मधु गजाधर |
मित्र Bhopal Mtfc ने भेजा |
मैं मानती हूँ की काव्य के द्रष्टिकोण से कोई भी विशेषता इस में नहीं है पर इस में मेरा देश प्रेम है ... मेरा भारत कोई साधारण देश नहीं है |मैंने लगभग 37 देशों की यात्रा की है |हर देश में मेरी साड़ी , बिंदी और सिन्दूर के आधार पर मेरी पहचान सदा एक भारतीय स्त्री के रूप में हुई ...लोगों ने हर जगह मुझे बहुत मान सम्मान दिया ...वो मान सम्मान मधु के लिए नहीं था ..वो मान सम्मान था मधु की भारतीयता का...वास्तव में मेरे देश के यश मान ने ही मुझे भी मान सम्मानदिलवाया है | आज मेरे देश की आजादी की वर्ष गांठ के शुभ अवसर पर मैं मधु गजाधर मारीशस के इस छोटे से द्वीप से ,जिसे लघु भारत भी कहा जाता है ,भारत और विश्व भर में फैले भारतीय मूल केसमस्त लोगों और भारत के सभी मित्रों को शुभ कामना देती हूँ ...मेरे देश भारत की यश पताका विश्व के गगन मंडल पर सदा गर्व से लहराती रहे, बहुत शीघ्र भारत विश्व की सब से बड़ी शक्ति बन कर उभरे ,हम जहाँ भी रहे अपने भारत से चिपके रहें ...ऐसी मैं मंगल कामना करती हूँ | --मधु गजाधर
एक कविता...मेरा देश ....by Madhu Gujadhur
देश छुट जाता है,
बाहरी रूप से ,
मगर देश नहीं छुटता
अंतर्मन से
क्यों होता है ऐसा
सिर्फ हमारे साथ,
हम भारतीयों के साथ,
कि किस्मत की हवा जहाँ भी ले जाए हमें ,...
धरती का कोई भी कोना हो ,
कैसे भी लोग हों,कोई भी भाषा हो,
हम भारतीय लोग
कुछ न कुछ कर के ,
छुपा कर, चुरा कर ,दबा कर ,
मुठ्ठी में बंद कर के
और कलेजे से लगा कर ,
अपना भारत ,
अपने साथ ले आते है ,
और फिर वो भारत,
दुनिया के कोने कोने में
हमारे साथ फ़ैल जाता है
कभी हिंदी ,पंजाबी,तमिल,तेलुगु ,गुजराती ,मराठी में
बतियाता है ,
तो कभी,
हींग के तडके में ,
रासम के मसाले में ,
आलू मूली के परांठों में ,
खस्ता कचोरियों में ,
अचार के मसालों में
गंधाता है,
और कभी
आरती के सुर में,
सतनाम के जाप में ,
वैदिक मन्त्रों के कर्ण नाद में ,
छट,करवाचौथ,वट सावित्री,
या अन्नंत चौदस की कथा में
गुंजाता है ,
और कहीं
जयपुरी लहरिया में,
तंजोर में कांजीवरम में ,
पंजाब की फुलकारी में ,
बांधनी में या सिल्क में
लहराता है
और हम जीने लगते है अपने ही साथ लाये उस भारत में
देश छुट जाता है ,
पर देश नहीं छुटता,
अंतर्मन से कभी नहीं छुटता
हाँ भारत देश कभी नहीं छुटता..
क्योंकि ...
भारत कोई देश नहीं है ,
भारत कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है
भारत भोगोलिक सीमाओं में बंधा
कोई मानचित्र नहीं है ,
भारत तो एक भावना है ,
गहरी भावना ,ऐसी भावना ,
जिसे आप महसूस तो कर सकते हैं
पर व्यक्त नहीं कर सकते ,
क्योंकि
भारत एक आत्मा है ,
भारत साँसें है ,
भारत प्राण है ,
और इसीलिए
देश छुट जाता है ,
पर देश नहीं छुटता ,
अंतर्मन से ,
हाँ भारत देश नहीं छुटता
कभी नहीं छुटता
और इस देश का वासी
जीवन की अंतिम घडी में भी
बस यही मांगता है
उस मालिक से,
अगला जनम मोहे भारत में ही दीजौ.....!
