मेघराज मित्र |
...उन्होंने टोने-टोटकों, तंत्र-मंत्र और जादुई शक्तियों के द्वारा मुझे हजार बार नष्ट किया।
प्रस्तुतकर्ता : ज़ाकिर अली ‘रजनीश
Dr.Abraham T. Kovoor |
वे घटनाएं, वे सैकड़ों भूत घरों एवं प्रेत आत्माओं, जिनके बारे में मैंने खोज की, हर एक में मैंने किसी न किसी मनुष्य को ही इन आश्चर्यजनक घटनाओं को करने का जिम्मेदार पाया। ऐसे अजीबोगरीब काम वे या तो किसी मानसिक बीमारी के कारण या शरारत के कारण किया करते थे।
मैंने बहुत से मानसिक रोगियों को, जिनमें प्रेत आता था, ठीक किया है। मैंने उनका इलाज उनमें से प्रेत निकाल कर नहीं किया बल्कि हिप्नोटाइज करके, उनके दिमाग से गलत विचारों को दूर करके किया है। मेरा अनुभव है कि कुछ पुजानियों या साधु सन्तों को संयोगवश जो सफलताऍं मिलती हैं, वे केवल पूजा, प्रार्थना या मंत्रों को रोगी के मन के ऊपर हिप्नोटिक प्रभाव के कारण ही होती हैं। भोले-भाले लोग इन इलाजों को भूत-प्रेत और देवी देवताओं के साथ जोड़ देते हैं।
मैं यह भी अनुभव करता हूँ कि इन्सान की बदली हुई आवाज में बातें करना न तो प्रेतों के कारण होता है और न ही पुनर्जन्म के कारण, बल्कि यह सब कुछ मन के गलत विचारों के कारण है।
मैं प्रेतघरों में सोया हूँ। मैं और मेरी पत्नी आधी रात को प्रेतों की खोज में कब्रिस्तान भी गए हैं। मैं रात को कनाटा के कब्रिस्तान से लंका रेडियो पर भी बोला हूँ। यद्यपि हमने वहां कभी भी भूत नहीं देखे, फिर भी यदि वहां हमें कुछ लोगों ने अजीब अजीब आवाजें निकाल कर डराया होता, तो हमें गम्भीर मानसिक आघात पहुंच सकते थे। क्योंकि भूतों की मौजूदगी के बारे में विचार हमारे सचेत मन से तो निकल गए हैं, लेकिन मारे अचेत मन में अभी तक छिपे हुए हैं। दूसरी तरफ हमारा पुत्र, जिसका प्रेत, शैतान और देवताओं के डर के बिना पालन पोषण किया गया है, हो सकता है कि वह ऐसे सदमों का शिकार न हो।
मेरी खोज ने मुझे इस सत्य का साक्षात्कार करवाया है कि अन्धानुकरण करने वाले व्यक्तियों में ऐसे वहम व विश्वासों की जड़ें रहस्यमयी व्यक्तियों और शैतानों ने अपनी आय के साधन को बनाने के लिए लगाई हैं। पूजा, प्रार्थना, भेंट और बलि का प्रभाव तो अन्ध विश्वासी लोगों पर मनोवैज्ञानिक ढ़ंग से होता है। ये सारी बातें मनुष्य के दिमाग पर नींद लाने वाली दवाई जैसा ही प्रभाव डालती हैं। ज्यादातर मानसिक बीमारियों का कारण तो देवताओं, शैतानों का अंधानुकरण करने वाले लोगों में तथाकथित पवित्र वस्तुओं की अपवित्रता और अतिक्रमण इत्यादि के बारे में पैदा किया डर ही है।
