By Email: Tue, Jan 9, 2018 at 6:14 PM
लुधियाना प्रेस क्लब ने भी व्यक्त किया तीखा रोष
*जालंधर की महिला पत्रकार रचना खेरा के समर्थन में उतरे पंजाब भर के पत्रकार
*दर्ज एफआईआर के विरोध में लुधियाना प्रेस क्लब ने भी किया रोष प्रदर्शन
*काले बिल्ले लगा मीडिया कर्मियों ने डीसी के जरिये पीएम को सौंपा ज्ञापन
लुधियाना: (रीना अरोड़ा//पंजाब स्क्रीन):: |
सत्ता के गलियारों से लेकर प्रशासनिक खामियां और समाज व देश विराधी तमाम गतिविधियों को अपनी कलम के माध्यम और कैमरों की तीखी नजर से सच्चाई बयां करने वाले तमाम मीडिया कर्मीयों और फोटो ग्राफरों ने पंजाबभर में आज जालंधर से जुड़ी अंग्रेजी दैनिक की महिला रिपोर्टर रचना खेरा और चंडीगढ़ से प्रकाशित प्रमुख अंग्रेजी अखबार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। स्मरण रहे कि कल दिल्ली पुलिस ने आधार से जुड़ा डाटा लीक करने का पर्दाफाश करने वाली महिला रिपोर्टर और उससे संबंङ्क्षधत अखबार के विरूद्ध कुछ सियासी हुकमरानों के इशारे पर ने भी मुकदमा दर्ज किया है। महिला रिपोर्टर ने अपनी खबर के माध्यम से स्टींग आप्रेशन करके आम जनता को आईना की तरह सच्चाई दिखाते हुए लिखा था कि मात्र 500 रूपए में आधार से जुड़ी जानकारी पंजाब में मुहैया करवाई जा रही है। जबकि रचना खेरा का दावा था कि 10 लाख लोगों के आधार डाटा उपलब्ध होने की बात कही गई थी। पत्रकार ने वटसअप के जरिए तीन शख्सों से आधार डाटा प्राप्त करने का दावा किया था। जबकि यूआईडीएआई के प्रबंधकों ने बौखलाहट में आकर अपराध शाखा की साइबर सैल में शिकायत दर्ज करवाते हुए मुकदमा दर्ज करने का अनुरोध किया था।
लुधियाना प्रेस क्लब के आह्वान पर लुधियाना के समूह मीडिया कर्मियों द्वारा आधार लीकेज रिपोर्ट को लेकर आज जिला सचिवालय में गहन विचारविमर्श किया गया। इसी संबंध में रिपोर्टर रचना खेरा और अखबार के खिलाफ दर्ज एफ आई आर के रोष स्वरूप एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर डिप्टी कमिश्नर लुधियाना प्रदीप अग्रवाल को सौपा गया, जिसमें एफआईआर को डिसमिस करने की मांग की गई। इस दौरान मीडिया कर्मियों ने काले बिल्ले लगाकर रोष जताया व दर्ज एफ आई आर की क ड़ी आलोचना की। इस मौके पर संबोधित करते हुए सीनियर पत्रकारों वरिंदर प्रमोद बातिश, राजेश भांबी, सुनील राय कामरेड, नीरज मैनरा, अश्वनी जेटली, परमेशर सिंह, तरसेम देवगन, करण कपूर, सरबजीत लुधियानवी ने इस कारवाई को मीडिया की आजादी पर हमला करार देते हुए कहा कि भारत एक आजाद देश है और पत्रकारों को भी अपनी आजादी के मुताबिक प्रशासनिक और सरकारी खामियों को उजागर करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि अलगअलग संस्थाएं और ताकतवर व्यक्ति हमेशा कलम को झुकाना और दबाना चाहता है, जिसे किसी कीमत पर बरदाश्त नहीं किया जाएंगा।
