मधु गजाधर की कविता मेरा देश चर्चामंच पर
बहुत सी तमन्नाएं होती हैं जो कभी पूरी नहीं होतीं, बहुत से खवाब होते हैं जो बुरी तरह टूट जाते हैं, बहुत सी बातें होतीं हैं जो अनकही रह जातीं हैं...हम सभी की ज़िन्दगी में यह सिलसिला ऐसे ही चलता है. हम जिम्मेदारियों के बोझ तले दब कर मुस्कराहट के मुखौटे पहने हुए कब अपनी बारी आने पर किसी और दुनिया में पहुंच जाते हैं कुछ पता नहीं चलता. मन का यह दर्द रोज़ रोज़ हार जाता है. अंतर आत्मा पर बोझ बनता है लेकिन न कभी टूटता है और न ही अपनी हर को स्वीकार करता है. हर रोज़ जगा लेता है नयी उम्मीद का चिराग. हर सफ़र के बाद लगा लेता है पांवों के छालों पर मरहम और फिर मुस्कराते हुए चल पड़ता है अनदेखी अनजानी मंजिलों की तरफ. ज़िन्दगी के इन रंगों को नज़दीक से देखने और फिर उन्हें शब्दों में पिरो सकने की क्षमता रखने वाली संगीता स्वरुप ( गीत ) ने एक खुशखबरी भेजी है.उन्होंने मधु गजाधर की एक कविता चर्चा मंच में शामिल करने की सूचना दी है. उन्होंने बताया कि मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना "मेरा देश ...." इस बार चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है ....." सभी स्नेहियों से निवेदन है कि वे कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार". गौरतलब है कि मधु गजाधर मलेशिया में रहती हैं और वहां के राष्ट्रीय टीवी और रेडियो के लिए कई तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं. आप भी उनकी रचना को जानें और उस पर अपने अनमोल विचार दें. --रेक्टर कथूरिया
1 comment:
Shandar awam prabhavi rachnayen Hain.Prashasa ke liye shabd Kum pad rahen Hain. Shubhkamnayen.
Post a Comment