सामाजिक क्रांति की प्रतीक शर्मिला टैगोर के रूबरू
लुधियाना: 11 मार्च 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
सामाजिक क्रांति की एक सशक्त प्रतीक शर्मिला टैगोर आज उस समय लुधियाना में थी जिस दिन वोट के ज़रिये क्रांति की घोषणा हो रही थी। हिंदु परिवार में जन्म लेकर एक मुस्लिम से शादी करना आसान नहीं था लेकिन शर्मिला ने साबित कर दिखाया कि अगर प्रेम की शक्ति साथ हो तो यह सब सम्भव है। उन्होंने यह भी साबित किया कि प्रेम ही जातपात और धर्म के कटटरपन की दीवारों को तोड़ सकता है।
शर्मिला टैगोर भारतीय फिल्मों की सशक्त अभिनेत्री रही हैं। शर्मिला टैगोर का जन्म हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, भारत में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिताजी Gitindranath टैगोर एल्गिन मिल्स की ब्रिटिश इंडिया कंपनी मालिक के महाप्रबंधक थे।
यादगारी आयोजन कराया फिक्की फ्लो की तरफ से। इस प्रोग्राम में शहर की चुनिंदा हस्तियां पहुंचीं। शर्मिला ने बहुत सी बातों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि 13 साल की उम्र में ही उन्होंने बॉलीवुड में आने का फैसला कर लिया था क्योंकि उन्हें कोलकाता के मशहूर डायरेक्टर की दो फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिल गया था। उसके बाद वह मुंबई में जाकर बस गई। इस मौके पर पारम्परिक दौर के साथ साथ आधुनिक ज़माने की बातें भी हुईं। उस वक़्त की जनरेशन और आज की जनरेशन के माइंड सेटअप पर शर्मिला ने सटीक बातें कहीं शर्मिला ने बताया कि आजकल की मॉडर्न जनरेशन अपनी मर्जी से काम करती है। इसलिए वह अपना अधिकतर समय अपने पोतों व पोतियों के साथ बिताती हैं। यह एक सुझाव भी था उस महिला वर्ग को जो उदास हो कर घर में पड़ा रहता है उदासीन हो कर।
पैरेंटिंग टिप्स भी दिए: आज के दौर की प्रमुख समस्या पैरेंटिंग की भी उन्होंने चर्चा की और अपने अनुभव भी बताये। शर्मिला ने महिलाओं के साथ इंटरैक्शन में उनके बच्चों के साथ जीरो से तीन वर्ष की उम्र तक और छह वर्ष की उम्र तक पैरेंटिंग के टिप्स दिए। शर्मिला ने बताया कि उनके जमाने में महिलाएं बॉलीवुड में आती थीं तो लोगों की सोच सीमित थी, पर आज जमाना बदल रहा है। अगर आप फोकस्ड और विल पावर और दिल से कोई भी काम करते हैं तो सफलता आपके कदम चूमती है। आज के व्यस्त और छोटे परिवारों के दौर में इस चर्चा से बहुत सी महिलायों ने फायदा उठाया।
उन्होंने अपने विवाह की भी चर्चा की और उस ज़माने में सामने आई चुनौतियों की भी। शर्मिला ने बताया कि उन्होंने क्रिकेटर नवाब टाइगर पटौदी के साथ शादी इसलिए की क्योंकि उन्हें लगता था वह पूरी उम्र उनकी रक्षा कर सकते थे। उनके देहांत के बाद वह पटौदी ट्रस्ट चला रही हैं। उन्होंने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान, संजय दत्त, आमिर खान, प्रियंका चोपड़ा के सामाजिक कार्यो की तारीफ की। उन्होंने महिला की आजादी पर कहा कि इसके लिए कोई फार्मूला नहीं होता। लेकिन मेहनत, खुद पर यकीन और पॉजिटिविटी ही एक अच्छा जीवन जीने का मंत्र है। इन सुझावों को वहां मौजूद लोगों ने बहुत महत्व से सुना।
कुछ ख़ास लोगों का ख़ास ज़िक्र: सफलता और शोहरत की शिखरों को छूने के बावजूद शर्मिला अपने ख़ास लोगों को याद करना नहीं भूली। शर्मिला ने कहा कि फिक्की मेंबर मीनाक्षी ने उनके पूरे जीवन को एक कविता में पिरोकर उनको सम्मान दिया है। तरुणा ने उनका पॉटरेट बनाया। एक अन्य महिला ने उनकी डलहौजी की एक यात्रा के दौरान उनके घर पर खींची गई तस्वीरें साझा की। फिक्की फ्लो की चेयरमैन सविता अग्रवाल ने कहा कि शर्मिला से सीखने के लिए बहुत कुछ है और उन्होंने जिस तरह से अपनी निजी और प्रोफेशनल लाइफ में सफलता हासिल की है वह सराहनीय है। उन्होंने गुंजन जैन की किताब में जिस तरह सफलता प्राप्त कर चुकी औरतों की चौबीस कहानियों का जिक्र किया, उसकी प्रशंसा की। फिक्की फ्लो के इस कार्यक्रम में शर्मिला टैगोर के फैंस का आलम यह था कि महिलाओं के लिए आयोजित प्रोग्राम में उनके पति और शहर के माने जाने कॉरपोरेट घराने के लोग, डॉक्टर्स, सोशल एक्टिविस्ट, फैशन डिजाइनर भी पहुंचे हुए थे। कुल मिलाकर यह एक यादगारी कार्यक्रम था जिसने साबित किया कि चुनावी और सियासी जनून के चलते भी लोग इन ख़ास आयोजनों को तरजीह देते हैं। इनमें शामिल होना चुनावी और सियासी जनून से अधिक महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। समाजिक बदलाव के लिए यह एक अच्छा संकेत भी है।
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