पाँच दिन तक चला अंतर्राष्ट्रीय वैसाखी उत्सव
लुधियाना: 18 अप्रैल 2020: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::
लॉक डाउन ने सभी को बांध रखा है। कोरोना से बचना है तो हर किसी का अपने अपने घर में रहना आवश्यक भी है। लेकिन न मन बंधता है न ही जज़्बात रुकते हैं। लॉक डाउन और कर्फ्यू का पालन करते हुए इस मनोस्थिति की शायरी का प्रस्तुतिकरन किया कविता कथा कारवां नामक संगठन ने। इस मकसद के लिए एक ऑनलाइन आयोजन करवाया गया जो पांच दिनों तक चला।
कविता कथा कारवाँ संस्था की ओर से सफलतापूर्वक आयोजित पाँच दिनों तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन बैसाखी उत्सव का समापन भी उसी शायराना ढंग से हुआ जिस तरह इसे शुरू किया गया था। कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में शामिल हुए पंजाबी फ़िल्म जगत के प्रख्यात कॉमेडियन डॉ जसविंदर भल्ला ने कहा कि इस वैश्विक आपदा के समय इस संस्था ने समाज को जोड़ने व पर्यावरण के कल्याण हेतु जो क़दम उठाया है इसके लिए संस्था की प्रेसिडैंट व समस्त सदस्य बधाई के पात्र हैं। पहले दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता पाकिस्तानी पार्लियामैंट की पूर्व मैंबर व मशहूर लेखिका बुशरा हज़ीन ने की व कार्यक्रम का आग़ाज़ सी टी यूनीवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ जगतार धीमान ने अपनी कविता से किया। आरम्भ बहुत ही ज़बरदस्त रहा। वृद्ध शायरों के साथ साथ युवा उम्र के लोग भी शामिल हुए। लोग अलग अलग थे। उनके शहर भी अलग अलग थे। शायरी का अंदाज़ भी अलग था लेकिन आज के युग की स्थिति के दर्द को पकड़ने की सम्वेदना और कोशिश सभी की ज़बरदस्त थी। यूं कहिये कि एक से बढ़ का एक।
इस पाँच दिवसीय शायराना आयोजन में भिन्न -भिन्न शहरों, राज्यों,देशों व विदेशों के कवियों, कवयित्रियों, गायकों व बुद्धिजीवियों ने आज के हालातों को मद्देनज़र रखते हुए कविताओं व शायरी के ज़रिये अपनी मौजूदगी का अहसास कराया।
न कोई भीड़भाड़ और न ही कोई शोर। बस शायरी का सूक्ष्म सा अहसास, एक विशेष स्पंदन, एक ख़ास किस्म की झंकार--जिसे पूरी दुनिया में बैठे साहित्य प्रेमियों ने महसूस किया।
न कोई भीड़भाड़ और न ही कोई शोर। बस शायरी का सूक्ष्म सा अहसास, एक विशेष स्पंदन, एक ख़ास किस्म की झंकार--जिसे पूरी दुनिया में बैठे साहित्य प्रेमियों ने महसूस किया।
इस अभियान में मुख्य कवि-कवयित्रियाें में पाकिस्तान से बुशरा हज़ीन,राजवंत राज,कनाडा, जगपाल सिंह संधू(कैनेडा),त्रिलोचन लोची, गुरसेवक सिंह, परविंदर सिंह, मंजीत कौर धीमान, मंजीत इंदिरा, विभा कुमरिया शर्मा, रश्मि अस्थाना, परमजीत कौर महक, सरिता जैन, वरुन आनंद, सुमन शर्मा, अनु शर्मा, अनु पुरी, सतविन्दर सुखी, जतिन्दर कौर संधू, परमजीत देओल कनाडा, धर्मेंद्र शाहिद, सहजप्रीत मांगट, ज्योति बजाज और अन्यों ने अपनी शायरी से समय बाँध दिया।
शिक्षाशास्त्री डॉ जगतार धीमान, प्रो.तिलक सेठी, सीमा जैन, डॉ नदीम अहमद, त्रिलोचन सिंह महाजन ने भी समसामयिक हालातों पर अपने प्रभावपूर्ण विचार रखे। फ़िल्मकार अनिरबान भट्टाचार्य, अमित जिंदल, अरिंदम राय, डॉ जस कोहली ने भी आज के हालातों से बचाव के उपाय बताए। इस तरह यह केवल मुशायरा न हो कर आज के हालात का विशेष मार्गदर्शक भी साबित हुआ।
कविता कथा कारवाँ संस्था की प्रैसीडैंट जसप्रीत कौर फलक ने कहा कि भविष्य में भी इसी तरह के सृजनात्मक कार्यक्रम करवाए जाएँगे जिससे सामूहिक प्रतिभागिता के साथ -साथ युवा सृजनशील पीढ़ी की हिस्सेदारी भी रहेगी। कुल मिलाकर यह एक यादगारी आयोजन रहा। कठिन वक्तों में जब मिलना जुलना नामुमकिन सा था उस समय भी इस आयोजन ने सभी को आपस में मिलवाया।
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