क्यूंकि डा. जगतार धीमान के अंतर्मन में भी रौशनी है
लुधियाना: 5 अप्रैल 2020: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::
अँधेरे पर भी किसी का नाम नहीं लिखा होता लेकिन अँधेरा खुद-ब-खुद बता देता है कि उसे यहां तक कौन ढो कर लाया!
इसी तरह रौशनी पर भी किसी ने आरक्षण नहीं करवा रखा होता लेकिन रौशनी खुद-ब-खुद बता देती है कि उसे यहां तक कौन ले कर आया!
इसके बावजूद विरोध और गाली गलौच को देख सुन कर लगता है कि कुछ लोगों ने अँधेरे का आरक्षण करवा रखा है और कुछ लोगों ने रौशनी का। यूं भी रौशनी सभी के नसीब में कहाँ होती है।
कभी जनाब दुष्यंत कुमार साहिब ने कहा था:
आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख!
घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख!
वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे!
कट चुके जो हाथ, उन हाथों में तलवारें न देख!
रौशनी के ठेकेदार बने फिरते लोग दूसरों को अंधेरों का दूत ही समझते हैं।
कौन क्या है हमें किसी का नाम नहीं लेना क्यूंकि आप जानते हैं कि वास्तव में कौन क्या है। जागरूक और स्वतंत्र लोगों को न तो किसी की मीटिंग में जा कर अपना विचार बनाना है और न ही किसी रेज़ूलेशन को पढ़ कर अपना फैसला करना है। वे स्वतंत्र होते हैं और जो देखते और महसूस करते हैं उसे कहने की हिम्मत भी रखते हैं। उन्हें मालुम है कि ज़िंदगी भर हमने क्या किया है। क्या खोया है--क्या पाया है।
वास्तविकता को देखने, समझने और स्वीकार करने वाले लोगों के चेहरों पर एक चमक होती है जो किसी मेकअप की मोहताज नहीं होती। वह अंतर्मन से आती है। ऐसे चेहरों पर मक्कारी नहीं होती। उनका चेहरा बात बात पर झूठ बोलता महसूस नहीं होता। उनमें एक विशेष सी कशिश होती है और एक ख़ास किस्म की रौशनी भी। कुछ इसी तरह के व्यक्ति हैं डा. जगतार सिंह धीमान।
सिर और दाड़ी के सफेद बाल और उन बालों में से झांकता एक निर्दोष और मासूम सा चेहरा। यूं लगता है किसी ऋषि से भेंट हो गई हो। अगर शेव न करवाते तो सचमुच ऋषि ही लगते।
पांच अप्रैल को मेरा जन्मदिन था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान कि रात्रि को 9 बजे 9 मिंट तक रौशनी की जाये। रौशनी का ज़रिया दीपक भी हो सकते हैं, मोमबत्तियां भी और मोबाईल की टोर्च या कोई अन्य रास्ता भी। बस रौशनी हो किसी भी तरह। इस विशेष अंक 9 का ज्योतिष और अंक विज्ञान में विशेष महत्व है इसका पता मुझे एक बार फिर इसी अवसर पर लगा। हालाँकि अंक विज्ञान में मेरी रुचि बरसों पहले भी थी लेकिन वक़्त ने सब भुला दिया था। रौशनी के इस पर्व एक बार फिर अंक विज्ञान भी याद आया। जंग लड़नी हो तो मंगल की कृपा आवश्यक है और मंगल की कृपा के लिए अंक 9 का विशेष ध्यान रखना भी आवश्यक है। आज के हालात में हम कोरोना के साथ एक जंग ही तो लड़ रहे हैं। अब ह बात अलग है कि खुद को नास्तिक समझने वालों को यह बातें अंध विश्वास लगती हैं लेकिन जिन को ज्योतिष का ज्ञान है उन्हें बेचारे ये लोग अंधविश्वासी लगते हैं। इंक क्या पता 9 और रौशनी के अहसास का ज्ञान। हाँ जिन लोगों ने डीप जलाते समय हुड़दंग किया उनका विरोध बिलकुल ज़रूरी है। उन्होंने आतिशबाज़ी चला कर प्रधानमंत्री मोदी का यह सारा आइडिया ही फिर से चौपट कर दिया। भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे।
खैर बात हम कर रहे थे रौशनी की। दीपक जलाने की। कोरोना के खिलाफ जंग में मनोबल मज़बूत बनाये रखना भी ज़रूरी है। जब इस जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रौशनी के ज़रिये एकजुट होने की बात कही तो सारा देश एक जुट हो गया। इस एकजुटता में हमारे लोकप्रिय लेखक और सीटी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डा. जगतार धीमान भी थे। उन्होंने अपने परिवार सहित दीपक जला कर रौशनी के इस अभियान में भाग लिया। यहां प्रस्तुत हैं उनकी कुछ तस्वीरें।
No comments:
Post a Comment