Sunday, March 05, 2017

विवाह के वचनों की क़ानूनी सुरक्षा मज़बूत करने का अभियान शुरू

बेलन ब्रिगेड ने बजाया नई महिला जंग का बिगुल 
लुधियाना: 4 मार्च 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::  For more photos please click here 
अग्नि के समक्ष लिए गए सात फेरों या आनन्द कारज के अंतर्गत हुई लावां फेरों की रस्म को धत्ता बताते हुए वैवाहिक जीबन को तहस नहस करने वालों को अब बेलन ब्रिगेड ने आड़े हाथों लेने का ऐलान किया है। ब्रिगेड ने मांग की है कि इन फेरो में दिए जाते वचनों को ऐफिडेविट के ज़रिये  सुरक्षा और मान्यता प्रदान की जाये। ब्रिगेड ने आज सर्कट हाऊस में एक प्रेस कांफ्रेंस करके कि  किस तरह महिलायों की ज़िन्दगी एक श्राप बन चुकी है और उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। इसके साथ ही ब्रिगेड ने याद दिलाया कि इतिहास गवाह है कि पुराने वक्त में भी महिलाये मर्दो से ज्यादा काम करती थी और आज भी हालत में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ। इस मीडिया  मीट में ब्रिगेड की प्रमुख अनीता शर्मा, उनकी राईट  हैंड कोमल शर्मा,  शोभा दीदी और कुछ अन्य प्रमुख महिलाये मौजूद थीं।    For more photos please click here 
ब्रिगेड ने कहा कि दूल्हा व दुल्हन फेरो के वक्त कलयुग में अग्नि को साक्षी मानकर मौखिक वचन देने की परम्परा को छोड़ कर बाकायदा ऐफिडेविट दें।  For more photos please click here 
इस अबसर पर संस्था की राष्ट्रीय अध्य्क्ष आर्किटेक्ट अनीता शर्मा ने कहा कि 18 वी सदी में महिलाये घर में रह कर ही काम करती थी, सारी जिंदगी घूंघट में ही निकाल देती थीं और उन्हें एक मिनट भी काम से फुर्सत नहीं मिलती थी। कुंए से पानी लाना, लकड़ी से चूल्हे पर खाना बनाना, कच्चे घरों को लीपना पोतना, पूरे परिवार की देखभाल करनी और 8 -10 बच्चो को जन्म देना और उनका पालन पोषण करना होता था। इतिहास गवाह है कि पुराने वक्त में भी महिलाये मर्दो से ज्यादा काम करती थी। मर्द तो केवल जंगलों में दिन भर घूम कर फल और जानवरो का शिकार करके लाते थे।  For more photos please click here 
आज 21 वी शताब्दी में सब कुछ बदल गया है महिलाऐं आज आधुनिक तौर के तरीके से घर का काम कर रही है और घरो की चार दिवारी से बाहर आ चुकी है लेकिन दुर्भाग्य से आज भी नारी को मर्दो की गुलामी में जीवन जीना पड़ रहा है महिलायो को मर्दो की सलाह से ही काम  करना पड़ता है यहाँ तक की बच्चे की माँ बंनने के लिए भी नारी को पति की स्वीकृति जरूरी है यदि पति नहीं चाहेगा तो एक औरत अपनी इच्छा से माँ भी नहीं बन सकती उसे गर्भ रखना है या गर्भपात कराना है यह भी मर्दो की इच्छा पर ही निर्भर करता है। 
अनीता शर्मा ने कहा कि अदालतों में महिलायों को सबसे ज्यादा जलील होना पड़ता है और धक्के खाने पड़ते हैं। घरेलू हिंसा और तलाक के मामलों में एक औरत को कई कई वर्ष इन्साफ नहीं मिलता।  वे अपने बच्चे को गोद में उठाये अपना व बच्चे का खर्चा लेने के लिए अदालतों व वकीलो के चक्कर काट काट कर अपनी जिंदगी को नरक बना लेती हैं और उन्हें कई कई साल तक तलाक के मामले में खर्चा तक नहीं मिलता। सारा केस वकीलों की बहस और जज की नासमझी की भेंट चढ़ जाता है और जिंदगी बर्बाद हो जाती है एक माँ और बच्चों की। इन तलाक के मामलो में एक अबला नारी की जो दुर्दशा भारतीय अदालतों में इन्साफ के लिए होती है उस पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। For more photos please click here 
