Monday, April 27, 2020

लॉकडाउन में शुभ संकेत: डा. मनमोहन सिंह ने मानी विनती

पंजाब की आर्थिक दशा सुधारने के लिए देंगें अपना मार्गदर्शन 
चंडीगढ़: 27 अप्रैल 2020: (पुष्पिंदर कौर//कार्तिका सिंह और पंजाब स्क्रीन टीम)::
कोई खुल कर बोले या न बोले--कुछ माने या न माने लेकिन हर व्यक्ति चिंतित है कि लॉकडाउन खुलने के बाद चौपट हो चूका कारोबार कैसे सम्भलेगा।  आम नागरिक का भी यही हाल है और सत्ता चला रही सरकारों का भी। आर्थिक भविष्य को देख कर निराशा का अंधेरा ही दिखता है। इस गहन अंधेरे में अब आशा की किरण दिखाई है मुख्य मंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने। 
उन्होंने इस समस्या को आर्थिक विशेषज्ञों के सामने रखा है। इस मकसद के लिए लिए सरदार मोंटेक सिंह आहलूवालिया साहिब की देखरेख में पांच विशेष ग्रुप भी बनाये गए हैं। इस ख़ास टीम को मार्गदर्शन देने के लिए मुख्य मंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने एक विशेष प्रयास करके पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक मामलों के विश्व स्वीकृत विशेषज्ञ डाक्टर मनमोहन सिंह  को भी राज़ी कर लिया है। अब लगने लगा है कि स्थिति कितनी भी भयानक क्यूं न हो जाये यह टीम पंजाब को ही नहीं पूरे देश को बचा लेगी। इसके साथ ही इस मार्गदर्शन का फायदा पूरी दुनिया उठा सकेगी। 
पंजाब सरकार द्वारा राज्य को कोविड के उपरांत पुन: सुरजीत करने की कोशिशों के चलते नीति घडऩे की दिशा में सोमवार को उस समय पर पहला कदम उठाया गया जब मोंटेक सिंह आहलूवालीया के नेतृत्व अधीन माहिरों के ग्रुप ने पाँच सब ग्रुप तैयार कर लिए। इसके इलावा पूर्व प्रधान मंत्री डा.मनमोहन सिंह ने भी राज्य की अर्थव्यवस्था और प्रगति को फिर बहाल करने के लिए अपना मार्गदर्शन देने के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अपील को स्वीकार कर लिया है।
मोंटेक सिंह आहलूवालीया के नेतृत्व अधीन माहिरों के ग्रुप ने वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के द्वारा मुख्यमंत्री के साथ जान-पहचान मीटिंग की जिसमें खुलासा किया गया कि मुख्यमंत्री ने माहिरों के ग्रुप के साथ डा. मनमोहन सिंह को राज्य सरकार का नेतृत्व करने के लिए लिखा था और उन्होंने यह अपील मान ली है। उन्होंने टवीट करके लिखा, ‘हम पंजाब को कोविड -19 के उपरांत आर्थिक विकास के रास्ते पर आगे ले जाने के लिए सख्त मेहनत करेंगे। हम इस पर दोबारा ध्यान केंद्रित करेंगे।’
मुख्यमंत्री ने ग्रुप सदस्यों को इस सहायता करने के लिए आगे आने के लिए धन्यवाद किया। गंभीर विश्व व्यापक स्थिति के मद्देनजऱ उन्होंने कहा, ‘‘मैं राज्य के लिए सबसे बढिय़ा चाहता था और इस ग्रुप से बढिय़ा और कुछ सोचा नहीं जा सकता।’’
मोंटेक सिंह आहलूवालीया ने वीडियो कॉनफ्ऱेंस के दौरान बताया कि माहिरों के ग्रुप जिसमें पहले 20 मैंबर थे और इसमें दो और मैंबर शामिल किये गए हैं, ने अपनी पहली मीटिंग की है। उन्होंने बताया कि ग्रुप के कामकाज को और सुचारू बनाने के लिए पाँच सब-ग्रुप वित्त, कृषि, स्वास्थ्य, उद्योग और सामाजिक सहायता बनाऐ गए हैं। उन्होंने बताया कि इन ग्रुपों का हरेक चेयरपरसन एजेंडा आगे ले जाने के लिए वर्करों को लामबंद करेगा।
