सभी हितधारक इसके सदस्य होंगे
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज शीतागार विकास के राष्ट्रीय केन्द्र को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत संस्था अन्तर नियमों एवं नियम तथा विनियमों के साथ एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत कराने की कार्योत्तर अनुमति प्रदान कर दी। यह केन्द्र पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में काम करेगा और सभी हितधारक इसके सदस्य होंगे। केन्द्र की एक प्रशासनिक परिषद होगी। सचिव इसके अध्यक्ष होंगे तथा इसमें 22 सदस्य होंगे, जो सरकारी अधिकारियों, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफआईसीसीआई), उत्पादक, शीतागार उपकरण निर्माता/आपूर्तिकर्ता आदि वर्गो से आएंगे।
इस केन्द्र की संचालन निधि के लिए अनुदान के रूप में एक बार दी जाने वाली 25 करोड़ रुपये की रकम मंजूर की गई है।
पृष्ठ भूमि भारत बागबानी जिन्सों का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां पर 71.5 मिलियन मीट्रिक टन फल, 133.7 मिलियन मीट्रिक टन सब्जियां और 17.8 मिलियन मीट्रिक टन अन्य उत्पाद उगाये जाते हैं। इनमें फूल, मसाले, नारियल, काजू, खुम्बी, और शहद शामिल हैं, लेकिन फल, सब्जियां और फूल आदि उत्पाद जल्दी खराब हो जाने वाली चीजें हैं जिससे इनका एक बड़ा भाग फसल कटाई के बाद बर्बाद हो जाता है।
इस समस्या पर ध्यान देने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2008 में एक शीतागार विकास पर कार्यबल का गठन किया था। इस कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में शीतागार विकास के लिए समर्पित एक संस्था के गठन की सिफारिश की थी। नेशनल स्पाट एक्सचेंज (एनएसई) ने भी अपने एक अध्ययन में (भारत में शीतागार ग्रिड-2010) सिफारिश की थी कि जल्द खराब हो जाने वाली चीजों की रक्षा के लिए एक विशाल शीतागार मूल सुविधा की जरूरत है। (09-फरवरी-2012 13:23 IST)
* एक मिलियन - 10 लाख
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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज शीतागार विकास के राष्ट्रीय केन्द्र को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत संस्था अन्तर नियमों एवं नियम तथा विनियमों के साथ एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत कराने की कार्योत्तर अनुमति प्रदान कर दी। यह केन्द्र पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में काम करेगा और सभी हितधारक इसके सदस्य होंगे। केन्द्र की एक प्रशासनिक परिषद होगी। सचिव इसके अध्यक्ष होंगे तथा इसमें 22 सदस्य होंगे, जो सरकारी अधिकारियों, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफआईसीसीआई), उत्पादक, शीतागार उपकरण निर्माता/आपूर्तिकर्ता आदि वर्गो से आएंगे।
इस केन्द्र की संचालन निधि के लिए अनुदान के रूप में एक बार दी जाने वाली 25 करोड़ रुपये की रकम मंजूर की गई है।
पृष्ठ भूमि भारत बागबानी जिन्सों का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां पर 71.5 मिलियन मीट्रिक टन फल, 133.7 मिलियन मीट्रिक टन सब्जियां और 17.8 मिलियन मीट्रिक टन अन्य उत्पाद उगाये जाते हैं। इनमें फूल, मसाले, नारियल, काजू, खुम्बी, और शहद शामिल हैं, लेकिन फल, सब्जियां और फूल आदि उत्पाद जल्दी खराब हो जाने वाली चीजें हैं जिससे इनका एक बड़ा भाग फसल कटाई के बाद बर्बाद हो जाता है।
इस समस्या पर ध्यान देने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2008 में एक शीतागार विकास पर कार्यबल का गठन किया था। इस कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में शीतागार विकास के लिए समर्पित एक संस्था के गठन की सिफारिश की थी। नेशनल स्पाट एक्सचेंज (एनएसई) ने भी अपने एक अध्ययन में (भारत में शीतागार ग्रिड-2010) सिफारिश की थी कि जल्द खराब हो जाने वाली चीजों की रक्षा के लिए एक विशाल शीतागार मूल सुविधा की जरूरत है। (09-फरवरी-2012 13:23 IST)
* एक मिलियन - 10 लाख
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