अपनी जवानी के समय से ही मैं मनुष्य के पैदा किए हुए वहम, भ्रमों का उल्लंघन कर रहा हूँ, ताकि उनके प्रभावों की जांच कर सकूँ। दो वर्ष तक हस्त विद्या व ज्योतिष सीखता रहा हूँ परन्तु मेरी इस पढ़ाई ने मुझे इसको व्यर्थ घोषित करने में ही सहायता प्रदान की है। मैंने अपनी जिंदगी के आवश्यक कार्यों को 'अशुभ दिनों' व 'बुरे शगुनों' के साथ शुरू किया है। मेरे माता पिता बहुत दिन इसलिए रोते रहे कि मैंने अपनी शादी के लिए चलते समय बायां पैर घर से पहले बाहर निकाला। कोलम्बो में मैंने अपनी कोठी तिरूवाला की नींव ठेकेदार और मजदूरों की मर्जी के विरूद्ध अशुभ दिन को रखा।
मैं और मेरी चुनौतियॉं
ज़ाकिर अली रजनीश |
मैंने अपना पहला इनाम जून 1963 में रखा। यह सीलबंद लिफाफे में रखे नोट का क्रमांक पढने के बारे में था। इसके अनुसार एक हजार रूपये से लेकर पच्चीस हजार रूपये तक कोई भी रकम जमा करवा कर उतना ही इनाम जीत सकता था। यह उन व्यक्तियों के लाभार्थ था, जो अपने में टेलीपैथी की शक्ति का दावा करते थे। मैं एक जज को अपना नोट का नम्बर दिखाने के लिए भी तैयार था ताकि दूसरे कमरे में बैठा टेलीपैथी वाला व्यक्ति जज के मन को पढ सके। इसके ही अन्तर्गत डियूक विश्वविद्यालय के एक प्रसिद्ध टेलीपैथी डॉक्टर जे0 बी0 रहीन को भी निमंत्रण पत्र भेजा गया। 1965 मं मैंने इस शर्त को बढ़ा कर 75000 रूपये कर दिया ताकि अलौकिक शक्ति वाले लोग दूसरों देशों से कोलम्बो आकर हवाई जहाज के किराए के बिना भी और ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकें।
1966 में लंका के आस्तिकों (कतादियों) ने कहा कि उनके पास सीलबंद नोट पढ़ने की शक्ति तो है, पर शर्त में रखी गयी जमानत की रकम ज्यादा है। इस मांग को ध्यान में रखते हुए मैंने इस रकम को 1000 रूपये से कम करके सिर्फ 75 रूपये कर दिया।ब्रह्मवादियों को मैंने चुनौती दी कि मैं उनको 5000 रूपये इनाम दूँगा यदि वे ऐसा प्रेत पैदा कर सकें, जिनकी फोटो ली जा सकती हो।
यह बात सिद्ध करने के लिए कि ज्योतिष जुआ है, मैंने कहा- मैं दस व्यक्तियों की जन्म तारीख, जन्म समय व जन्म स्थान के अक्षांश व रेखांश भी दूँगा। उस ज्योतिषी को जो उन व्यक्तियों के सैक्स को व मौत की तारीख को (यदि वे मर चुके हों) ठीक ठीक बता देगा, मैं एक हजार रूपये का इनाम दूँगा। इनको 5 प्रतिशत गल्तियों की मुआफी होगी। हस्त रेखा निपुणों को मैंने चुनौती दी कि मैं उनको 10 हथेलियों के चित्र दूँगा। इन पाखण्डियों की भीड़ से बचने के लिए मैंने 75 रूपये की वापिस करने योग्य शर्त रख दी।
क्योंकि भारत में इन चीजों के बारे में ज्यादा गहरी धारणा है, इसलिए दो भारतीय समाचार पत्रों ने मेरी तरफ से इन परीक्षण की जिम्मेदारी ले ली। उन्होंने प्रोफेसर वी वी रमन के अलावा सैकड़ों अन्य ज्योतिषियों को पत्र पत्रिकाओं से छपी चुनौती के समाचार काट कर भेजे, परंतु आज तक किसी भी ज्योतिषी ने 75 रूपये जमा करवा कर इस चुनौती को स्वीकार नहीं किया है।
