Sun, Dec 24, 2017 at 4:57 PM
श्रद्धांजली आयोजन ने समाज से पूछा-आखिर कब जागोगे आप लोग?
लुधियाना: 24 दिसम्बर 2017: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
नवरात्र का उपवास रखने वाले देश में ही हुई थी शहनाज़ की हत्या। अनगिनत धार्मिक स्थलों से भरे देश में ही हुआ था उसके साथ दुष्कर्म। जब उसने आवाज़ उठाई तो किसी ने नहीं दिया उसे इन्साफ। दरिंदों की दरिंदगी इतनी बढ़ी कि न्याय की जंग लड़ने निकली शहनाज़ को जिंदा जला दिया गया। अफ़सोस कि न तो धरती डगमगाई न ही आसमान टूटा और न ही लोग जागे। बहुत से लोगों ने इसे भी भगवान की मर्जी कह कर आँखें बंद कर लीं और अपने काम धंधों में मस्त हो गए। वास्तव में इस तरह के लोग भी ज़िम्मेदार हैं समाजविरोधी गुण्डातत्वों की मनमानियां बढ़ाने में। इन पर लगाम कसना सभी का फ़र्ज़ होना चाहिए न कि सिर्फ किसी शहनाज़ के परिवार का। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शहनाज़ का दर्द किसी ने न सुना। More Pics on Facebook
इस दर्द की आवाज़ को सुना तो उन लाल झंडे वाले लोगों ने जिन्हें लोग नास्तिक कह कर मूंह फेर लेते हैं। यह लोग 2014 से लगातार शहनाज़ के लिए इन्साफ मांग रहे हैं। लोगों को इस मकसद के लिए जागरूक कर रहे हैं। आज भी ढंडारी के इलाके में इसी तरह का कार्यक्रम था। दिल को हिलाता हुआ। दिमाग में सवाल पैदा करता हुआ। सरे समाज से पूछता रहा था यह आयोजन कि आखिर कब जागोगे ? किस की इंतज़ार कर रहे हो? जब हर घर की कोई न कोई शहनाज़ इन दरिंदों का निशाना बनेगी? आयोजन में चेताया गया कि अगर अब आप आगे नहीं आये तो उस समय कोई आपकी मदद के लिए आने वाला नहीं बचेगा। इस चेतना को जगाने के लिए इंक़लाबी गीत संगीत का कार्यक्रम भी हुआ। दर्द के साथ संघर्ष और हौंसले की ताल मिलाई गयी। बुलंद आवाज़ में कहा गया कि हम इन गुंडों से नहीं डरेंगे। नारे लगाए गए-गुंडागर्दी चक्क दियांगे-धौण ते गोदा रख दियांगे। इस आयोजन ने सहमे और डरे हुए लोगों में एक नयी जान फूंकी।
ढण्डारी अपहरण, बलात्कार व कत्ल काण्ड की पीडि़ता शहनाज़ की तीसरी बरसी पर आज ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी द्धारा ढण्डारी, लुधियाना में श्रद्धांजलि समागम किया गया। श्रद्धांजलि समागम में शामिल लोगों ने शहनाज़ को इंसाफ़ दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि बलात्कारी गुण्डा गिरोह के खिलाफ शहनाज़ के न्यायपूर्ण संघर्ष को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। श्रद्धांजलि समागम को विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधियों व शहनाज़ के माता-पिता ने सम्बोधित किया। क्रान्तिकारी सांस्कृतिक मंच ‘दस्तक’ की ओर से जुझारू गीत पेश किए गए। यह वो गीत थे जिनमें शोषण का शिकार हुयी जनता का दर्द था। इस दर्द को दूर करने वाली मरहम की बात थी। आम जनता के हक पर चील बन कर मंडरा रहे शोषकों की चुनौती स्वीकार करने का ऐलान था।
कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब; टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब; स्त्री मज़दूर संगठन, पंजाब स्टूडेंटस यूनियन (ललकार); नौजवान भारत सभा व बिगुल मज़दूर दस्ता संगठनों द्धारा गठित ‘ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी’ की तरफ से आयोजित श्रद्धांजलि समागम में विभिन्न संगठनों के वक्ताओं ने कहा कि शहनाज़ दमन-उत्पीडन का शिकार सभी स्त्रियों और साधारण जनता के सामने संघर्ष का एक प्रतीक है। बलात्कार, अपहरण, छेड़छाड़ जैसे जुल्मों का शिकार अधिकतर महिलाएं व उनके परिवार इन घटनाओं को सामाजिक बदनामी, मारपीट, जान गंवाने, न्याय की नाउम्मीदी आदि कारणों के चलते छिपा जाते हैं। लेकिन बहादुर शहनाज़ और उसके परिवार ने ऐसा नहीं किया।
