45 वर्षीय अजय पारीक को उसकी पत्नी ने दी अपनी किडनी
सफलतापूर्वक हुआ पहला किडनी ट्रांसप्लांट
सफलतापूर्वक हुआ पहला किडनी ट्रांसप्लांट
लुधियाना: 17 फरवरी 2017:(पंजाब स्क्रीन टीम)::
वेलेन्टाईन डे को लेकर किसी के विचार कुछ भी क्यों न हों पर एक भारतीय महिला ने साबित कर दिखाया कि उसके लिए हर दिन वेलेन्टाईन डे है और वह आई लव यू कहे या न कहे लेकिन इसे निभाना जानती है और ज़रूरत पड़े तो अपनी जान भी दांव पर लगा सकती है। उसकी इस क़ुरबानी और प्रेमपूर्ण भावना को देख कर उसके पति को भी अहिसस हुआ कि उसने दिल का सौदा गलत जगह नहीं किया। दिल उसे दो जो जान दे दे---जान उसे दो जो दिल दे दे---। गीत फ़िल्मी था लेकिन फोर्टिस ने ढून्ढ निकाला कि भारत में ऐसा वास्तविक ज़िन्दगी में भी होता है।
बात ज़िन्दगी की थी क्योंकि किडनी ने जवाब दे दिया था। स्वार्थ के इस युग में कोई और होती तो शायद छोड़ कर भाग जाती और दूसरी यदि कर लेती पर रीतू ने साबित किया कि प्यार भी एक बार ही होता है और हम शादी भी एक बार ही करते हैं। उसकी इस भावना ने डॉक्टरों को भी नई प्रेरणा दी और फोर्टिस हॉस्पिटल लुधियाना में 45 साल के मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट सफलता पूर्वक किया गया। इस तरह रीतू ने अपने पति अजय पारीक को किडनी देकर उसकी जान बचाई।
इस संबंध में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान हॉस्पिटल के डायरेक्टर विवान सिंह गिल ने कहा कि हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि फोर्टिस क्लब पंजाब में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एलाइट क्लब से जुड़ गया है। हमारे यहां पहला मरीज (December, 2016) को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आया। उसकी पत्नी ने अपने पति को किडनी दी, जिसे लैप्रोस्कोपी तकनीक से निकाला गया। नेफ्रोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. नवदीप सिंह खैरा ने कहा कि जिन मरीजों की किडनी फेल हो जाती है, उन्हें ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। ऐसे लोगों को डायलसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करानी होती है। भारत में हर साल डेढ़ लाख लोग किडनी फेलियर का शिकार होते हैं मगर केवल किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दान करने वालों की संख्या साढ़े तीन हजार तक ही पहुंच पाती है।
यूरोलॉजी, लेप्रोस्कोपी व किडनी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आशीष जिंदल ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो गया है और अब मरीज रिकवरी कर रहा है। उसे नेफ्रोलॉजिस्ट, ट्रांसप्लांट सर्जन, एनास्थिसिट और क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट नर्सिंग स्टाफ की निगरानी में रखा गया था। उन्होंने कहा कि किडनी फेलियर का शिकार हो चुके मरीजों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट ही बढिय़ा विकल्प है। जिससे वे लंबे समय तक सामान्य जीवन जीने के साथ ही डायलसिस से मुक्ति पा सकते हैं।
विवान सिंह गिल ने सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट करने वाली टीम में शामिल डॉ. नवदीप सिंह खैरा, डॉ. आशीष जिंदल, यूरोलॉजिस्ट डॉ. योगेश कालड़ा व ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेटर डॉ. गौरव बिंदल का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास बढिय़ा ऑपरेशन थिएटर व किडनी ट्रांसपप्लांट आईसीयू उपलब्ध है।
किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले अजय पारीक ने कहा कि मैं खुशनसीब हूं कि मुझे रितू जैसी प्यार करने वाली पत्नी मिली, जिसने मुझे नई जिंदगी दी है। उसने अपने परिवार, फोर्टिस हॉस्पिटल की टीम, अपने भाई संजय पारीक और अपनी भाभी ज्योति पारीक का भी धन्यवाद किया है।
1 comment:
शानदार पोस्ट ... बहुत ही बढ़िया लगा पढ़कर .... Thanks for sharing such a nice article!! :) :)
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