सिंहली, तमिल और अंगेजी समाचार पत्रों के माध्यम से तीन अवसरों पर मैंने जादू टोने वालों को इस बात की चुनौती दी कि वे मुझे अपने जादू टोने से निश्चित समय के अन्तर्गत मार दें। तीनों ही अवसरों पर मुझे डाक से बहुत से जादू टोने प्राप्त हुए। अब तक मुझे लगभग 50 टोने जिनमें कुछ चॉंदी, तांबे की पत्तियां और कुछ कागजों के थे, प्राप्त हुए। लंका के लगभग सभी भागों के कतादियों द्वारा भेजे गये इन टोनों के बावजूद मैं आज तक बिलकुल तंदुरूस्त और ठीक हूँ और अन्य मनुष्यों की तरह जब मैं मर जाऊंगा तो ये टोने वाले यह अवश्य कहेंगे कि मैं उनके टोनों के देर से प्रभाव के कारण मरा हूँ।
1970 में मैंने कतारगामा के भक्तों की एक संस्था के प्रधान द्वारा लिखे एक पत्र के जवाब में लिखा कि मैं उस व्यक्ति को एक लाख रूपये दूंगा, जो जलती हुई आग के ऊपर 30 सकेण्ड के लिए सुरक्षित खड़ा रहेगा। चुनौती स्वीकार करने वाले को 1000 रू0 जमानत के तौर पर जमा करवाने होंगे। अलौकिक शक्तियों का एक भी दावेदान मेरी चुनौती को स्वीकार करने के लिए आगे नहीं आया। बहुत लोग ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि उनके पास जमा करवाने के लिए पैसे नहीं हैं, परंतु उनमें अलौकिक शक्तियॉं विद्यमान हैं। बेशक मुझे ऐसे व्यक्तियों की बातों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए था। फिर भी मैंने उनमें से बहुतों को निमंत्रण दिया कि वे बिना धोखे के, जन समूह के सामने अपनी अलौकिक शक्ति का प्रदर्शन करें। अंत में दो मूर्खों के बिना और कोई भी मेरी परीक्षा का सामना करने के लिए तैयार नहीं हुआ।
नवीले डी सिल्वा नाम के एक व्यक्ति ने टाईम्ज ऑफ सीलोन में लिखा कि उसमें टेलीपैथी की शक्ति है और मेरे सामने इसको सिद्ध करके दिखा सकता है। 15 अगस्त 1967 को उसके दफ्तर में संपादकों के सामने उसका परीक्षण किया गया। उससे सात प्रश्न पूछे गये, जिसमें से वह एक का भी उत्तर नहीं दे सका।
किस्मत बताने वाले सी डी अडैसूरीया नाम के एक व्यक्ति, जो बासकाडूवा का रहने वाला था और जिसमें अदृश्य वस्तुऍं देखने की शक्ति थी, का दावा था कि प्रधान मंत्री, मंत्री, संसद के सदस्य व अन्य प्रमुख लोग उसके श्रृद्धालु हैं। उसने डवासा पत्रिका के संपादक की सेफ में पड़े सीलबंद करेंसी नोट का क्रमांक मुफ्त में ही पढ़ने की सेवा प्रस्तुत की। उसने कई दिन ऐसे शुभ अवसर के इंतजार में व्यतीत किए, जिस दिन वह पूजा करके अदृश्य वस्तुओं को देखने की की शक्ति प्राप्त कर सके। अंत में जब उसने उस नोट का नम्बर बताया, तो उसका एक भी अंक ठीक नहीं था।
भारत और श्रीलंका में बहुत से लोग सत्य श्री साईंबाबा, पादरीमलाई, स्वामीगल, नीलकांडा, दाताबल, दादाजी और आचार्य रजनीश जैसे जादूगरों को 'भगवान' समझ कर पूजते हैं, क्योंकि ये पाखण्डी दावा करते हैं कि वे पवित्र राख या लिंग को अपनी अलौकिक शक्ति से प्रकट करते हैं। समाचार पत्रों में भी उनकी बहुत सी अलौकिक शक्तियों के बारे में लेख छपते हैं, जो उनके अंधानुकरण करने वाले भक्तों द्वारा लिखे होते हैं।