Sunday, March 12, 2017

ध्यान योग का विज्ञान ही पूर्ण स्वास्थ्य का मूल है : डॉ. सतीश गुप्ता

डा. गुप्ता अनेक राष्ट्रीय व  अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित 
लुधियाना: 12 मार्च, 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय, लुधियाना शाखा की संचालिका बी.के. राज दीदी की अध्यक्षता में रविवार सांय गुरु नानक पब्लिक स्कूल, साराभा नगर, लुधियाना के ऑडीटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में भारी सभा को संबोधित करते हुए ग्लोबल हॉसपिटल व रिसर्च सैंटर माऊंट आबू से आए हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश गुप्ता ने खुशहाल व स्वस्थ जीवन के सरल सहज उपाए बताए। उन्होंने राजयोग ध्यान का विज्ञान व स्वास्थ्य के लिए इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। डॉ. सतीश गुप्ता को चिकित्सा, खास तौर पर हृदय रोगों से बचाव के संबंध में व राजयोग के क्षेत्र में अनेक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वे बिना आपरेशन, केवल खान-पान, रहन-सहन के परहेज व राजयोग ध्यान योग के माध्यम से अनेक हृदय धमनियों के अवरोध को सफलता पूर्वक दूर कर चुके हैं। इस मौके पर लुधियाना के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि आज समाज में भले चिकित्सक, विशेषज्ञ व चिकित्सा संस्थान बढ़ रहे हैं परन्तु बीमारियां भी कम होने के बजाए बढ़ गई हैं। इसके कारण पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आज हमारी जीवनशैली से संबंधित अनेकों बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्चरक्तचाप, थायरायड, कैंसर, हृदय रोग, त्वचा रोग, फेफड़ों के रोग, पेट की बीमारियों आदि ने हमें घेर लिया है। इनसे पूर्णत निजात इस लिए नहीं मिल पा रही क्योंकि शारीरिक स्वास्थ्य हमारी पूर्ण सेहत का केवल एक पहलू है। इसके अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं- मानसिक व अध्यात्मिक पहलू पर हम गौर ही नहीं कर रहे। जबकि मानसिक व आध्यात्मिक पहलूओं के अस्वस्थ होने पर ही शरीर में रोग होते हैं। आज हर कोई चिंता, तनाव, क्रोध, आक्रोश, असंतुष्टता, डर, लोभ, मोह, अहंकार आदि अनेक अस्वस्थ मनोभावों को अपना चुका है इसे अपना स्वभाव मान कर स्वीकार कर चुका है। जबकि ऐसा ही अस्वस्थ मन-अस्वस्थ खान-पान, व रहन-सहन को स्वीकृति देता है जिससे शरीर में तो रोग होते ही हैं। इन्हीं मनोभावों के कारण आपसी संबंधों में मनमुटाव व सामाजिक स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचती है। मन को स्वस्थ, सशक्त रखने का एक मात्र रास्ता अध्यात्म ज्ञान का जीवन में पालन करना है। अध्यात्म ज्ञान हमें सिखाता है कि हम मूल रूप से शरीर नहीं बल्कि शांत स्वरूप आत्मा है और हम सब एक परमात्म पिता की सन्तान व आपस में भाई-भाई हैं। यह आत्मिक ज्ञान हमें देह, मन की अस्वस्थ मानसिकता से उभरने में मदद करता है। इसे राजयोग मैडीटेशन के नियमित अयास द्वारा दृढ़ किया जा सकता है। राजयोग के द्वारा हमें आत्मा के सात गुणों- सुख, शांति, प्रेम, आनन्द, ज्ञान, पवित्रता व शक्तियों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा व मार्ग मिलता है। मैडीटेशन द्वारा बिचारों पर नियन्त्रण व उन्हें सही दिशा देकर हम अभ्यन्तर तौर पर स्वस्थ होते हैं व शरीर रोगों से भी मुक्त होते हैं। मन के विचार कम होने से वे सशक्त व सकारात्मक भी होते हैं। तभी आत्मा अपने पिता परमात्मा से संबंध स्थापित कर सब शक्तियों का अनुभव कर पाती है। इस प्रकार स्वस्थ मन, आत्मा व शरीर के बीच कड़ी का काम करते हुए आत्मिक गुणों को स्वस्थ जीवन के रूप से प्रकाशित करता है। ऐसे स्वस्थ मानसिकता, सकारात्मकता से हमारा खान-पान, रहन-सहन भी सदा स्वस्थ होता जाता है। समाज के प्रति उदार प्रवृति हो जाती है। इस प्रकार ध्यान योग का विज्ञान पूर्ण स्वास्थ्य का मूल कहा जा सकता है। 
सत्र के दौरान डॉ. सतीश जी ने उपस्थित लोगों को राजयोग मैडीटेशन का अयास भी कराया जिसे सभी ने सराहा।

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