मुख्यमंत्री ने तो भारत सरकार की तरफ से हल पेश करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया क्योंकि पंजाब की हालत गंभीर है परन्तु मोंटेक सिंह आहलूवालीया ने कहा कि ग्रुप के समक्ष बहुत महत्वपूर्ण कार्य है परन्तु हम राज्य को फिर उभारने के लिए निश्चित रूप से तौर पर कुछ हल लेकर आऐंगे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने ग्रुप को बताया कि राज्य की वित्तीय स्थिति कमज़ोर है जिसको मासिक 3360 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हुआ है। इनमें जी.एस.टी. के 1322 करोड़ रुपए, शराब पर राज्य की आबकारी 521 करोड़, मोटर व्हीकल टैक्स के 198 करोड़ रुपए, पेट्रोल और डीज़ल पर वैट के 465 करोड़ रुपए, इलैक्ट्रीसिटी ड्यूटी के 243 करोड़, स्टैंप ड्यूटी के 219 करोड़ और नॉन-टैक्स राजस्व के 392 करोड़ रुपए के रूप में घाटा शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के नगदी के आदान -प्रदान में मुकम्मल तौर पर ठहराव आ चुका है। उन्होंने बताया कि बिजली के उपभोग में 30 प्रतिशत कमी आई है और पंजाब राज्य बिजली बोर्ड को बिजली दरें एकत्रित करने में रोज़ाना 30 करोड़ रुपए का घाटा है। पंजाब के उद्योग ठप है जहाँ एक प्रतिशत से भी कम काम चल रहा है। उन्होंने दुख ज़ाहिर करते हुये कहा कि भारत सरकार की तरफ से राज्य के जी.एस.टी. का 4365.37 करोड़ रुपए का भुगतान करना अभी बाकी है।
ग्रुप मैंबर और उद्योगपति एसपी ओसवाल ने कहा कि राज्य और उद्योग को मुश्किल समय का सामना करना पड़ रहा है जिसके लिए सख्त फ़ैसलें लेने की ज़रूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूँ की फ़सल की बंपर पैदावार से कृषि इस समय स्थिति का एकमात्र उज्जवल पक्ष पेश कर रही है जिसके बाद कपास और धान की फ़सल आयेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कम हो रहे जल स्रोत को बचाने के लिए धान की काश्त को और घटाने का प्रस्ताव किया है परन्तु न्युनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) संबंधी केंद्र का स्टैंड अभी तक स्पष्ट न होने के कारण स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है।
कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि केंद्र सरकार ने मंडियों में अपनी उपज देरी से लाने वाले किसानों को बोनस देने की उनकी सरकार की विनती को स्वीकार नहीं किया था जो कोविड के फैलाव को रोकने के लिए ज़रूरी था जिससे इस समय पर 8 जिले प्रभावित हैं और राष्ट्रीय औसत की तुलना में मृत्यु दर अधिक दिखाई गई है। हालाँकि, देश के मुकाबले राज्य की प्रतिशतता 1 अप्रैल को 2.2 प्रतिशत से कम होकर 25 अप्रैल को 1.2 प्रतिशत रह गई। उन्होंने कहा कि मामलों के दोगुने होने की दर (पिछले 1 सप्ताह के औसत के तौर पर) राष्ट्रीय औसत के 9 दिनों की तुलना में 18 दिन है।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि मौजूदा संकट से निपटने के लिए केंद्र जल्द ही राज्य को बहुत अपेक्षित राहत पैकेज मुहैया करवाएगी।  मोंटेक सिंह आहलूवालिया की निगरानी में बनाये 

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