Wednesday, April 08, 2020

WHO प्रमुख ने कहा, 'कोविड-19 का राजनीतिकरण ना हो'

अगर एकजुट नहीं हुए तो लाशों के ढेर लग जायेंगे 
WHO/Junior Kannah कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बुतेम्बो के दौरे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस
कोविड को राजनीति से अलग ही रखिए//8 अप्रैल 2020//स्वास्थ्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में दुनिया का एक साथ आना ही एकमात्र विकल्प है और उसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।  मंगलवार को संगठन के ख़िलाफ़ उठे आलोचना के स्वरों का जवाब देते हुए संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को कहा कि मेरा संक्षिप्त संदेश है: कृपया कोविड को राजनीति से अलग ही रखिए। 
“इस ख़तरनाक वायरस को हराने में आपके देश की एकता बेहद महत्वपूर्ण होगी।  हम आपको भरोसा दिलाते हैं...ऐसा कोई भी देश जिसके पास बेहतर प्रणाली हो सकती है, वो भी इस एकता के बिना मुश्किल और संकट में होगा। कोविड-19 का इस्तेमाल राजनैतिक फ़ायदे के लिए किए जाने की ज़रूरत नहीं है।”
दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण के अब तक 13 लाख 53 हज़ार से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 79 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर राजनैतिक, धार्मिक और अन्य अवरोधों से परे जाकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया है।  
उन्होंने संकट की इस घड़ी में वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता को रेखांकित किया है, और ध्यान दिलाया है कि चेचक को उखाड़ फेंकने के लिए शीतयुद्ध के दौर में अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ एक साथ आए थे।
“और अब अमेरिका व चीन को साथ आना चाहिए और इस ख़तरनाक दुश्मन से लड़ाई लड़नी चाहिए, और बाक़ी दुनिया को भी इस लड़ाई में एक साथ आना चाहिए।”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर एकजुट होकर साझा मोर्चा नहीं बनाया गया तो अनेक और लोग इसका शिकार होंगे। 
“अगर हम अपना बर्ताव नहीं सुधारते तो हमारे सामने बहुत सी लाशों का ढेर होगा। जब राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर दरारें होती हैं, तभी यह वायरस सफल होता है।”
महानिदेशक टैड्रोस ने बताया कि चीन के वूहान शहर में दिसंबर 2019 में पहली बार कोरोनावायरस का मामला सामने आने के बाद से उन्हें पिछले तीन महीनों में मौत की धमकियां मिल चुकी हैं और उनके ख़िलाफ़ नस्लवादी टिप्पणियां की गई हैं।
उन्होंने कहा कि वह इस बात की परवाह नहीं करते कि उनके बारे में कोई क्या कहता है. इसके बजाय वो लोगों की ज़िंदगियों को बचाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे। 
संकट और संकल्प के 100 दिन
चीन के वूहान शहर में नए कोरोनावायरस का पहला मामला सामने आने के गुरुवार को 100 दिन पूरे हुए हैं। “यह चिंतन करना अविश्वसनीय लगता है कि दुनिया में इतने कम समय में कितने नाटकीय ढंग से बदलाव आ गया है।”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने बताया कि उनका संगठन पॉंच प्रमुख क्षेत्रों में दिन-रात कार्य कर रहा है जिसके ज़रिए देशों को तैयारी करने और कार्रवाई को संभव बनाने में मदद दी जा रही है। साथ ही बीमारी से जुड़ी ग़लत सूचनाओं के फैलने (Infodemic) पर लगाम कसने के प्रयास हो रहे हैं। 
वहीं अग्रिम मोर्चे पर जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए मेडिकल सामान की आपूर्ति की जा रही है।
उन्होंने बताया कि अब तक 20 लाख निजी बचाव सामग्री इकाइयाँ 133 देशों में भेजी जा चुकी हैं और आने वाले हफ़्तों में 20 लाख उपकरण और भेजे जाएंगे।
“हमने हर क्षेत्र में 126 देशों में दस लाख से ज़्यादा डायग्नोस्टिक टेस्ट भेजे हैं और हम इन उपकरणों की उपलब्धता का और भी इंतज़ाम कर रहे हैं। लेकिन हम जानते हैं कि इससे कहीं ज़्यादा की ज़रूरत है। ये पर्याप्त नहीं है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन और निजी सैक्टर में साझीदार संगठन ज़रूरी मेडिकल सामग्री की आपूर्ति के उत्पादन और वितरण की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस कार्य में इंटरनेशनल चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स और वर्ल्ड इकॉनॉमिक फ़ॉरम का सहयोग मिल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां यूएन कोविड-19 सप्लाई चेन टास्क फ़ोर्स में भी योगदान दे रही है जिसके ज़रिए अन्य लक्ष्यों के अलावा ज़रूरत के अनुरूप आपूर्ति को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। 
महानिदेशक घेबरेयेसस ने बताया कि 130 वैज्ञानिकों, धनराशि मुहैया कराने वालों और विनिर्माताओं ने एक बयान पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैक्सीन विकसित करने के काम में तेज़ी लाने के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के साथ मिलकर काम करने का संकल्प जताया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 100 दिनों में हमारा अटल संकल्प रहा है कि दुनिया में सभी लोगों की सेवा समानता, वस्तुनिष्ठा और तटस्थता के साथ की जाए. और आने वाले दिनों, हफ़्तों और महीनों में भी इसी बात पर हमारा ध्यान केंद्रित रहेगा।” (संयुक्त राष्ट्र समाचार से साभार)

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