मैडम शर्मा ने कहा कि शादी से पहले लड़के के माँ बाप रिश्तेदार कहते है कि लड़का हज़ारों रूपए कमाता है , अपना घर है, फैक्टरी है लेकिन जब तलाक की नोबत आती है तो लड़के के घर वाले उसे बेदखल कर देते है अब लड़का कोई काम नहीं करता क्योकि असल में वह अपनी पत्नी व बच्चे को कोई खर्च नहीं देना चाहता। शादी से पहले लाखों करोड़ों कमाने वाला दूल्हा अपने आप को वकील साहिब की मदद से जज के सामने कंगाल घोषित कर  देता है।  For more photos please click here 
हज़ारो वर्ष पहले सतयुग में वेदों के काल में हिन्दू लोग शादी में फेरो के वक्त दूल्हा व दुल्हन अग्नि को साक्षी मान कर एक दुसरे को वचन देते थे और जिदगी भर उसका पालन करते थे और आज कलयुग में यहां लोग झूठ फरेव में जीवन जी  रहे है माँ बाप भाई बहन एक दुसरे को धोखा दे रहे है और यही  शादी में फेरो के वक्त मौखिक वचन देने वाले पति पत्नी शादी के बाद मुकर जाते है लड़का व लड़की एक दुसरे पर दोष लगाते है। इसलिए अब शादी के वक्त फेरो के समय कलयुग में  मौखिक वचन देने की परम्परा को छोड़  कर दूल्हा व दुल्हन एफिडैविट पर अपने वचनों पर  साइन करे ताकि शादी के बाद तलाक की नोबत आने पर अपने वचनों से मुकरे नहीं। For more photos please click here 
अनीता शर्मा ने कहा कि नारी जो माँ है, बेटी है, बहू है, बहन है लेकिन पुरुष प्रधान समाज में उसको आज भी भोग की ही वस्तु समझा जाता है। हर कोई इन्सान उसको अपने वश में करने की युक्ति लगाता रहता है। यही कारण है कि नारी की सोच, ज्ञान, ममता, सहनशीलता और मान मर्यादा का लोग गलत अर्थ लगाते है, उसका नाजायज फायदा उठाते है और उसे कमजोर समझते है। जबकि हकीकत में नारी कमजोर नहीं है। लगातार 9 महीने तक बच्चे को अपने पेट में पाल कर और बच्चे के जन्म के समय वह अपनी आँखों के सामने ही बच्चे को जन्म देने के लिए अपना पेट चिरवा लेती है इससे बड़ा हिम्मत और बड़े जिगर वाला कौन सा प्राणी होगा?   For more photos please click here 
जो मर्द शराबी, नशेड़ी, कामचोर, जुआरी व रंडीबाज है और घर में माँ बाप, पत्नी व बच्चो को खर्च नहीं देता इस हालात में  मर्द के इस निकम्मेपन का खामियाजा भी  औरत को भुगतना पड़ता है। 
पुरूष समाज ताकतवर है क्योकि वह रुपये कमाता है और नारी रुपया नहीं कमाती इसलिए कमजोर है और घर के खर्चे के लिए मर्दो के मुँह की तरफ देखती है। अब वक्त आ गया है नारी समाज को जागना पड़ेगा अपने हक़ के लिए लड़ना होगा उन्हें खुद रोज़गार करना होगा रुपया कमाना होगा ताकि महिलाओं को घर परिवार चलाने के लिए मर्दो की मोहताज न होना पड़े।   For more photos please click here 
नवकिरन वूमेन वेलफेयर एसोसिएशनबेलन ब्रिगेड ने महिला सशक्तिकरण तथा उन्हें रोज़गार उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है ताकि किसी भी महिला को पुरूषों की कमाई से घर परिवार चलाने के लिए मुँह न ताकना पड़े।  For more photos please click here 
शादी से पहले लड़की वाले जिस लड़के से शादी हो उसके माँ बाप से लड़के के कारोबार व उसकी प्रोपेर्टी चल अचल का ऐफिडेविट ले तांकि तलाक के वक्त पत्नी व बच्चे को खर्चा देने से न भागे और लड़के व लड़की का मेडिकल भी शादी से पहले होना चाहिए। For more photos please click here 
इसलिए संस्था की तरफ से अदालतों में लटके हुए महिलायों के तलाक व खर्चे के केसों को निपटाना, नशे से बर्बाद हो रहे घर परिवार और महिलायो को इस से बचाना मुख्य एजंडे पर रहेगा। हर औरत खुद काम करे, रुपया कमाये इसलिए हर वर्ग की  महिलायो को रोज़गार व नौकरी उपलब्ध कराना हमारा उद्देश्य है। 
इस अवसर पर कोमल शर्मा, शोभा दीदी, रीमा, शिहान पंकज साहनी, हेम लता, जगदीश कौर आदि ने अपने विचार रखे।  For more photos please click here 

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