शहनाज़ ने लड़ाई लड़ी और वह लड़ते-लड़ते मौत को गले लगा गई। वह जुल्म के सामने घुटने न टेकने की मिसाल कायम करके गई है। उसे हमेशा याद रखना होगा। वक्ताओं ने कहा कि स्त्रियों को भयानक जुल्मों का सामना करना पड़ रहा है। स्त्रियों को इसके खिलाफ़ एकजुट होना होगा। हर इंसाफपसंद व्यक्ति को इस संघर्ष में शामिल होना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को स्त्रियों सहित सभी आम लोगों की सुरक्षा, दमन-जुल्म से छुटकारे के लिए सरकारी व्यवस्था से कोई उम्मीद न करके एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को गुण्डा-पुलिस-राजनीतिक नापाक गठजोड़ के खिलाफ जुझारू जनान्दोलन सगंठित करना होगा।
संघर्ष कमेटी के संयोजक लखविन्दर ने बताया कि शहनाज़ को 4 दिसम्बर 2014 को एक गुण्डा गिरोह ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर जला डाला था। इससे पहले शहनाज़ को 25 अक्टूबर 2014 को अगवा करके दो दिन तक सामूहिक बलात्कार किया गया था। राजनीतिक सरपरस्ती में पलने वाले इस गुण्डा गिरोह के खिलाफ़ कार्रवाई करने में पुलिस ने बेहद ढिलाई बरती, पीडि़तों की ढंग से सुनवाई नहीं की गई, रिपोर्ट लिखने और मेडिकल करवाने में देरी की गई। बलात्कार व अगवा करने के दोषी 18 दिन बाद जमानत करवाने में कामयाब हो गए। गुण्डा गिरोह ने शहनाज़ और उसके परिवार को केस वापिस लेने के लिए डराया, जान से मारने की धमकियाँ दीं। 4 दिसम्बर को दिन-दिहाड़े सात गुण्डों ने उसे मिट्टी का तेल डाल कर जला दिया। 9 दिसम्बर को उसकी मौत हो गई। गुण्डा गिरोह के इस अपराध व गुण्डा-सियासी-पुलिस-प्रशासनिक नापाक गठजोड़ के खिलाफ़ हज़ारों लोगों द्वारा ‘संघर्ष कमेटी’ के नेतृत्व में विशाल जुझारू संघर्ष लड़ा गया था। जनदबाव के चलते दोषियों को सजा की उम्मीद बँधी हुई है। कत्ल काण्ड के सात दोषी जेल में बन्द हैं। अदालत में केस चल रहा है। पुलिस द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज करने में की गई गड़बड़ों के चले अगवा व बलात्कार का एक दोषी जमानत पर आज़ाद घूम रहा है। लखविन्दर ने कहा कि इन बलात्कारियों व कातिलों के फाँसी की सजा के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
श्रद्धांजलि समागम को ‘संघर्ष कमेटी’ के संयोजक व कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष लखविन्दर; टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष राजविन्दर; स्त्री मज़दूर संगठन की बलजीत; मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन के अध्यक्ष हरजिन्दर सिंह, नौजवान भारत सभा के सतपाल व कर्मजीत कोटकपुरा, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान के नेता सुरिन्दर सिंह, डेमोक्रटिक लॉयर्ज ऐसोसिएशन के नेता एडवोकेट हरप्रीत जीरख, शहनाज़ के पिता मुहम्मद इलियास, पीप्लज मीडिया लिंक के रेक्टर कथूरिया आदि ने सम्बोधित किया।
इस अवसर पर जनचेतना द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई।
इस अभियान से जुड़ने के लिए आप सम्पर्क कर सकते हैं लखविन्दर से जो ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी के संयोजक हैं। उनका मोबाईल फोन नंबर है:9646150249
No comments:
Post a Comment