पिछले 12 महीनों के दौरान पोलियो का कोई भी नया मामला दर्ज नहीं
विशेष लेख पोलियो उन्मूलन के इतिहास में भारत ने 13 जनवरी 2012 को एक बड़ी सफलता हासिल की, जब पिछले 12 महीनों के दौरान पोलियो का कोई भी नया मामला दर्ज नहीं किया गया। भारत में यह दिन बेमिसाल प्रगति और पोलियो उन्मूलन की रणनीतियों एवं उन्हें प्रभावी तरीके से लागू करने के अनुमोदन की पहचान बन गया है।
· 2011 में पोलियो के मामले 1 (13 जनवरी, 2011 को अंतिम मामला)
· 2010 में पोलियो के मामले 42
· 2009 में पोलियो के मामले 741
· 1995 में पोलियो के मामले 50,000
· 1985 में पोलियो के मामले 150,000
· 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में वाइल्ड पोलियो वायरस (डब्ल्यूपीवी-1) का अंतिम मामला उजागर हुआ था।
· 22 अक्तूबर 2010 को झारखंड के पाकुड़ में वाइल्ड पोलियो वायरस (डब्ल्यूपीवी-3) का अंतिम मामला उजागर हुआ था।
· अक्टूबर 1999 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में वाइल्ड पोलियो वायरस (डब्ल्यूपीवी-2) का अंतिम मामला सामने आया था।
· नवम्बर 2010, को मुंबई में मासिक इनवायरमेंटल सीवेज सैम्पलिंग में पोलियो का अंतिम मामला उजागर हुआ था (दिल्ली ,मुंबई और पटना से सैम्पल लिये गये थे)
· 2011 में पोलियो की 900 मिलियन खुराक दी गई थी।
· 1988 में वैश्विक पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम की शुरूआत से अब तक पोलियो के मामले में 99 फीसदी की कमी आई है। 1988 में 125 देशों में जहां साढ़े तीन लाख बच्चों के सालाना पोलियो से ग्रस्त होने या मारे जाने के आंकड़े होते थे, वहीं 2011 में 17 देशों में पोलियो के महज 649 मामले (14 फरवरी, 2012 तक के आंकड़े) उजागर हुए थे। 2006 में वैसे देश जहां पोलियो वायरस का संक्रमण खत्म नहीं हुआ की संख्या घटकर चार हो गई जिसमें भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल हैं।
· तीन प्रकार के पोलियो में डब्ल्यूपीवी-2 प्रकार वाले पोलियो का दुनिया से खात्मा हो चुका है। अक्टूबर 1999 में भारत के अलीगढ़ में डब्ल्यूपीवी-2 पोलियो का अंतिम मामला सामने आया था।
· पोलियोग्रस्त दो राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में क्रमश: अप्रैल 2010 और सितम्बर 2010 से अब तक पोलियो का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है।
· सबसे खतरनाक डब्ल्यूपीवी-1 के संक्रमण से भारत में 2006 तक पोलियो के 95फीसदी मामले सामने आते थे, जो 2010 में निचले रिकॉर्ड स्तर पर आ गया। देश में पोलियो का केन्द्र रहे उत्तर प्रदेश में नवम्बर 2009 से डब्ल्यूपीवी-1 पोलियो का कोई मामला उजागर नहीं हुआ है।
· पोलियो उन्मूलन में यह प्रगति सघन टीकाकरण अभियान से संभव हो पायी, जिसमें पोलियोग्रस्त इलाकों और नवजात शिशुओं (यूपी और बिहार में प्रति माह पाँच लाख से अधिक बच्चे पैदा होते हैं) एवं प्रवासियों पर खास जोर दिया गया है। इसमें मोनोवैलेंट ओरल पोलियो की खुराक और 2010 से बाइवैलेंट ओरल पोलियो की खुराक दी जाने लगी, जो पी-1 और पी-3 दोनों से बचाव करती है।
· भारत में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम की अगुवाई स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय कर रहा है, जिसमें बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन की राष्ट्रीय पोलियो निगरानी परियोजना, रोटरी इंटरनेशनल, रोग नियंत्रण एवं बचाव के अमेरीकी केन्द्रों और यूनिसेफ का लगातार समर्थन मिल रहा है।
2011 में पूरक टीकाकरण गतिविधियों की संख्या
· 2 राष्ट्रीय टीकाकरण दिवसों पर पाँच साल से कम उम्र के 172 मिलियन बच्चों को पाँच दिनों में टीका दिया गया।
· 7 उप राष्ट्रीय टीकाकरण दिवसों पर 50 से 70 मिलियन बच्चों को टीका दिया गया।
· 1 आपातकालीन सफाया कार्यक्रम के तहत 2.6 मिलियन बच्चों को टीका दिया गया।
पोलियो कार्यक्रम
· प्रत्येक राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पर देशभर में 1,55,000 पर्यवेक्षकों की निगरानी में लगभग 2.3 मिलियन टीका देने वाले कार्यकर्ता 209 मिलियन घरों में जाकर पाँच साल से कम उम्र के लगभग 172 मिलियन बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाते हैं। रेलवे स्टेशनों, चलती रेलगाडि़यों, बस स्टैंडों, बाजारों और निर्माण स्थलों पर भी बच्चों को टीका दिया जाता है। प्रत्येक दौर में यूपी, बिहार और मुंबई के ही लगभग पाँच मिलियन बच्चों को पोलियो की खुराक पिलायी जाती है। उपराष्ट्रीय टीकाकरण दिवसों के दौरान पोलियो ग्रस्त राज्यों यूपी और बिहार, पश्चिम बंगाल एवं झारखंड जैसे पुन: पोलियो की चपेट में आने वाले राज्यों, दिल्ली और मुंबई के हाई रिस्क पोलियोग्रस्त इलाकों के लगभग 50 से 70 मिलियन बच्चों को पोलियो की खुराक पिलायी गई। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और गुजरात के प्रवासी और घूमन्तु परिवारों के भी बच्चों को उप राष्ट्रीय टीकाकरण के दौरान पोलियो की खुराक पिलायी गई।
चुनौतियां और कार्यक्रम
· देश में पोलियो के किसी छिपे या आयातित मामलों की शीघ्र पहचान और उनका निवारण अभी मुख्य चुनौती है। इसके लिए उच्चस्तरीय सतर्कता और आपातकालीन तैयारी की आवश्यकता है। 2011 में चीन में बाहर से गये पोलियो की घटना से भारत को पोलियो की वापसी की आशंका में सतर्क रहने की जरूरत है।
· भारत सरकार और सभी राज्य पोलियो के किसी मामले के उजागर होने की स्थिति में उससे निपटने के लिए आपातकालीन तैयारी पर मिलकर काम कर रहे हैं।
· सभी राज्यों में 5 साल तक के सभी बच्चों को पोलियो अभियानों और तय टीकाकरण कार्यक्रमों के दौरान पोलियो की खुराक तब तक पिलाना सुनिश्चित करना होगा जब तक दुनियाभर से पोलियो का उन्मूलन न हो जाए।
· घर से बाहर निकले बच्चों-प्रवासी, बंजारे और पड़ोसी देश पाकिस्तान और नेपाल से भारत आ रहे बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाकर सुरक्षा प्रदान करना भी एक बड़ी चुनौती है।
· भारत में पोलियो उन्मूलन को तब तक प्राथमिकता देना होगा, जब तक विश्व भर से उसका खात्मा न हो जाए।
एक मिलियन = 10 लाख
*स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से मिली जानकारी। 24-फरवरी-2012 20:57 IST
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