Monday, September 12, 2016

सारे हिन्दोस्तान का पेट भरना हमारी डयूटी-वीसी डा. ढिल्लों

मेले में बताये गए किसानों को आर्थिकता सुधारने के गुर 
नाग कलां-जहांगीर  (अमृतसर) से लौट कर रेक्टर कथूरिया :
खुद दर्द सह कर भी दूसरों को मुस्कराहट देना यह हिम्मत और गौरव पंजाबियों के हिस्सा ही आया है। जब किसान खुदकुशियां कर रहा है उस कठिन समय भी पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी ने देश के प्रति लगाव और स्पिरिट में कमी नहीं आने दी। पीएयू के उपकुलपति डॉक्टर बलदेव सिंह ढिल्लों ने यहाँ आयोजित किसान मेले में याद दिलाया कि पूरे हिन्दोस्तान का पेट भरना हमारा कर्तव्य बनता है। यहाँ सितम्बर महीने में आयोजित किसान मेलों में से दूसरा मेला आज सोमवार 12 सितम्बर 2016 को आयोजित हुआ। 
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र नाग कला में किसान मेला लगाया गया। मेले के समारोह में डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों वीसी पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए। मेले के दौरान कृषि से संबंधित मुकाबले भी करवाए गए। इनमें घरेलू काम को कारोबार तक लेजाने के लिए घरेलू उत्पडन्न की प्रतियोगिता भी शामिल थी। सेवियां बनाने के मुकाबले में इलाके की 15 महिलायों ने भाग लिया। जिनमें चार को सम्मानित भी किया गया। महिला सशक्तिकरण का यह प्रयास बेहद कामयाब भी हो रहा है।  पीएयू के बनाये सेल्फ हैल्प ग्रुप बहुत ही कामयाबी से चल रहे हैं। इनका सामान तरोताज़ा, पौष्टिक और सस्ता भी होता है। कोई बड़ी कम्पनी खराब सामान बेच क्र भी कई बहाने लगा सकती है लेकिन इन कल्बों की सदस्य महिलाएं जानती हैं कि इनको यहां रहना है अपने लोगों के बीच इसलिए इनके साथ व्यवहार शुद्ध रखना आवश्यक है। इन महिलायों के चेहरे पर एक आत्म विश्वास और आंखों में सफलता की चमक होती है। अपने परिवार की आर्थिकता को मज़बूत बनाने में सक्रिय यह साधारण सी महिलाएं बहुत ही असाधारण कार्य कर रही है जिसकी अहमियत अभी तक पूरी तरह लोगों के सामने नहीं आई है। इन मेलों में इन महिलायों की सफलता आसानी से देखी जा सकती है। कर्ज़ लेकर काम शुरू करने वाली ये महिलाएं आज अछि खासी कमाई कर रही हैं वो भी बिना किसी नौकरी के। इस मेले में भी ऐसा एलोवेरा जूस बेचा जा रहा था और केवल एक दिन पूर्व ही पैक किया गया था। बाजार के ब्रांडेड जूस से कुछ महंगा होने के बावजूद हाथो हाथ बिक रहा था। शहद के साथ साथ आंवला का आचार और मुरब्बा भी ग्राहकों को लुभा रहा था। इन महिलायों और कुछ पुरुषों ने भी बताया कि अब अगर वे अपने पैरों पर खड़े हैं तो केवल पीएयू से मिली ट्रेनिंग और प्रोत्साहन की बदौलत। 
इस अवसर पर डॉ. आरके गुब्बर, डॉ. राजिंदर सिंह, डॉ. गुरमीत सिंह, महिंद्र सिंह ग्रेवाल, डॉ. तरसेम सिंह, डा. हरवंत सिंह औलख डिप्टी डायरेक्टर कृषि विभाग तथा डॉ. रंजीत सिंह आदि मौजूद थे। इसके साथ ही आत्म हत्या कर रहे किसान की हालत सुधरने के लिए पीएयू ख़ामोशी से सक्रिय है। इस दुसरे किसान मेले में भी इस बात पर ज़ोर दिया गया कि किसान को पूरा वर्ष मेहनत करने और केवल दो दिन आमदन लेने की जगह अब खुद को बदलना होगा और हर रोज़ आमदन लेनी होगी। इस मकसद के लिए किसान को दूध के साथ साथ सब्ज़ियों की तरफ भी विशेष ध्यान देने को कहा जा रहा है। दूध और सब्ज़ियां ही ऐसी चीज़ हैं जो हर रोज़ बिक सकती हैं। 
मेला कोई सरकारी या अकादमिक आयोजन न होकर एक पारिवारिक मिलन की तरह लग रहा था जिसमें सभी अपना सुख दुःख साँझा कर रहे थे। मेले में तरह तरह जे स्टाल लगे थे और जितने लोग पंडाल में थे उससे कहीं अधिक इन स्टालों पर थे। फूल और शाखाएं काटने वाली कैंची से लेकर ट्रेक्टर तक बेचे जा रहे थे। सब्ज़ियों के बीजों की मांग यहाँ बहुत ज़्यादा थी। शायद ही कोई हो जिसने सब्ज़ी के बीजों की किट न खरीदी हो। केवल 100/- रूपये की इस किट में दस तरह की सब्ज़ियों के बीज थे जिन्हें घर में भी उगाया जा सकता है। 
वाइस चांसलर डॉक्टर ढिल्लों ने इन कृषि केंद्रों की स्थापना और मेलों के आयोजन का संक्षिप्त सा इतिहास बताते हुए कहा कि इनसे फायदा लेना अब हर किसान का फ़र्ज़ है। 

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