27th April 2020 at 3:34 PM
दरस-ए-रमज़ान से नायब शाही इमाम का संबोधन
ऑनलाइन दरस-ए-रमजान प्रोग्राम को संबोधन करते हुए नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी |
लुधियाना: 27 अप्रैल 2020: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
हर तरफ कोरोना की दहशत। दुनिया भर में कोरोना नाम के इस खतरनाक वायरस का अंधेरा छाया हुआ है। ज़िंदगी ठप्प हो कर रह गई है। इस दौर में भी अगर रफ्तार है तो बस उन्हीं की जिंदगी में जिन्होंने इबादत पर जोर देना शुरू कर दिया है। उनके दिलों में भी हौंसला और उत्साह है। उनके आसपास के माहौल में भी उम्मीदों की रौशनी महसूस हो रही है। इबादत की इन खूबियों को जामा मस्जिद से दिए जाते संदेशों से हर रोज़ बढ़ावा भी मिल रहा है। इस तरह का रूहानी सिलसिला लगातार जारी रहता है। सोशल डिस्टेंस के नियम को पूरी तरह लागू करते हुए ह सब कुछ बाकायदा ऑनलाइन प्रसारित भी किया जाता है।
कोरोना नाम के इस खतरनाक वायरस को लेकर चल रहे लॉक डाउन के बीच पवित्र रमज़ान शरीफ का महीना शुरु हो चुका है। लुधियाना की एतिहासिक जामा मस्जिद से इस अवसर पर रोज़ाना रात को इशा की नमाज के बाद ऑनलाइन दरस-ए-रमज़ान प्रोग्राम शुरू किया गया ताकि लॉक डाऊन की वजह से मस्जिद तक ना आने वाले सभी नमाज़ी रमज़ान की बातें सुनकर अपना रोज़ा अच्छा बना सके। दरस-ए-रमजान प्रोग्राम से रोज़ाना हज़ारों लोग जुड़ रहे हैं। गौरतलब है कि रोज़ा रखने वालों के तन मन की शक्ति पूरी तरह अजेय हो जाती है। उस परवर्दिगार के साथ मन की तार जोड़ता है रोज़ा।
ऑनलाइन दरस-ए-रमजान को संबोधन करते हुए नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि रमज़ान एक इंकलाबी इबादत है जो इंसान के दिल को इबादत करके बुराइयों से दूर नेकी की तरफ ले जाता है। रमजान शरीफ में अल्लाह अपने बंदे की तौबा क़बूल करते हैं अगर बंदे का दिल साफ हो तो दुआएं जरूर कबूल होती है। नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि फरमान-ए-रसूल है कि रोज़ा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है रोज़ेदार की आंखें गलत नहीं उठती, रोजेदार की जुबान से किसी को तकलीफ नहीं पहुंचती, रोज़ेदार के हाथ गलत काम के लिए नहीं उठते, रोज़ेदार के दिल में किसी के लिए बुराई नहीं होती, अगर कोई रोज़ेदार व्यक्ति रोज़ा भी रखता है और झूठ भी बोलता है, किसी की तरफ बुरी निगाह से भी देखता, अपने दिल में बुराई का इरादा करता है तो बात साफ है कि वह रोज़ेदार नहीं है क्योंकि रोज़ा बुराइयों के लिए ढाल है लेकिन तब तक ही जब तक उसे फाड़ ना दिया जाए यानि झूठ बोल कर इसे खराब ना कर दिया जाए। अगर आप बुराई नहीं त्याग रहे हैं तो आपका रोज़ा भी नहीं हो रहा है।
नायब शाही इमाम ने कहा कि दुनिया भर में मुसलमानों के लिए रोज़ा अल्लाह की तरफ से एक इनाम है जो हर साल इस पवित्र महीने में अपने गुनाहों की तौबा करके एक नई शुरुआत करते हैं और रमज़ान के रोज़े हमें आने वाले सारे साल में नेकी की तरफ लेकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र रमज़ान में प्यार मुहब्बत और आपसी भाईचारे का संदेश देता है। यह नेकियों का महीना है जो आपसी रंजिशो को खत्म कर के मुहब्बत को आम करता है। जामा मस्जिद से आज का पैगाम भी हिम्मत, हौंसला और उत्साह देने वाला रहा। अँधेरे में उजाले की किरने देता हुआ आज का पैगाम भी ख़ास रहा। लोगों को मिलजुल कर रहने और कोरोना पर फतह पाने के संकल्प के भी मज़बूत बनाया आज के इस पैगाम ने।
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