मैं उनको चुनौती देता हूँ कि वे मेरे द्वारा उनके शरीर की तलाशी लेने के उपरांत कोई वस्तु प्रकट करके दिखाएं। यदि उन्हें इस बात की आपत्ति है कि मुझ जैसा अपवित्र आदमी, उनके पवित्र शरीर को हाथ न लगाए, तो ऐसे नोट की नकल करके दिखाएं जो उनको दिखाया जाए। यद्यपि उनको ये चुनौतियां पत्र-पत्रिकाओं एवं डाक के माध्यम से भेजी गईं, परंतु अभी तक इन तथाकथित भगवानों में से किसी ने भी इसका उत्तर नहीं दिया।
कुछ लोग पुनर्जन्म को सिद्ध करने के लिए वैज्ञानिक ढ़ंग से प्रमाण देते हैं। उनके अनेक तर्कों में से एक तर्क यह भी है कि कुछ व्यक्ति हिप्नोटिज्म के प्रभाव के अन्तर्गत अपने पुनर्जन्म के बारे में बताते हैं। के एन ज्यतिलेकेके अनुसार शारीरिक परिवर्तन हिप्नोटिज्म के प्रभाव से संभव है। ऊपर लिखे विचारों को व्यर्थ सिद्ध करने के लिए मैंने पुनर्जन्म में विश्वास करने वालों के लिए 15 रूपये से 75 हजार रूपये तक का इनाम समता के आधार पर रख दिया और उनको दो जुड़वा बच्चों की सांझी पहली जिंदगी के बारे में वर्णन करने के लिए कहा गया।
जो व्यक्त यह दावा करते हैं कि वे हिप्नोटिज्म की सहायता से मनुष्य में शारीरिक परिवर्तन ला सकते हैं, उनको यह चुनौती दी गयी कि वे एक गर्भवती औरत को हिप्नोटिज्म से उसके पेट में पड़े बच्चे को अलोप करके उसे वापिस गर्भवती होने से पहले की हालत में लाकर दिखाएं। ऐसी ही एक चुनौती मैंने उन व्यक्तियों को दी जो दावा करते हैं कि वे हिप्नोटिज्म की सहायता से मनुष्य को अदृश्य वस्तुएं देखने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं। लेकिन कोई मेरे सामने नहीं आया।
नवीले डी सिल्वा नाम के एक व्यक्ति ने टाईम्ज ऑफ सीलोन में लिखा कि उसमें टेलीपैथी की शक्ति है और मेरे सामने इसको सिद्ध करके दिखा सकता है। 15 अगस्त 1967 को उसके दफ्तर में संपादकों के सामने उसका परीक्षण किया गया। उससे सात प्रश्न पूछे गये, जिसमें से वह एक का भी उत्तर नहीं दे सका।
किस्मत बताने वाले सी डी अडैसूरीया नाम के एक व्यक्ति, जो बासकाडूवा का रहने वाला था और जिसमें अदृश्य वस्तुऍं देखने की शक्ति थी, का दावा था कि प्रधान मंत्री, मंत्री, संसद के सदस्य व अन्य प्रमुख लोग उसके श्रृद्धालु हैं। उसने डवासा पत्रिका के संपादक की सेफ में पड़े सीलबंद करेंसी नोट का क्रमांक मुफ्त में ही पढ़ने की सेवा प्रस्तुत की। उसने कई दिन ऐसे शुभ अवसर के इंतजार में व्यतीत किए, जिस दिन वह पूजा करके अदृश्य वस्तुओं को देखने की की शक्ति प्राप्त कर सके। अंत में जब उसने उस नोट का नम्बर बताया, तो उसका एक भी अंक ठीक नहीं था।
