Sunday, November 06, 2016

बाज का गीत//देबाजीत घोष

हम एक बार फिर गाएंगे
Debajit Ghosh
बाज का गीत हम 
एकबार फिर गाएंगे
लहूलुहान कर
खुद को
खुद के बीच से 
फिर उग आएंगे
गिरेंगे हारेंगे 

पर हार क्यों मानेंगे?
सौ वर्ष पहले
हम जीते थे
पर हार कब माने थे हम ?
बाज हैं हम
तोड़कर अपनी चोचे
नोचकर अपनी पंखे
फिर नया उगा लेंगे
उड़ेगे फिर आकाश में
लहरों को
फिर ललकारेंगे
बाज का गीत हम
एकबार फिर गाएंगे.  

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