उन्होंने मांग रखी कि दर्ज एफ आई आर तुरन्त रद्द की जाये। उन्होंने कहा कि रिपोर्टर ने तो केवल अपनी रिपोर्ट के जरिये यूआईडीआई में मौजूद खामियों को उजागर किया है। जो देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता था तथा नागरिकों के मौलिक अधिकरों का हनन हो रहा था। समूह पत्रकारों ने सरकार को चेताया कि अगर तुरंत एफ आई आर खारिज न हुई तो कलम के सिपाही सडक़ों पर उतरने को मजबूर होंगे। इस मौके पर रजनी, नवीन शर्मा, रोहित गौड, अजय नेपाल, विपण जंड, दीपक सेलोपाल, आशुतोश गौतम, प्रतीक आनंद, वरुण भाटिया, विशाल गर्ग, पुनीत बावा, यशपाल शर्मा, कंवलदीप डंग, राजीव तलवार, आर वी सम्राट, कुलविंदर मिंटू, प्रितपाल, नरिंदर मोहिंद्रू, अरुण कुमार, राजिंदर, बिंदर, रूपेश, मोहित बहल, गौतम जालंधरी, राहुल तंवर, मंजीत दुगरी, संतोष पाठक, रोहित कुमार, सेठी चौहान, अरुण कुमार, आदि भी मौजूद थे।
फोटो : 1- महिला पत्रकार रचना खेरा, लुधियाना के समूह पत्रकार, जिलाधीश प्रदीप अग्रवाल को ज्ञापन देते हुए।
आधार डाटा लीक मामले में महिला पत्रकार को एफआईआर पर गर्व
सुनीलराय कामरेड : अखबारों के शहर के नाम से पंजाब में विख्यात जालंधर की दिलेर और होनहार बेटी ने आधार कार्ड से संबंधित खामियों को उजागर करके सेंध लगाने का मामला सुर्खियों में है। महिला पत्रकार रचना खेरा ने यूआईडीएआई अधिकारियों द्वारा मुकदमा दर्ज किए जाने की भनक पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उसे अपनी खबरों की रचना पर गर्व है और वह इस घटनाक्रम पर बहुत खुश है। रचना खेरा ने कहा कि उसने एफआईआर में नाम कमाया है। स्मरण रहे कि रचना खेरा ने एक रिपोर्ट के जरिए आधार कार्ड का डाटा चंद रोकड़ो में मिलने का खुलासा किया था। रचना खेरा ने यह भी कहा कि वह बहुत खुश है कि कम से कम यूआईडीएआई ने उसकी रिपोर्ट पर कार्यवाही तो की। उसने यह भी कहा कि वह सच पर यकीन रखती है। अब भारत सरकार देखे कि इस सारी जानकारियों को हासिल करने में कौन-कौन सी खामियां पाई गई है। जब खेरा से पूछा गया कि वह अपनी रिपोर्ट पर कायम है तो उसने हां बोलते हुए यह कहा कि मैं अपने हर लिखे शब्द पर कायम हूं। उसने यह भी कहा कि वह अधिकांश कुछ कह नही सकती किंतु वह खुश है कि जालंधर के अखबारों की मंडी से वह देश की सुखियों की मंडी दिल्ली में पहुंच गई है और उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। रचना के मुताबिक उसकी रिपोर्ट को बड़ी-बड़ी हस्तियों ने प्रशंसा की है। उसने कहा कि उसका अखबार उसे हर प्रकार की कानूनी सहायता दे रहा है। एफआईआर वापिस लिए जाने का निवेदन क्या वो करेंगी तो उसने कहा कि उसे विश्वास है कि भारत सरकार इस मामले में ताजे घटनाक्रम पर अवश्य गौर करेंगी और उसे उम्मीद है कि जल्द ही सबकुछ सुनने को मिल सकता है।
मामला आधार डाटा लीक का : मीडिया की आजादी पर खड़े सवाल
पत्रकार रीना अरोड़ा ने उस युग में कम्यूटर की मुहारत हासिल कर ली थी जब इस मामले में बड़ी बड़ी उम्र के अनुभवी लोग भी हाथ खड़े कर देते थे। सुनील कामरेड के साथ ने पत्रकारिता में उसे बहुत सी बारीकियां सिखायीं। इन बारीकियों के साथ ही सिखाया अधिकारों की जंग में कैसे लड़ना है और कैसे जीतना है। अब जब रचना खेरा के खिलाफ FIR का मामला गर्माया है तो रीना अरोड़ा और सुनील कामरेड भी पीछे नहीं रहे। लुधियाना के सम्वेदनशील माहौल में इस मुद्दे को लेकर रोष व्यक्त करना आसान नहीं था। कई गुट-कई नेता--इसके बावजूद एक अच्छी शुरुआत रही। आओ इसे तब तक जारी रखें जब तक इस तरह की साजिशें रचने वाले लोग तौबा नहीं करते। यहाँ प्रस्तुत है रीना अरोड़ा की एक रिपोर्ट जो हमें इमेल से मिली है।
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