Wednesday, March 08, 2017

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: नारी शक्ति ने किया आरपार की जंग का फैसला

लुधियाना में भी होंगें कई अहम आयोजन और खुलासे 
लुधियाना: 7 मार्च 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::    
कल यानि 8 मार्च को फिर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। बहुत से कार्यक्रम होंगें।  बहुत से आयोजन किये जायेंगे। कहने सुनने को बहुत कुछ होगा लेकिन इन आयोजनों से महिला सशक्तिकरण के अभियान को कितना बल मिलेगा यह कहना अभी कल्पना की बात लगती है। इसी बीच पता चला है कि बेलन ब्रिगेड, पंजाब स्त्री सभा, ट्रेड यूनियन इंटक और कुछ अन्य संगठन इस अवसर पर कुछ विशेष करने में जुटे हैं
महिलायों के साथ अन्याय का सिलसिला पुराना है। फ़िल्मी कहानियों और गीतों में दिखाए दुःख दर्द को देख कर जिन की आँखें भर आती हैं उनको शायद विश्वास न हो कि वास्तविक स्थिति इससे कहीं अधिक भयानक है। अगर राम क्र युग में सीता की अग्नि परीक्षा हुई थी तो हालत आज भी वहीँ है। अंतर पड़ा है केवल इतना कि अब नाम बदल गए हैं। स्थान बदल गए हैं लेकिन हालत बाद से बदतर होती चली गई है। आज शादी विवाह में अर्धनग्न लड़कियों से अश्लील डांस करवाये जाते हैं। अगर डांस के दौरान किसी का मन ज़्यादा मचल जाये और उससे गोली तक चल जाये तो किसी डांसर की दुखद हत्या के बावजूद मामले को रफादफा करने की कोशिशें ज़्यादा होती हैं। अगर किसी नेता की बस ताकत के मद में चूर होकर दो सगी बहनों को भी सरेआम कुचल दे तो भी आरोपी को सबक सिखाने की करवाई नहीं होती।
अगर किलेबन्दी जैसी सुरक्षा में भी वृद्ध माता चन्द कौर की हत्या हो जाये तो एक वर्ष पूरा होने पर भी हत्यारों का पता तक नहीं लगाया जाता। गौरतलब है कि  वह नामधारी संप्रदाय की गुरु माता थी। जिस जगह पर कभी पंजाब के बुरे दिनों में भी हमला नहीं हुआ था वहां शांति और विकास के दिनों में गुरु माता की जघन्य हत्या कर दी गयी। 
अगर ढंडारी में सामूहिक रेप के बाद युवा लड़की को ज़िंदा जला दिया जाये तो भी समाज में आरोपियों को कोई ऐसी सज़ा नहीं दी जाती जिससे जनता के सामने कोई क़ानूनी डर पैदा हो सके। छेड़छाड़, बलात्कार और हत्या आम हो चुकी है। महिला न घरों में सुरक्षित है, न ही बाज़ारों में, न ही कारोबारी संस्थानों में। पल पल बाद आँखों के सामने आते विज्ञापन महिला को केवल भोग की वस्तु बनाने पे तुले हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं। किसी ने परफ्यूम बेचना हो या बाईक विज्ञापन दिया जाता है लड़की का।पूंजीवादी सिस्टम में यही कुछ होता है।  अगर यह सब जारी रहा तो परिणाम और भी भयानक हो सकते हैं। नवरात्र रख कर देवी के नो रूपों की पूजा करने वाले इस तथाकथित धार्मिक समाज ने महिला को भोग की वस्तु बनाये जाने पर कभी एतराज़ नहीं किया।
इसी बीच संगीता ने बताया कि कैसे उसके पति ने उस धोखा दे कर दूसरी शादी कर ली और उसे फोन पर गुमराह करता रहा कि वह पोर्टब्लेयर जेल में बन्द है। जब उसकी दूसरी पत्नी को ढूंढा गया तो उसने दूसरी पत्नी की सहेली को भी अपने जाल में फांस लिया। इस सारे झमेले में संगीत की ननद ने भी अपना दुःख बताया कि कैसे भाईयों को पैरों पर खड़ा करने के चक्कर में उसका जीवन भी बर्बाद ही गया।  उसकी विवाह की उम्र तक भी निकल गयी।  अब वह सिंगल वुमेन के तौर ज़िन्दगी गुज़र रही है। इस तरह के कई  खुलासे आपके सामने आएंगे 8 मार्च को।
एक परिवार अपनी किशोर उम्र बच्चियों को चरित्रहीन समझ कर नहर में धकेल देता है और हमारे समाज में कोई रोष नहीं उठता। कीड़े मकोड़ों की तरह इंसानी मौतों को भी मूक दर्शक बन कर देख लिए जाता है। सदियों से प्रताड़ित महिला शक्ति अब जाग उठी है। हो सकता है वह अपनी सत्ता को स्वीकृत करवाने के लिए आर पर की लड़ाई लड़े। 

1 comment:

HindIndia said...

हमेशा की तरह एक और बेहतरीन लेख ..... ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ..... शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)