12 comments:
सच है ...एक मुट्ठी में बंद कर भारत ले जाते हैं प्रवासी...और यहाँ रहने वाले स्वयं भारत की गरिमा नहीं पहचान पाते ....
सुन्दर अभिव्यक्ति
स्वतंत्रता दिवस की बधाई
सार्थक योगदान !
बहुत खूब !
अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व ..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
बढ़िया लेख
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है....(जय भारत.)
प्रथम स्वतंत्रता दिवस से जुडी कुछ दुर्लभतम तस्वीरें तथा विडियो
सत्य...बहुत बढ़िया.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
स्नेही संगीता जी ,आप ने इस पावन मंच पर एक कोना देकर मुझे जो मान दिया है उस के लिए मैं ,मेरा परिवार और मुझ से जुड़े हुए सभी मेरे अपने ,आप के आभारी है ?आप के इस स्नेह और प्रेम ने एक बार फिर मुझे गर्व से जीने का संबल दिया है ,एक बार फिर मुझे कुछ लिखने की प्रेरणा दी है ..एक बार फिर अहसास करवाया है मुझेकि मेरे देश के लोगों के लिए मैं आज भी अपनी हूँ.....मैं यहाँ पर भाई कथूरिया जी ( पंजाब स्क्रीन )को भी हिरदय के गहराई से धन्यवाद देना चाहूंगी जिन के स्नेह और निस्स्वार्थ भाव से की गयी साहित्य सेवा के फल स्वरूप मैं आप तक पहुच पायी हूँ...... आप सब से बस यही करबद्ध प्रार्थना है कि अपना ये स्नेह अपना आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ बनाए रखना ....इस प्रार्थना के साथ...मधु गजाधर मारीशस से
स्नेही संगीता जी ,आप ने इस पावन मंच पर एक कोना देकर मुझे जो मान दिया है उस के लिए मैं ,मेरा परिवार और मुझ से जुड़े हुए सभी मेरे अपने ,आप के आभारी है ?आप के इस स्नेह और प्रेम ने एक बार फिर मुझे गर्व से जीने का संबल दिया है ,एक बार फिर मुझे कुछ लिखने की प्रेरणा दी है ..एक बार फिर अहसास करवाया है मुझे कि मेरे देश के लोगों के लिए मैं आज भी अपनी हूँ.....मैं यहाँ पर भाई कथूरिया जी ( पंजाब स्क्रीन )को भी हिरदय के गहराई से धन्यवाद देना चाहूंगी जिन के स्नेह और निस्स्वार्थ भाव से की गयी साहित्य सेवा के फल स्वरूप मैं आप तक पहुच पायी हूँ...... आप सब से बस यही करबद्ध प्रार्थना है कि अपना ये स्नेह अपना आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ बनाए रखना ....इस प्रार्थना के साथ...मधु गजाधर मारीशस से
स्नेही संगीता जी ,आप ने इस पावन मंच पर एक कोना देकर मुझे जो मान दिया है उस के लिए मैं ,मेरा परिवार और मुझ से जुड़े हुए सभी मेरे अपने ,आप के आभारी है ?आप के इस स्नेह और प्रेम ने एक बार फिर मुझे गर्व से जीने का संबल दिया है ,एक बार फिर मुझे कुछ लिखने की प्रेरणा दी है ..एक बार फिर अहसास करवाया है मुझे कि मेरे देश के लोगों के लिए मैं आज भी अपनी हूँ.....मैं यहाँ पर भाई कथूरिया जी ( पंजाब स्क्रीन )को भी हिरदय के गहराई से धन्यवाद देना चाहूंगी जिन के स्नेह और निस्स्वार्थ भाव से की गयी साहित्य सेवा के फल स्वरूप मैं आप तक पहुच पायी हूँ...... आप सब से बस यही करबद्ध प्रार्थना है कि अपना ये स्नेह अपना आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ बनाए रखना ....इस प्रार्थना के साथ...मधु गजाधर मारीशस से
बहुत बहुत अच्छा लिखा है. गर्व होने लगा है एक बार फिर भारतीय होने पर.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
http://hastakshep.com/
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