Wednesday, April 22, 2020

1971 की जंग से कोरोना युग तक समाज सेवा को समर्पित परिवार

22nd April 2020 at 3:03 PM
कोरोना से जंग: शहर में सप्रे करता कंवलजीत ढिल्लों 
लुधियाना: 22 अप्रैल 2020:(कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन):: 
आज जब सारी दुनियां कोरोना महांमारी के कारण त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रही है और दुनिया भर की सरकारें और डाक्टरों की टीमें दिन रात एक करके इसकी रोकथाम के लिए लगे हुए है। उस समय कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़ा हुआ ढिल्लों परिवार कोरोना के साथ लड़ी जा रही जंग में ऐतिहासिक योगदान डाल रहा है। इसी परिवार का युवा सदस्य कंवलजीत ढिल्लों लोगों के घरों में निशुल्क स्प्रे कर रहा है। यह युवक लुधियाना शहर का ही रहने वाला है। ढिल्लों ने इस भयानक और छुपे हुए वायरस का मुकाबला करने के लिए अपनी कार में एक सैनेटाईजज़ेशन मशीन फिट कर रखी है। इसी मशीन और कार से वह अपने और आस पास के इलाकों में फ्री सप्रे करता है। कंवलजीत ने बताया कि यह अकेला ही 40 लीटर दवाई का घोल तैयार करके लोगों के घरों में अपनी कार से सप्रे करता है। दवाई की लागत पूछे जाने पर उसने बताया कि यह दवाई उसको इलाके के कौंसलरों से ही मिल जाती है। उसको तैयार करके 5 किलोमीटर तक सप्रे करके पुन: भर लेता है। 
इस स्प्रे मशीन की तकनीक और लागत से सबंधित सवाल का  उसने बताया कि यह यंत्र इसने खुद ही एक सप्ताह में तैयार किया है। इसमें बैटरी के साथ चलने वाला पंप है जो कार के साथ ही लगातार चार्ज भी होता रहता है। जरुरत पडऩे पर इसका प्रैशर बढ़ाया और घटाया भी जा सकता है।एक ही बार में यह कई इलाकों में 25 किलोमीटर का ऐरीया पूर्ण कर लेता है। 
इस का ख्याल कैसे आया यह पूछे जाने पर उसने बताया कि अच्छे कार्य की लगन इसको अपने पारिवारिक विरसे से मिली। कंवलजीत के पिता कामरेड पूर्ण सिंह ढिल्लों लुधियाना में मशहूर समाज सेवक थे। उन्होंने सन 1971 की भारत-पाकि जंग में रिलीफ कैंप लगाकर पीडि़त लोगों की बहुत सेवा भी की थी। प्रगतिशील लहर के साथ होने के कारण ही इनको समाज सेवा की योजनाएं बार बार मन में बनती रहतीं। पिताकी तरह कंवलजीत ढिल्लों भी इसी प्रगतिशील लहर के साथ जुड़े हुएहैं। आजकल कंवलजीत ढिल्लों अपनी इंडस्ट्री  भी चलाते हैं। 
कालेज के दिनों में ढिल्लों ने छात्रों के लिए बसों में फ्री सफर की सहूलियतों के लिए भी संघर्ष में हिस्सा डाला।बाद में बेरोज़गारी के खिलाफ नौजवानों को रोज़गार दिलाने के लिए जून 1981 में चंडीगढ़ बुड़ैल जेल में 45 दिन बंद रहे। जेल होने से इनका मनोबल और इरादा और मज़बूत हुआ। समाज सेवा की अच्छी सोच को इन्होंने और आगे बढ़ाया। 
इस समय मानव जाति को बचाने के लिए कोरोना महांमारी के खिलाफ लड़ी जा रही विश्वव्यापी जंग में आगे बढ़ कर काम कर रहे हैं। इनकी स्प्रे मशीन वाली कार तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। कोई भी बुलाये यह उसके इलाके में जाने का कोई पैसा नहीं लेते। 
  (जैसा कामरेड गुलजार सिंह गोरीया ने पंजाब स्क्रीन टीम को बताया)

No comments: