षित करके चलना चाहिए। श्री शिवा-रथरीश्वर महा-विद्या-पीठ की स्थापना एक गैर लाभकारी संगठन के रूप में 1954 में जगद गुरू वीर सिम्हासन पीठ (सुत्तूर) के डॉक्टर श्री शिवाराथरी राजेन्द्र महा स्वामी जी ने की थी।
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वि.कासोटिया/नरेश/सोनिका-6338
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