Monday, February 27, 2012

कविता सप्ताह में अलका सैनी की नई कविता

पंजाब स्क्रीन:कविता सप्ताह:चौथा दिन:आज अलका सैनी की कविता सज़ा 
सज़ा   
 फोटो साभार: बी ई 
कल रात एक झटके में 
तिनका तिनका बिखर गया 
आंधी आई और सब 
गुजर गया 

तूफ़ान उसके देस में चला 
आशियाँ मेरा उजड़ गया 

हर बार की तरह खुद 
को कटघरे में खड़ा पाया 
मुजरिम कोई और था 
मुकद्दमा मुझ पर चला 
फिर एक बार सजा मेरे 
हिस्से में आई 

बादल उसके शहर पे बरसे 
सैलाब में घर मेरा बहा 
किसने सोचा था इतना 
बेदर्द होगा ये आलम !

इक बार तकदीर के 
आगे वफ़ा हार गई 
गल्ती हमारी थी 
भूल हमसे हुई 
दीये को हम सूरज 
और एक रात की ख़ुशी को 
जिन्दगी का सफ़र समझ बैठे !!

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