Updated Monday:10th August 2020 at 10:05:32
दूसरी तरफ अजायब सिंह मैनी ने नकारे सभी आरोप
दूसरी तरफ अजायब सिंह मैनी ने नकारे सभी आरोप
मोहाली: 8 अगस्त 2020: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
कभी बहुत पहले साहिर लुधियानवी साहिब ने कहा था:
औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया!
जब जी चाहा मसला कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया!
तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में!
नंगी नचवाई जाती है, ऐय्याशों के दरबारों में!
ये वो बेइज्ज़त चीज़ है जो, बंट जाती है इज्ज़तदारों में!
बस यही कहानी एक बार फिर अपने आप को दोहराती हुई महसूस हुई मोहाली प्रेस क्लब में हुए पत्रकार सम्मेलन के दौरान। खचाखच भर हुआ प्रेस क्लब का हाल और उसमें एक रोती बिलखती हुई औरत पलविंदर कौर पल्लवी। वह भी उसी सिस्टम और समाज का शिकार हुई एक नई पीड़िता थी जिसे पुरुष सत्ता का साया सिर से उठते ही शामलाट की ज़मीन समझ लिया जाता है। दूसरी तरफ आरोपित पुरुष और एक रिटायर्ड उच्च अधिकारी अजायब सिंह मैनी ने इन सभी आरोपों को नकार भी दिया है।
40 से कुछ अधिक उम्र की पल्लवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पति का देहांत होते ही उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। उसने अपने तीन बच्चों को किसी न किसी न किसी तरह संभाला। उसका युवा भान्जा किसी दुसरे शहर में गाड़ियों की खरीदो फरोख्त का काम करता था तो उससे प्रेरणा पा कर वह खरड़ के पॉश इलाके सन्नी एन्क्लेव में मकान किराये पर चढ़वाने और बेचने का काम करने लगी। शायद उसके पति का भी यही काम था। कमीशन से मिले पैसों से घर का गुज़ारा भी अच्छा होने लगा। तीनों बच्चों की परवरिश की ज़िम्मेदारी भी पूरी होने लगी। लेकिन यह ख़ुशी भी ज़्यादा लम्बे समय की मेहमान नहीं थी। इसी ख़ुशी की ओट में भयानक ग़मों का पूरा सिलसिला ही पल्लवी मुस्करा रहा था। नियति कुछ और ही जाल बुन चुकी थी।
यहीं पर एंट्री होती है सन्नी एन्क्लेव में ही रहने वाले एक बारसूख़ और अमीर व्यक्ति अजायब सिंह मैनी की। मैनी पल्लवी के बाप की उम्र जैसा ही लगता है। एक जानेमाने सरकारी विभाग के उच्च पद पर से रिटायर्ड एक वृद्ध सा दिखने वाला व्यक्ति लेकिन जवान दिखने की चाहत किसे नहीं होती सो उसे भी थी। इसलिए दाढ़ी रंग कर वह उम्र से बेहद छोटा भी लगने लगता। पल्लवी के "प्रेम" में वह बन ठन कर भी रहने लगा। वह कभी किसी गाड़ी के बहाने और कभी किसी फ़्लैट के बहाने पल्ल्वी के नज़दीक आने की कोशिशें करने लगा। पल्लवी ने ही उसकी पुराणी तस्वीरें भी मीडिया को दिखायीं। पल्लवी कहती है मुझे भनक तक भी न लगी कि कारोबारी हमदर्दी की आड़ में मेरे आसपास, मेरे ही लिए कोई खतरनाक चकरव्यूह रचा जा है। चक्रव्यूह रचने वालों की बुरी नज़र उस पर भी थी, उसके फ़्लैट पर भी, उसके पास मौजूद उसकी जमा पूंजी पर भी और उसके भविष्य पर भी।
मीडिया के सामने रोती बिलखती पल्लवी कहती गई अपने साथ हुए हर धोखे की बात, हर फरेब की बात और हर झूठ की बात। उसने बताया कि कैसे उसे सरकारी नौकरी देने का झांसा भी दिया गया और इसके बदले में पांच लाख रूपये भी एडवांस में मांगे गए। दो लाख रूपये उसने दे भी दिए। लेकिन न तो उसे नौकरी मिली, न ही उसकी कोई गाड़ी बिकी और न ही उसका कोई फ़्लैट बिका। कारोबारी हमदर्दी सिर्फ बातों तक ही रही। हां इसी बहाने अजायब सिंह मैनी का उसके पास आना जाना बढ़ गया। अब उसने अपनी कथित बुरी नीयत का इज़हार भी खुलकर शुरू किया। एक दिन उसने पल्ल्वी को अकेले देख कर उसने हाथ भी डाल लिया। इतने में ही पल्लवी का भांजा और कुछ आस पड़ोस के लोग शोर सुन कर आ गये। उस दिन तो उसकी इज़्ज़त बच गई लेकिन इसके साथ ही उसे पाने के लिए मैनी की ज़िद भी बढ़ गई। वह जनून की हद तक इसबारे में सोचने लगा। उसने अपनी इस पहली नाकामी को दिल पर ले लिया। इस नाकामी को सफलता में बदलने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार होता चला गया। जल्द ही उसने पल्ल्वी पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया। डराना, धमकाना और अपने मकसद के लिए मनाना उसका रोज़ का रूटीन बन गया। इसी प्रयास में उसने अपने असर रसूख और पैसे का इस्तेमाल करते हुए एक एफआईआर पल्लवी के ही खिलाफ दर्ज करवा दी।