भारत और श्रीलंका में बहुत से लोग सत्य श्री साईंबाबा, पादरीमलाई, स्वामीगल, नीलकांडा, दाताबल, दादाजी और आचार्य रजनीश जैसे जादूगरों को 'भगवान' समझ कर पूजते हैं, क्योंकि ये पाखण्डी दावा करते हैं कि वे पवित्र राख या लिंग को अपनी अलौकिक शक्ति से प्रकट करते हैं। समाचार पत्रों में भी उनकी बहुत सी अलौकिक शक्तियों के बारे में लेख छपते हैं, जो उनके अंधानुकरण करने वाले भक्तों द्वारा लिखे होते हैं।मैं उनको चुनौती देता हूँ कि वे मेरे द्वारा उनके शरीर की तलाशी लेने के उपरांत कोई वस्तु प्रकट करके दिखाएं। यदि उन्हें इस बात की आपत्ति है कि मुझ जैसा अपवित्र आदमी, उनके पवित्र शरीर को हाथ न लगाए, तो ऐसे नोट की नकल करके दिखाएं जो उनको दिखाया जाए। यद्यपि उनको ये चुनौतियां पत्र-पत्रिकाओं एवं डाक के माध्यम से भेजी गईं, परंतु अभी तक इन तथाकथित भगवानों में से किसी ने भी इसका उत्तर नहीं दिया।
कुछ लोग पुनर्जन्म को सिद्ध करने के लिए वैज्ञानिक ढ़ंग से प्रमाण देते हैं। उनके अनेक तर्कों में से एक तर्क यह भी है कि कुछ व्यक्ति हिप्नोटिज्म के प्रभाव के अन्तर्गत अपने पुनर्जन्म के बारे में बताते हैं। के एन ज्यतिलेकेके अनुसार शारीरिक परिवर्तन हिप्नोटिज्म के प्रभाव से संभव है। ऊपर लिखे विचारों को व्यर्थ सिद्ध करने के लिए मैंने पुनर्जन्म में विश्वास करने वालों के लिए 15 रूपये से 75 हजार रूपये तक का इनाम समता के आधार पर रख दिया और उनको दो जुड़वा बच्चों की सांझी पहली जिंदगी के बारे में वर्णन करने के लिए कहा गया।
जो व्यक्त यह दावा करते हैं कि वे हिप्नोटिज्म की सहायता से मनुष्य में शारीरिक परिवर्तन ला सकते हैं, उनको यह चुनौती दी गयी कि वे एक गर्भवती औरत को हिप्नोटिज्म से उसके पेट में पड़े बच्चे को अलोप करके उसे वापिस गर्भवती होने से पहले की हालत में लाकर दिखाएं। ऐसी ही एक चुनौती मैंने उन व्यक्तियों को दी जो दावा करते हैं कि वे हिप्नोटिज्म की सहायता से मनुष्य को अदृश्य वस्तुएं देखने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं। लेकिन कोई मेरे सामने नहीं आया।
यद्यपि मेरी चुनोतियों में से बहुतों को किसी ने भी स्वीकार नहीं किया, फिरभी मुझे हर्ष है कि इन चुनोतियों ने, जो मेरी म़ृत्ु तक खुली रहेंगी, अनेक बुद्धिजीवियों को इस बात का अहसास कराया है कि इस ब्रह्माण्ड में कोई भी अलौकिक शक्ति नहीं है। जो कुछ भी होता है, वह सब प्राकृतिक है। कोई भी चमत्कार नहीं है, परंतु कुछ रहस्य हैं। हमारे पूर्वजों के बहुत से रहस्य हमने हल कर लिए हैं, और आज के बहुत से रहस्य कल के वैज्ञानिक हल कर देंगे। उस समय तक हल न होने वाले रहस्यों को चमत्कार कहना मूर्खता ही है। - अब्राहम टी0 कोवूर
('.....और देवपुरूष हार गये' पुस्तक से साभार।)नोट: अगर आप हिंदी या पंजाबी में तर्कशील साहित्य पढ़ कर अंधविश्वास के अँधेरे को दूर करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें. यहां आपको ऑन लाईन साहित्य भी मिलेगा. --रेक्टर कथूरिया
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