बात बहुत पुरानी है. राजकपूर की फिल्म आई थी बोबी. बहुत से लोगों ने यह फिल्म बहुत बार देखी. लोग एक दुसरे से पूछा करते थे भाई तुमने कितनी बनार देखी और तुमने कितनी बार. इस फिल्म में एक गीत था जिसके कुह्ह बोल थे.....प्यार में सौदा नहीं. गीत उस ज़माने में भी हिट हुआ था और आज भी इसकी धुन मन को लुभाती है. आज के युग में सभी बातें अनुबन्ध पर होने का चलन चाहे तेज़ी से बढ़ रहा है फिर भी इस गेट के बोल मन की दुनिया में कहीं न कहीं गूंजते रहते हैं....प्यार में सौदा नहीं.....लेकिन प्यार की निशानी ताज महल की दुनिया में रहने वाले बोधिसत्व कस्तूरिया इसी मुद्दे पर कुछ नया कह रहे हैं. प्रीत के इस अनोखे अनुबन्ध की बात आपको कैसी लगी अवश्य लिखें. आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी. - रेक्टर कथूरिया
अनुबन्ध // बोधिसत्व कस्तूरियाप्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध,
यह कब,किसे कहाँ हो जाये ?
जिससे न था कोई समब्न्ध!!
प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
शून्य से भी जब फ़ूटता ज्वार,
फ़िर टूट्ता है हर प्रतिबन्ध !!
प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
पहले दो अन्जानों का मिलन,
फ़िर बने युग-युग के सम्बन्ध !!
प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
प्यार और विश्वास से निर्मित,
हो जाते हैं जन्मों के अनुबन्ध !!
प्रीत का यह अनोखा अनुबन्ध !
--बोधिसत्व कस्तूरिया,
२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा
आगरा २८२००७
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