पुलिस पल्लवी को सरेआम सबके सामने पकड़ कर ले गई। पल्लवी ने रो रो कर बताया कि उसे जोर जोर से थप्पड़ मार मार कर मनमाने कागज़ों पर दस्खत करवाए गए। कितने कागज़ों पर हस्ताक्षर करवाए गए वह नहीं जानती। ज़रा सा रूकती तो तड़ाक से थप्पड़ों की बरसात शुरू हो जाती इसके साथ ही गंदी गंदी गालियाँ भी बकी जाती। उसे बुरी तरह मारा पीटा गया। इस मारपीट से बचने के लिए वह हर कागज़ पर दस्खत करती चली गई। इस सरे घटनाक्रम से वह बुरी तरह डर भी गई। उसके ससुराल का परिवार भी उससे अलग हो गया। उसके बच्चे भी उसके खिलाफ हो गए। उसका आसपास का समाज भी उसे शक की नज़र से देखने लगा। पुलिस और मैनी के डर से कोई उसके लिए आगे न आता। इस सारे घटनाक्रम में हाथ लगा उसका मोबाईल भी पुलिस के पास ही है जिस में से मैनी के खिलाफ जाती सभी सामग्री पूरी तरह डिलीट किये जाने की आशंका है। इसी मोबाईल फोन में बातों की रेकार्डिंग भी है और मैनी के वाटसअप मैसेजिज़ भी। घबराहट और निराशा में वह आत्महत्या तक भी सोचने लगी लेकिन बच्चों को कौन सम्भालेगा इसे सोच कर वह फिर रुक जाती।
पुलिस पल्लवी को सरेआम सबके सामने पकड़ कर ले गई। पल्लवी ने रो रो कर बताया कि उसे जोर जोर से थप्पड़ मार मार कर मनमाने कागज़ों पर दस्खत करवाए गए। कितने कागज़ों पर हस्ताक्षर करवाए गए वह नहीं जानती। ज़रा सा रूकती तो तड़ाक से थप्पड़ों की बरसात शुरू हो जाती इसके साथ ही गंदी गंदी गालियाँ भी बकी जाती। उसे बुरी तरह मारा पीटा गया। इस मारपीट से बचने के लिए वह हर कागज़ पर दस्खत करती चली गई। इस सरे घटनाक्रम से वह बुरी तरह डर भी गई। उसके ससुराल का परिवार भी उससे अलग हो गया। उसके बच्चे भी उसके खिलाफ हो गए। उसका आसपास का समाज भी उसे शक की नज़र से देखने लगा। पुलिस और मैनी के डर से कोई उसके लिए आगे न आता। इस सारे घटनाक्रम में हाथ लगा उसका मोबाईल भी पुलिस के पास ही है जिस में से मैनी के खिलाफ जाती सभी सामग्री पूरी तरह डिलीट किये जाने की आशंका है। इसी मोबाईल फोन में बातों की रेकार्डिंग भी है और मैनी के वाटसअप मैसेजिज़ भी। घबराहट और निराशा में वह आत्महत्या तक भी सोचने लगी लेकिन बच्चों को कौन सम्भालेगा इसे सोच कर वह फिर रुक जाती।
अपनी बातों के हक में जाते कुछ स्क्रीन शॉटस और आडिओ रेकार्डिंगज़ उसने मीडिया को भी दिए। इसके साथ ही उसने महिला आयोग, मानवाधिकार संगठन और अन्य सबंधित संगठनों के साथ साथ पंजाब के आम लोगों से भी अपील कि है कि मुझ असहाय महिला की सहायता की जाये। मुझे और मेरी जानमाल को बचाया जाये। मैं बेहद डरी हुई हूँ और बुरी तरह से असुरक्षित हूं। मेरा कोई भी नुकसान हुआ तो यह पूरा सिस्टम भी ज़िम्मेदार होगा।
दूसरी तरफ पल्लवी के आरोपों को सिरे से झुठलाते हुए अजायब सिंह मैनी ने कहा यह सब कुछ झूठ है। वास्तव में पल्लवी ही उसे ब्लैकमेल करती रही है। जब उसे मीडिया के कुछ लोगों ने उसके वाटसअप मैसेजिज़ के बारे में पूछा तो उसने कच्चा सा हो कर कहा कि नंबर मेरा है तो मेरे ही होंगें लेकिन किसने किये यह पता करवाता हूं। इसके साथ ही उसने कुछ आडियो भी मीडिया के कुछ लोगों को मोबाईल फोन से सुनवाए। कुल मिला कर उसने यही आरोप लगाया कि उसे ब्लैकमेल किया जा रहा है न कि वह ब्लैकमेल कर रहा है। आरोप किसका सच्चा है इसका फैसला तो कानून ही करेगा लेकिन फिलहाल एक और महिला अपना सब कुछ गंवा कर भी कसूरवार बनी दिख रही है। देखते हैं कब तक है औरतों का यही भाग्य? अब मामला महिला संगठनों के पाले में है देखते हैं नया रुख क्या कैसा होगा?
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