Tuesday, January 18, 2011

बोधिसत्व कस्तूरिया की 3 रचनायें

बोधिसत्व कस्तूरिया कम लिखते हैं...कभी कभी केवल तभी जब कोई भाव उनके दिल-ओ-दिमाग में बार उठता है..उसी तरह जैसे सागर की लहरें. कभी कभी ये लहरें बहुत ऊंची भी चली जाती हैं और कभी कभी पाताल की गहराईयों में भी जा पहुँचती हैं... जब ऊपर से शांत दिखते हैं तो भीतर ही भीतर कहीं बहुत गहरे में कोई तुफान चहल रहा होता है... उनकी रचनायें आप पंजाब स्क्रीन में पहले भी पढ़ चुके हैं. इस बार प्रस्तुत हैं उनकी तीन नयी कवितायें.---रेक्टर कथूरिया..:
सत्य की एक सौगन्ध ढूँढ्ता हूँ!
दुर्गन्ध के इस शहर मे -
मैं नालों के मुहानो पर,
किसी सुगन्ध को ढूँढ्ता हूँ!
मन की उश्रंखलता पर-
आत्म संयम का कोई,
एक नया प्रतिबन्ध ढूँढता हूँ!! दुर्गन्ध के इस......
धर्म और देश के नाम पर
बंटते  इस संसार मे-
प्रेम का सम्बन्ध ढूँढता हूँ !! दुर्गन्ध के इस .....
शाश्वत प्रेम की ऋचायें सुनाकर,
मानव से मानव का-
पुराना कोई अनुबन्ध ढूँढता हूँ!! दुर्गन्ध के इस...
इस नश्वर,मिथ्या-संसार मे-
मैं आज भी कोई नई
सत्य की एक सौगन्ध ढूँढ्ता हूँ!! दुर्गन्ध के इस...
गाँधी और बुद्ध के इस देश मे,
पतित- धर्माचार्यों और,
भ्रष्ट- नेताओं के सम्बन्ध ढूँढ्ता हूँ!! दुर्गन्ध के इस ...!


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यह अफ़साना सरे आम कर दो!!
तुम जो अपनी घनेरी- ज़ुल्फ़ से, 
गर कभी शाम कर दो,
कहते हैं खुदा की कसम सरे राह, 

इक कत्ले-आम कर दो!
देते हैं तुमको मुआफ़ी का हक, 
नज़रों से बस जाम भर दो!
हम तो शैदाई तेरे प्यार के,

बस एक बोसा मेरे नाम कर दो !!
आगोश की नर्म गर्मी मिले,

यह अफ़साना सरे आम कर दो!!
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आपका अन्दाज़े-मोहब्बत कुछ और है!
आपका अन्दाज़े-मोहब्बत कुछ और है!
आज हम है ,लेकिन कल कोई और है!!
कल तक जो थी,बस तेरे पाँव की जूती!
आज वो ही दीवाने ,तेरे हुए सिरमौर है!!
आपका अन्दाज़....
पोशाक की मानिन्द,जो सनम बदले है,
उसका कया कहें, कया कहीं भी ठौर है? आपका अन्दाज़....
पर यह सब ज़माने की हवा ने बदला है,
इसीलिए कहते हैं,नया ज़माना नया दौर है!!आपका अन्दाज़..
आँख से टपकती मोहब्बत,दिल कुफ़्र्ज़दा है,
ऐसे लोगों पर ना जाने क्यूँ,करता तू गौरहै!! आपका अन्दाज़..

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बोधिसत्व कस्तूरिया जी का सम्पर्क पता है: 202-नीरव निकुन्ज सिकन्दरा, आगरा-282007 और उनका मोबाईल नम्बर है: मो: 94124-43093 ..आपको ये रचनायें कैसी लगीं अवश्य बताएं.आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी.--रेक्टर कथूरिया  

1 comment:

babanpandey said...

बहुत ही अच्छा ...नाले का बिम्ब बहुत अच्छा है ...वर्तमान में नाले बेईमानी ,भारस्त्रचार को दिखाते है /